Uttar Pradesh

StateCommission

RA/81/2022

U.I.I. Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

M/S Ziffy Food Pvt Ltd - Opp.Party(s)

29 Dec 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Review Application No. RA/81/2022
( Date of Filing : 27 Dec 2022 )
In
First Appeal No. A/686/2018
 
1. U.I.I. Co. Ltd
2nd Floor Kapoorthala Bagh Complex Aliganj Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Ziffy Food Pvt Ltd
Registered Office 105 3rd Floor Tagore Park Model Town 1 Delhi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Dec 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

मौखिक

पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र सं0-81/2022

यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, ब्रांच आफिस अपोजिट ऑयल मिल गेट, लोवर बाजार, दिल्‍ली मेरठ रोड़, मोदी नगर, गाजियाबाद, वर्तमान में अपील, डिप्‍टी मैनेजर पोस्‍टेड एट रीजनल ऑफिस, यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, दि्वतीय तल, कपूरथला बाग काम्‍प्‍लेक्‍स, अलीगंज लखनऊ द्वारा प्रस्‍तुत की गई

...........पुनर्विलोकनकर्ता/आवेदक

बनाम

  1. मैसर्स जिफी फूड्स प्रा0लि0, रजिस्‍टर्ड आफिस 105, तृतीय तल, टैगोर पार्क, मोडल टाउन-1, दिल्‍ली।
  2.  सिण्डिकेट बैंक, यूपीएसआईडीसी, प्रशासनिक बिल्डिंग ट्रोनिका सिटी, जिला गाजियाबाद।

................ विपक्षी/प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

पुनर्विलोकनकर्ता/आवेदक की ओर से उपस्थित   : श्री अखिलेश प्रताप सिंह

विपक्षी/प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित      : कोई नहीं।

दिनांक :- 29.12.2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपील सं0-686/2018 यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कं0लि0 बनाम मैसर्स जिफी फूड्स प्रा0लि0 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.02.2020 के पुनर्विचारण हेतु प्रस्‍तुत किया गया है। उक्‍त निर्णय के द्वारा अपील को उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अन्तिम रूप से निस्‍तारित किया गया है।

प्रस्‍तुत पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र विलम्‍ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्‍तुत किया गया है तथा पुनर्विलोकनकर्ता की ओर से प्रस्‍तुत विलम्‍ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र में उल्लिखित कारण प्रस्‍तुत पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र को ग्रहण किये जाने हेतु पर्याप्‍त

 

-2-

एवं उचित प्रतीत नहीं होता है क्‍योंकि प्रस्‍तुत अपील का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुनने के उपरांत किया गया है, अत्एव पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र विलम्‍ब से योजित किये जाने में हेतु प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र अस्‍वीकार किया जाता है।

परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी (परिवाद के विपक्षी सं0-1) एवं प्रत्‍यर्थी सं0-2 (परिवाद के विपक्षी सं0-2) बैंक के माध्‍यम से अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 बीमा कम्‍पनी से चार पालिसियॉ प्राप्‍त की गई थी, जो कि दिनांक 27.3.2009 तक वैध थी एवं वैधता समाप्‍त होने की तिथि से पूर्व ही रू0 16,325.00 का प्रीमियम अदा कर पालिसियों को नवीनीकृत कराया गया था, इसी बीच दिनांक 29.4.2009 को दुर्भाग्‍यवश प्रत्‍यर्थी/परिवादी की कम्‍पनी में आग लग गई, जिसके परिणामस्‍वरूप रू0 35,59,403.00 का क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया, परन्‍तु अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा मात्र 5,34,000.00 रू0 नुकसान ऑकलित कर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को भुगतान कर दिया गया, अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

पुनर्विलोकनकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अखिलेश प्रताप सिंह को सुना तथा अपील सं0-686/2018 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश का परिशीलन एवं परीक्षण किया।

मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा सिविल अपील सं0-4307/2007 राजीव हितेन्‍द्र पाठक व अन्‍य बनाम अच्‍युत काशीनाथ कारेकर व अन्‍य में पारित निर्णय दिनांक 19-8-2011 में यह स्‍पष्‍ट रूप से आदेशित किया गया है कि स्‍टेट कमीशन (राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग) को पुनर्विलोकन की शक्ति प्राप्‍त नहीं है। साथ ही यह भी स्‍पष्‍ट रूप से निर्णीत किया गया है कि उपरोक्‍त शक्ति मा0 राष्‍ट्रीय आयोग को प्राप्‍त है।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत पारित किसी निर्णय एवं आदेश के पुनर्विलोकन की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है, अत: प्रस्‍तुत पुनर्विलोकन प्रार्थना

 

-3-

पत्र निरस्‍त होने योग्‍य है। तद्नुसार यह पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र निरस्‍त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वइ इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                          (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    

                                             अध्‍यक्ष                                                                                                          

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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