(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-113/2015
1. सोनाली अग्रवाल पुत्री श्री अशोक कुमार अग्रवाल, द्वारा पावर आफ अटार्नी होल्डर श्री अंकुर अग्रवाल पुत्र श्री अशोक कुमार अग्रवाल, निवासी सरस कुंज, रामाश्रम कालोनी, सिविल लाइन्स, मुरादाबाद, 244001 (यू.पी.)।
2. श्री अशोक कुमार अग्रवाल पुत्र स्व0 श्री राज कुमार अग्रवाल, निवासी सरस कुंज, रामाश्रम कालोनी, सिविल लाइन्स, मुरादाबाद, 244001 (यू.पी.)।
परिवादीगण
बनाम
1. मैसर्स यूनीटेक लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस 6, कम्युनिटी सेण्टर, साकेत, नई दिल्ली 110017 द्वारा चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर।
2. मैसर्स यूनीटेक लिमिटेड, ब्रांच आफिस (बी.ओ.) यूजीसीसी पविलियन, सेक्टर 96, एक्सप्रेसवे (निकट एमिटी मैनेजमेंट स्कूल), नोयडा 201305 (यूपी) द्वारा मैनेजर।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री आलोक सिन्हा।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 11.10.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध आवंटित फ्लैट का समय पर कब्जा प्रदान न करने के कारण जमा की गई राशि अंकन 34,37,548/- रूपये 18 प्रतिशत ब्याज सहित वापस प्राप्त करने के लिए साथ ही अंकन 5/- रूपये प्रति स्क्वायर फिट होल्डिंग चार्ज की मद में प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है तथा 51 स्क्वायर फिट सुपर एरिया की बढ़ोत्तरी के मूल्य को निरस्त करने, कारपेट एरिया एवं सुपर एरिया में मानक के विपरीत अधिक अन्तर होने के कारण 18 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज पर अन्तर राशि प्राप्त करने के लिए, विपक्षीगण द्वारा मांगी गई राशि अंकन 1,62,105/- रूपये तथा अंकन 1,72,165/- रूपये के मांग पत्र को रद्द करने के लिए, अंकन 50 लाख रूपये मूल्य में बढ़ोत्तरी की मद में प्राप्त करने के लिए तथा अंकन 1,00,000/- रूपये परिवाद व्यय तथा अंकन 10 लाख रूपये मानसिक प्रताड़ना की मद में प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार दिनांक 27.01.2006 को अंकन 3,58,000/- रूपये अदा कर फ्लैट नं0-0201 टावर संख्या-5 द्वितीय फ्लोर पर बुक कराया गया, जिसका कब्जा देने की तिथि दिनांक 30.04.2008 थी। शेष धनराशि अंकन 30,79,548/- रूपये की अदायगी दिनांक 20.03.2006 को कर दी गई। दिनांक 27.11.2011 को जब परिवादीगण ने मोके पर जाकर देखा तो पाया गया कि निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ है तब परिवादीगण ने दिनांक 14.12.2011 को भाड़ा एवं ब्याज की मांग की और दिनांक 08.02.2012 को लीगल नोटिस भी प्रेषित किया गया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा कब्जा प्रदान करने की तिथि वर्ष 2012 के अंतिम त्रैमासिक तक बढ़ा दी गई। परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध माननीय राष्ट्रीय आयोग, दिल्ली के समक्ष याचिका प्रस्तुत की गई तब विपक्षीगण ने भयवश कब्जा सुपुर्द करने का प्रस्ताव रखा, जबकि मौके पर जाकर पाया कि फ्लैट रहने की स्थिति में नहीं है। GNIDA द्वारा आर.टी.आई के तहत सूचित किया गया कि विपक्षीगण पर अंकन 13.49 करोड़ बकाया हैं, इसलिए विपक्षीगण कोई विलेख निष्पादित नहीं कर सकते। अत: विपक्षीगण कब्जा सुपुर्द करने में असमर्थ हैं, जबकि कुल मूल्य अंकन 34,37,548/- रूपये अदा किया जा चुका है। तदनुसार परिवाद प्रस्तुत करते हुए उपरोक्त अनुतोषों की मांग की गई।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में शपथपत्र प्रस्तुत किया गया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा निश्चित समयावधि के अन्तर्गत लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए विपक्षीगण के लिखित कथन पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है, केवल परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गई तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
4. परिवादीगण ने शपथ पत्र के माध्यम से साबित किया है कि उनके द्वारा कुल 34,37,548/- रूपये जमा कराए गए हैं। यह तथ्य भी साबित किया है कि कब्जा दिनांक 30.04.2008 तक दिया जाना चाहिए था, परन्तु परिवाद पत्र प्रस्तुत करने की तिथि तक कब्जा प्रदान नहीं किया गया। GNIDA से प्राप्त सूचना के अनुसार चूंकि विपक्षीगण पर अंकन 13.49 करोड़ रूपये बकाया हैं, इसलिए विपक्षीगण परिवादीगण के पक्ष में आवंटित फ्लैट का विक्रय विलेख निष्पादित करने में असमर्थ हैं। इन सभी तथ्यों का कोई खण्डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है।
5. परिवादीगण के पक्ष में जारी आवंटन पत्र की प्रतिलिपि पत्रावली पर दस्तावेज संख्या-40 लगायत 49 के रूप में मौजूद है। इस दस्तावेज के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादीगण को फ्लैट नं0-0201 टावर संख्या-5 द्वितीय फ्लोर में आवंटित किया गया है, जिसका कुल सुपर एरिया 1537 स्क्वायर फिट है तथा मूल्य अंकन 35,85,144/- रूपये है। आवंटन की शर्त के अनुसार निश्चित की समयावधि के अन्तर्गत परिवादीगण को फ्लैट का कब्जा सुपुर्द नहीं किया गया है, इसलिए परिवादीगण अपने द्वारा जमा की गई राशि 09 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं।
6. चूंकि निश्चित समयावधि के अन्तर्गत आवंटित फ्लैट का कब्जा सुपुर्द नहीं किया गया है, इसलिए समयावधि के समाप्त हो जाने के पश्चात से परिवादीगण अंकन 5/- रूपये प्रति स्क्वायर फिट की दर से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि तक तथा इसके पश्चात वास्तविक भुगतान की तिथि तक होल्डिंग शुल्क प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं, परन्तु चूंकि परिवादीगण द्वारा अपनी जमा राशि की वापसी की मांग की जा रही है, इसलिए 51 प्रति स्क्वायर फिट बढ़ोत्तरी के कारण बढ़ी हुए मूल्य के संबंध में कोई निष्कर्ष देने की आवश्यकता नहीं है। इस अनुतोष को जारी करने का कोई औचित्य नहीं है। इसी प्रकार चूंकि परिवादीगण द्वारा कब्जा प्राप्त करने का अनुरोध नहीं किया जा रहा है, इसलिए कारपेट एरिया और सुपर एरिया के अन्तर के बिन्दु पर किसी प्रकार के निष्कर्ष देने की आवश्यकता नहीं है, यह अनुतोष भी निरर्थक रूप से मांगा गया है। इसी प्रकार विपक्षीगण द्वारा मांगी गई धनराशि अंकन 1,62,105/- रूपये तथा अंकन 1,72,165/- रूपये पर भी कोई निष्कर्ष देने की आवश्यकता नहीं है। प्रस्तुत केस में परिवादीगण के पक्ष में जमा राशि को वापस लौटाने तथा समयावधि के पश्चात अंकन 5/- रूपये प्रति स्क्वायर की दर से होल्डिंग चार्ज अदा करने का आदेश दिया जा रहा है, इसलिए इस मांग का कोई औचित्य नहीं है, यह आदेश होने के पश्चात डिमांग पत्र स्वत: ही शून्य हो जाएगा।
7. परिवादीगण की ओर से फ्लैट के मूल्य में बढ़ोत्तरी की मद में अंकन 50 लाख रूपये की मांग की गई है, परन्तु चूंकि परिवादीगण को उनके द्वारा जमा की गई राशि पर 09 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करने का आदेश दिया जा रहा है तथा साथ ही होल्डिंग शुल्क के रूप में अंकन 5/- रूपये प्रति स्क्वायर फिट की दर से अदा करने का आदेश दिया जा रहा है, इसलिए बढ़े हुए मूल्य की मद में अंकन 50 लाख रूपये की राशि अदा करने का आदेश देने का कोई औचित्य नहीं है।
8. परिवादीगण द्वारा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 1,00,000/- रूपये की मांग की गई है, परन्तु इस मद में केवल 25 हजार रूपये का आदेश देना उचित है।
9. परिवादीगण द्वारा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 10 लाख रूपये की मांग की गई है, चूंकि परिवादीगण द्वारा पिछले कई वर्षों से कब्जा प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। अपने द्वारा एकत्र की गई अमूल्य राशि अंकन 34,37,548/- रूपये जमा कराए जा चुका हैं, इस राशि को जमा करने के बावजूद भी फ्लैट का अध्यासन प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए परिवादीगण इस मद में मांगे गए अनुतोष अंकन 10 लाख रूपये को प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं। परिवाद तदनुसार स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
10. प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है।
क. विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादीगण द्वारा जमा की गई राशि अंकन 34,37,548/- रूपये जमा करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज सहित इस निर्णय एवं आदेश की तिथि से 03 माह की अवधि में लौटाए जाए।
ख. विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि होल्डिंग शुल्क के रूप में परिवादीगण को अंकन 5/- रूपये प्रति स्क्वायर फिट की दर से अंतिम भुगतान की तिथि तक भुगतान किया जाए। इस राशि का भुगतान यदि 03 माह की अवधि में कर दिया जाता है तब कोई ब्याज देय नहीं होगा और यदि 03 माह के अन्तर्गत भुगतान नहीं किया जाता है तब इस राशि पर 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज देय होगा।
ग. विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि मानसिक प्रताड़ना की मद में परिवादीगण को अंकन 10 लाख रूपये अदा किए जाए। इस राशि का भुगतान यदि 03 माह की अवधि में कर दिया जाता है तब कोई ब्याज देय नहीं होगा और यदि 03 माह के अन्तर्गत भुगतान नहीं किया जाता है तब इस राशि पर 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज देय होगा।
घ. परिवाद व्यय की मद में अंकन 25,000/- रूपये अदा किए जाए। इस राशि का भुगतान यदि 03 माह की अवधि में कर दिया जाता है तब कोई ब्याज देय नहीं होगा और यदि 03 माह के अन्तर्गत भुगतान नहीं किया जाता है तब इस राशि पर 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज देय होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2