(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
परिवाद संख्या : 19/2017
Jehangir Suterwalla, Mickle Field House, Park View Road, Pinner-HA53YF, England, United Kingdom.
.....परिवादी
बनाम्
M/s Unitech Limited, 6, Community Center, Saket, New Delhi-110017
Also at :
P-7, Sector 18, Noida, Uttar Pradesh-201301..
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष ।
उपस्थिति :
परिवादीगण की ओर से उपस्थित- श्री निखिल श्रीवास्तव।
विपक्षी की ओर से उपस्थित- मो0 रफी खान।
दिनांक : 09-05-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवादी Jehangir Suterwalla की ओर से यह परिवाद विपक्षी M/s Unitech Limited के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है और निम्न अनुतोष चाहा गया है :-
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- Direct the OP to have the Impugned Apartment registered with the requisite Govt. Authorities in the name of the Complainant without any further delay.
- Award a sum of Rs. 65,98,502/- on account of refund of the amount paid by the Complainant along with interest to the Complainant; Award interest @ 18% compounded monthly on the compensation as may be awarded from the date of this petition to the date of recovery.
- Direct the OP to pay penalty of Rs. 10,00,000/- for harassment and damages suffered by the Complainant.
- Direct the OP to pay penalty of in terms of the Allotment Letter, along with 18% interest compounded monthly for delay in handover of the Apartment to the Complainant. As on date of filing, the amount is Rs. 5,78,692/-
- Award cost of Rs. 3,00,000/- incurred by the Complainant on the present legal proceedings; and.
- Pass such other and further orders as may be deemed just and appropriate in the facts and circumstances of the case.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षी ने वर्ष 2005-06 में “Unitech Horizons” नामक परियोजना ग्रेटर नोएडा, गौतमबुद्ध नगर, उ0प्र0 में लांच किया और विपक्षी
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के विज्ञापन से प्रभावित होकर परिवादीगण ने विपक्षी की उक्त् परियोजना के अपार्टमेंट नम्बर-0202, 2nd Floor, Tower 20, Unitech Horizons Greater Noida हेतु आवेदन पत्र विपक्षी के यहॉं प्रस्तुत किया। तब उसे विपक्षी ने एलाटमेंट लेटर दिनांक 29-04-2006 जारी किया। एलाटमेंट लेटर के अनुसार कब्जा दिनांक 15-10-2008 तक दिया जाना था और उक्त तिथि तक कब्जा न दिये जाने की स्थिति में विपक्षी को रू0 5/- per.sq.ft. मासिक की दर से परिवादीगण को अदा किया जाना था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि वर्ष 2006-08 तक की अवधि में सभी भुगतान परिवादीगण ने एलाटमेंट लेटर के अनुसार कर दिया, फिर भी उन्हें आवंटित अपार्टमेंट का कब्जा परिवाद प्रस्तुत करने तक नहीं दिया गया।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी ने करीब 05 वर्ष का समय बीतने के बाद पत्र दिनांक 20-11-2012 के द्वारा परिवादीगण से कब्जा प्राप्त करने हेतु सभी अवशेष को क्लीयर करने का अनुरोध किया जिसके अनुपालन में परिवादीगण ने दिनांक 20-05-2013 को विपक्षीगण को निम्न धनराशि अदा की :–
- Rs. 83,387/-vide Cheque No. 745356 to Horizons Maintenance A/c.
- Rs. 59,712/-vide Cheque No.745354 to Horizons Sales A/c.
- Rs. 53,010/- vide Cheque No.745355 to Horizons Security Deposit A/c.
विपक्षी ने परिवादीगण द्वारा अदा की गयी धनराशि की तीन अलग-अलग रसीदें दिनांक 29-06-2013 को दिया, परन्तु
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कब्जा अन्तरण में विलम्ब की धनराशि को विपक्षी ने अवशेष धनराशि में समायोजन नहीं किया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण द्वारा सम्पूर्ण धनराशि अदा करने के बाद भी विपक्षी ने परिवादीगण को आवंटित अपार्टमेंट का कब्जा नहीं दिया और न ही विक्रय पत्र निष्पादित किया अत: परिवादीगण ने विपक्षी को दिनांक 01-10-2015 को नोटिस भेजा और कब्जा एवं कब्जा अन्तरण में हुए विलम्ब की क्षतिपूर्ति की मांग की, फिर भी विपक्षी ने परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का कब्जा नहीं दिया और विक्रय पत्र निष्पादित नहीं किया। अत: विवश होकर परिवादीगण ने परिवाद विपक्षी के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष को चाहा है।
विपक्षी को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी और विपक्षी पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया। तदोपरान्त विपक्षी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री मोहित जौहरी उपस्थित हुए और वकालतनामा प्रस्तुत किया। परन्तु विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया।
विपक्षी की ओर से मात्र प्रार्थना पत्र परिवाद पत्र में धारा-8 Arbitration and Conciliation Act.1996 की बाधा के संबंध में प्रस्तुत किया गया, परन्तु आदेश दिनांक 16-02-2018 के द्वारा आयोग ने यह माना है कि वर्तमान परिवाद में धारा-8 Arbitration and Conciliation Act.1996 का प्राविधान बाधक नहीं है। अत: विपक्षी की ओर से उठायी गयी आपत्ति आयोग द्वारा स्वीकार नहीं की गयी है। तदोपरान्त परिवादीगण की ओर से साक्ष्य में परिवादी Jehangir Suterwalla का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
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विपक्षी की ओर से कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है अत: उसके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है और विपक्षी की ओर से कोई साक्ष्य भी प्रस्तुत नहीं किया गया है।
परिवाद में अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादी के विद्धान अधिवक्ता श्री निखिल श्रीवास्तव और विपक्षी की ओर से विद्धान अधिवक्ता मो0 रफी खान उपस्थित आए हैं।
मैंने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के साथ परिवादीगण के नाम विपक्षी द्वारा जारी एलाटमेंट की फोटोप्रति प्रस्तुत की गयी है जिसके अनुसार अपार्टमेंट संख्या-0202 2nd Floor, Tower 20, Unitech Horizons Greater Noida, U.P. परिवादीगण को विपक्षी ने आवंटित किया है। आवंटन पत्र के अनुसार आवंटित फ्लैट का मूल्य 47,19,810/-रू0 है और कब्जा दिनांक 15 अक्टूबर, 2008 तक दिया जाना था तथा कब्जा में विलम्ब की दशा में रू0 5/- per.sq.ft. मासिक की दर से विपक्षी द्वारा परिवादी को क्षतिपूर्ति दिये जाने का प्राविधान है। एलाटमेंट लेटर के अनुसार रू0 4,28,496/- का भुगतान परिवादीगण ने विपक्षी को रजिस्ट्रेशन एमाउण्ट के रूप में किया है और अवशेष धनराशि का भुगतान पेमेन्ट प्लान के अनुसार एलाटमेंट लेटर के एनेक्जर-। के अनुसार दिनांक 16-08-2008 तक किश्तों में किया जाना था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने सम्पूर्ण धनराशि रू0 47,19,810/- का भुगतान विपक्षी को कर दिया है। परिवादी के शपथ पत्र में भी यह कहा गया है कि उसने सम्पूर्ण विक्रय मूल्य की धनराशि अदा कर दिया है।
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विपक्षी की ओर से परिवाद के कथन का खण्डन लिखित कथन व प्रति शपथ पत्र प्रस्तुत कर नहीं किया गया है अत: परिवाद पत्र के कथन पर अविश्वास करने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार नहीं है। परिवादी के शपथ पत्र से यह स्पष्ट है कि अभी भी विपक्षी ने फ्लैट का निर्माण कर कब्जा नहीं दिया है। एलाटमेंट लेटर की तिथि दिनांक 29-04-2006 से करीब 13 वर्ष का समय बीत चुका है, परन्तु अब तक विपक्षी ने फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा परिवादीगण को नहीं दिया है ऐसी स्थिति में उचित प्रतीत होता है कि परिवादीगण की जमा धनराशि ब्याज सहित उन्हें विपक्षी से वापस दिलायी जाए।
माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वरा प्रभात वर्मा व एक अन्य बनाम यूनीटेक लिमिटेड व एक अन्य III (2016) CPJ 635 (NC) के वाद में पारित निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए ब्याज 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से दिलाया जाना उचित है।
परिवादीगण की ओर से परिवाद मा0 राष्ट्रीय आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, परन्तु मा0 राष्ट्रीय आयोग ने आदेश दिनांक 16-02-2016 के द्वारा परिवादीगण को परिवाद सक्षम फोरम में प्रस्तुत करने की छूट के साथ वापस कर दिया गया है। तब परिवाद राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
उपरोक्त विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरन्त मैं इस मत का हूँकि परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी की जमा धनराशि, जमा की तिथि से 18 प्रतिशत ब्याज के साथ उन्हें विपक्षी से वापस दिलाया जाना उचित है। परिवादीगण को विपक्षी से रू0 10,000/- वाद व्यय भी दिलाया जाना उचित है।
चूंकि परिवादी की जमा धनराशि, जमा की तिथि से वास्तविक अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया जा रहा है अत: ऐसी स्थिति
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में परिवादी द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान करना उचित प्रतीत नहीं होता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण की जमा धनराशि रू0 47,19,810/- जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करें। इसके साथ ही विपक्षी परिवादी को रू0 10,000/- वाद व्यय भी प्रदान करें।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0