प्रकरण क्र.सी.सी./13/249
प्रस्तुती दिनाँक 01.10.2013
आई.जी.भवगढे़, निवासी-क्वा.नं.24/1, दीक्षित काॅलोनी, कोसानगर, पो.-नेहरूनगर, जिला-दुर्ग (छ.ग.) - - - - परिवादी
विरूद्ध
1. मेसर्स, वर्धमान मोटर्स, एन.एच.6, कुम्हारी, जिला-दुर्ग (छ.ग.)
2. मेसर्स, वर्धमान मोटर्स, रजिस्टर्ड कार्यालय, गोपाल मंदिर के पीछे, सदर बाजार, रायपुर, तह. व जिला-रायपुर (छ.ग.)
- - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 19 फरवरी 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदक से वाहन की वसूली गई बीमा राशि 12,206रू., मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु 10,000रू. मय वाद व्यय मय ब्याज व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद-
(2) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अभिकथित वाहन अनावेदक से खरीदी थी, जिसमें बीमा राशि फ्री थी, परंतु अनावेदक ने इंश्योरेंस के विपरीत, परिवादी से ज्यादा राशि वसूल ली और इस प्रकार इंश्योरेंस फ्री बताते हुए भी गलत तरीके से इंश्योरेंस की राशि भी वसूल ली, अतः अनावेदक ने उक्तानुसार सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक दुराचरण किया है। अतः परिवादी को अनावेदक से बीमा राशि 12,206रू., मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु 10,000रू. मय वाद व्यय मय ब्याज दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(3) अनावेदकगण का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी ने राशि की गणना गलत की है, दावा गलत आधारों पर प्रस्तुत किया गया है, वाहन की एक्स शोरूम प्राईज़ कोटेशन के अनुसार 3,99,818रू. थी, जिसके आधार पर कुल राशि की गणना की गई है, जिसमें बीमा की राशि सम्मिलित नहीं है, स्कीम के अनुसार बीमा अनावेदक द्वारा फ्री में किया जाना था और उसी प्रकार कार्यवाही की गई है, अतः अनावेदक द्वारा किसी भी प्रकार से सेवा में निम्नता या व्यवसायिक दुराचरण नहीं किया गया है, फलस्वरूप दावा खारिज किया जावे।
(4) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदक से वाहन की वसूली गई बीमा राशि 12,206रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ,
केवल 6,556रू.
2. क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में 10,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(5) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(6) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि परिवादी का मुख्य मुद्दा यह है कि अनावेदक ने एनेक्चर-6 अनुसार अभिकथित वाहन का इनवाइस दि.24.10.2011 को 3,93,262रू. दिया था, जिसके अनुसार यदि उक्त स्कीम के तहत वाहन खरीदी की राशि की गणना की जाये तो वह राशि वसूल की गई राशि से कम होती है और इस प्रकार अनावेदक ने परिवादी से ज्यादा राशि वसूल कर व्यवसायिक दुराचरण किया है।
(7) अनावेदक का तर्क है कि एनेक्चर-1 के अनुसार जो कोटेशन दिया गया था उसी के आधार पर परिवादी से राशि प्राप्त की गई है। परिवादी ने राशि की गणना में त्रुटि की है और इसीलिए उसे ऐसा संदेह हो रहा है कि स्कीम के अनुसार बीमा राशि फ्री थी उसे भी वसूल लिया गया है।
(8) परिवादी के अभिकथन के अनुसार अनावेदक ने 12,206रू. परिवादी से ज्यादा वसूल किये है, जबकि एनेक्चर-6 के अनुसार भी यदि एक्स शोरूम प्राईज़ 3,93,262रू. को लेते हुए गणना की जाये तो उसपर 26,828रू. मेटेलिक कलर की राशि 5,650रू. को जोड़ा जाये तो राशि 4,25,740रू. होती है। परिवादी द्वारा कुल राशि जो जमा की गई है वह एनेक्चर-3 के अनुसार 4,27,296रू. एनेक्चर-2 के अनुसार 5,000रू. एडवांस इस प्रकार कुल 4,32,296रू. किये गये है और इस प्रकार एनेक्चर-6 के अनुसार एक्स शोरूम प्राईज़ को ध्यान में रख कर यदि आंकलन किया जाये तो अनावेदक ने परिवादी से 6,565रू. ज्यादा प्राप्त किये गये हैं जो कि निश्चित रूप से अनुचित व्यापारिक प्रथा है, क्योंकि अनावेदक ने कहीं भी यह सिद्ध नहीं किया है कि उसने एनेक्चर-6 का दस्तावेज अनुसार परिवादी को 3,93,262रू. का इनवाइस किन आधारों पर दिया था और फिर कोटेशन एनेक्चर-1 अनुसार वाहन की एक्स शोरूम प्राईज़ 3,99,818रू. बतलाई गई है। अनावेदक ने एनेक्चर-1 और एनेक्चर-6 की राशि को त्रुटिपूर्ण होने का कोई संतोषप्रद कारण प्रस्तुत नहीं किया है और यह भी सिद्ध नहीं किया है कि उसने इन दोनों दस्तावेजों में भिन्न राशि किन आधारों पर उल्लेखित की है। अतः निश्चित तौर पर जब बाद की तिथि में एनेक्चर-6 जारी किया गया है तो उसी आधार पर बिलिंग की जानी थी, परंतु एनेक्चर-4 में एक्स शोरूम प्राईज़ 4,05,468रू. उल्लेखित की गई है जो कि निश्चित तौर पर एनेक्चर-1 के आधार पर है, अर्थात् एनेक्चर-1 अनुसार एक्स शोरूम प्राईज़ 3,99,818रू. मेटेलिक चार्जेस 5,656रू. है।
(9) अनावेदक ने ऐसा कोई भी कारण नहीं बताया है कि एनेक्चर-6 अनुसार बिलिंग क्यों नहीं की गई, जबकि एनेक्चर-1 के कोटेशन की तिथि 03.10.2011 है और एनेक्चर-6 इनवाइस की तिथि 24.10.2011 है और दोनों ही दस्तावेज परिवादी के नाम से जारी हैं।
(10) उपरोक्त परिस्थितियों में यद्यपि यह नहीं माना जायेगा की इंश्योरेंस की राशि जो की स्कीम के तहत फ्री में थी अनावेदक ने परिवादी से वसूली, फिर भी यह अभिनिर्धारित किया जाता है कि अनावेदक ने परिवादी से 6,556रू. अधिक वसूले हैं, यह उल्लेख करना आवश्यक होगा कि जब ग्राहक ने इतनी मोटी राशि वाहन खरीदने में लगाई थी तो अनावेदक का यह कर्तव्य था कि प्रत्येक रूपये की गणना किस आधार पर की गई है यह स्पष्ट रूप से परिवादी को समझाते और उसे उच्च शिष्टाचार की नीति अपनाते हुए गणना करते हुए उच्च सेवाएं देता, परंतु अनावेदक एनेक्चर-6 इनवाइस दस्तावेज के संबंध में कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दिया है जो कि निश्चित रूप से सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक दुराचरण की श्रेणी में आता है और इस प्रकार हम यह निष्कर्षित करते हैं कि अनावेदकगण ने परिवादी से 6,556रू. अधिक वसूल कर व्यवसायिक दुराचरण किया है, अनावेदकगण के उपरोक्त कृत्य से परिवादी को मानसिक क्षति होना स्वाभाविक है, जिसके एवज में यदि परिवादी ने 10,000रू. की मांग की गई है तो उसे अत्यधिक नहीं कहा जा सकता।
(11) फलस्वरूप हम परिवादी का परिवाद स्वीकार करने का समुचित आधार पाते हैं।
(12) अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करेंगे:-
(अ) अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को 6,556रू. (छः हजार पांच सौ छप्पन रूपये) अदा करेंगे।
(ब) अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को उक्त राशि पर आदेश दिनांक 19.02.2015 से भुगतान दिनांक तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी प्रदान करें।
(स) अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 10,000रू. (दस हजार रूपये) अदा करेंगे।
(द) अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को वाद व्यय के रूप में 5,000रू. (पांच हजार रूपये) भी अदा करेंगे।