Uttar Pradesh

StateCommission

C/2009/72

Jai Pratap Singh - Complainant(s)

Versus

M/s Tata Motors - Opp.Party(s)

R P Singh, Shri H. K. Srivastava

30 May 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2009/72
( Date of Filing : 01 Oct 2009 )
 
1. Jai Pratap Singh
a
...........Complainant(s)
Versus
1. M/s Tata Motors
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 30 May 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

परिवाद सं0- 72/2009

जय प्रताप सिंह बनाम मै0 टाटा मोटर्स व अन्‍य

दिनांक:- 30.05.2022

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

आदेश

 पत्रावली प्रस्‍तुत हुई।

 परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एच0के0 श्रीवास्‍तव उपस्थित हैं। विपक्षी सं0- 1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित हैं। विपक्षी सं0- 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। आदेश दि0 28.07.2021 में परिवादी द्वारा संशोधन प्रार्थना पत्र जो 09 वर्ष पश्‍चात प्रस्‍तुत किया गया था इस न्‍यायालय द्वारा निरस्‍त किया गया और कार्यवाही को अनावश्‍यक रूप से विलम्बित रखने के लिए 10,000/-रू0 हर्जाना भी लगाया गया। इस हर्जाने को 10 दिन के अन्‍दर जमा करने का आदेश दिया गया था। इस आदेश के होने के लगभग 10 माह पश्‍चात दि0 19.05.2022 को परिवादी को उक्‍त आदेश का अनुपालन 02 दिन के अन्‍दर करने के लिए कहा गया और यह भी आदेश दिया गया कि अगर आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तब परिवाद स्‍वत: निरस्‍त हो जायेगा। परिवादी ने आदेश का अनुपालन न करते हुए दि0 20.05.2022 को एक प्रार्थना पत्र इस न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश दि0 28.07.2021 को वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। प्रार्थना पत्र के बिन्‍दु पर सुनवाई की गई। परिवादी ने यह कहा कि एक तो मेरा संशोधन प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया और मेरे ऊपर जुर्माना भी अधिरोपित किया गया है। इसके अतिरिक्‍त यह भी कहा गया कि विपक्षी ने अपना लिखित कथन          

                                         ………P.T.O.

-2-

प्रस्‍तुत नहीं किया है। जहां तक लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का सम्‍बन्‍ध है उसकी अवधि नोटिस तामील होने के पश्‍चात 30 दिन के अन्‍दर प्रस्‍तुत करने के लिए होता है और यदि इस अवधि को बढ़ाने का प्रार्थना पत्र दिया जाता है तब 15 दिन का अतिरिक्‍त समय दिया जाता है, किन्‍तु उसके पश्‍चात उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अतिरिक्‍त समय नहीं दिया जाता है। मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय के नवीन नये दृष्‍टांत के अंतर्गत लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अधिकतम 30 दिन व उसके पश्‍चात 15 दिन ही है। अगर इस अवधि के दौरान लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया है तब अवसर स्‍वत: ही समाप्‍त समझा जाता है। संशोधन प्रार्थना पत्र 09 वर्ष बाद दिया गया है जो अत्‍यधिक विलम्‍ब से दिया गया है। इसी आधार पर इसे खारिज किया गया है और न्‍यायालय का समय नष्‍ट होने के कारण जुर्माना लगाया गया था। मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा रिट पिटीशन या मामलों में अनावश्‍यक रूप से प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत करने पर जुर्माना अधिरोपित किया जाता है। वह मात्र न्‍यायालय का समय नष्‍ट होने के कारण हुआ था न कि वह दण्‍डात्‍मक है। रिकॉल प्रार्थना पत्र आदेश का अनुपालन न करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है जो स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है। रिकॉल प्रार्थना पत्र दि0 20.05.2022 निरस्‍त किया जाता है और साथ ही साथ आदेश दि0 19.05.2022 का अनुपालन न करने के कारण परिवाद निरस्‍त हो चुका है, अत: परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

 पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाए।

                                           ............P.T.O.

                                  

-3-

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।  

 

 (राजेन्‍द्र सिंह)                      (विकास सक्‍सेना)

         सदस्‍य                             सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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