(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-363/2005
नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड
बनाम
मै0 उर्वशी टैक्सटाईल प्राइवेट लिमिटेड व अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: सुश्री रेहाना खान, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :26.09.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-412/2004, मै0 उर्वशी टैक्सटाइल प्रा0लि0 बनाम नेशनल इंश्योरेंस कं0लि0 व अन्य में विद्वान जिला आयोग, मेरठ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 28.01.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया।
2. परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपना कुछ सामान विपक्षी सं0 3 यानि मेरठ गोल्डेन गुड्स कैरियर के माध्यम से प्रस्तावित क्रेता को भेजा गया, परंतु प्रस्तावित क्रेता को यह सामान उपलब्ध नहीं हुआ, इसलिए बीमा कम्पनी के विरूद्ध क्लेम प्रस्तुत किया गया, साथ ही ट्रांसपोर्टर को भी पक्षकार बनाया गया। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमा कम्पनी तथा ट्रांसपोर्टर दोनो के विरूद्ध माल अंकन 43,607/-रू0 15 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपना माल मेरठ गोल्डेन गुड्स कैरियर को सुपुर्द कर दिया गया था। ढुलाई के समय किसी प्रकार की क्षति कारित होने का कोई विवरण परिवाद पत्र में वर्णित नहीं है, साथ ही सर्वेयर को ट्रांसपोर्टर कम्पनी के कर्मचारी द्वारा बताया गया कि माल प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रतिनिधि को सुपुर्द कर दिया गया था, यदि यह तथ्य स्थापित न भी माना जाये कि प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रतिनिधि को माल सुपुर्द कर दिया गया, चूंकि सर्वेयर रिपोर्ट के अलावा इस तथ्य का अन्य कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है तब भी चूंकि माल ट्रांसपोर्टर को सुपुर्द कर दिया गया, इसलिए सुपुर्दगार का यह दायित्व है कि वह माल को उस स्थान पर पहुंचाये, जिस स्थान पर पहुंचाने के लिए उसे निर्देशित किया गया है और यदि माल परिवहन के समय बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार विनष्ट नहीं हुआ है तब बीमा कम्पनी का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। प्रस्तुत केस में प्रत्यर्थी/परिवादी ने ऐसा कोई तथ्य वर्णित नहीं किया, जिससे जाहिर होता हो कि पॉलिसी की शर्तों के अनुसार माल विनष्ट हुआ है, इसलिए बीमा कम्पनी उत्तरदायी नहीं है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी को कारित क्षति के लिए अपीलार्थी/बीमा कम्पनी उत्तरदायी नहीं होगी, यद्यपि प्रत्यर्थी /विपक्षी सं0 3 ट्रांसपोर्टर के विरूद्ध पारित किया गया आदेश में कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3