Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/700

Ram Daras - Complainant(s)

Versus

M/s Yadav Brick Field - Opp.Party(s)

S. K. Verma

28 Mar 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/700
( Date of Filing : 26 Apr 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Ram Daras
a
...........Appellant(s)
Versus
1. M/s Yadav Brick Field
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Mar 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-700/2010

राम दरश पुत्र श्री राम ललित

 

बनाम

 

मैसर्स यादव ब्रिक फील्‍ड तथा एक अन्‍य

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित      : श्री एस.के. वर्मा।

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित   : श्री अरूण्‍ा टण्‍डन।

दिनांक : 28.03.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-161/2001, राम दरश बनाम यादव ब्रिक फील्‍ड तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, संतकबीर नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.04.2010 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस.के. वर्मा तथा प्रत्‍यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरूण टण्‍डन को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/ओदश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.        विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि पूर्व में एक परिवाद संख्‍या-334/1995, राम दरश बनाम मैसर्स  ब्रिक  फील्‍ड दायर किया गया था, जो दिनांक 14.2.1997 को

 

 

-2-

खारिज कर दिया गया। उक्‍त परिवाद खारिज होने के पश्‍चात पुनर्स्‍थापन आवेदन प्रस्‍तुत किया गया, उसके बाद दूसरा परिवाद प्रस्‍तुत कर दिया गया।

3.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा नजीर, Indian Machinery Vs Ansal Housing & Construction Ltd में यह व्‍यवस्‍था दी गयी है कि उपभोक्‍ता परिवाद खारिज होने पर सी.पी.सी. के आदेश 9 के नियम 9 के प्रावधान लागू नहीं होते, जिसके अनुसार उपभोक्‍ता परिवाद खारिज होने पर उस परिवाद का पुनर्स्‍थापन कराया जा सकता है और कोई नया परिवाद प्रस्‍तुत नहीं किया जा सकता, परन्‍तु इस नजीर में दी गयी व्‍यवस्‍था के आलोक में यह बिन्‍दु विचार में लेना आवश्‍यक है कि दूसरा परिवाद समयावधि के अंतर्गत प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए। यदि दूसरा परिवाद समयावधि से बाधित है तब दूसरा परिवाद संधारणीय नहीं हो सकता। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से जो नजीर प्रस्‍तुत की गयी है, उसमें समयावधि के बिन्‍दु पर कोई चर्चा नहीं की गयी। ऐसा प्रतीत होता है कि दूसरा परिवाद समयावधि के अंतर्गत था, इसलिए संधारणीय माना गया, जबकि प्रश्‍नगत परिवाद समयावधि के अंतर्गत नहीं हो सकता, क्‍योंकि उपभोक्‍ता परिवाद में समयावधि दो वर्ष है, जबकि वादकारण वर्ष 1995 से पूर्व उत्‍पन्‍न हो चुका था, जबकि दूसरा परिवाद वर्ष 2001 में प्रस्‍तुत किया गया है। यहां यह उल्‍लेख करना भी समीचीन होगा कि प्रथम परिवाद के लम्बित रहने के दौरान जो समय व्‍यतीत हुआ है,  वह  समय  द्वितीय  परिवाद की समयावधि की गणना में माफ

 

-3-

किये जाने योग्‍य है, क्‍योंकि इस संबंध में मर्यादा अधिनियम की धारा 12 के प्रावधान लागू नहीं होंगे, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में परिवर्तन करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

4.        प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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