Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/2225

Amritsar College of Engineering - Complainant(s)

Versus

Ms. Kirat Preet Kaur & Others - Opp.Party(s)

T H Naqvi Sanjeev Sharma

17 Oct 2013

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/2225
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Amritsar College of Engineering
-
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. JUSTICE Virendra Singh PRESIDENT
 HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-2225/2013

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, सुल्‍तानपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-9/2013 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29-07-2013 के विरूद्ध)

 

डिप्‍टी रजिस्‍ट्रार/प्रशासन अमृतसर कालेज आफ इंजीनियरिंग एण्‍ड टेक्‍नोलाजी 12 किमी0 स्‍टोन जालन्‍धर जीटी रोड अमृतसर पंजाब पिन कोड-143001. संजीव शर्मा अधिकृत हस्‍ताक्षरीय।

                                                           अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1

                                                    बनाम

1-  कीरत प्रीति कौर पुत्री कॅवर जीत सिंह, निवासी एस0सी0-23 इण्‍डो गल्‍फ फर्टिलाइजर टाउनशिप इण्‍डटियल एरिया जगदीशपुर, अमेठी, उ0प्र0 पिन-227817                            

                         प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी संख्‍या-1

 2-  कॅवर जीत सिंह पुत्र मंगल सिंह निवासी एस0सी0-23 इण्‍डो गल्‍फ फर्टिलाइजर टाउनशिप इण्‍डटियल एरिया जगदीशपुर, अमेठी, उ0प्र0 पिन-227817                               -प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी संख्‍या-2     

समक्ष :-

1-   मा0  न्‍यायमूर्ति श्री वीरेन्‍द्र सिंह, अध्‍यक्ष।

2-   मा0 श्री राम चरन चौधरी,  सदस्‍य।

 

1-  अपीलार्थी की ओर से उपस्थित -   श्री टी0एच0 नकवी।

2-  प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित -    श्री आलोक रंजन।

दिनांक : 25-11-2014

श्री राम चरन चौधरी सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय :

अपीलार्थी ने प्रस्‍तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, सुल्‍तानपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-9/2013 कीरत प्रीति कौर व अन्‍य बनाम डिप्‍टी रजिस्‍ट्रार/प्रशासन अमृतसर कालेज आफ इंजीनियरिंग एण्‍ड टेक्‍नोलाजी व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29-07-2013 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है। जिसमें विद्धान जिला मंच ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार किया है और विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वह आदेश पारित होने के एक माह के अंदर परिवादिनी को 54690/-रू0 एवं उस पर परिवाद संस्थित करने की तिथि से देय तिथि तक 9 प्रतिशत साधारण ब्‍याज एवं क्षतिपूर्ति के मद में 5,000/-रू0 एवं वाद

 

 

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व्‍यय के मद में 1,000/-रू0 अदा करें, से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

     संक्षेप में इस केस के तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवाद पत्र में कहा गया है कि परिवादिनी संख्‍या-1 छात्रा है एवं परिवादी संख्‍या-2 उसके पिता है। विपक्षी संख्‍या-1 एक निजी क्षेत्र का इंजीनियरिंग कालेज है जो विपक्षी संख्‍या-2 पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी से सम्‍बद्ध है। विपक्षी संख्‍या-3 विपक्षी संख्‍या-2 की फ्रेन्‍चाइजी संस्‍था है जो जनपद सुल्‍तानपुर में स्थित है। विपक्षी संख्‍या-1 व 2 ने न्‍यूज पेपर व इण्‍टरनेट पर विपक्षी संख्‍या-1 के कालेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हेतु विज्ञापन दिया और उक्‍त इण्‍टर नेट व न्‍यूज पेपर में प्रवेश का विज्ञापन देखकर प्रार्थीगण ने उक्‍त विपक्षी संख्‍या-1 व 2 के विषय में जानकारी विपक्षी संख्‍या-3 से प्राप्‍त की और बाद में इण्‍टरनेट पर दिये गये निर्देशों के अनुरूप विपक्षी संख्‍या-2 यूनिवर्सिटी में सत्र 2012-13-16 बी टेक प्रथम वर्ष में प्रवेश हेतु आवेदन किया। परिवादिनी संख्‍या-1 की ए आई ई ई ई रैक संख्‍या-2059050 के आधार पर विपक्षी संख्‍या-2 यूनिवर्सिटी द्वारा काउन्सिलिंग के बाद दिनांक 04-7-2012 को यूनिवर्सिटी के पत्रांक द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 के कालेज में प्रवेश हेतु सीट आवंटित की गयी। उक्‍त सीट एलामेण्‍ट के आधार पर परिवादिनी द्वारा दिनांक 09-07-2012 को विपक्षी संख्‍या-1 के यहॉं प्रवेश लिया गया। और कालेज में रसीद संख्‍या-11110 दिनांक 09-07-2012 को ही 50690/-रू0 हुआ। परिवादिनी ने दिनांक 09-07-2012 के प्रवेश के उपरान्‍त अपरिहार्य कारणों से अपना प्रवेश निरस्‍त करने हेतु विपक्षीगण जरिये पत्रांक शपथ पत्र दिनांक 28-07-2012 को उक्‍त सीट नियमानुसार सरेण्‍डर कर दी और दिनांक 28-07-2012 को नियमानुसार अपने जमा शुदा फीस 55690/-रू0 से 1000/-रू0 घटाकर 54690/-रू0 के वापस किये जाने की मांग विपक्षी संख्‍या-1 से की। विश्‍वविघालय के नोटीफिकेशन सं0-12/105/10-टेज/170 दिनांक 12-01-2012 के सर्कुलर के अनुसार आन लाइन काउन्सिलिंग व प्रवेश प्रक्रिया की समाप्ति के पश्‍चात 7 दिनों के अंदर प्रवेश निरस्‍त करके सीट सरेण्‍टर करने पर नियमानुसार केवल 1000/-रू0 जमा शुदा फीस में कटौती करके शेष फीस अविलम्‍ब वापस की जायेगी। जिसे विपक्षीगण ने 54690/-रू0 वापस न करके उसे लम्बित रखा और पत्र के द्वारा दिनांक 04-10-2012 को सूचित किया कि परिवादिनी के पक्ष में 14700 का चेक बना है जिसे वह प्राप्‍त कर सकती है। क्‍योंकि उसने अपनी सीट विलम्‍ब से सरेण्‍डर की है। जिससे स्‍पष्‍ट होता है कि विपक्षीगण परिवादिनी की जमा शुदा फीस को हडप लेना चाहते हैं जिसके कारण परिवादिनी ने यह परिवाद दायर करते          हुए विपक्षीगण से 54690/-रू0 जमा धनराशि व 25,000/-रू0 शारीरिक,

 

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मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति कुल 79690/-रू0 मय 12 प्रतिशत वार्षिम ब्‍याज एवं वाद व्‍यय दिलाये जाने की याचना की है।

     जिला फोरम के समक्ष विपक्षी को नोटिस भेजी गयी थी, लेकिन उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई जवाब दावा दाखिल किया। अत: विद्धान जिला मंच द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए एकपक्षीय आदेश पारित किया गया।

     इस पीठ के समक्ष दोनों पक्षों के विद्धान अधिवक्‍तागण उपस्थित आये। उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण की बहस सुनी गयी। दोनों पक्षों की ओर से लिखित तर्क भी दाखिल किये गये उनका भी अवलोकन किया गया तथा अपील के आधार का भी अवलोकन किया गया।

     अपील के आधार में अपीलकर्ता की ओर से कहा गया कि एडमीशन की पहली काउंसलिंग दिनांक 04-7-2012 को शुरू हुई और दिनांक 10-07-2012 तक ही फीस जमा करनी थी। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने प्रथम काउं‍सलिंग में ही फीस जमा कर दी। इसके बाद दूसरी काउन्सिलिंग दिनांक 20-07-2013 को शुरू हुई और दूसरी काउन्सिलिंग में उन्‍हीं सीटों पर छात्र लिये गये जो सीटें प्रथम काउन्सिलिंग के बाद रिक्‍त रही। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 व 2 रिफण्‍ड उसी हालत में ले सकते थे अगर उन्‍होंने अपनी सीट समय के अंदर छोड़ दी होती और इसलिए प्रत्‍यर्थीगण 14,700/-रू0 ही पाने के हकदार थे। उन्‍होंने अपनी सीट समय से सरेण्‍डर नहीं की। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने अपनी सीट दिनांक 28-07-2012 को सरेण्‍डर की और उसी दिन सूचना दी। उस समय तक यूनिवर्सिटी में काउन्सिलिंग समाप्‍त हो चुकी थी और इस प्रकार प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने जिस सीट को खाली किया था उसको दूसरी काउन्सिलिंग के दौरान भी भरा नहीं जा सका और वह सीट खाली पड़ी रही और इसलिए प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 केवल 14,700/-रू0 ही पाने के हकदार थे। मौजूदा पत्रावली में कागज संख्‍या-37 संलग्‍नक-ए-4 लगा है जिससे स्‍पष्‍ट है कि पहली काउन्सिलिंग दिनांक 04-07-2012 को बंद हो गयी थी और उक्‍त सीट को सरेण्‍डर करने का समय दिनांक 11-07-2012 तक था और दूसरी काउन्सिलिंग भी दिनांक 20-07-2012 को समाप्‍त हो गयी थी और दूसरी काउन्सिलिंग के लोगों के लिए भी दिनांक 27-07-2012 तक सरेण्‍डर का समय था जब कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने दिनांक 28-07-2012 को अपनी सीट सरेण्‍डर किया।

     उपरोक्‍त केस के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों से स्‍पष्‍ट है कि जो नियम कालेज की तरफ से बनाये गये थे उसके हिसाब से काउन्सिलिंग के एक सप्‍ताह के अंदर प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने अपनी सीट सरेन्‍डर नहीं किया था और

 

 

 

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दूसरी काउन्सिलिंग पूरी होने के एक सप्‍ताह तक भी सरेण्‍डर नहीं किया था और इस प्रकार विघालय के नियम के विरूद्ध प्रत्‍यर्थी/परिवादी संख्‍या-1 ने अपनी सीट सरेण्‍डर किया था इसलिए उनका 14,700/-रू0 विघालय की तरफ से दिया गया। इस केस के तथ्‍यों और परिस्थितियों से हम यह पाते हैं कि विघालय की तरफ से कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है।

     अपीलार्थी की ओर से मौ‍जूद केस में निम्‍नलिखित केस लॉ दाखिल किये गये है :-

             III(2014)CPJ 120(NC) Regional Institute of Cooperative Management Vs. Naveen Kumar Ranjan पेश किया गया जिसमें कहा गया कि-

Consumer Protection Act, 1986 – Sections 2 (1) (d), 21(b) – Consumer- Admission – Course not certified by Association of Indian Universities – Allegedly teachers were not employed as promised – Mental agony and Physical harassment – Refund of fee and compensation sought – District Forum allowed complaint – State Commission partly allowed appleal – Hence revision – Educational Institution not providing any kind of service – Student, under such circumstances, not 'Consumer'.

उपरोक्‍त केस लॉ में मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय की रूलिंग P.T.Koshy &Anr.Vs Ellen Charitable Trust & Anr., in Civil Appeal No. 22532/2012 decided on 09.08.2012, का भी हवाला है जो निम्‍न प्रकार है-

" In view of the judgment of this Court in Maharshi Dayanand University v. Surjeet Kaur, 2010 (11) SCC 159, wherein this Court placing reliance on all earlier judgments has categorically held that education is not a commodity. Educational institutions are not providing any kind of service, therefore, in the matter of admission, fees, etc., there cannot be a question of deficiency of service. Such matters cannot be entertained by the Consumer Forum under the Consumer Protection Act, 1986.

          उक्‍त रूलिंग वाले केस में मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय की अन्‍य रूलिंग Bihar school Examination Board Vs. Suresh Prasad Sinha, VII(2009)SLT-109=IV (2009) CPJ 34 (SC) (Relied)

          इसके अलावा Maharshi Dayanand University Vs. Surjeet Kaur. V(2010)SLT 545=III (2010)CPJ 19 (SC).(Relied) का भी वर्णय किया गया है और उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍था के अनुसार यह स्‍पष्‍ट है कि एडमीशन व फीस के मामले में भी विघार्थी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है और इस प्रकार उपरोक्‍त रूलिंग को दृष्टिगत रखते हुए हम इस मत के हैं कि मौजूदा केस में प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आते है और इस प्रकार जिला मंच द्वारा जो प्रतिकर देने का आदेश पारित किया गया है वह विधि सम्‍मत नहीं है और हम इस मत के हैं कि परिवाद संख्‍या-9/2013 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29-07-2013 खण्डित होने योग्‍य है।

 

 

 

 

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आदेश

     अपील स्‍वीकार की जाती है तथा विद्धान जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, सुल्‍तानपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-9/2013 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29-07-2013 निरस्‍त किया जाता है।

     उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍ययभार स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

 

( न्‍यायमूर्ति वीरेन्‍द्र सिंह )                  ( राम चरन चौधरी )

        अध्‍यक्ष                                सदस्‍य

 

कोर्ट नं0-1

प्रदीप मिश्रा

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. JUSTICE Virendra Singh]
PRESIDENT
 
[HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary]
MEMBER

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