(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-556/2008
नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी
बनाम
मुकेश कुमार सक्सेना
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री नीरज पालीवाल विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :12.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या– 83/2007, मुकेश कुमार सक्सेना बनाम नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.01.2008 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है। अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुये मोटर साइकिल का बीमित धनराशि अंकन 20,000.00 रूपया 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित लौटाये जाने का आदेश पारित किया है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी का यह कथन है कि उनकी मोटर साइकिल रजिस्ट्रेशन संख्या यू0 पी0 27 सी 8600 दिनांक 19.03.2006 को चोरी हो गई, वाहन का बीमा वैध एवं प्रभावी था। जिसका बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया परन्तु क्लेम नहीं दिया गया। यह भी कथन है किया गया है कि यह मोटर साइकिल रमेश चन्द्र सक्सेना से क्रय की गई थी जिसका पंजीकरण परिवादी के पक्ष में हो गया था और सूचना बीमा कम्पनी को भी दे दी गई थी। परन्तु बीमा कम्पनी ने परिवादी के बीमा क्लेम को नकार दिया। जिला उपभोक्ता आयोग ने इसी आधार पर परिवाद को स्वीकार करते हुये बीमा राशि अंकन 20,000.00 रूपये 06 प्रतिशत ब्याज सहित परिवादी को लौटाने का आदेश पारित किया है।
3. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि वाहन संख्या यू0 पी0 27 सी 8600 रमेश चन्द्र सक्सेना के नाम से बीमित था। परिवादी द्धारा यह मोटर साइकिल क्रय करने के बाद कभी भी बीमा कम्पनी को सूचना नहीं दी गई और इसी कारण बीमा पालिसी में परिवादी का नाम नहीं दर्ज किया जा सका इस कारण परिवादी को बीमा क्लेम देय नहीं है।
4. परिवाद पत्र के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह उल्लेख किया है कि बीमा कम्पनी को रजिस्ट्रेशन ट्रान्सफर की विधिवत सूचना दे दी गई थी तथा कागजात की प्रतियां भी प्राप्त करा दी गई थी परन्तु परिवादी द्धारा बीमा कम्पनी को विधिवत सूचना दिये जाने तथा कागजात प्राप्त कराये जाने की तिथि का उल्लेख नहीं किया गया है। जिला उपाभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में सूचना दिये जाने के किसी दस्तावेज के बारे में कोई चर्चा नहीं की है।
5. जिला आयोग द्धारा मोटर व्हेकिल एक्ट की धारा-157 का उल्लेख किया गया है जिसके अनुसार बीमा प्रमाण पत्र स्वत: स्थानान्तरित समझा जायेगा। परन्तु यह निष्कर्ष विधि सम्मत नहीं है, क्योंकि वाहन बेचने के पश्चात बीमा कम्पनी को सूचना देना बाध्यता है। जब बीमा कम्पनी को सूचना नहीं दी गई तथा वांछित शुल्क जमा नहीं किया गया तब तक बीमा पालिसी अग्रिम क्रेता के नाम ट्रान्सफर नहीं हो सकती है। मोटर व्हेकिल अधिनियम के तहत निर्मित नियम संख्या-17 के अनुसार परिवादी द्धारा बीमा कम्पनी के यहां वाहन क्रय करने की सूचना देना तथा वांछित प्रपत्र प्रस्तुत करना आवश्यक था। इस लिये स्वत: बीमा पालिसी का स्थानान्तरण अवैधानिक है और बीमा क्लेम देय नहीं होगा। तद्नुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
पक्षकार अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0,
कोर्ट 3