(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1058/2019
यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0, 401, चतुर्थ तल, सालीमार लॉजिक्स 04 राणा प्रतापमार्ग, लखनऊ। रजिस्टर्ड आफिस यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0, यूनिट नं0- 401, चतुर्थ तल, संगम कॉम्पलेक्स, 127 अंधेरी कुर्ला रोड, अंधेरी (पूर्व), मुम्बई, द्वारा मैनेजर।
..........अपीलार्थी
बनाम
1. मै0 जे0डी0 किचन्स, प्रोपराइटर मेहरून जहां पत्नी इदरीश, पता अजीतपुर नियर हुसैनी मस्जिद, पनवडिया रोड, तहसील सदर, जिला रामपुर, उ0प्र0।
2. कार्पोरेशन बैंक, प्रतिस्थापित यूनियन बैंक आफ इंडिया सिविल लाइंस, जिला रामपुर, यू0पी0, द्वारा ब्रांच मैनेजर।
.......प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्ता,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से उपस्थित : श्री एच0के0 श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 03.02.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 121/2016 मै0 जे0डी0 किचन्स बनाम यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इं0कं0लि0 व 02 अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, रामपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 31.07.2019 के विरुद्ध यह अपील योजित की गई है, जिसके माध्यम से प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी का परिवाद बीमा कम्पनी विपक्षीगण सं0- 1 व 2 के विरुद्ध आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए प्रतिकर की धनराशि 3,23,800/-रू0 मय 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिलाये जाने के आदेश पारित किए गए हैं।
प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी द्वारा परिवाद इन अभिकथनों के साथ प्रस्तुत किया गया है कि उसका एक फर्नीचर का कारखाना 88.53 स्क्वायर मीटर में बना हुआ था जिसका रजिस्ट्रेशन नं0- 09260705616सी है, जिसे बनाने में 4,60,000/-रू0 खर्च हुआ था। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी ने नेशनल इंश्योरेंस कं0 से उक्त फर्नीचर का प्लांट व मशीनरी की एक पालिसी 12,00,000/-रू0 की दि0 29.06.2015 को ली थी और दूसरी पालिसी अन्दर रखे हुए स्टाक के रिस्क को कवर करने के लिए 12,00,000/-रू0 की ली थी। उक्त कारखाना दि0 04.05.2016 को आंधी, तूफान व बारिश के कारण फाउंडेशन सहित गिर गया जिसके कारण उपरोक्त कारखाने में सभी सामान जिसमें प्लाईबुड, माइका फेबिकोल बास्केट, हार्डवेयर पी वी सी लेमिनेट लगभग तथा आर्डर पर स्टाक में रखा हुआ फर्नीचर टूट गए तथा मलवे में दबकर नष्ट हो गए जिससे प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी को 2,150824/-रू0 का नुकसान हुआ। कारखाने में रखा सामान, पीलर व फाउंडेशन में दबकर पूर्णतया टूट गया तथा मरम्मत करने की हालत में भी नहीं है। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी ने क्षतिपूर्ति का क्लेम लेने हेतु क्लेम फार्म बीमा कम्पनी के यहां भेजा। अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 बीमा कम्पनी ने सर्वेयर से जांच करायी। सर्वेयर ने सम्पूर्ण क्षति को अपनी रिपोर्ट में नहीं दिखाया तथा गलत रिपोर्ट तैयार कर बीमा कम्पनी को प्रेषित कर दिया, जिसके कारण बीमा कम्पनी ने कोई भी क्षतिपूर्ति की धनराशि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी को अदा नहीं किया। अत: उनके द्वारा सेवा में कमी की गई है, जिससे व्यथित होकर प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी ने परिवाद प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण सं0- 1 व 2 बीमा कम्पनी की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया है कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी द्वारा बीमा कम्पनी से बरगलरी पालिसी दि0 29.06.2015 को अपने प्लांट व मशीनरी हेतु 12,00,000/-रू0 धनराशि हेतु ली गई थी तथा एक अन्य पालिसी स्टैण्डर्ड फायर एण्ड स्पेलशन पेरिल्स पालिसी उपरोक्त तिथि को ही उक्त प्रतिष्ठान के स्टाक हेतु अंकन 12,00,000/-रू0 की ली गई थी। दोनों पालिसी की वैधता तिथि दि0 25.06.2015 से दि0 24.06.2016 तक थी। दि0 04.05.2016 को आंधी, तूफान व बारिश के कारण हुई क्षति की सूचना प्राप्त होने पर बीमा कम्पनी ने तुरंत प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी फर्म से बीमा क्लेम भेजने का अनुरोध किया तथा सर्वेयर दिनेश कुमार को नियुक्त किया। जिन्होंने तत्परता से दि0 05.05.2016 को सर्वे किया, परन्तु प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी फर्म ने कोई भी स्टाक व हानि का विवरण क्लेम फार्म में अंकित नहीं किया जिसके अभाव में सर्वेयर को दि0 04.05.2016 को आंधी, तूफान व बारिश में हुई क्षति का ज्ञान नहीं हो पाया। पुन: सर्वेयर द्वारा पंजीकृत पत्र दि0 31.05.2016 के द्वारा आवश्यक अभिलेख उपलब्ध कराने हेतु अनुरोध किया गया, फिर भी प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी ने कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं कराया। अंत में परिवाद के विपक्षीगण सं0- 2 व 3 के शाखा प्रबंधक की उपस्थिति में सर्वे किया गया और आख्या दि0 03.08.2016 को प्रेषित कर दी गई जिसमें उल्लिखित किया गया कि दि0 04.05.2016 को जो आंधी, तूफान एवं बारिश आयी थी इससे प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी फर्म को कोई गम्भीर क्षति नहीं हुई है।
सर्वेयर ने अपनी आख्या में यह भी स्पष्ट किया है कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी फर्म में दि0 05.05.2016 को जो क्षति का आंकलन 4,05,000/-रू0 का बताया गया उसके सम्बन्ध में कोई बिल रसीद, निर्मित अथवा अर्द्धनिर्मित का विवरण अंकित नहीं किया और सर्वे द्वारा 59,000/-रू0 की क्षति की राशि का आंकलन किया गया, जिनका नियमानुसार साल्वेज की राशि 47,200/-रू0 काटकर 11,800/-रू0 और दिन-प्रतिदिन का स्टाक रजिस्टर न रखने के कारण उक्त धनराशि का 25 प्रतिशत 2950/-रू0 काटकर केवल 8850/-रू0 की वास्तविक क्षति पायी गई। चूंकि यह धनराशि 10,000/-रू0 से कम थी। इस कारण प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी को कोई राशि देय नहीं है। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी फर्म द्वारा अधिकांश स्टाक आंधी-तूफान से पूर्व ही विक्रय कर दिया गया था। इस कारण क्लेम निरस्त करने का अनुमोदन कर दिया। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी फर्म व्यावसायिक प्रतिष्ठान है, इसलिए उभयपक्षों के मध्य उपभोक्ता एवं सेवा प्रदाता का सम्बन्ध नहीं है, अत: परिवाद फोरम के क्षेत्राधिकार में न होने के कारण खारिज किए जाने योग्य है।
विपक्षी सं0- 3 कार्पोरेशन बैंक की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया है कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी का खाता सं0- सी0एल0यू0सी0सी0-130001 है जिसने प्रत्यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 3 बैंक से 9,90,000/-रू0 का ऋण प्राप्त किया था। इसके अतिरिक्त प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी ने मशीन खरीदने के लिए 9,90,000/-रू0 और प्राप्त किया था जिसका खाता सं0- टी0एल0एस0 120001 है। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी ने प्रत्यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 3 बैंक के हक में जो एग्रीमेंट निष्पादित किया वह बैंक की अभिरक्षा में सुरक्षित है उसने ऋण की अदायगी समय से नहीं की, इसलिए उपरोक्त दोनों ऋण खाता एन0पी0ए0 हो गया। अत: प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी को दि0 25.10.2016 को नोटिस प्रेषित की गई और आवश्यक कार्यवाही कर दी गई। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी ने सम्पूर्ण तथ्यों को छिपाकर वाद दायर किया है जो खारिज होने योग्य है।
अपील मुख्य रूप से इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि प्रश्नगत निर्णय व आदेश वास्तविक तथ्यों एवं विधि को दृष्टिगत करते हुए नहीं पारित किया गया है। अप्रूव्ड सर्वेयर द्वारा मौके का निरीक्षण करने पर यह पाया गया था कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी फर्म के क्षतिग्रस्त शेड में प्लाई के दरवाजे स्थापित किए गए थे, जिस कारण वर्षा एवं तूफान के निशान बोर्ड पर थे। सर्वेयर द्वारा प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी से स्टाक रजिस्टर, विक्रय तथा खरीद के विवरण एवं अन्य दस्तावेज मांगे गए, किन्तु प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी द्वारा प्रदान नहीं किए गए। जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद का निस्तारण क्षति के अनुमानित आंकलन की 20 प्रतिशत कटौती करते हुए किया गया, जब कि नियुक्त अप्रूव्ड सर्वेयर द्वारा वास्तविक क्षति बहुत कम आंकी गई थी। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी द्वारा सर्वेयर को उपरोक्त विवरण एवं दस्तावेज नहीं दिए गए थे जिस कारण सर्वेयर वास्तविक क्षति के निष्कर्ष पर नहीं आ सका था। इन आधारों पर अपील स्वीकार किए जाने योग्य एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किए जाने की प्रार्थना की गई है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार एवं प्रत्यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता और प्रत्यर्थी सं0- 2 के विद्वान अधिवक्ता श्री एच0के0 श्रीवास्तव को सुना। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया।
इस मामले में सर्वेयर आख्या दिनांकित 03.08.2016 के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि सर्वेयर महोदय ने रू0 4,04,824/- की क्षति का आंकलन किया है, किन्तु कुल क्षति उनके द्वारा 59,000/-रू0 दर्शायी गई है। इस धनराशि में साल्वेज कम किए जाने का भी कथन रिपोर्ट में किया गया है। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि निर्णय में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा चम्पा लाल वर्मा बनाम ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 प्रकाशित III (2008) सी0पी0जे093(एन0सी0) तथा अरुण इंक्स बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0 प्रकाशित III (2017) सी0पी0जे0382(एन0सी0) के वाद में पारित निर्णयों पर आधारित करते हुए यह निर्णीत किया गया है कि यदि सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में फर्नीचर एवं अन्य क्षतिग्रस्त सामान के मूल्य नुकसान में विस्तृत आख्या दी है, किन्तु प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी क्षति के सम्बन्ध में स्टाक रजिस्टर या अन्य सामान प्रस्तुत नहीं कर पाये हैं तो भी सर्वे रिपोर्ट प्रथम दृष्टया जो नियमानुसार बनायी गई है उचित मानी जायेगी। जिला उपभोक्ता आयोग ने सर्वेयर रिपोर्ट के आंकलन में सर्वेयर द्वारा की गई 80 प्रतिशत की कटौती को उचित नहीं माना जो विधिसम्मत उचित प्रतीत होता है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा 20 प्रतिशत की कटौती की गई है यह उचित है। अत: प्रश्नगत निर्णय व आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय एवं आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 1