( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :1484/2023
विकास कुमार पुत्र श्री राजवीर सिंह
बनाम्
मैसर्स टोरक्यू कार्स प्रा0 लि0 व दो अन्य
समक्ष :-
- मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
दिनांक : 05-11-2024
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-180/2015 विकास कुमार बनाम मैसर्स टोरक्यू कार्स प्रा0लि0 व दो अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 22-06-2023 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद निरस्त कर दिया है।
जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी की ओर से यह अपील इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
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अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त में सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 से डीजल कार अपने परिवार के जीविकोपार्जन हेतु दिनांक 21-11-2014 को क्रय की और जिस हेतु परिवादी ने विपक्षी संख्या-3 से ऋण प्राप्त किया। रजिस्ट्रेशन फीस और टैक्सी का रजिस्ट्रेशन व टैक्सी के रूप में बीमा धनराशि प्राप्त किये जाने के पश्चात भी विपक्षीगण द्वारा आर0टी0ओ0 के यहॉं कामर्शियल वाहन के रूप में आर0सी0 जारी नहीं करायी गयी, जो कि विपक्षीगण के स्तर से सेवा में कमी है अत: वाद हेतुक उत्पन्न होने पर परिवाद जमा राशि 2,17,000/-रू0 को वापस दिलाने जाने एवं परिवादी द्वारा ली गयी ऋण की धनराशि की वसूली विपक्षी संख्या-3 द्वारा परिवादी से न की जावे, इस हेतु यह वाद योजित किया गया है।
जिला आयोग के सम्मुख विपक्षी संख्या-2 ने अपना जवाब व शपथ पत्र प्रस्तुत किया और बाद में वह अनुपस्थित हो गये। विपक्षी संख्या-1 ता 3 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही जिला आयोग द्वारा योजित की गयी।
जिला आयोग के सम्मुख उभयपक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: जिला आयोग द्वारा परिवादी की बहस का अवसर समाप्त करते हुए मामले का निस्तारण गुणदोष के आधार पर किया गया है।
प्रस्तुत प्रकरण में मुख्य विचारणीय बिन्दु यह है कि कामर्शियल वाहन का विपक्षी संख्या-1 द्वारा आर0टी0ओ0 में पंजीकरण न कराकर क्या सेवा में कमी की गयी है।
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जिला आयोग द्वारा परिवादी को दिनांक 20-04-2023 को आदेशित किया गया कि वह वाहन पंजीकरण हेतु जमा की गयी धनराशि की रसीद दाखिल करें, परन्तु परिवादी की ओर से कोई पंजीकरण की रसीद दाखिल नहीं की गयी। पंजीकरण बिना वाहन मालिक के हस्ताक्षर व बिना फार्म भरे नहीं हो सकता है। अत: प्रलेखीय साक्ष्य से यह साबित करने में परिवादी असफल रहा है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 को अपने कामर्शियल वाहन का पंजीकरण आर0टी0ओ0 गाजियाबाद में कराने हेतु धनराशि अदा की है। अत: जिला आयोग ने परिवाद निरस्त कर दिया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार किये बिना विधि विरूद्ध ढंग से निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
पीठ द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्र इस आधार पर प्रस्तुत किया गया है कि विपक्षी मेसर्स टोरक्यू कार्स प्रा0लि0 का उत्तरदायित्व प्रश्नगत वाहन का पंजीकरण कराने का था, किन्तु उभयपक्ष के मध्य ऐसी कोई संविदा
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प्रस्तुत नहीं की गयी है जिससे यह परिलक्षित होता हो, कि विपक्षी संख्या-1 का ऐसा कोई उत्तरदायित्व था।
उभयपक्ष के मध्य वाहन के क्रय/विक्रय की जो संविदा हुई है उसकी कोई प्रतिलिपि पीठ के समक्ष परिशीलन हेतु प्रस्तुत नहीं की गयी है जिसमें इस प्रकार का कोई उल्लेख हो। अपीलार्थी/परिवादी के पास यह भी स्वतंत्रता थी कि वह पीठ के समक्ष ऐसा कोई प्रपत्र प्रस्तुत करता, जिससे यह साबित होता कि पंजीकरण कराने हेतु विपक्षी मेसर्स टोरक्यू कार्स प्रा0लि0 को कोई धनराशि परिवादी द्वारा दी गयी है ऐसी कोई रसीद व अभिलेख अपने साक्ष्य में परिवादी की ओर से प्रस्तुत नहीं किये हैं।
परिवादी द्वारा पत्र दिनांकित 21-09-2015 जो कम्पनी द्वारा आर0टी0ओ0 गाजियाबाद को दिया गया है पर अंकित किया गया है, जिसमें डीलर मेसर्स टोरक्यू कार्स प्रा0लि0 की डीलरशिप इस आधार पर समाप्त किये जाने का वर्णन है जिसमें मेसर्स टोरक्यू कार्स प्रा0लि0 द्वारा वाहनों का पंजीकरण न कराये जाने के आधार पर उसकी यह डीलरशिप समाप्त की गयी, किन्तु इस पत्र से परिवादी को कोई लाभ नहीं मिलता है, क्योंकि पत्र में यह अंकित है कि यह बाध्यता पत्र के साथ दिये गये वाहनों के ऊपर ही लागू होगी और पत्र में निम्न प्रकार से उल्लेख है :-
‘’ Without prejudice to the said cases and without admitting that the said M/s Torque Cars Pvt. Ltd. is currently our dealer, we hereby purely as a measure for customer satisfac- tion so as to enable them to register their vehicles purchased from the said dealer and at the specific request of the Torque Cars private Limited, hereby permit registration of cars through Torque Cars Private Limited. A list of vehicles to which this permission would be applicable is enclosed herewith. It is hereby clarified that this permission is applicable only to the said vehicles and no other vehicle.’’
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उक्त पत्र से स्पष्ट हो जाता है कि पत्र के साथ दी गयी लिस्ट में वर्णित वाहनों के संबंध में यह लागू होगा। परिवादी के वाहन के संबंध में ऐसी कोई संविदा होना साबित नहीं होता है जिससे यह माना जा सके कि विपक्षी का उत्तरदायित्व परिवादी के वाहन का पंजीकरण कराने का रहा है और परिवादी द्वारा इस मद में विपक्षी को कोई धनराशि अदा की गयी है।
अत: समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए यह पीठ इस मत की है कि अपीलार्थी/परिवादी परिवाद पत्र में किये गये कथनों को सिद्ध करने में पूर्णतया असफल रहा है तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है ।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। अपीलार्थी को यह आदेशित किया जाता है कि वह यदि चाहे तो सक्षम न्यायालय में अपना वाद योजित करने हेतु स्वतंत्र होगा।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1