राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-272/2016
(मौखिक)
VIVEK KUMAR JAISWAL,
PARMANENT ADDRESS:
C/O MUNNA TRADING COMPANY,
AZAMGARH ROAD, SHAHGANJ JAUNPUR,
UTTAR PRADESH
ADDRESS AT LUCKNOW:
FLAT NO. 4, MANORAMA APARTMENTS
C-943, CID COLONY,
MAHANAGAR, LUCKNOW.
....................परिवादी
बनाम
1. M/S VARDA ESTATE & PROPERTIES PVT LTD.
REGD OFFICE-8 JAGDISH CHAND BOSE MARG,
LALBAGH, LUCKNOW-226001, U.P.
CORPORATE OFFICE-405-407, 4TH FLOOR,
TITANIUM BLOCK, SHALIMAR CORPORATE PARK,
PICKUP BHAWAN MARG,
VIBHUTI KHAND, GOMTI NAGAR,
LUCKNOW – 226010, U.P.
2. SUNIL PANDEY
DIRECTOR
B-13/E SECTOR J,
ALIGANJ, LUCKNOW – 226010, U.P.
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री रत्नेश त्रिपाठी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री वत्सल गुप्ता,
विद्वान अधिवक्ता।
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दिनांक: 30-08-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी विवेक कुमार जायसवाल ने यह परिवाद विपक्षीगण मेसर्स वर्दा एस्टेट एण्ड प्रापर्टीज प्रा0लि0 एवं श्री सुनील पाण्डेय डायरेक्टर के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग, उत्तर प्रदेश के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
i. Award refund of money Rs. 3,03,360/-(Rupees Three Lac Three Thousand and Three Hundred Sixty Only) advanced for the said flat along with 24% interest favor of the Complainant.
ii. Award a sum of Rs.10,00,000/- (Rupees Ten Lac Only) on account of compensation for mental pain and agony in favor of the Complainant and against the Respondents.
iii. Award the differential amount of money i.e. cost of the said flat i.e. Rs. 13,78,104/- (Rupees Thirteen Lakhs Seventy Eight Thousand One Hundred and Four Only) to the Complainant.
iv. Award cost of the present proceedings in favor of the Complainant and against the Respondents.
v. This Hon’ble Commission may also pass such further order(s) as it may deem fit and proper on the facts and
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in the circumstances of the present case.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-1 ने वर्ष 2012 में शहीद पथ पर ग्राम अहिमामउ, लखनऊ में वर्दा हाइट्स के नाम से ग्रुप हाउसिंग परियोजना प्रारम्भ की और विपक्षी संख्या-1 के विज्ञापनों से प्रभावित होकर परिवादी विपक्षी संख्या-1 के पास गया तब विपक्षी संख्या-1 के डायरेक्टर विपक्षी संख्या-2 ने आश्वासन दिया कि बुकिंग की तिथि से 30 महीना के अन्दर सभी सुविधाओं से युक्त अच्छा फ्लैट तैयार कर दिया जायेगा, जिस पर विश्वास कर परिवादी ने दिनांक 27.07.2012 को विपक्षीगण की उपरोक्त परियोजना में 1262 वर्ग फीट के फ्लैट, जिसका मूल्य 2400/-रू0 प्रति वर्ग फीट की दर से 30,33,600/-रू0 था, की बुकिंग हेतु आवेदन पत्र दिया और बुकिंग एमाउण्ट 3,03,360/-रू0 एवं अन्य देय टैक्स की धनराशि हेतु उसने 2,06,180/-रू0 चेक दिनांक 28.07.2012 के द्वारा और 1,06,553/-रू0 चेक दिनांक 24.12.2012 के द्वारा जमा किया। तब विपक्षी संख्या-1 ने उसे यूनिट नं0 बी-203 वर्दा हाइट्स प्रोजेक्ट एलाट किया, परन्तु अक्टूबर 2015 तक विपक्षीगण की परियोजना के निर्माण में कोई प्रगति नहीं हुई। परिवादी ने दूरभाष के माध्यम से एवं व्यक्तिगत रूप से विपक्षीगण से सम्पर्क किया, परन्तु कोई फल नहीं मिला तब परिवादी ने जमा धनराशि क्षतिपूर्ति एवं ब्याज के साथ पत्र दिनांक 16.10.2015 के द्वारा वापस मांगी। उसके बाद विपक्षीगण ने परिवादी को दिनांक 16.02.2016 को 3,12,734/-रू0 का चेक दिया, जो परिवादी द्वारा बैंक में जमा करने पर विपक्षीगण के खाता में समुचित धनराशि के अभाव में डिसआनर हो
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गया। इसके साथ ही विपक्षीगण ने 50,000/-रू0 परिवादी के बैंक खाता में आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से परिवादी की अनुमति के बिना अन्तरित किया है और अपनी सेवा में कमी मानते हुए 1,12,000/-रू0 परिवादी द्वारा मांगे गये प्रतिकर एवं अन्य धनराशि के विरूद्ध आंशिक रूप से परिवादी को अदा किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण की सेवा में कमी एवं उनके द्वारा अपनायी गयी अनुचित व्यापार पद्धति से क्षुब्ध होकर परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण ने संयुक्त लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कहा है कि विपक्षीगण की परियोजना वर्दा हाइट्स के लिये लखनऊ विकास प्राधिकरण की अनुमति U.P. Urban Planning and Development Act 1973 के अनुसार आवश्यक थी, परन्तु एल0डी0ए0 ने अनुमति इस आधार पर प्रदान नहीं किया कि परियोजना भारतीय सेना के Firing Range में आती है।
लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि परिवादी की जमा धनराशि 3,12,734/-रू0 से 1,62,740/-रू0 की धनराशि परिवादी को वापस की जा चुकी है। अवशेष धनराशि 1,49,994/-रू0 का भुगतान करने हेतु विपक्षीगण तैयार हैं।
लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि उनकी सेवा में कोई कमी नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है।
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परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया है।
लिखित कथन के समर्थन में विपक्षी संख्या-2 ने अपना शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया है।
परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री रत्नेश त्रिपाठी और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वत्सल गुप्ता उपस्थित आये हैं।
मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का सावधानी पूर्वक अवलोकन किया है।
मैंने उभय पक्ष के लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
विपक्षीगण की प्रश्नगत परियोजना में प्रश्नगत फ्लैट परिवादी को विपक्षीगण द्वारा आवंटित किया जाना और उसके सम्बन्ध में 3,12,734/-रू0 परिवादी द्वारा विपक्षीगण के यहाँ जमा किया जाना अविवादित है। विपक्षीगण की प्रश्नगत परियोजना को सक्षम अधिकारी या अधिकरण से स्वीकृति न मिलने के कारण परियोजना का कार्य विपक्षीगण ने नहीं किया है यह भी अविवादित है। विपक्षीगण ने परिवादी को 1,62,740/-रू0 उसकी जमा धनराशि 3,12,734/-रू0 के सम्बन्ध में वापस किया है यह तथ्य भी अविवादित है।
परियोजना की सक्षम अधिकारी या अधिकरण से स्वीकृति प्राप्त किये बिना परियोजना के फ्लैट की बिक्री आमंत्रित किया जाना और बिक्री हेतु फ्लैट का आवंटन किया जाना अनुचित व्यापार पद्धति है और विपक्षीगण की सेवा में कमी है।
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परिवादी ने विपक्षीगण की प्रस्तावित परियोजना में निर्माण किये जाने वाले फ्लैट को क्रय करने हेतु बुकिंग, बुकिंग धनराशि जमा कर किया है और विपक्षीगण ने उसे एलाटमेंट लेटर जारी किया है। अत: परिवादी धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण का उपभोक्ता है। अत: उसे परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार है।
परिवादी ने विपक्षीगण की प्रश्नगत परियोजना में प्रश्नगत फ्लैट की बुकिंग दिनांक 27.07.2012 को किया है और 2,06,180/-रू0 दिनांक 28.07.2012 को एवं 1,06,553/-रू0 दिनांक 24.12.2012 को जमा किया है।
विपक्षीगण ने आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक का चेक दिनांक 16.02.2016 परिवादी को 3,12,734/-रू0 का जारी किया है, परन्तु यह चेक खाता में पर्याप्त धनराशि न होने से डिसआनर हो गया है। विपक्षीगण ने परिवादी के खाता में 50,000/-रू0 की धनराशि आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से भेजा है और 1,12,000/-रू0 का और भुगतान परिवाद प्रस्तुत किये जाने के पहले किया है।
उपरोक्त सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त यह उचित प्रतीत होता है कि विपक्षीगण परिवादी की सम्पूर्ण जमा धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ इस निर्णय की तिथि से दो मास के अन्दर परिवाद प्रस्तुत करने के पूर्व अदा की गयी धनराशि को समायोजित करते हुए वापस करें। यदि इस अवधि में विपक्षीगण परिवादी
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की जमा धनराशि उपरोक्त प्रकार से अदा नहीं करते हैं तब विपक्षीगण परिवादी की सम्पूर्ण जमा धनराशि पर जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देने हेतु उत्तरदायी होंगे और परिवाद प्रस्तुत करने के पूर्व अदा की गयी उपरोक्त धनराशि 1,62,000/-रू0 को समायोजित कर शेष धनराशि का भुगतान परिवादी को करेंगे।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ कि परिवादी द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान करने हेतु उचित आधार नहीं है, परन्तु परिवादी को वाद व्यय 10,000/-रू0 दिलाया जाना उचित है।
विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने C.A. No. 4925 of 2011 Inter Globe Aviation Ltd. Vs. N. Satchidanand में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय दिनांक 04.07.2011 सन्दर्भित किया है। मैंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया है। उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि विपक्षीगण ने प्रश्नगत परियोजना की स्वीकृति सक्षम अधिकारी/अधिकरण से प्राप्त किये बिना बिक्री आमंत्रित की है और परिवादी से बुकिंग एमाउण्ट लेकर बुकिंग की है, जो अनुचित व्यापार पद्धति है। अत: विपक्षीगण को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का लाभ नहीं मिल सकता है।
उपरोक्त विवेचना एवं निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है
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कि वे इस निर्णय की तिथि से दो मास के अन्दर परिवादी की जमा सम्पूर्ण धनराशि 3,12,734/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ परिवाद प्रस्तुत किये जाने के पूर्व अदा की गयी धनराशि 1,62,000/-रू0 को समायोजित करते हुए परिवादी को अदा करें। यदि इस अवधि में परिवादी को उपरोक्त प्रकार से भुगतान नहीं किया जाता है तब विपक्षीगण परिवादी की सम्पूर्ण जमा धनराशि 3,12,734/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ पूर्व अदा की गयी धनराशि 162000/-रू0 को समायोजित कर परिवादी को वापस करेंगे।
विपक्षीगण, परिवादी को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी देंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0,
कोर्ट नं0-1