Uttar Pradesh

StateCommission

RP/176/2015

Uppcl - Complainant(s)

Versus

Mukesh Gupta - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

19 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/176/2015
( Date of Filing : 30 Nov 2015 )
(Arisen out of Order Dated 10/07/2015 in Case No. C/175/2015 of District Jhansi)
 
1. Uppcl
Jhansi
...........Appellant(s)
Versus
1. Mukesh Gupta
Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Jul 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

पुनरीक्षण सं0 :- 176/2015

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, झॉसी द्वारा परिवाद सं0-175/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10/07/2015 के विरूद्ध)

 

Executive Engineer, Electricity Distribution Division Limited, Dakshinanchal Vidyut Vitran Khand, 1st Sukwan and Dukwan Colony, Civil Lines, Jhansi.

 

  1.                                                                 Revisionist/Opp. Party  

 

Versus

 

Mukesh Gupta, S/O Sri Maniram Gupta, R/O 97/3, Meghraj Advocate, Behind Cinema, Civil Lines, Jhansi.

           

  •         Respondent

समक्ष

  1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-श्री दीपक मेहरोत्रा

विपक्षी की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री आलोक सिन्‍हा     

दिनांक:-22.08.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

  •  
  1.                         यह निगरानी अंतर्गत धारा 17 (1) बी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम झांसी द्वारा परिवाद सं0 175 सन 2015 मुकेश गुप्‍ता प्रति दक्षिणांचल विद्युत वितरण खण्‍ड झांसी में पारित आदेश दिनांकित 10.07.2015 के विरूद्ध योजित की गयी है। उक्‍त आदेश के माध्‍यम से विद्धान जिला उपभोक्‍ता कमीशन ने परिवाद सं0 175 सन 2015 को अंगीकृत करते हुए निषेधाज्ञा के माध्‍यम से अपीलकर्ता/विपक्षी को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को विद्युत संयोजन सं0 29594 प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्युत संयोजन को अविलम्‍ब 03 दिन के अंदर जोडे़।
  2.           परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया कि परिवादी का घरेलू कनेक्‍शन सं0 233511911311 है, जिसकी अदायगी परिवादी करता है। अपीलार्थी/विपक्षी के यहां से निर्देश आये थे कि घर के अंदर से मीटर निकालकर बाहर लगा दिया जाये, उसी क्रम में माह जून 2014 में घर से मीटर निकालकर घर के बाहर लगाया गया।
  3.           प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार विपक्षी द्वारा 16.06.2014 से 23.07.2014 तक का पुराना मीटर एवं नये मीटर का आई.डी.एफ. का बिल बनाकर प्रदान किया गया, जिसे प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 30.07.2014 को जमा करा दिया था। आई.डी.एफ. बिल के बारे में पूछे जाने पर विपक्षी की ओर से कोई समुचित जवाब नहीं दिया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार विपक्षी द्वारा जून 2014 से 17.06.2015 तक निरन्‍तर आई.डी.एफ. का बिल बनाकर प्रदान किया जा रहा है। आई.डी.एफ. का बिल क्‍यों है यह कारण विपक्षी विद्युत वितरण खण्‍ड को ही जानता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार निगरानीकर्ता/विपक्षी के कर्मचारी दिनांक 07.07.2015 को वादी के निवास पर आये और बिना कोई नोटिस दिये हुए उसका संयोजन काट दिया। कार्यालय से पूछने पर विपक्षी द्वारा मौखिक रूप से कहा गया कि वादी का मीटर खराब चल रहा है, जिसे बदलवाने की जिम्‍मेदारी वादी की है। परिवादी का यह कथन है कि निगरानीकर्ता/विपक्षी विभाग ने घर से बाहर मीटर लगाया हुआ है इसलिए उसकी कोई जिम्‍मेदारी इस मीटर के संबंध में नहीं है यदि मीटर खराब है तो निगरानीकर्ता/विपक्षी सही मीटर अपनी ओर से लगा सकते हैं। परिवादी ने संयोजन बिना कोई शुल्‍क जोड़ जाने, मानसिक कष्‍ट के लिए रूपये 30,000/- और परिवाद व्‍यय हेतु परिवाद योजित किया।
  4.           परिवाद को अंगीकृत करते हुए विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने प्रश्‍नगत आदेश दिनांकित 10.07.2015 पारित किया, जिसमें दिनांक 17.12.2014 से दिनांक 05.06.2015 तक बिल जमा होने की बात कही गयी एवं निगरानीकर्ता/विपक्षी को विद्युत संयोजन अविलम्‍ब जोड़े जाने की आज्ञप्‍त पारित की गयी, जिसके विरूद्ध यह निगरानी प्रस्‍तुत की गयी।
  5.           निगरानी में यह कथन किया गया है कि दिनांक 20.06.2015 को विद्युत विभाग के विजीलेंस सेल द्वारा परिवादी के प्रश्‍नगत कनेक्‍शन का निरीक्षण किया गया इसमें पाया गया कि परिवादी अपने घरेलू कनेक्‍शन को वाणिज्यिक प्रयोग कर रहा है। परिवादी को 6 किलोवाट का लोड की अनुमति दी गयी थी जबकि उसके द्वारा 28.13 किलोवाट प्रयोग कर रहा है। मीटर की रीडिंग 29.895 किलोवाट घंटा पायी गयी, जिसके लिए कोई अदायगी नहीं की जा रही थी। उक्‍त निरीक्षण के आधार पर अनुमानित निर्धारण रूपये 5,35,245/- किया गया था, जो परिवादी को प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्‍त अवैधानिक रूप से विद्युत प्रयोग किये जाने के संबंध में बिल भी प्रदान किया गया, जो दिनांक 20.06.2015 तक निर्धारण किया गया था, किन्‍तु परिवादी ने उक्‍त बिल प्रदान नहीं किया, जिस कारण उसका विद्युत कनेक्‍शन काट दिया गया। निगरानीकर्ता के अनुसार परिवादी का कनेक्‍शन दिनांक 20.06.2015 को अवैध एवं अनाधिकृत प्रयोग के कारण काटा गया है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने इस तथ्‍य का परीक्षण करते हुए बिना विद्युत संयोजन जोड़े जाने का आदेश दिया गया है, जो अवैध है एवं माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णयों का उल्‍लंघन करते हुए दिया गया है। अत: प्रश्‍नगत आदेश को निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
  6.           पुनरीक्षणकर्ता के विद्धान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा एवं विपक्षी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा को विस्‍तृत रूप से सुना गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेख का अवलोकन किया गया। तत्‍पश्‍चात पीठ के निष्‍कर्ष निम्‍नलिखित प्रकार से हैं:-
  7.           विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद का अंगीकरण इस आधार पर परिवादी का विद्युत कनेक्‍शन जोड़े जाने का निर्देश दिया है कि परिवादी का बिल दिनांक 25.06.2015 को अदा किया गया था और उसपर कोई विद्युत बकाया नही है। दूसरी ओर निगरानीकर्ता की ओर से कार्यालय अधिशाषी अभियंता विद्युत नगरीय वितरण खण्‍ड सिविल लाइन, झांसी का राजस्‍व निर्धारण प्रस्‍ताव की प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की गयी है, जिसमें प्रश्‍नगत कनेक्‍शन श्री एम0आर0 गुप्‍ता के नाम से है। उक्‍त विद्युत कनेक्‍शन के संबंध में विभागीय प्रवर्तन दल द्वारा दिनांक 20.06.2015 को निरीक्षण किये जाने पर घरेलू कनेक्‍शन का वाणिज्यिक प्रयोग व अधिक भार पाया गया और इस आधार पर राजस्‍व निर्धारण किये जाने का उल्‍लेख है। निगरानीकर्ता/विपक्षी का कथन है कि उक्‍त रिपोर्ट परिवादी के समक्ष तैयार हुई थी किन्‍तु परिवादी ने उस पर हस्‍तक्षेप करने से मना कर दिया था, इस प्रकार परिवादी पर विद्युत का दुरूपयोग करने का आक्षेप प्रवर्तन दल लगाया गया है, जिसका निस्‍तारण विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार किया जाना है।
  8.          इस संबंध में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय यू0पी0 पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड प्रति अनीस अहमद प्रकाशित III (2013) CPJ PAGE 1 (एससी) में पारित माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के निर्णय का उल्‍लेख किया जाना उचित है। इस निर्णय में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह प्रदान किया गया है कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 एवं 135 लगायत 140 के अंतर्गत राजस्‍व निर्धारण के मामले में परिवादी का परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पोषणीय नहीं होगा। इस मामले में विद्युत लोकसेवक द्वारा निरीक्षण करने पर परिवादी पर अवैध रूप से विद्युत प्रयोग करने का अभियोग लगाया गया था। माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया कि धारा 126 व 135 लगायत 140 तक का विद्युत अधिनियम 2003 के अंतर्गत यदि अवैध अनाधिकृत    विद्युत प्रयोग का आक्षेप लोकसेवक द्वारा लगाया जाता है तो इसका निस्‍तारण अधिनियम के अंतर्गत होगा एवं उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत मामला पोषणीय नहीं है। धारा 126 विद्युत अधिनियम 2003 यह प्रदान करता है कि यदि किसी स्‍थान या भवन का निरीक्षण विद्युत विभाग के लोकसेवक द्वारा किया जाता है और निर्धारण करने वाला अधिकारी इस नतीजे पर पहुंचता है कि भवन का अध्‍यासी अवैध अथवा अनाधिकृत विद्युत प्रयोग कर रहा है तो वह अधिकारी विद्युत राजस्‍व निर्धारण करेगा। माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के उपरोक्‍त निर्णयों के अनुसार ऐसे मामले       उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पोषणीय नहीं है। इस पीठ के समक्ष निगरानी में निहित परिवाद में विद्युत विभाग के लोकसेवक द्वारा निरीक्षण करके राजस्‍व निर्धारण किया गया है इसके संबंध में किसी आपत्ति का निस्‍तारण विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार होना है एवं माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के निर्णयों के अनुसार मामला उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पोषणीय नहीं है।
  9.           विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलकर्ता को बिना अवसर दिये हुए एवं इन तथ्‍यों को नजरअंदाज करते हुए यह आदेश पारित किया गया है। अत: उपरोक्‍त आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता कमीशन से यह अपेक्षित है कि उपरोक्‍त प्रार्थना पत्र पर दोनों पक्षों को पुन: सुनवाई का अवसर देते हुए इस निर्णय में आये हुए तथ्‍य व निर्णय को समावेश करते हुए निस्‍तारण करे। तदनुसार निगरानी स्‍वीकार किये जाने योग्‍य एवं प्रश्‍नगत आदेश दिनांकित 10.07.2015 अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।
    •  

निगरानी स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग परिवाद की सुनवाई के दौरान आवश्‍यकतानुसार प्रश्‍नगत बिन्‍दु को पुन: निस्‍तारित कर सकती है। उभय पक्ष परिवाद की सुनवाई हेतु दिनांक 10.10.2022 को जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष उपस्थित हों।    

            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

  

(विकास सक्‍सेना)(राजेन्‍द्र सिंह)

  •  

 

 निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया गया।

    

     (विकास सक्‍सेना)                         (राजेन्‍द्र सिंह)

  •  

 

 

      संदीप आशु0 कोर्ट नं0 2

  

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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