Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/64/2011

Shri N.K Arya - Complainant(s)

Versus

M/s Vardha Jyoti Auto Mobile Pvt. Ltd. - Opp.Party(s)

10 Jul 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/64/2011
 
1. Shri N.K Arya
R/o D/8 Avantika Colony, M.D.A, Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. M/s Vardha Jyoti Auto Mobile Pvt. Ltd.
Branch OfficeIn Front Of Radha Krishan Mandir Delhi Road, Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि कार के रजिस्‍ट्रेशन और सर्विस बुक लेने हेतु विपक्षीगण के कार्यालय में चक्‍कर लगाने में आये व्‍यय की मद में 5,000/- (पाँच हजार रूपया) और मानसिक आघात की मद में क्षतिपूर्ति 20,000/- (बीस हजार रूपया) तथा बिल से अधिक प्राप्‍त किऐ गऐ 22,842/- (बाईस हजार औठ सौ वयालिस रूपये) परिवादी को विपक्षीगण से दिलाये जाये।
  2.  संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 21/11/2009 को परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से एक कार शेवरले स्‍पार्क बुक करायी थी। परिवादी ने चैक के माध्‍यम  से 5,000/- रूपया बुकिंग के समय एडवांस दिये, रजिस्‍ट्रेशन, इंश्‍योरेंस तथा एक्‍सेसीरीज सहित परिवादी को कार की कीमत 3,10,000/- (तीन लाख दस हजार रूपया) बतायी गयी थी। परिवादी ने 2,10,000/- (दो लाख दस हजार रूपये) फाईनेन्‍स कराये शेष रकम 95,000/- (पिचानवें हजार रूपये) बचे जो परिवादी ने चैक संख्‍या-167246 दिनांकित 07/12/2009 के माध्‍यम से विपक्षी को अदा कर दिये इस प्रकार  10,000/- रूपये का भुगतान कर दिया गया। दिनांक 07/12/2009 को विपक्षी सं0-1 के सेल्‍ल मैनेजर के मांगने पर परिवादी ने 30,000/- (तीस हजार रूपया) उसी दिन अपने ए0टी0एम0 से निकालकर सेल्‍स मैनेजर को दिये तथा 70,000- (सत्‍तर हजार रूपया) कर ड्राफट बनवा कर दिया। दिनांक 09/12/2009 को विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को कार की डिलिवरी दे दी। दिनांक 22/10/2009 को 2,87,158/- ( दो लाख सत्‍तासी हजार एक सौ अठ्ठावन रूपये) का बिल विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को दिया। कार का रजिस्‍ट्रशन और इंश्‍योरेंस विपक्षी सं0-1 ने ही कराया था। विपक्षी सं0-1 ने यह कह कर कि कार का रजिस्‍ट्रशन अभी नहीं मिला है परिवादी से कहा कि रजिस्‍ट्रेशन बाद में ले लेना। परिवादी ने आरोप लगाया कि उसे विपक्षी सं0-1 ने रजिस्‍ट्रेशन नहीं दिया और वह 15,000/- (पन्‍द्रह हजार रूपया) की अतिरिक्‍त मांग कर रहा है। परिवादी ने कस्‍टमर केयर सेन्‍टर पर शिकायत की, कि 3,10,000/- रूपया के सापेक्ष उसे कम धनराशि का बिल दिया गया है और जानबूझकर कार की सर्विस बुक और रजिस्‍ट्रेशन विपक्षी ने रोक रखा है, 15,000/- रूपये अवैध धन की मांग परिवादी से की जा रही है, किन्‍तु परिवादी की समस्‍या का निदान नहीं हुआ। विपक्षीगण ने परिवादी से 22,842/- रूपये अधिक ले लिये हैं जो नोटिस के बावजूद भी विपक्षीगण वापिस करने को तैयार नहीं है।  परिवादी के अनुसार उसे मजबूर होकर परिवाद योजित करना पड़ा उसने परिवाद में मांगे गये उपशम दिलाये जाने की प्रार्थना की।

3 - विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/6 दाखिल किया गया। प्रतिवाद पत्र में कहा गया कि छूट देकर परिवादी को कार की कीमत 3,15,000/- (तीन लाख  पन्‍द्रह हजार रूपया) बतायी गयी थी जिसमें परिवादी के अनुरोध पर 2,10,000/- (दो लाख दस हजार रूपया) विपक्षी ने फाईनेन्‍स कराया। परिवादी ने फाईनेन्‍स करायी गयी रकम सहित विपक्षी सं0-1 को मात्र 2,99,400/- (दो लाख निन्‍यानवें हजार चार सौ रूपये) अदा किये। परिवादी का यह कथन असत्‍य है कि दिनांक 07/12/2009 को ए0टी0एम0 से निकाल कर 30,000/- (तीस हजार रूपया) परिवादी ने विपक्षी सं0-1 को अदा किये थे। विपक्षीगण के अनुसार टेम्‍प्रेरी रजिस्‍ट्रेशन में उनका 15,00/- (पन्‍द्रह सौ रूपया) खर्चा हुआ। स्‍थाई रजिस्‍ट्रेशन हेतु 16,194/- (सोलह हजार एक सौ चौरानवे रूपया) की पंजीकरण विभाग की रसीद तथा 7,737/- (सात हजार सात सौ सैतीस रूपया) की इंश्‍योरेंस की रसीद उन्‍होंने परिवादी को दी। 5762/- (पाँच हजार सात सौ बासठ रूपया) लोजिस्‍टक चार्जेज थे इस प्रकार परिवादी द्वारा 3,18,355/- (तीन लाख अट्ठारह हजार तीन सौ पचपन रूपया) विपक्षी सं0-1 को देने थे किन्‍तु विपक्षी सं0-1 ने 3,15,000/- (तीन लाख पन्‍द्रह हजार रूपया) में उसे कार देना स्‍वीकार कर लिया था। परिवादी ने मात्र 2,99,400/- (दो लाख निन्‍यानवे चार सौ रूपया) का ही भुगतान विपक्षी  सं0-1 को किया है, शेष 15,600/- (पन्‍द्रह हजार छ: सौ रूपया) परिवादी ने अब तक अदा नहीं किये जो उसकी ओर विपक्षी  सं0-1 के निकलते हैं। इस धनराशि की अदायगी से बचने  के लिए परिवादी ने असत्‍य कथनों पर यह परिवाद योजित किया है। प्रतिवाद पत्र में यह भी कहा गया कि परिवादी को बेची गई कार का स्‍थाई पंजीकरण सं0- यू0पी081/ए0सी0-6995 परिवदी को दिया जा चुका है और परिवादी उस नम्‍बर का प्रयोग कर रहा है। विपक्षी सं0-1 के 15,600/- रूपया देने से बचने के लिए परिवादी ने यह झूठा परिवाद योजित किया है जिसे विपक्षीगण ने सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की है।

4 - परिवादी ने परिवादी के साथ कार का रिटेल आर्डर फार्म, बुकिंग हेतु दिये गये 5000/- रूपये के चैक, उसकी रसीद, फाइनेन्‍स कम्‍पनी की रसीद, फाइनेन्‍स कम्‍पनी द्वारा निर्धारित ई0एम0आई0 95,000/- रूपये के चैक, फाइनेन्‍स कम्‍पनी द्वारा ऋण अदायगी हेतु निर्धारित की गई किश्‍तों के विवरण, परिवादी की पासबुक, बीमा कवरनोट, कार की रिटेल इनवायस, विपक्षी सं0-2 से प्राप्‍त  नोटिस दिनांक 22/04/2010 तथा विपक्षीगण को भेजे गये नोटिस दिनांकित 28/05/2010 की फोटो प्रतियों एवं कानूनी नोटिस भेजने की डाकखाने की असल रसीदों को  दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 3/7 लगायत 3/21  हैं।

5 - विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र के साथ विपक्षी सं0-1 और परिवादी के मध्‍य कार विक्रय के सम्‍बन्‍ध में तय हुई शर्तें रिटेल आर्डर फार्म, परिवादी द्वारा देय और उसके द्वारा अदा की गई धनराशि के विवरण, कार के टेम्‍प्रेरी रजिस्‍ट्रेशन तथा परिवादी की ओर से विपक्षी सं0-1 को अदा  की गयी धनराशि की रसीदों की नकलों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-11/13 लगायत 11/18  हैं। विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को बेची गई कार के स्‍थायी पंजीकरण हेतु जमा किऐ गये 16,194/- रूपये की आर0टी0ओ0 कार्यालय की रसीद दिनांकित 08/03/2010 की फोटो प्रति कागज सं0-15  को भी दाखिल किया। इस रसीद पर कार की पंजीकरण सं0 यू0पी081 ए0सी0/6959 अंकित है। स्‍पष्‍ट है कि कार का यह स्‍थायी पंजीकरण दिनांक 08/03/2010 को हुआ  था

6-    परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/5 दाखिल  किया। विपक्षीगण की ओर से विपक्षी सं0-2 के सेल्‍स मैनेजर श्री ईश्‍वर शर्मा ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/9 दाखिल किया। 

7- दिनांक 25/06/2015 मौखिक बहस हेतु नियत थी उस दिन परिवादी अनुपस्थित था अत: विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों को हमने सुन लिया है और दिनांक 01/07/2015 निर्णय हेतु निर्धारित कर दी। परिवादी के लिए यह अवसर खुला रखा गया कि वह यदि चाहें तो दिनांक 01/07/2015 को आकर फोरम के समक्ष अपने तर्क रख सकता है किन्‍तु दिनांक 01/07/2015 को भी परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ। हमने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य सामग्री का अवलोकन किया। 

8-     इस मामले में विनिश्‍चय हेतु 3 बिन्‍दु हैं।

  1. - क्‍या परिवादी को कार बेचने का सौदा 3,10,000/- रूपये में हुआ था और परिवादी को इसके सापेक्ष मात्र 2,87,158/- रूपये की रसीद विपक्षी सं0-1 ने दी जैसा कि परिवादी का आरोप है।
  2. - क्‍या परिवादी की ओर विपक्षी सं0-1 का 15,600/- रूपया बकाया निकलता है।
  3. - क्‍या परिवादी ने दिनांक 07/12/2009 को 30,000/- रूपया नकद विपक्षी सं0-1 के सेल्‍स मैनेजर को अदा किये थे जैसा कि परिवादी ने अपने परिवाद के पैरा सं0-3 में कथन किया है।

09-  बिन्‍दु संख्‍या-1 का निस्‍तारण:-

          परिवाद के साथ दाखिल रिटेल आर्डर फार्म कागज सं0-3/7 से प्रकट है कि कार की ऑन रोड कीमत 3,15,000/- रूपया तय हुई थी। इस आर्डर फार्म में परिवादी द्वारा चैक के माध्‍यम से की गई 5000/- रूपया की अदायगी का उल्‍लेख है। इस 5,000/- रूपया को समायोजित करके कार का अवशेष मूल्‍य 3,10,000/- रूपया आर्डर फार्म में अंकित किया गया है। इस प्रकार परिवादी का यह कथन असत्‍य है कि कार की ऑन रोड  कीम 3,10,000/- रूपया तय हुई थी।

10-  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने रिटेल इनवायस कागज सं0-3/16 की ओर  हमारा ध्‍यान आकर्षित किया और कहा कि तयशुदा कीमत से कम राशि की रिटेल इनवायस विपक्षी सं0-1 ने काटी और इस प्रकार यह सेवा में कमी है। हम परिवाद पक्ष के उक्‍त तर्क से सहमत नहीं हैं। रिटेल इनवायस कागज सं0-3/18 में कार का इंश्‍योरेंस, रजिस्‍ट्रेशन और लोजिस्टिक व्‍यय सम्मिलित नहीं है जबकि आर्डर फार्म कागज सं0-3/7 में अन्‍य के अतिरिक्‍त इन तीनों मदों में परिवादी द्वारा देय धनराशि का भी उल्‍लेख है। इस प्रकार परिवादी का यह कथन आधारहीन है कि उसे कम राशि की रिटेल इनवायस दी गयी थी।

11-बिन्‍दु सं0 2 एवं 3 का निस्‍तारण:-

          परिवादी का आरोप है कि विपक्षी सं0-1 ने उससे रजिस्‍ट्रेशन नम्‍बर  देने से पूर्व 15,000/- रूपया अवैध धन की मांग की थी। विपक्षी सं0-1 की ओर  से  प्रत्‍युत्‍तर में कहा गया कि कार की तयशुदा ऑन रोड कीमत 3,15,000/- रूपया के सापेक्ष परिवादी ने केवल 2,99,400/- रूपया अदा किये हैं और इस प्रकार अभी भी 15,600/- रूपया विपक्षी सं0-1 के परिवादी की ओर बकाया निकलते हैं, विपक्षी  सं0-1 के कथन में बल है। विपक्षीगण की ओर से दाखिल रसीदात कागज  सं0-11/17 और 11/18 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या- 1  को रसीद सं0-236 द्वारा 70,000/- रूपये, रसीद सं0-237 द्वारा 19,400/- रूपये तथा रसीद सं0-250 द्वारा 2,10,000/- रूपये का भुगतान किया गया। यह धनराशि जोड़ने पर 2,99,400/- (दो लाख निन्‍यानवें रूपये) आती है। परिवादी का कहना है कि दिनांक 07/12/2009 को उसने ए0टी0एम0 से निकालकर 30,000/- रूपया विपक्षी सं0-1 के सेल्‍स मैनेजर को नकद दिये थे। विपक्षी सं0-1 की ओर से परिवादी के इस कथन से इन्‍कार किया गया है। परिवादी 30,000/- रूपया विपक्षी सं0-1 को अदा करने की कोई रसीद दाखिल नहीं कर पाया। ऐसी दशा में यह स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है कि दिनांक 07/12/2009 को परिवादी ने विपक्षी सं0-1 के सेल्‍स मैनेजर को 30,000/- रूपये नकद अदा किये। परिवाद कथनों के अनुसार विपक्षी सं0-1 को परिवादी ने दिनांक 21/11/2009 को 5,000/- रूपये का एक चैक सं0- 167223 तथा दिनांक 07/12/2009 को 95,000/- रूपये का एक चैक सं0-167245 दिया था। परिवादी के साक्ष्‍य शपथ पत्र के अवलोकन से प्रकट है कि यह चैक परिवादी ने  विपक्षी सं0-1 से वापिस ले  लिये थे। परिवादी की पासबुक की नकल  कागज सं0-3/14 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट  है कि ये दोनों चैक परिवादी के खाते से डेविट नहीं हुऐ। अत: इस तथ्‍य की पुष्टि हो जाती है कि 5,000/- रूपये और 95,000/- रूपये के ये दोनों चैक विपक्षी  सं0-1 के खाते में क्रेडिट नहीं हुऐ थे।   कार के तयशुदा प्राइस 3,15,000/- रूपये के सापेक्ष परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 को 15,600/- रूपये कम  अदा किया जाना पाया गया है। विक्षीगण के इस कथन में बल है कि अवशेष देय इस धनराशि की अदायगी से बचने के लिए परिवादी ने 15,000/- रूपये अवैध धन  की मांग का मिथ्‍या आरोप विपक्षीगण पर लगाया है।

12 -      उपरोक्‍त विवेचना से प्रमाणित हुआ है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी से अवैध धन की कोई मांग नहीं की गयी थी बल्कि परिवादी की ओर विपक्षी सं0-1 का अभी भी 15,600/- रूपया निकलता है जिसकी मांग करने पर परिवादी ने विपक्षीगण पर मिथ्‍या आरोप लगाये हैं। विपक्षीगण ने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं की। परिवादी द्वारा खरीदी गयी कार का स्‍थायी पंजीकरण दिनांक 08/03/2010 को हो चुका था उसे पंजीकरण सं0- यू0पी081 ए0सी0/6959 आवंटित हुई थी। विपक्षीगण की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-6 में यह स्‍पष्‍ट कथन किया गया है कि परिवादी स्‍थायी पंजीकरण का लगातार कार पर लगाकर प्रयोग कर रहा है किन्‍तु विपक्षीगण के इस कथन का खण्‍डन करने का परिवादी साहस नहीं कर पाया। प्रकट है कि पंजीकरण न कराये जाने सम्‍बन्‍धी परिवादी के द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध लगाऐ गये आरोप मिथ्‍या और आधारहीन हैं।

13-  मामले के तथ्‍यों, परिस्थितियों एवं  उपलब्‍ध साक्ष्‍य सामग्री के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवाद विशेष व्‍यय सहित खरिज होने योग्‍य है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण पर आधारहीन आरोप लगाया जाना प्रकट हुआ है। अत: हम इस मत के हैं कि परिवादी पर 5,000/- (पाँच हजार रूपया) विशेष  व्‍यय भी अधिरोपित किया जाये। 

  •  

          परिवाद विशेष व्‍यय सहित खारिज किया जाता है। परिवादी को आदेशित किया जाता है कि वह विशेष व्‍यय के रूप में विपक्षीगण को 5,000/- (पाँच हजार रूपया) आज की तिथि से एक माह में अदा करे। वसूली की दशा में 4,000/- (चार हजार रूपया) विपक्षी सं0-1 तथा 1,000/- (एक हजार रूपया) विपक्षी सं0-2 प्राप्‍त करेगा।

 

      (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)    (सुश्री अजरा खान)     (पवन कुमार जैन)

             सदस्‍य                 सदस्‍य             अध्‍यक्ष

       जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद।  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

         10.07.2015           10/07/2015        10.07.2015

  1.  

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 10.07.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

  (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)    (सुश्री अजरा खान)     (पवन कुमार जैन)

         सदस्‍य               सदस्‍य               अध्‍यक्ष

  • 0उ0फो0-।। मुरादाबाद     जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद।   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

    10.07.2015          10/07/2015           10.07.2015

 

 

 

 

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