राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-454/2017
(सुरक्षित)
1. LALIT KUMAR KHANNA, aged about 63 years, son of Jeevan Lal Khanna, residents of 113/160, Swaroop Nagar, Kanpur.
2. SMT. RASHMI KHANNA, aged about 56 years, wife of Lalit Kumar Khanna, residents of 113/160, Swaroop Nagar, Kanpur.
....................परिवादीगण
बनाम
1. M/S UNITECH LIMITED, a company duly incorporated under the companies Act, having its registered office at 6, Community Centre, Saket, New Delhi- 110017. Service of summons to be also effected at Sector-96, Express Way (Near Amity Management School), Noida-201305 (U.P.).
2. M/S RAMESH CHANDRA, Chairman, M/s. Unitech Ltd., Regd. Office at 6, Community Centre, Saket, New Delhi-110017.
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री सर्वेश कुमार शर्मा के
सहयोगी श्री पियूष मणि त्रिपाठी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 11-02-2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादीगण श्री ललित कुमार खन्ना और श्रीमती रश्मि खन्ना ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
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1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण मै0 यूनीटेक लिमिटेड और श्री रमेश चन्द्र, चेयरमैन, मै0 यूनीटेक लि0 के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
i. DIRECT the opposite parties to refund an amount of Rs.30,63,861/- carrying interest with effect from the respective dates of deposits till the date of refund.
ii. DIRECT the opposite parties to pay appropriate damages and compensation for the deficiency in service committed by them.
iii. DIRECT the opposite parties to pay Punitive Damages to the complainant on account of serious deficiency in service as well as Unfair Trade Practice committed by them in this complaint case.
iv. DIRECT the opposite parties to pay an amount of Rs.15,000/- per month payable with effect from December, 2015 till the date of refund of the amount deposited by the complainant. (For 24 months Rs.3,60,000/-).
v. DIRECT the opposite parties to pay appropriate punitive/exemplary damages on account of mental agony, harassment and trauma under went by the complainants.
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vi. Allow the complaint and direct the opposite parties to pay a sum of Rs.50,000/- towards cost of the case.
vii. Any other order which this Hon’ble State Commission may deem fit and proper in the circumstances of the case may also be passed.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण ने आश्वासन दिया और वादा किया कि उनकी हाई-टेक ग्रुप हाउसिंग काम्प्लेक्स योजना में निर्माण पूरा कर 36 महीने के अन्दर आवंटित यूनिट का कब्जा दे दिया जायेगा, जिस पर विश्वास कर परिवादीगण ने उनकी इस योजना में एक फ्लैट आवेदन पत्र प्रस्तुत करके बुक किया, जिस पर विपक्षीगण ने पत्र दिनांक 29.05.2012 के द्वारा उन्हें फ्लैट नं0 A1-00-0003 एक बेड रूम और कार पार्किंग के साथ 865 वर्ग फीट क्षेत्र का आवंटित किया और 36 महीने के अन्दर कब्जा देने का वादा किया। इस प्रकार आवंटित फ्लैट का कब्जा मई, 2015 तक दिया जाना था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को आवंटित यूनिट का कुल मूल्य 33,64,511/-रू0 तय किया गया, जिसके लिए उन्होंने 29,14,385/-रू0 का लोन एच0डी0एफ0सी0 बैंक से लिया और विपक्षीगण को कुल 30,63,861/-रू0 का भुगतान उन्होंने किया। मात्र 3,00,650/-रू0 अवशेष धनराशि बची, जिसका भुगतान विक्रय
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पत्र के निष्पादन और कब्जा दिये जाने के समय किया जाना था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी और विपक्षीगण एवं बैंक के बीच एक त्रिपक्षीय करार दिनांक 23.05.2012 को निष्पादित किया गया, जिसके अनुसार लोन धनराशि विपक्षी संख्या-1 के खाते में क्रेडिट की गयी।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण को परिवादीगण को fully finished unit विकसित कर एलाटमेन्ट की तिथि से 36 महीने के अन्दर कब्जा देना था और नियत अवधि में कब्जा ने देने पर करार पत्र की धारा 5A के अनुसार विपक्षी संख्या-1 फ्लैट के क्षेत्रफल पर 5/-रू0 प्रति वर्ग फीट की दर से विलम्ब हेतु क्षतिपूर्ति देने हेतु उत्तरदायी था, परन्तु तय समय में विपक्षी ने फ्लैट का निर्माण पूर्ण कर फ्लैट विकसित कर कब्जा परिवादीगण को नहीं दिया और न ही करार के अनुसार विलम्ब हेतु पेनाल्टी का भुगतान किया। परिवादीगण ने विपक्षीगण को नोटिस दिया फिर भी उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। इस प्रकार विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है और अनुचित व्यापार पद्धति अपनाई है। अत: परिवादीगण ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी है, जो अदम तामील वापस नहीं आयी है। अत: विपक्षीगण पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया है। फिर भी विपक्षीगण की ओर से कोई
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उपस्थित नहीं हुआ है और न ही लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है।
परिवादीगण की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी संख्या-1 श्री ललित कुमार खन्ना का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा के सहयोगी श्री पियूष मणि त्रिपाठी उपस्थित आये हैं। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र का संलग्नक-1 एलाटमेन्ट लेटर है, जिसके अनुसार परिवादीगण को प्रश्नगत फ्लैट दिनांक 29.05.2012 को आवंटित किया गया है और फ्लैट का कुल क्षेत्रफल 865 वर्ग फीट है तथा कुल मूल्य 33,64,511/-रू0 है। परिवाद पत्र का संलग्नक-2 परिवादीगण, बैंक और विपक्षीगण के बीच हुए त्रिपक्षीय करार की प्रति है, जिसके अनुसार परिवादीगण को 26,90,000/-रू0 आवासीय ऋण स्वीकृत किया गया है।
परिवादीगण ने परिवाद पत्र के साथ पॉंच रसीदें दिनांक 27.06.2012 की और एक रसीद दिनांक 06.02.2012 की प्रस्तुत किया है। इसके साथ ही उन्होंने एच0डी0एफ0सी0 बैंक के विपक्षी के नाम के चेक की फोटो प्रति प्रस्तुत की है। यह चेक
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23,13,879/-रू0 का है।
दिनांक 27.06.2012 की उपरोक्त 05 रसीदों के द्वारा 49,882/-रू0 एवं 1,00,000-1,00,000/-रू0 की चार धनराशि का भुगतान परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण को किया गया है और रसीद दिनांक 06.02.2012 के द्वारा 3,00,100/-रू0 का भुगतान परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण को किया गया है। इस प्रकार परिवादीगण ने विपक्षीगण के यहॉं कुल 30,63,861/-रू0 जमा करने का अभिलेख प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण ने नोटिस तामीला के बाद भी उपस्थित होकर न तो लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथन का खण्डन किया है और न ही शपथ पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथन का खण्डन किया है। अत: परिवाद पत्र एवं परिवादी संख्या-1 के शपथ पत्र के कथन और परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों पर विश्वास न करने हेतु उचित आधार नहीं है। आवंटन पत्र दिनांक 29.05.2012 को जारी किया गया है। साढ़े सात वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, परन्तु उपरोक्त धनराशि 30,63,861/-रू0 अदा करने के बाद भी विपक्षीगण ने परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण पूरा कर कब्जा नहीं दिया है। अत: परिवादीगण से और इन्तजार की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि परिवादीगण की जमा धनराशि
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30,63,861/-रू0 विपक्षीगण से परिवादीगण को ब्याज के साथ वापस दिलायी जाये।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा CIVIL APPEAL NO(S). 3948 of 2019 SLP(C) 9575 of 2019 M/S KRISHAN ESTATE DEVELOPERS PVT. LTD. बनाम
NAVEEN SRIVASTAVA व अन्य में पारित आदेश दिनांक 15.04.2019 को दृष्टिगत रखते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि विपक्षीगण को परिवादीगण से प्राप्त धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित तीन मास के अन्दर परिवादीगण को वापस करने का समय दिया जाये और यदि इस अवधि में वे परिवादीगण की जमा धनराशि 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करने में असफल रहते हैं तब विपक्षीगण को परिवादीगण की जमा धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करने हेतु आदेशित किया जाये।
परिवादीगण को विपक्षीगण से 10,000/-रू0 वाद व्यय भी दिलाया जाना उचित है।
परिवादीगण को दी जा रही उपरोक्त अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए परिवाद पत्र में याचित अन्य अनुतोष प्रदान किया जाना उचित नहीं प्रतीत होता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है
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कि वे परिवादीगण की जमा धनराशि 30,63,861/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ तीन मास के अन्दर उन्हें वापस करें। यदि इस तीन मास की अवधि में विपक्षीगण, परिवादीगण को उनकी जमा धनराशि 30,63,861/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस नहीं करते हैं तब विपक्षीगण, परिवादीगण को उनकी जमा धनराशि 30,63,861/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करेंगे।
विपक्षीगण, परिवादीगण को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी अदा करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1