// जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक cc/219/2014
प्रस्तुति दिनांक 05/11/2014
मनीष कुमार अग्रवाल, आयु 34 वर्ष
आत्मज श्री रामगोपाल अग्रवाल,
निवास द्वारा श्री आर.के.भगोरिया,
गली नं. 8 विनोबा नगर,
जिला बिलासपुर छ.ग. ......आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
मेसर्स सलूजा कम्प्युटर्स एण्ड सर्विसेस
सदर बाजार बिलासपुर छ.ग. .........अनावेदक/विरोधीपक्षकार
आदेश
(आज दिनांक 05/06/2015 को पारित)
१. आवेदक मनीष कुमार अग्रवाल ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक के विरूद्ध कदाचरण का व्यवसाय कर सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदक से दोष युक्त कम्प्युटर के बदले उच्च गुणवत्ता वाला नया कम्प्युटर दिलवाने अथवा उसकी कीमत 22,590/-रू. को क्षतिपूर्ति के साथ वापस कराए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदक मेसर्स सलूजा कम्प्युटर एवं सर्विसेस के नाम से सदर बाजार बिलासपुर में व्यवसाय करता है , जिससे आवेदक अपने व्यक्तिगत उपयोग हेतु दिनांक 10.12.2013 को राशि 22,590/-रू. में एक कम्प्युटर क्रय किया था, जो उच्च गुणवत्ता का न होने के कारण उपयोग के दौरान बार-बार परेशान करने लगा, जिसकी शिकायत आवेदक द्वारा अनावेदक से की गई, किंतु अनावेदक द्वारा कम्प्युटर की शिकायत को दूर नहीं किया जा सका, जिसके कारण आवेदक कम्प्युटर के उपयोग से वंचित हो गया । आवेदक की शिकायत पर अनावेदक द्वारा कम्प्युटर को ठीक न कर पाने के कारण आवेदक द्वारा विवश होकर दिनांक 16.09.2014 को नोटिस भेजा गया, किंतु उसके बाद भी अनावेदक द्वारा शिकायत का निवारण नहीं किया गया अत: आवेदक यह परिवाद पेश कर अनावेदक से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
3. अनावेदक की ओर से जवाब पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किया गया है कि आवेदक देख-परख कर पूर्णरूप से संतुष्ट होकर दिनांक 10.02.2013 को 17,990/-रू. में उनके संस्थान से कम्प्युटर क्रय किया था, जिसमें कोई खराबी नहीं थी । आवेदक द्वारा एकाएक उन्हें कम्प्युटर के संबंध में दिनांक 16.09.2014 को लिखित सूचना दी गई, तब उनके संस्थान के प्रशिक्षित कम्प्युटर इंजीनियर द्वारा आवेदक के निवास स्थान में संपर्क कर आवेदक की उपस्थिति में कम्प्युटर का संचालन किया गया, किंतु उसमें कोई खराबी नहीं पाई गई । आगे उसने आवेदक द्वारा लालचवश झूठी शिकायत पेश करना बताया है और परिवाद निरस्त किए जाने का निवेदन किया है ।
4. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
5. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदक से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है \
सकारण निष्कर्ष
6. आवेदक द्वारा अनावेदक के संस्थान से प्रश्नाधीन कम्प्युटर क्रय किए जाने का तथ्य मामले में विवादित नहीं है ।
7. आवेदक के अनुसार, वह अपने व्यक्तिगत उपयोग हेतु अनावेदक मेसर्स सलूजा कम्प्युटर एवं सर्विसेस से दिनांक 10.12.2013 को 22,590/-रू. में एक कम्प्युटर क्रय किया था, आवेदक अपने इस कथन के समर्थन में कम्प्युटर खरीदी रसीद भी पेश किया है, जिससे भी उसके कथन की पुष्टि होती है ।
8. अनावेदक की ओर से यद्यपि यह कथन किया गया है कि आवेदक उनके संस्थान से दिनांक 10.02.2013 को 17,990/-रू. में कम्प्युटर क्रय किया था, किंतु अपने कथन के समर्थन में अनावेदक की ओर से कोई प्रमाण पेश नहीं किया गया है । फलस्वरूप यह स्पष्ट होता है कि कम्पयुटर क्रय करने के दिनांक एवं रकम के संबंध में अनावेदक का कथन सही नहीं है ।
9. आवेदक के अनुसार उपयोग के दौरान कम्प्युटर में शिकायत पाये जाने पर उसने बार-बार अनावेदक संस्थान से शिकायत किया, किंतु अनावेदक संस्थान द्वारा कम्प्युटर की शिकायत दूर नहीं किया जा सका, जिसके कारण उसका कम्प्युटर बंद पडा रहा और वह उसके उपयोग से वंचित हो गया, फलस्वरूप उसने विवश होकर अनावेदक संस्थान में दिनांक 16.09.2014 को नोटिस भेजा था ।
10. अनावेदक के अनुसार, आवेदक उसके पास कम्प्युटर में खराबी के संबंध में कभी कोई शिकायत नहीं किया था और एकाएक पहली बार कम्प्युटर के संबंध में दिनांक 16.09.2014 को लिखित सूचना दी गई, तब उनके संस्थान के प्रशिक्षित कम्प्युटर इंजीनियर आवेदक के निवास स्थान में जाकर आवेदक की उपस्थिति में कम्प्युटर का संचालन किया, लेकिन उसमें कोई खराबी नहीं पाई गई, किंतु अनावेदक अपने इस कथन के समर्थन में अपने संस्थान के संबंधित कम्प्युटर इंजीनियर को कोई शपथ पत्र दाखिल नहीं किया है, और न ही आवेदक से प्राप्त इस आशय का कोई संतुष्टि प्रमाण पत्र मामले में पेश करने का प्रयास किया गया है । फलस्वरूय यह स्पष्ट होता है कि इस संबंध में भी अनावेदक का कथन स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है ।
11. उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अनावेदक द्वारा अपने बचाव में गलत कथन का आश्रय लिया गया है, प्रश्नाधीन कम्प्युटर की बिक्री दिनांक तथा राशि के संबंध में झूठा कथन किया गया है, इसी प्रकार आवेदक की शिकायत के संबंध में भी उसने अपने जवाब में छिपाव किया है और आवेदक को झुठलाने का प्रयास किया है, जो स्पष्ट रूप से अनावेदक द्वारा आवेदक के साथ कदाचरण युक्त व्यवसाय करते हुए सेवा में कमी किए जाने के तथ्य को प्रकट करता है । अत: हम आवेदक के पक्ष में अनावेदक के विरूद्ध निम्न आदेश पारित करते हैं :-
अ. अनावेदक, आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर दोष युक्त पुराना कम्प्युटर वापस लेकर उसके स्थान पर उसे वारंटी के अधीन नया कम्प्युटर प्रदान करेगा और यदि ऐसा संभव न हो तो उसे कम्प्युटर क्रय राशि 22,590/-रू.(बाईस हजार पॉच सौ नब्बे रू.) वापस करेगा ।
ब. अनावेदक, आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/- रू.(पॉच हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा।
स. अनावेदक, आवेदक को वादव्यय के रूप में 1,000/- रू.(एक हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा।
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य