Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/148/2008

Shri Naval Kanth - Complainant(s)

Versus

M/s Vediocon Ptv. Ltd. - Opp.Party(s)

14 Oct 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/148/2008
 
1. Shri Naval Kanth
R/o 39 Deen Dayal Nagar Phase _I Kanth Road Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. M/s Vediocon Ptv. Ltd.
Add:- Octacore Compound Adalat Road Aurangabad 431005 Maharashtra
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादिनी ने अनुरोध किया है कि विपक्षीगण से उसे डिवेन्‍चर की ब्‍याज सहित परिपक्‍वता राशि 14,290/- रूपये, परिवाद व्‍यय 2500/- रूपया और विविध कार्य तथा मानसिक उत्‍पीड़न की मद में क्रमश: 6000/- रूपया और 15000/- रूपया इस प्रकार कुल 37,790/- रूपये दिलाऐ जाऐ।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन  इस प्रकार हैं कि विपक्षी सं0-1 के स्‍थानीय अभिकर्ता के माध्‍यम से परिवादी ने विपक्षी सं0-1 के यहॉं डिवेन्‍चर में निवेश किया। 31/11/1995 की तारीख के 25 डिवेन्‍चर परिवादी को विपक्षी सं0-1 से प्राप्‍त हुऐ। डिवेन्‍चर का फोलियो नं0- 0075303 तथा डिवेन्‍चर प्रमाण पत्र -000560586 था और इन डिवेन्‍चर के सीरियल नं0- 0004956251 से 0004956275 तक थे। इन डिवेन्‍चरों के सापेक्ष परिवादी को प्रति वर्ष ब्‍याज मिलना था। नये घर में शिफट हो जाने के कारण परिवादी ने अपने नये घर का पता पंजीकृत पत्र दिनांकित 28/08/1999 द्वारा विपक्षी सं0-2 को प्रेषित किया जो विपक्षी सं0-2 को प्राप्‍त हो गया। विपक्षीगण ने दिनांक 31/12/1996 तक परिवादी  को डिवेन्‍चर पर ब्‍याज का भुगतान किया, किन्‍तु उसके बाद ब्‍याज देना उन्‍होंने  बन्‍द कर दिया। परिवादी ने विपक्षीगण को कई बार पत्र भेजे इसके बावजूद दिनांक 31/12/1996 के बाद परिवादी को ब्‍याज का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी का अग्रेत्‍तर कथन है कि इसी बीच दिनांक 20/11/2004 को डिवेन्‍चर मैच्‍योर हो गये। मैच्‍योरिटी का पैसा भी विपक्षीगण ने परिवादी को आज तक नहीं दिया। परिवादी ने ब्‍याज सहित मैच्‍योरिटी वैल्‍यू अदा करने हेतु विपक्षीगण को दिनांक 05/7/2008 को  पंजीकृत नोटिस दिया जो सम्‍भवत: विपक्षीगण को प्राप्‍त  हो गया। विपक्षीगण ने नोटिस का कोई जबाब नहीं दिया अत: परिवादी को यह परिवाद योजित करने का वाद हेतुक उत्‍पन्‍न हुआ। परिवादी ने उपरोक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   विपक्षी सं0-1 पर नोटिस की तामील हुई। विपक्षी सं0-1 ने शपथ पत्र से समर्थित अपना प्रतिवाद पत्र कागज सं0-7/1 लगायत 7/5  प्रस्‍तुत  किया जिसमें परिवाद कथनों से इन्‍कार करते हुऐ कहा गया कि इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है क्‍योंकि विपक्षी सं0-1 अथवा विपक्षी सं0-2 न तो इस फोरम के भौगोलिक क्षेत्राधिकार में व्‍यापार करते है और न ही यहॉं उनका कोई शाखा कार्यालय है। विपक्षी सं0-3 के सन्‍दर्भ में कहा गया  कि विपक्षी सं0-3 (जिसे फोरम के आदेश दिनांक 22/4/2009 के अनुपालन में परिवादी द्वारा डिलीट किया जा चुका है) उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2 का  एजेंट नहीं है। परिवाद कालबाधित है। यह भी कहा गया कि परिवादी को  आवंटित डिवेन्‍चर कन्‍वर्टेबिल डिवेन्‍चर थे और इसके 3 भाग क्रमश: A, B और C थे जिनमें से परिवादी ने परिवाद के साथ केवल भाग C की फोटो प्रति दाखिल की है। डिवेन्‍चर के भाग A और भाग B के  बारे में परिवादी ने  परिवाद में कोई कथन नहीं किया। विपक्षी सं0-1 के अनुसार डिवेन्‍चर का  भाग C  क्रमश: वर्ष 1998, 1999 और वर्ष 2000 में रिडीम हो चुका है और  इसकी धनराशि परिवादी को भेजी जा चुकी है ब्‍याज की  अदायगी भी  परिवादी को की गई जैसा कि प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-4 में दिऐ गऐ चार्ट में उल्‍लेख  है। विपक्षी सं0-1 की ओर से अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि परिवाद असत्‍य  कथनों पर आधारित है, विपक्षी सं0-1 को अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाया गया है परिवादी ने ब्‍याज न मिलने के सम्‍बन्‍ध में उत्‍तरदाता विपक्षी को कभी कोई पत्र नहीं भेजा। परिवादी द्वारा भेजा गया कोई नोटिस उसे प्राप्‍त नहीं हुआ। परिवाद को असत्‍य कथनों के आधार पर आधारित होना बताते हुऐ उत्‍तरदाता विपक्षी ने इसे सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  4.   परिवाद तीन विपक्षीगण के विरूद्ध योजित हुआ था। विपक्षी सं0-3 को परिवादी ने फोरम के आदेश दिनांक 22/4/2009 द्वारा  डिलीट कर दिया।22/4/1999 के बाद से परिवाद विपक्षी सं0-1 एवं विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध चल रहा है। 
  5.   विपक्षी सं0-2 वर्ष 2010 में एक नई कम्‍पनी वीडियो कॉन इन्‍टरनेशनल में मर्ज हो गई ऐसा विपक्षी सं0-1 ने अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-2 में  उल्‍लेख किया है। परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के नाम और पते में संशोधन हेतु वर्ष 2010 में आवेदन किया। फोरम के आदेश दिनांक 27/4/2010 द्वारा परिवादी का उक्‍त आवेदन स्‍वीकार हुआ और इस प्रकार विपक्षी सं0-2 पुराने नाम के स्‍थान पर नये नाम से प्रतिस्‍थापित हो गया। विपक्षी सं0-2 पर नोटिस की तामील पंजीकृत डाक से हुई जैसा कि ए0डी0  कागज सं0-18 से प्रकट है, किन्‍तु विपक्षी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ और परिवाद उसके विरूद्ध एकपक्षीय चला।
  6.   परिवादी ने परिवाद के साथ डिवेन्‍चर सर्टिफिकेट के पार्ट- C की फोटो प्रति, दिनांक 20/11/1996 की तिथि की डाकखाने की रसीद, विपक्षी सं0-1  को अभिकथित रूप से परिवादी द्वारा भेजे गऐ पत्र दिनांकित 28/8/1999 और ब्‍याज अदायगी के वारण्‍ट दिनांकित 31/12/2996 की फोटो प्रति, रिडेम्‍प्‍शन राशि सम्‍बन्‍धी विपक्षी सं0-2 को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 04/1/2004, विप्क्षी सं0-1 की  ओर  से परिवादी को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 08/11/1995 तथा परिवादी की ओर  से विपक्षी सं0-1 व 2 को भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांकित 05/7/2008 और  उसे भेजे जाने की डाकखाने की रसीद की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया  है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/6 लगायत 3/14 हैं।
  7.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0- 9/1 लगायत 9/3 दाखिल किया। विपक्षीगण की ओर से साक्ष्‍य शपथ पत्र प्रस्‍तुत नहीं हुआ।
  8. हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षीगण की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
  9.   परिवादी द्वारा दाखिल कागज सं0-3/6 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी के आवेदन पर वीडियोकान नर्मदा इलैक्‍ट्रोनिक्‍स लिमिटेड ने परिवादी  को 25 कन्‍वर्टेबिल डिवेन्‍चर इश्‍यू किये थे। प्रत्‍येक डिवेन्‍चर की फेस वैल्‍यू 200/- रूपया थी। कागज सं0 3/6 कन्‍वर्टेबिल डिवेन्‍चर का पार्ट-C है। इसके पार्ट- A और पार्ट-B को परिवादी ने दाखिल नहीं किया। विपक्षी सं0-1 के प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-5 में उल्‍लेख है कि डिवेन्‍चर का पार्ट-C वर्ष 1998, वर्ष1999 एवं वर्ष 2000 में रिडीम होना था जो प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-4  के अनुसार क्रमश: दिनांक 20/11/1998, 20/11/1999 तथा 20/11/2000 में रिडीम हो चुके हैं तथा रिडिम्‍प्‍शन राशि मय ब्‍याज परिवादी को भेजी जा चुकी है।
  10.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि डिवेन्‍चर पर 31/12/1996 तक तो उसे विपक्षीगण ने ब्‍याज दिया किन्‍तु उसके बाद ब्‍याज की अदायगी नहीं की। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी कथन है कि डिवेन्‍चरों की रिडिम्‍प्‍शन राशि भी विपक्षीगण ने परिवादी को अदा नहीं की इस हेतु परिवादी ने विपक्षीगण को पत्र भी लि‍खे, किन्‍तु पत्रों का भी विपक्षीगण ने  कोई जबाब नहीं दिया।
  11.    पत्रावली में अवस्थित परिवादी के पत्र की फोटो प्रति कागज सं0-3/10 में परिवादी द्वारा यह स्‍वीकार किया गया है कि डिवेन्‍चर की रिडिम्‍प्‍शन 20/1/2000 तक  होनी थी। परिवाद वर्ष 2008 में योजित किया गया। रिडिम्‍पशन की अन्तिम तिथि के दो वर्ष के भीतर परिवाद योजित कर दिया जाना चाहिए था, किन्‍तु परिवादी ने 8 वर्ष बाद यह परिवाद योजित किया। परिवादी ने परिवाद पत्र के पैरा सं0-7 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया कि रिडिम्‍प्‍शन राशि और ब्‍याज जब उसे प्राप्‍त नहीं हुआ तो उसने विपक्षीगण को नोटिस कागज सं0-3/12 दिनांकित 05/7/2008 भिजवाया, किन्‍तु विपक्षीगण ने रिडिम्‍प्‍शन राशि अथवा ब्‍याज का परिवादी को भुगतान नहीं किया और नोटिस का जबाब भी विपक्षीगण ने नहीं दिया जिससे उसे वाद हेतुक उत्‍पन्‍न हुआ। । (2015) सी0पी0जे0 पृष्‍ठ-109 (एन0सी0), पप्‍पू मनागरतनम बनाम सई शाह फाईनेन्‍स एण्‍ड चिट्स आदि के मामले में मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा यह व्‍यवस्‍था दी गई है कि कानूनी नोटिस भेजे जाने मात्र से लिमिटेशन की अवधि नहीं बढ़ती।
  12.   वर्तमान मामले में विधि अनुसार परिवादी को वाद  हेतुक वर्ष 2000 में तब उत्‍पन्‍न  होना प्रकट है जब कथित रूप से विपक्षीगण द्वारा डिवेन्‍चर की राशि और  ब्‍याज परिवादी को नहीं भेजा गया जैसा कि परिवादी कहता है। कानूनी नोटिस  दिनांकित 05/7/2008 भेजने से लिमिटेशन की अवधि नहीं बढ़ती,जैसा कि सई शाह के मामले में मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा अभिनिर्धारित किया जा चुका है। परिवाद का कारण चॅूंकि वर्ष 2000 में उत्‍पन्‍न हो गया था, परिवाद वर्ष 2008 में योजित हुआ। इस प्रकार परिवाद कालबाधित है।
  13.   विपक्षी सं0-1 के प्रतिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी सं0-2 का पंजीकृत कार्यालय भरूच (गुजरात) में था विपक्षी सं0-2 वर्ष 1997 में वीडियो कॉन इन्‍टर नेशनल में मर्ज हो गई जो औरंगाबाद (महाराष्‍ट्र) में स्थित है। कहने का आशय यह है कि इस फोरम के भौगोलिक क्षेत्रान्‍तर्गत विपक्षी कम्‍पनी का पंजीकृत कार्यालय कभी नहीं रहा। एच0वी0 जयराम  बनाम इन्‍डस्‍ट्रीयल क्रेडिट एण्‍ड इन्‍वेस्‍टमेन्‍ट कारपोरेशन आफ इण्डिया लिमिटेड, ए0आई0आर0 2000 सुप्रीम कोर्ट पृष्‍ठ-579 की निर्णयज विधि में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह व्‍यवस्‍था दी गई है कि शेयर सर्टिफिकेट प्राप्‍त न होने की दशा में वाद हेतुक उस स्‍थान पर उत्‍पन्‍न होता है जहॉं से शेयर सर्टिफिकेट भेजे जाने अपेक्षित थे। वर्तमान मामले में परिवादी के आरोप यह हैं कि वीडियो कॉन कम्‍पनी  द्वारा वर्ष 1996 के बाद उसे कोई ब्‍याज नहीं भेजा गया और वर्ष 2000 में डिवेन्‍चर रिडीम होने के उपरान्‍त रिडिम्‍प्‍शन राशि भी उसे कम्‍पनी ने नहीं भेजी। चॅूंकि इस फोरम के क्षेत्रान्‍तर्गत कम्‍पनी का रजिस्‍टर्ड आफिस स्थित नहीं है अत: एच0वी0 जयराम की उक्‍त निर्णयज विधि के दृष्टिगत इस फोरम के क्षेत्रान्‍तर्गत वाद हेतु उत्‍पन्‍न नहीं हुआ अत: इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का भौगोलिक क्षेत्राधिकार नहीं है।
  14.   गुणावगुण के आधार पर भी परिवाद खारिज होने योग्‍य  है। परिवादी के अनुसार पत्र कागज सं0-3/8 दिनांकित 28/8/1999 द्वारा उसने विपक्षी सं0-1 व 2 से घर का पता बदलने का अनुरोध किया था। यह पत्र परिवादी यधपि पंजीकृत डाक से भेजा जाना कहता है, किन्‍तु इसे भेजे जाने की डाकखाने की कोई रसीद परिवादी ने दाखिल नहीं की। परिवादी ने ऐसा भी  कोई अभिलेख दाखिल नहीं किया जिससे प्रकट हो कि पत्र कागज सं0-3/8 की असल विपक्षी सं0-1 अथवा विपक्षी सं0-2 को प्राप्‍त हो गई थी। विपक्षी सं0-1 के प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-4 में तिथिवार इस बात का उल्‍लेख किया गया है कि परिवादी को रिडिम्‍प्‍शन राशि और ब्‍याज विपक्षीगण ने किस-किस तिथि को भेजे थे। प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-4  में विपक्षी सं0-1 ने यह भी उल्‍लेख  किया है कि रिडिम्‍प्‍शन वारण्‍ट परिवादी के उस पते पर भेजे गऐ जो कम्‍पनी में पंजीकृत है। पता परिवर्तन हेतु परिवादी द्वारा भेजा गया पत्र कागज सं0-3/8 विपक्षीगण को प्राप्‍त होना प्रमाणित नहीं है ऐसी दशा में रिडिम्‍प्‍शन वारण्‍ट यदि परिवादी को प्राप्‍त नहीं हुऐ तो इसके लिए विपक्षीगण को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
  15.   उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवाद कालबाधित है तथा इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।  गुणावगुण के आधार पर भी परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। परिवाद खारिज होने योग्‍य  है।

परिवाद खारिज किया जाता है।

 

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)            (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद               जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     14.10.2015                    14.10.2015

हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 14.10.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)            (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य                        अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद               जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     14.10.2015                      14.10.2015

 

 

 

 

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