राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2842/2018
(जिला उपभोक्ता फोरम, अम्बेडकरनगर द्वारा परिवाद संख्या-07/2016 में पारित निर्णय दिनांक 29.10.2018 के विरूद्ध)
बजाज एलियांज जनरल इं0कंपनी लि0 थर्ड फ्लोर नारायन
बिल्डिंग, शाहनजफ रोड, लखनऊ। ........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
मैसर्स जेड टायर्स एण्ड बैटरीज द्वारा प्रोपेराइटर यावर हुसैन जैदी
पुत्र स्व0 इल्तेजा हुसैन, निवासी ग्राम जियापुर पोस्ट फरीदपुर कलां
तहसील टाण्डा, जिला अम्बेडकरनगर। .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री विवेक कुमार सक्सेना, अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्ता, अधिवक्ता।
दिनांक 09.06.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 07/2016 मै0 जेड टायर बनाम बजाज एलियांज ज0इं0कं0लि0 में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 29.10.2018 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी बीमा कंपनी को आदेशित किया है कि बीमा धनराशि 7 लाख रूपये परिवादी को 45 दिन के अंदर अदा करें, इसके बाद 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज भी देय होगा।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने सब रोजगार हेतु विभिन्न दोपहिया और चार पहिया वाहनों की टायर ट्यूब एवं बैटरी की दुकान का बीमा 20 लाख रूपये की धनराशि की सीमा तक 19 दिसम्बर से कराया। दि. 10/11.01.15 की रात्रि में प्रतिष्ठान में चोरी हो गई। थाने पर सूचना दी गई, बीमा करने वाले एजेन्ट को भी
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सूचना दी गई। बीमा कंपनी द्वारा जांचकर्ता को परिवादी के प्रतिष्ठान पर भेजा। जांच में पाया गया कि कुल रू. 895350/- का सामान एवं नगद धन चोरी हुआ है, परन्तु बीमा कंपनी द्वारा बीमित राशि का भुगतान करने में सौदेबाजी की गई। रू. 445441/-, 456640/- रूपये तथा रू. 542260/- की पेशकश की गई, परन्तु परिवादी ने इस पेशकश को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद बीमा कंपनी ने बीमा क्लेम इस आधार पर नकार दिया गया कि इस दुकान में वर्ष 2011 में कोई चोरी के तथ्य को बीमा प्रस्ताव में प्रकट नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. बीमा कंपनी का कथन है कि क्षतिपूर्ति का आंकलन रू. 456640/- किया गया। इस राशि को देने का प्रयास किया गया और परिवादी की सहमति प्राप्ति के लिए दो बार पत्र लिखे गए। बीमा प्रस्ताव भरते समय परिवादी द्वारा दुकान में कोई पूर्व की चोरी का उल्लेख नहीं किया गया, अत: इस तथ्य को छिपाया गया, इसलिए परिवादी बीमा क्लेम प्राप्त करने का हकदार नहीं है।
4. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा उपरोक्त वर्णित धनराशि अदा करने का आदेश पारित किया गया है।
5. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। अंकन 7 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति अदा करने का कोई कारण दर्शित नहीं किया गया है, जबकि सर्वेयर द्वारा केवल रू. 456640/- की क्षति का आंकलन किया था। जिला उपभोक्ता मंच ने इस बिन्दु
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पर कोई विचार नहीं किया कि वर्ष 2011 में चोरी की घटना को प्रश्नगत बीमा पालिसी प्राप्त करते समय बीमा प्रस्ताव में अंकित नहीं किया, इसलिए एक तात्विक सूचना का छिपाया गया, अत: इस आधार पर बीमा क्लेम देय नहीं है।
6. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा दो तर्क प्रस्तुत किए गए हैं। (क). सर्वेयर द्वारा केवल रू. 456640/- की क्षति का आंकलन किया गया है। इस आंकलन के विपरीत 7 लाख रूपये की क्षति की पूर्ति का आदेश साक्ष्य विहीन है, इसलिए अपास्त होने योग्य है। (ख). परिवादी द्वारा बीमा प्रस्ताव भरते समय दुकान में वर्ष 2011 में चोरी के तथ्य को छिपाया गया, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है, क्योंकि बीमा पालिसी तथ्यो को छिपाते हुए प्राप्त की गई है।
8. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि यथार्थ में परिवादी को अंकन रू; 895350/- की हानि हुई है। जिला उपभोक्ता मंच ने वास्तविक हानि से भी कम धनराशि अदा करने का आदेश पारित किया है, अत: यह आदेश स्थिर रहने योग्य है।
9. पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के अवलोकन से जाहिर होता है कि सर्वेयर द्वारा अंकन रू. 456640/- की क्षति का आंकलन किया है, यह रिपोर्ट पत्रावली पर एनेक्सर संख्या 3 के रूप में मौजूद है। इस रिपोर्ट में कभी भी रू. 895350/- की क्षति का आंकलन नहीं किया गया। इस राशि का उल्लेख केवल इसलिए किया गया है कि परिवादी ने इस राशि की क्षति परिवाद पत्र में अंकित की है। सर्वेयर द्वारा
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केवल रू. 456640/- की क्षति का आंकलन किया है। जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में भी अंकित किया है कि परिवादी द्वारा अंकन रू. 15750/- की दर से मांग की गई, जबकि यथार्थ में रू. 13290/- की दर से क्रय की गई, जिनकी रसीद पत्रावली पर प्रपत्र संख्या 33, 35/17 तथा 35/18 के रूप में मौजूद है। इस निष्कर्ष से साबित है कि परिवादी द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि की मांग यथार्थ निष्कर्ष से अधिक की गई है, परन्तु अंकन 07 लाख रूपये निर्धारित करने का कोई औचित्य दर्शित नहीं किया गया है, इसलिए सर्वेयर द्वारा जिस राशि की क्षतिपूर्ति का आंकलन किया गया है, परिवादी केवल उसी धनराशि को प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
10. अब इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि क्या परिवादी द्वारा बीमा प्रस्ताव भरते समय दुकान में हुई चारी(वर्ष 2011) के तथ्यों को अंकित न कर तात्विक तथ्यों को छिपाया गया और इसलिए कोई बीमा क्लेम देय नहीं है। चूंकि स्वयं बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर द्वारा आंकलित की गई राशि के भुगतान का प्रस्ताव दिया है, यह पत्र पत्रावली पर दस्तावेज संख्या 44 के रूप में मौजूद है, इसलिए वर्ष 2011 में हुई चोरी के बिन्दु को छिपाने का कोई प्रभाव स्वयं बीमा कंपनी द्वारा ही नहीं माना गया, अत: इस बिन्दु का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है, तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
11. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को केवल रू. 456640/- बतौर क्षतिपूर्ति देय होगी। इस
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राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज भी देय होगा।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2