राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1050/2015
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, औरैया द्वारा परिवाद सं0- 42/2014 में पारित आदेश दि0 16.01.2015 के विरूद्ध)
संदेश मौर्या, औषधि निरीक्षक, औरैया, जनपद- औरैया वर्तमान तैनाती जनपद- लखीमपुर।
…………..अपीलार्थी
बनाम
- मेसर्स विकास मेडिकल स्टोर स्थित कस्बा- बाबरपुर, परगना व जिला
औरैया द्वारा प्रोप्राइटर सुरेन्द्र कुमार दुबे पुत्र शिव राम दुबे।
.....………..प्रत्यर्थी सं0- 1
- उ0प्र0 राज्य द्वारा जिलाधिकारी, औरैया।
- प्रभारी अधिकारी, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन अनुभाग, औरैया, जनपद- औरैया।
- औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी (विक्रय), औरैया, जनपद- औरैया।
...............प्रोफार्मा प्रत्यर्थीगण।
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आदित्य कुमार श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 03.11.2017
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 42/2014 मैसर्स विकास मेडिकल स्टोर बनाम उ0प्र0 राज्य द्वारा जिलाधिकारी व तीन अन्य में जिला फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 16.01.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
“परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी के लाइसेंस का 01.01.2013 से 31.12.2017 तक का नवीनीकरण निर्णय के एक माह में करें। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि 01.01.2013 से वास्तविक नवीनीकरण की तिथि तक बीस हजार रू0 प्रतिमाह की दर से क्षतिपूर्ति एक माह में परिवादी को अदा करें तथा दस हजार रू0 मानसिक कष्ट तथा चार हजार रू0 खर्चा मुकदमा भी इसी अवधि में अदा करें। अन्यथा अवधि व्यतीत होने पर इस धनराशि पर 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा।
विपक्षीगण यदि चाहें तो शासन को हुई क्षति की प्रतिपूर्ति विपक्षी सं0- 4 से वसूली कर सकते हैं।“
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी संदेश मौर्या, औषधि निरीक्षक औरैया की ओर से यह अपील प्रस्तुत की गई है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री आदित्य कुमार श्रीवास्तव उपस्थित आये हैं। प्रत्यर्थीगण पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माने जाने के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: अपील का निस्तारण अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुनकर एवं आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन कर किया जा रहा है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवाद पत्र में कथित विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है। अत: अपास्त किये जाने योग्य है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि वह जनपद औरैया के कस्बा बाबरपुर में कई वर्ष से दवा का कारोबार करता है। वर्ष 2012 में सरकार द्वारा सड़क सीमा का निर्धारण किया गया तो उसकी दुकान में सरकारी कर्मचारियों द्वारा अतिक्रमण चिन्हित किया गया। अत: वह दूसरी दुकान का निर्माण करने का निश्चय किया और परिवाद के विपक्षी सं0- 4 औषधि निरीक्षक औरैया को अवगत कराया तथा उनके मौखिक आदेश से उसने अपनी दवाइयां अंयत्र रखकर दुकान को गिराकर नवीन निर्माण कराया। इस बीच विपक्षी सं0- 4 औषधि निरीक्षक ने तीन बार स्थल का निरीक्षण भी किया। उसके बाद दि0 17.12.2012 को उसने विपक्षी सं0- 4 के निर्देशानुसार अपने दवा का दि0 01.01.2013 से 31.12.2017 तक की अवधि के लिए दवा के थोक विक्रेता की लाइसेंस हेतु शुल्क जमा करने का टेंडर स्वीकृत कराया और शुल्क की धनराशि 3,000/-रू0 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया औरैया में जमा की, परन्तु अनवरत चक्कर लगाने के बाद भी उसके लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया गया तथा उसका लाइसेंस निलम्बित कर दिया गया जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी को भारी व्यावसायिक क्षति हुई है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने उ0प्र0 राज्य द्वारा जिलाधिकारी, प्रभारी अधिकारी खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी और संदेश मौर्या औषधि निरीक्षक के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत कर कथन किया है कि उन्होंने उसके लाइसेंस का नवीनीकरण न कर सेवा में त्रुटि की है।
जिला फोरम द्वारा परिवाद के उपरोक्त विपक्षीगण को नोटिस जारी की गई। विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने मेडिकल स्टोर का लाइसेंस तथ्यों को छिपाकर प्राप्त किया है। कम पढ़े-लिखे व्यक्ति को लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जो शुल्क जमा किया है वह निरीक्षण शुल्क है। विपक्षी को सूचना दिये बिना दुकान में कोई निर्माण परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के लाइसेंस का नवीनीकरण वर्ष 2012 के बाद नहीं हुआ है। विपक्षीगण ने लिखित कथन में कहा है कि परिवाद विधि विरूद्ध है। अत: खारिज किये जाने योग्य है।
जिला फोरम ने उभयपक्ष के कथन पर विचार करने के उपरांत परिवाद स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से निर्णय और आदेश पारित किया है।
परिवाद पत्र के कथन से ही स्पष्ट है कि परिवाद पत्र में कथित विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं है। परिवाद पत्र के अभिकथन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी औषधि विक्रेता है और उसने संगत औषधि अधिनियम के अंतर्गत विक्रेता का लाइसेंस प्राप्त किया है जिसके नवीनीकरण हेतु शुल्क उसने जमा किया है, परन्तु उसके औषधि लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया गया है और नवीनीकरण न किये जाने का कारण विपक्षीगण की ओर से यह बताया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी औषधि विक्रय लाइसेंस प्राप्त करने हेतु अर्ह व्यक्ति नहीं है। इस प्रकार उभयपक्ष के अभिकथन से यह स्पष्ट है कि परिवाद पत्र में कथित विवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की परिधि में नहीं आता है। औषधि विक्रय हेतु लाइसेंस जारी करना राज्य सरकार व उसके अधीनस्थ कर्मचारियों का राजकीय कार्य है, जिस पर कदापि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू नहीं हो सकता है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम की धारा 2(1)D के अंतर्गत कदापि विपक्षीगण का उपभोक्ता नहीं है और न ही उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ग्राह्य है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और अधिकार रहित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभयपक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1