जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री उमेष त्यागी पुत्र श्री विष्णुदत्त त्यागी, निवासी- 12/30, मेयोलिंक रोड, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
श्री मुकेष चैरसिया, प्रोपराईटर सिद्विविनायक सेल्स एण्ड सर्विस, होली फैमिली हाॅस्पिटल के सामने, मेयोलिंक रेाड, अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 204/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री उमाकान्त अग्रवाल, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री अविनाष टांक, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 20.10.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने आर.ओ सिस्टम के उपयोग उपभोग तथा रखरखााव हेतु अप्रार्थी से दिनंाक
1.10.2012 को रू. 4750/- अदा कर ।डब्;।ददनंस डंपदजमदंदबम ब्वदजतंबज द्ध करवाई । अप्रार्थी ने प्रार्थी के मौखिक रूप से दिए गए आष्वासन के विपरीत ।डब् में व्दसल म्समबजतवदपब च्ंतजे ंदक ज्ीतमम ैमतअपबम अंकित कर दिया । अप्रार्थी ने आर.ओ. को मेन्टीनेन्स हेतु जब जब भी बुलाया गया, उसकी सन्तुष्टी अनुसार कार्य नहीं किया गया । दिनंाक 6.4.2015 को जब आर.ओ. सिस्टम खराब हुआ तो अप्रार्थी ने उसे बिना चैक किए बताया कि इसकी केन्डिल बदलनी होगी जिसका चार्ज प्रार्थी को अदा करना पड़ेगा । किन्तु प्रार्थी ने यह कहते हुए राषि देने से इन्कार कर दिया कि ।डब् के तहत एक बार सभी कैन्डिल बदल कर दी जाती है । किन्तु अप्रार्थी चार्ज अदा करने की बात पर अडा़ रहा और उसका आर.ओ बन्द पडा हुआ है जिसे दुरूस्त करवाने हेतु अप्रार्थी से दिनांक 9.4.2015 को पत्र एवं 21.4.2015 को नोटिस भी दिया ।किन्तु अप्रार्थी ने कोई कार्यवाही नहीं की । मजबूरन प्रार्थी को अन्य कम्पनी बी.जे.एसोसिएट्स से ।डब् करवानी पड़ी । जिसने आर.ओ चैक कर पांचों केन्डिल बदली तथा इलेक्ट्रोनिक पार्ट वेट सेन्स भी बदला । प्रार्थी ने अप्रार्थी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. यहां यह उल्लेखनीय है कि हस्तगत प्रकरण में अप्रार्थी की ओर से प्रतिनिधि ने उपस्थित होकर परिवाद के जवाब हेतु 9 मौके चाहे हैं। यथोचित अवसर दिए जाने के बावजूद उनकी ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं होने पर दिनंाक 4.4.2016 के आदेष द्वारा इनकी जवाबदेही बन्द की गई । इसके बाद दिनंाक 10.5.16, 8.6.16, 3.8.16, 4.10.2016 को अप्रार्थी की ओर से उपस्थिति नहीं दिए जाने पर विगत पेषी पर प्रार्थी पक्ष की बहस सुनी गई व अब मामले में गुणावगुण पर निर्णय पारित किया जा रहा है ।
3. प्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि प्रार्थी द्वारा आर.ओ सिस्टम के सुचारू रूप से उपयोग व रखरखाव हेतु अप्रार्थी से ।डब्;।ददनंस डंपदजमदंदबम ब्वदजतंबज द्ध लिए जाने के बाद इसमें आई खराबियों को ठीक नहीं किए जाने व बिना चैक किए इसका कैन्डिल बदलने एवं इसका भुगतान प्रार्थी को करने बाबत् तथ्य बताए गए जबकि ये खराबियां ।डब् चार्जेज में ही सम्मिलित थीं। इस बाबत् अप्रार्थी को पत्र लिखा गया व अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भी दिया गया । किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई । उक्त आर.ओ. सिस्टम के खराब होने पर मजबूरन प्रार्थी को अन्य कम्पनी से ।डब् करवानी पड़ी है । इस प्रकार अप्रार्थी का यह कृत्य त्रुटिपूर्ण सेवाओं का परिणाम है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
4. प्रार्थी के प्रस्तुत तर्को के समर्थन में उपलब्ध अभिलेखों में अप्रार्थी फर्म द्वारा दिनांक 1.10.2012 को प्रष्नगत उपकरण हेतु एक वर्ष की दिनांक
1.10.2014 से 1.10.2015 तक ।डब् किया जाना सामने आया है । उसके द्वारा लिखे गए दिनांक 9.4.2015 के पत्र से यह भी प्रकट होता है कि उसके द्वारा दिनांक 6.4.2015 को उक्त ।डब् की अवधि में अप्रार्थी को उक्त आर.ओ में आई खराबी के कारण सूचित किया गया था तथा अप्रार्थी का प्रतिनिधि इसे दुरूस्त करने आया था तथा उसकी ओर से कैन्डिल बदला जाना कहा गया है । प्रष्न यह है कि क्या उक्त खराबी के संबंध में कैन्डिल की भरपाई ।डब् में सम्मिलित है ? प्रार्थी का तर्क है कि अप्रार्थी द्वारा मौखिक रूप से दिए गए आष्वासन के विपरीत ।डब् में व्दसल म्समबजतवदपब च्ंतजे ंदक ज्ीतमम ैमतअपबम अंकित कर दिया गया । यहां यह उल्लेखनीय है कि यदि उक्त अभ्युक्ति अप्रार्थी के मौखिक आष्वासन के विपरीत अंकित की गई थी तो इस बाबत् अप्रार्थी का किसी प्रकार का खण्डन या स्पष्टीकरण सामने आना चाहिए था, जो कि नहीं आया है । अतः इस संबंध में प्रार्थी के मौखिक कथन व उसके द्वारा दिनांक 9.4.2015 व अधिवक्ता द्वारा दिए गए नोटिस से प्रार्थी के ये कथन अखण्डित रहे हंै कि मौखिक आष्वासन के साथ साथ एवं बिना उसकी सहमति के ।डब् में व्दसल म्समबजतवदपब च्ंतजे ंदक ज्ीतमम ैमतअपबम अंकित कर दिया गया , यह भी तथ्य अखण्डित रहा है । फलतः प्रार्थी के उक्त आर.ओ सिस्टम में आई खराबी को अप्रार्थी द्वारा सन्तुष्टीकारक ठीक नहीं किया गया व त्रुटिपूर्ण सेवाओं का परिचय दिया गया है । जिसके परिणामस्वरूप प्रार्थी द्वारा अन्य कम्पनी से अपने आर.ओ सिस्टम को दुरूस्त करवाने हेतु ।डब् लेनी पड़ी हैं। जो कि उपलब्ध अभिलेखों से स्पष्ट है ।
5. सार यह है कि उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है और प्रार्थी को एक मुष्त क्षतिपूर्ति राषि के भुगतान का आदेष दिए जाने से न्याय के उद्देष्यों की पूर्ति सम्भव हो सकेगी । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
6. (1) प्रार्थी अप्रार्थी से ।डब् हेतु अदा की गई राषि एव मानसिक क्षतिपूर्ति पेटे रू. 10,000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने के अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 20.10.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष