Uttar Pradesh

StateCommission

CC/248/2016

Gyandra Kumar Singhal - Complainant(s)

Versus

M/S Supertech Ltd - Opp.Party(s)

Vikas Agrwal

04 Nov 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/248/2016
 
1. Gyandra Kumar Singhal
G.B. Nagar
...........Complainant(s)
Versus
1. M/S Supertech Ltd
Meerut
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 04 Nov 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

परिवाद संख्‍या-248/2016

(सुरक्षित)

श्री ज्ञानेन्‍द्र कुमार सिंघल पुत्र स्‍व0 श्री सुरेन्‍द्र कुमार सिंघल निवासी हाल ए-77, शास्‍त्री नगर, जनपद मेरठ (पूर्व निवासी एच-34, पल्‍लवपुरम, फेज-1, जनपद मेरठ)         ....................परिवादी

बनाम

1. सुपरटेक लिमिटेड

  (पूर्व नाम सुपरटेक कन्‍सट्रेक्शन लि0)

  मुख्‍य कार्यालय-सुपर टेक हाऊस

  भवन संख्‍या बी-28-29, सेक्‍टर-58 नोएडा (उ0प्र0)

  द्वारा-श्रीमान मुख्‍य प्रबन्‍धक महोदय/स्‍वामीगण

2. सुपरटेक लिमिटेड,

  (पूर्व नाम सुपरटेक कन्‍सट्रेक्‍शन लि0)

  शाखा-साईड कार्यालय-

  ‘’सुपरटेक पालम ग्रीन’’ स्थित स्‍पोर्टस गुडस काम्‍पलैक्‍स,

  मेजर ध्‍यान चन्‍द पार्क, हापुड़ बाईपास रोड,

  मेरठ दिल्‍ली हाईवे, जनपद मेरठ (उ0प्र0)

  द्वारा-श्रीमान प्रबन्‍धक महोदय/स्‍वामीगण

                                   ...................विपक्षीगण

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित  : श्री विकास अग्रवाल ,                                         

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री इन्‍दर प्रीत सिंह चड्ढा,

                             विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 19-01-2017

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

वर्तमान परिवाद धारा-17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत परिवादी ज्ञानेन्‍द्र कुमार सिंघल की ओर से विपक्षीगण सुपरटेक लिमिटेड मुख्‍य कार्यालय और सुपरटेक लिमिटेड

-2-

शाखा-साइड कार्यालय के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया गया है कि विपक्षी कम्‍पनी सुपरटेक लिमिटेड (पूर्व नाम सुपरटेक कन्‍सट्रेक्‍शन लि0) फ्लैट्स के निर्माण व बिक्री का व्‍यवसाय करती है। उसकी ‘’सुपरटेक पालम ग्रीन’’ स्थित स्‍पोर्ट्स गुड्स काम्‍पलैक्‍स, मेजर ध्‍यान चन्‍द पार्क, हापुड़ बाईपास रोड, मेरठ दिल्‍ली हाईवे, जनपद मेरठ के आकर्षण, प्रचारण व प्रसारण से प्रभावित होकर उसने निजी उपयोग हेतु एक आवासीय फ्लैट नया नम्‍बर डी-2/406 (पुराना नम्‍बर एफ-406) तृतीय फ्लोर पर 1914 वर्ग फीट क्षेत्र का दिनांक 20.09.2006 को बुक कराया। फ्लैट का बेसिक मूल्‍य 12,91,495/-रू0 था और प्रिफरेंसिंग लोकेशन चार्ज 64,575/-रू0 व वन टाइम चार्ज 1,55,000/-रू0 था, जो फ्लैट का वास्‍तविक और पूर्ण विकसित कब्‍जा प्राप्‍त होने पर अदा होना था। परिवादी ने विपक्षी सुपरटेक लिमिटेड को फ्लैट के सम्‍बन्‍ध में जो धनराशि अदा की है, उसका विवरण निम्‍न है:-

क्र0सं0

दिनांक

रसीद सं0

धनराशि

1.

20.09.2006

873

4,66,885.00

2.

14.10.2006

986

44,204.00

3.

26.10.2006

1000

8,45,000.00

 

कुल धनराशि

 

13,56,089.00

 

 

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण ने आश्‍वासन के बाद भी परिवादी को आवंटित फ्लैट पूर्ण रूप     से  विकसित  कर  कब्‍जा  हस्‍तगत   नहीं   किया   और   पत्र        

-3-

दिनांक 19.11.2007 में स्‍वीकार किया कि उनकी उपरोक्‍त योजना पूर्णतया विकसित नहीं है। अत: वे उसे आवंटित फ्लैट का कब्‍जा जुलाई 2008 से पूर्व उपलब्‍ध कराने में असमर्थ है। इसके साथ ही उन्‍होंने पत्र दिनांक 19.11.2007 के द्वारा परिवादी को सूचित किया कि यदि वे जुलाई 2008 तक आवंटित फ्लैट को विकसित कर कब्‍जा उपलब्‍ध नहीं करा पाते हैं तो उनकी कम्‍पनी 4/-रू0 प्रति वर्ग फिट प्रति माह की दर से दण्‍ड स्‍वरूप ब्‍याज परिवादी को अदा करेगी। जुलाई 2008 तक विपक्षीगण परिवादी को आवंटित फ्लैट पूर्ण विकसित कर परिवादी द्वारा बार-बार मांग किए जाने पर भी कब्‍जा नहीं दे सके। अत: आवंटित फ्लैट पूर्ण विकसित कर    कब्‍जा परिवादी को दिया जाना आवश्‍यक है। परिवादी ने         दिनांक 22.05.2012 को विपक्षीगण को नोटिस भेजा, जो उन्‍होंने वापस करा दिया और कोई सुनवाई नहीं किया। अत: विवश होकर परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध वर्तमान परिवाद प्रस्‍तुत किया है और आवंटित फ्लैट का कब्‍जा एवं जमा धनराशि पर ब्‍याज और क्षतिपूर्ति तथा वाद व्‍यय की मांग की है।

विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और कहा गया है कि परिवादी ने गलत कथन के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया है। वास्‍तविकता यह है        कि विपक्षीगण ने पत्र दिनांक 01.05.2010 के द्वारा परिवादी से आवश्‍यक औपचारिकतायें पूरी कर कब्‍जा प्राप्‍त करने हेतु अनुरोध किया और सूचित किया कि फ्लैट कब्‍जे के हस्‍तांतरण के लिए तैयार है, परन्‍तु परिवादी स्‍वयं कब्‍जा लेने नहीं  आया  और  उसने

-4-

अवशेष धनराशि जमा नहीं की। तब विपक्षीगण ने पुन: पत्र  दिनांक 30.11.2010 भेजा, फिर भी परिवादी ने औपचारिकतायें पूरी कर कब्‍जा नहीं प्राप्‍त किया।

लिखित कथन में विपक्षीगण ने यह भी कहा है कि परिवाद कालबाधित है और विपक्षीगण की ओर से सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है।

उभय पक्ष ने अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र संलग्‍नकों के साथ प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम, मेरठ के आदेशानुसार श्री वसीम अहमद, चार्टर्ड आर्किटेक्‍ट ने प्रश्‍नगत फ्लैट का निरीक्षण कर अपनी आख्‍या प्रस्‍तुत की है, जो संलग्‍न पत्रावली है।

उल्‍लेखनीय है कि वर्तमान परिवाद जिला फोरम, मेरठ के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया है और पुनरीक्षण याचिका         संख्‍या-565/2015 ज्ञानेन्‍द्र कुमार सिंघल बनाम मै0 सुपरटेक लिमिटेड में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित आदेश     दिनांक 09.06.2016 के अनुपालन में जिला फोरम, मेरठ से राज्‍य आयोग को अंतरित किया गया है। अत: वर्तमान परिवाद का निस्‍तारण राज्‍य आयोग द्वारा किया जा रहा है।

परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास अग्रवाल और वि‍पक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री इन्‍दर प्रीत सिंह चड्ढा उपस्थित हुए हैं और दोनों ने हमारे समक्ष तर्क प्रस्‍तुत किया है।

 

-5-

     सर्वप्रथम विचारणीय बिन्‍दु यह है कि क्‍या परिवाद कालबाधित है।

     विपक्षीगण का कथन है कि परिवाद पत्र के अनुसार वाद हेतुक अगस्‍त 2008 में उत्‍पन्‍न हुआ है और परिवाद वर्ष 2012 में धारा-24A उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 में नियत समय अवधि के बाद प्रस्‍तुत किया गया है, अत: कालबाधित है। हमने विपक्षीगण की आपत्ति पर विचार किया है। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण ने पत्र दिनांक 19.11.2007 के द्वारा परिवादी को सूचित किया कि जुलाई 2008 तक आवंटित फ्लैट का कब्‍जा न दे पाने पर वे परिवादी को 4/-रू0 प्रति  वर्ग फिट प्रति माह के हिसाब से दण्‍ड स्‍वरूप ब्‍याज देंगे। स्‍वीकृत रूप से परिवादी को फ्लैट का कब्‍जा जुलाई 2008 में नहीं मिला है। अत: विपक्षीगण के पत्र के अनुसार परिवादी अगस्‍त 2008 से दण्‍ड स्‍वरूप उपरोक्‍त दर से ब्‍याज पाने का अधिकारी है, परन्‍तु उसने परिवाद वर्ष 2012 में  12 जून को प्रस्‍तुत किया है और धारा-24A उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार परिवाद प्रस्‍तुत करने की मियाद   दो साल है। अत: दिनांक 13.06.2010 से ही वह उपरोक्‍त दण्‍ड ब्‍याज की मांग वर्तमान परिवाद में कर सकता है। उसके पहले की अवधि के दण्‍ड ब्‍याज के सम्‍बन्‍ध में परिवाद निश्चित रूप से कालबाधित है।

     विपक्षीगण ने परिवादी का आवंटन निरस्‍त नहीं किया है और उपरोक्‍त दण्‍ड ब्‍याज प्रति माह देय है, अत: प्रत्‍येक माह में     एक नया वाद हेतुक उत्‍पन्‍न होता है। अत: यह कहना उचित  नहीं

 

-6-

है कि सम्‍पूर्ण परिवाद कालबाधित है। मात्र 12 जून 2010 के पहले के दण्‍ड ब्‍याज के सम्‍बन्‍ध में ही परिवादी द्वारा याचित उपशम कालबाधित है।

     अब विचारणीय बिन्‍दु यह है कि क्‍या परिवादी आवंटित फ्लैट का कब्‍जा और याचित ब्‍याज एवं क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है?

स्‍वीकृत रूप से प्रश्‍नगत फ्लैट का Basic मूल्‍य+ OTC 15,11,069/-रू0 है, जिसमें 13,56,089/-रू0 का भुगतान परिवादी ने विपक्षीगण को दिनांक 26.10.2006 तक कर दिया है। शेष 1,54,980/-रू0 का भुगतान कब्‍जा हस्‍तांतरण के समय होना है।

     विपक्षीगण के अनुसार फ्लैट पूर्ण रूप से तैयार होने पर उन्‍होंने पत्र दिनांक 01.05.2010 के द्वारा आवश्‍यक औपचारिकतायें पूरी कर कब्‍जा प्राप्‍त करने का अनुरोध परिवादी से किया, परन्‍तु उसने औपचारिकतायें पूरी कर कब्‍जा प्राप्‍त नहीं किया। तब उन्‍होंने उसे पत्र दिनांक 30.11.2010 भेजा कि वह फ्लैट का कब्‍जा ले और यदि वह कब्‍जा नहीं लेता है तो उस पर पांच रूपया प्रति वर्ग फिट की दर से with holding charge लगाया जायेगा। फिर भी उसने कब्‍जा प्राप्‍त नहीं किया है।

     परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण द्वारा कथित उपरोक्‍त पत्र दिनांक 01.05.2010 एवं 30.11.2010 उसे प्राप्‍त नहीं हुए हैं। विपक्षीगण ने यह नहीं बताया है कि यह दोनों पत्र परिवादी को कैसे भेजे गये हैं। उन्‍होंने यह पत्र परिवादी को भेजने व उस पर तामील होने का कोई साक्ष्‍य या प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: यह पत्र परिवादी को प्राप्‍त होना प्रमाणित नहीं  है।  परिवादी

 

-7-

द्वारा पूरी कीमत अदा करने के बाद फ्लैट तैयार होने पर उसके द्वारा कब्‍जा प्राप्‍त न किये जाने की बात बिल्‍कुल विश्‍वसनीय नहीं है।

     विपक्षीगण ने मई 2010 में फ्लैट तैयार होने का कोई Completion Certificate प्रस्‍तुत नहीं किया है।

     परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत आवंटित फ्लैट के फोटोग्राफ एवं चार्टर्ड आर्किटेक्‍ट की आख्‍या से स्‍पष्‍ट है कि फ्लैट पूर्ण रूप से तैयार नहीं है। अत: पत्र दिनांक 01.05.2010 एवं 30.11.2010 के द्वारा परिवादी को सूचित किया जाना कि फ्लैट कब्‍जा लेने हेतु तैयार है, बिल्‍कुल सत्‍यता से परे है। समस्‍त साक्ष्‍यों एवं अभिलेखों पर विचार करने के बाद हम इस मत के हैं कि विपक्षीगण ने फ्लैट को पूर्ण रूप से निर्मित एवं विकसित कर कब्‍जा हस्‍तांतरण योग्‍य नहीं बनाया है, जिससे परिवादी फ्लैट के कब्‍जा से निर्धारित अवधि के बाद भी वंचित रहा है। अत: स्‍पष्‍ट है कि विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है और अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनाई है।

     बहस के दौरान विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवादी का Account Statement दिखाते हुए तर्क किया है कि परिवादी के जिम्‍मा अवशेष धनराशि दिनांक 15.02.2014 को    11,73,049/-रू0 है, जिसे उसने अदा नहीं किया है। अत: वह फ्लैट का कब्‍जा पाने का अधिकारी नहीं है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी के जिम्‍मा कथित बकाया में ब्‍याज, with holding charge, वाटर कनेक्‍शन एवं बिजली कनेक्‍शन चार्ज व सर्विस टेक्‍स आदि शामिल है।

-8-

     हमने विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है। उपरोक्‍त विवरण से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी के जिम्‍मा आवंटित फ्लैट के तयशुदा मूल्‍य में मात्र 1,54,980/-रू0 अवशेष है, जिसका भुगतान कब्‍जा हस्‍तांतरण के समय होना है। उपरोक्‍त निष्‍कर्ष से स्‍पष्‍ट है कि विपक्षीगण ने फ्लैट निर्मित कर कब्‍जा हस्‍तांतरण योग्‍य नहीं बनाया है। अत: 1,54,980/-रू0 के भुगतान का अवसर नहीं आया है। अत: इस धनराशि पर ब्‍याज की गणना नहीं की जा सकती है।

     विपक्षीगण ने जो बकाया परिवादी के जिम्‍मा बताया है, उसमें अवशेष धनराशि 1,54,980/-रू0 पर ब्‍याज एवं उपरोक्‍त पत्र  दिनांक 30.11.2010 के अनुसार 5/-रू0 प्रति वर्ग फिट के हिसाब से with holding charge की धनराशि शामिल है।        दिनांक 01.05.2010 को फ्लैट कब्‍जा हस्‍तांतरण हेतु तैयार होना व पत्र दिनांक 01.05.2010 एवं पत्र दिनांक 30.11.2010 विपक्षीगण द्वारा परिवादी को दिया‍ जाना प्रमाणित नहीं है। अत: पत्र   दिनांक 30.11.2010 के अनुसार विपक्षीगण द्वारा जोड़ा गया with holding charge अनुचित है।

     उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादी को मात्र 1,54,980/-रू0 फ्लैट पर कब्‍जा पाने के समय देना है और विपक्षीगण ने उसका जो Account Statement बनाया है वह गलत है।

     परिवादी विपक्षीगण के पत्र दिनांक 19.11.2007 के अनुसार फ्लैट का कब्‍जा न पाने पर 4/-रू0 प्रति वर्ग फिट प्रति  मास  की

-9-

दर से दण्‍ड ब्‍याज उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर 13 जून 2010 से पाने का अधिकारी है। इसके साथ ही परिवादी पूर्ण रूप से निर्मित एवं वि‍कसित फ्लैट का कब्‍जा भी पाने का अधिकारी है। परिवादी को देय उपरोक्‍त दण्‍ड ब्‍याज के आधार पर हम इस मत के हैं कि उसे परिवाद पत्र की उपशम में याचित दर से ब्‍याज दिया जाना उचित नहीं है।

     हमारी राय में यह उचित होगा कि परिवादी को देय उपरोक्‍त दण्‍ड ब्‍याज की धनराशि का समायोजन उसके द्वारा देय अवशेष धनराशि 1,54,980/-रू0 में करके फ्लैट का निर्माण पूर्ण कर विपक्षीगण परिवादी को कब्‍जा दें एवं दण्‍ड ब्‍याज की अवशेष धनराशि का उसे भुगतान करें तथा परिवादी के हक में रजिस्‍ट्री बैनामा नियमानुसार निष्‍पादित करें। रजिस्‍ट्री बैनामा का व्‍यय नियमानुसार परिवादी द्वारा वहन किया जाना उचित है।

     विद्युत कनेक्‍शन चार्ज एवं वाटर कनेक्‍शन चार्ज परिवादी द्वारा वहन किया जाना न्‍याय संगत है।

     यदि कोई सर्विस टैक्‍स बनता है तो उसके भुगतान की जिम्‍मेदारी उक्‍त अधिनियम के अनुसार होगी।

     परिवादी को जमा धनराशि पर दण्‍ड ब्‍याज दिया जा रहा है। अत: और कोई क्षतिपूर्ति दिये जाने की आवश्‍यकता नहीं है।

     अत: उपरोक्‍त निष्‍कर्षों के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण कर आवंटन पत्र के अनुसार परिवादी को आवंटित फ्लैट का कब्‍जा आज से तीन मास के अन्‍दर

-10-

हस्‍तगत करें तथा रजिस्‍ट्री बैनामा निष्‍पादित करें। रजिस्‍ट्री बैनामा का व्‍यय परिवादी द्वारा नियमानुसार वहन किया जायेगा।

     विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को दिनांक 13.06.2010 से कब्‍जा हस्‍तांतरण तक आवंटित फ्लैट के क्षेत्रफल 1914 वर्ग फिट पर 4/-रू0 प्रति वर्ग फिट मासिक की दर से दण्‍ड ब्‍याज अदा करें। परिवादी को देय दण्‍ड ब्‍याज की धनराशि का समायोजन परिवादी के जिम्‍मा अवशेष धनराशि 1,54,980/-रू0 में करके दण्‍ड ब्‍याज की अवशेष धनराशि विपक्षीगण परिवादी को अदा करेंगे।

     वाटर कनेक्‍शन व बिजली कनेक्‍शन चार्ज परिवादी द्वारा देय होगा।

     विपक्षीगण परिवादी को वाद व्‍यय के रूप में 10,000/-रू0 और अदा करेंगे।

      

 

     (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)      (जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा)    

         अध्‍यक्ष                         सदस्‍य                   

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1             

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.