Uttar Pradesh

StateCommission

C/2013/85

Kuldeep Kumar - Complainant(s)

Versus

M/s Supertech Ltd. - Opp.Party(s)

Surendra Pal Singh

12 Mar 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2013/85
( Date of Filing : 06 Jun 2013 )
 
1. Kuldeep Kumar
a
...........Complainant(s)
Versus
1. M/s Supertech Ltd.
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 12 Mar 2019
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

परिवाद संख्‍या-85/2013

 

1. श्री कुलदीप कुमार पुत्र महादेव प्रसाद।

2. श्रीमती मीना कुमार (कौशल) पत्‍नी श्री कुलदीप कुमार, निवासीगण 13/169, इन्दिरा नगर, लखनऊ।

                             परिवादीगण

बनाम्     

1. मेसर्स सूपरटेक लिमिटेड, रजिस्‍टर्ड आफिस 1114, 11th फ्लोर हेमकुण्‍ट चैम्‍बर, 89, नेहरू प्‍लेस, नई दिल्‍ली।

2. मेसर्स सूपरटेक लिमिटेड, सूपरटेक हाउस, बी-28-29, सेक्‍टर 58, नोयडा, गौतम बुद्ध नगर, 201307, द्वारा मैनेजर।

                                  विपक्षीगण

समक्ष:-

1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

परिवादीगण की ओर से   : श्री सुरेन्‍द्र पाल सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण की ओर से    : श्री आलोक रंजन, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 08.04.2019

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत परिवाद, परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा प्राप्‍त करने एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित‍ किया है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी के कथनानुसार परिवादीगण पति-पत्‍नी हैं, उन्‍होंने सी-8 टावर इको विलेज 2 जीएच-01, सेक्‍टर 16 बी, ग्रेटर नोयडा 1010 वर्गफिट का बुक कराया था। विपक्षीगण की मांग के अनुसार परिवादीगण ने बुकिंग प्रार्थना पत्र के साथ चेक दिनांकित 07.07.2010 रू0 1,77,255/- बुकिंग धनराशि प्रेषित किया था। यह धनराशि फ्लैट के कुल बेसिक मूल्‍य का 10 प्रतिशत थी। इस फ्लैट का बेसिक विक्रय मूल्‍य रू0 17,72,552/- निर्धारित था। बुकिंग धनराशि प्राप्‍त करने के उपरान्‍त विपक्षीगण द्वारा उपरोक्‍त सम्‍पत्ति आवंटित करते हुए आवंटन पत्र दिनांकित 10.02.2011 जारी किया गया। विपक्षीगण द्वारा प्राप्‍त कराये गये भुगतान विवरण के अनुसार परिवादीगण को प्रश्‍नगत फ्लैट के मूल्‍य के 40 प्रतिशत का भुगतान करना था, जिसके लिए मेसर्स सूपरटेक के बैंकिंग सर्विस डिवीजन में कार्यरत श्री पवन मलिक परिवादीगण के सम्‍पर्क में थे। परिवादीगण ने वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त करने हेतु आवेदन की समस्‍त औपचारिकताएं पूर्ण की तथा आवेदन एलआईसी हाउसिंग फाइनेन्‍स लि0, आसिफ अली रोड, नई दिल्‍ली को मेसर्स सूपरटेक के बैंकिंग सर्विस डिवीजन के माध्‍यम से भेजा गया। विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को आश्‍वस्‍त किया गया कि परिवादीगण सीधे एलआईसी हाउसिंग फाइनेन्‍स लि0 से किस्‍ते प्राप्‍त कर लेंगे तथा उसे पीनल ब्‍याज देय नही होगा। दिनांक 07.12.2010 को विपक्षीगण ने बकाया का एक मांग पत्र भेजा, इस प्रार्थना पत्र में बुकिंग धनराशि में बकाये का कोई उल्‍लेख नहीं किया गया। विपक्षीगण ने बुकिंग फार्म में उल्लिखित शर्तों में परिवर्तन किया जैसे पेज नं0-2 में कार पार्किंग के स्‍थान पर फ्री स्‍कूटर पार्किंग जोड़ा गया। इस प्रकार पूर्व जारी किया गया आवंटन पत्र अधूरा था। वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त करने हेतु आवंटन पत्र प्राप्‍त करना आवश्‍यक था। परिवादीगण निरन्‍तर विपक्षीगण के बैंकिंग डिवीजन से ऋण स्‍वीकृति के लिए अनुरोध करते रहे, इसी मध्‍य किसानों का भू-अर्जन के विरूद्ध प्रदर्शन प्रारम्‍भ हो गया। मामला मा0 उच्‍च न्‍यायालय तक अंतत: मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय तक गया, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी तथा आवंटियों के मध्‍य दहशत उत्‍पन्‍न हो गयी। विपक्षीगण ने अपने ई-मेल दिनांकित 21.05.2011 द्वारा परिवादीगण को आश्‍वस्‍त किया कि उनके द्वारा किया गया निवेश पूर्णत: सुरक्षित है, क्‍योंकि उनके निर्माण गांव शाहबनी में नहीं हो रहे हैं और भूमि उनके स्‍वामित्‍व की है। परिवादीगण निरन्‍तर वित्‍तीय सहायता स्‍वीकृति हेतु विपक्षीगण के अधिकृत व्‍यक्तियों से प्रयास करते रहे। दिनांक 14.06.2011 को श्री अमित गिरी द्वारा सूचित किया गया कि मा0 उच्‍च न्‍यायालय के आदेशानुसार ऋण स्‍वीकृति स्‍थगित की गयी है। तदोपरान्‍त परिवादीगण ने विपक्षीगण से किसी अन्‍य प्रोजेक्‍ट में अपना आवंटन स्‍थानान्‍तरित करने हेतु प्रार्थना की। विपक्षीगण के कर्मचारियों द्वारा परिवादीगण को कोई चिन्‍ता न करने का आश्‍वासन दिया जाता रहा। जमीन की स्थिति साफ होने के उपरान्‍त नोयडा की सम्‍पत्ति के मूल्‍य में वृद्धि हो गयी, अत: विपक्षीगण ने किसी न किसी बहाने उपभोक्‍ताओं को परेशान करना प्रारम्‍भ कर दिया। विपक्षीगण ने परिवादीगण का आवंटन, दिनांकित 15.02.2012 को, मनमाने ढंग से इस आधार पर निरस्‍त कर दिया कि परिवादीगण द्वारा बुकिंग की पूरी धनराशि जमा नहीं की गयी है। परिवादीगण द्वारा कन्‍ज्‍यूमर ग्रिवान्‍शेस रेड्रेसल फोरम में शिकायत करने पर विपक्षीगण ने बीसवीं मंजिल पर फ्लैट उपलब्‍ध कराने का प्रस्‍ताव दिया, किन्‍तु दसवीं मंजिल से नीचे फ्लैट उपलब्‍ध कराने के लिए सहमत नहीं हुए। विपक्षीगण के बुकिंग के नवीनीकरण के आश्‍वासन पर परिवादीगण ने बुकिंग निरस्‍त करने के उपरान्‍त विपक्षीगण द्वारा भेजा गया चेक वापस कर दिया तथा एक नया चेक फ्लैट के मूल्‍य का 30 प्रतिशत, छ: लाख रूपये का, प्रेषित किया एवं बुकिंग के नवीनीकरण हेतु अपने पत्र दिनांकित 29.12.2012 द्वारा प्रार्थना की गयी तथा इस सन्‍दर्भ में ई-मेल दिनांकित 31.12.2012 द्वारा अनुस्‍मारक भी प्रेषित किये गये, किन्‍तु विपक्षीगण द्वारा कोई ध्‍यान नहीं दिया गया। नोयडा में सम्‍पत्ति के मूल्‍य में वृद्धि हो जाने के कारण विपक्षीगण द्वारा अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाते हुए मनमाने ढंग से परिवादीगण की बुकिंग निरस्‍त की गयी। अत: परिवाद, परिवादीगण द्वारा योजित किया गया।

विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया। विपक्षीगण के कथनानुसार विपक्षीगण ने आवंटन पत्र दिनांकित 10.02.2011 में उल्लिखित शर्तों का उल्‍लंघन नहीं किया। परिवादीगण का आवंटन दिनांक 10.02.2011 दिनांकित 15.02.2012 को निरस्‍त किया जा चुका है और जिसकी सूचना परिवादीगण को भेजी जा चुकी है एवं रू0 1,77,255/- परिवादीगण द्वारा जमा की गयी धनराशि का चेक भी उसे वापस किया गया, जिसका भुगतान परिवादीगण द्वारा प्राप्‍त नहीं किया गया। आवंटन निरस्‍त किये जाने के कारण परिवादीगण उपभोक्‍ता नहीं रह गये हैं। अत: उपभोक्‍ता वाद पोषणीय नहीं माना जा सकता है। विपक्षीगण के कथनानुसार प्रश्‍नगत फ्लैट का अनुमानित बेसिक मूल्‍य रू0 17,72,552/- था तथा अनुमानित पूर्ण मूल्‍य रू0 20,07,581/- था। परिवादीगण को यह स्‍पष्‍ट किया गया था कि परिवादीगण को बुकिंग के समय पूर्ण मूल्‍य का 10 प्रतिशत रू0 2,00,758/- बुकिंग के समय भुगतान करना होगा, किन्‍तु आश्‍चर्यजनक रूप से परिवादीगण द्वारा मात्र रू0 1,77,255/- का भुगतान किया गया तथा शेष धनराशि के भुगतान हेतु 10 दिन के समय की प्रार्थना की गयी। विपक्षीगण इस पर सहमत हो गये तथा यह स्‍पष्‍ट किया गया कि 10 दिन के अन्‍दर पूर्ण बुकिंग धनराशि का भुगतान न किये जाने पर बुकिंग निरस्‍त कर दी जायेगी, किन्‍तु परिवादीगण द्वारा बकाया धनराशि निर्धारित 10 दिन के अन्‍दर तथा उसके बाद भी जमा नहीं की गयी। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि परिवादीगण ने प्रश्‍नगत फ्लैट में निवेश व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु किया है, अत: परिवादीगण उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं माने जा सकते हैं। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि ऋण की धनराशि की व्‍यवस्‍था न हो पाने के लिए इकरार नामे की शर्तों के अनुसार विपक्षीगण उत्‍तरदायी नहीं माना जा सकता है। विपक्षीगण द्वारा कोई अनुचित व्‍यापार प्रथा नहीं कारित की गयी है, बल्कि इकरार नामे की शर्तों के अनुसार परिवादीगण द्वारा इकरार नामे की शर्तों का अनुपालन न किये जाने के कारण प्रश्‍नगत आवंटन निरस्‍त किया गया है। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि प्रश्‍नगत फ्लैट का आवंटन निरस्‍त किये जाने के उपरान्‍त यह फ्लैट श्री सुरेन्‍द्र प्रकाश नैय्यर एवं मिस गितिका नैय्यर को आवंटित किया जा चुका है। अत: परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

परिवाद के अभिकथनों के समर्थन में परिवादी, श्री कुलदीप कुमार द्वारा अपना शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा परिवाद के साथ अभिलेखीय साक्ष्‍य के रूप में 11 संलग्‍नक दाखिल किये गये।

विपक्षीगण की ओर से साक्ष्‍य के रूप में सीनियर लीगल आफिसर श्री अरविन्‍द कुमार का शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा अभिलेखीय साक्ष्‍य के रूप में 3 संलग्‍नक प्रस्‍तुत किये गये।

हमने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुरेन्‍द्र पाल सिंह तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक रंजन के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादीगण के पक्ष में विपक्षीगण की मांग के अनुसार प्रश्‍नगत फ्लैट के बेसिक मूल्‍य का 10 प्रतिशत रू0 1,77,255/- विपक्षीगण ने प्राप्‍त करके प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति का आवंटन परिवादीगण के पक्ष में अपने पत्र दिनांकित 10.02.2011 द्वारा किया। परिवादीगण ने विपक्षीगण द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का निर्धारित बेसिक मूल्‍य रू0 17,72,552/- का 10 प्रतिशत रू0 1,77,255/- का चेक दिनांकित 07.07.2010 द्वारा भुगतान किया और इस भुगतान की प्राप्ति विपक्षीगण ने अपने प्राप्ति पत्र दिनांकित 10.08.2010 द्वारा स्‍वीकार की। विपक्षीगण द्वारा भुगतान के सन्‍दर्भ में उपलब्‍ध कराये गये विवरण के अनुसार परिवादीगण को प्रश्‍नगत फ्लैट की 40 प्रतिशत धनराशि जमा करनी थी, जिसकी व्‍यवस्‍था करने हेतु परिवादीगण विपक्षीगण के बैंकिंग सर्विस डिवीजन के निरन्‍तर सम्‍पर्क में रहे तथा परिवादीगण द्वारा एलआईसी हाउसिंग फाइनेन्‍स लि0 से वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त करने हेतु आवेदन पत्र प्रस्‍तुत किया गया। परिवादीगण तथा विपक्षीगण के बैंकिंग सर्विस डिवीजन के कर्मचारियों के मध्‍य इस सन्‍दर्भ में निरन्‍तर पत्राचार होते रहे। इसी मध्‍य भू-अर्जन से संबंधित विवाद मा0 उच्‍च न्‍यायालय, इलाहाबाद एवं मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय में लम्‍िबत हुआ, जिससे भ्रम की स्थिति उत्‍पन्‍न हो गयी। विपक्षीगण द्वारा यह आश्‍वस्‍त किया गया कि प्रश्‍नगत फ्लैट से संबंधित भूमि का विवाद नहीं है। लगभग एक वर्ष से अधिक समय व्‍यतीत हो जाने के उपरान्‍त भूमि के मूल्‍य में व‍ृद्धि हो गयी, अत: विपक्षीगण उपभोक्‍ता को अकारण परेशान करने लगे तथा परिवादीगण का आवंटन असत्‍य कथनों के आधार पर पत्र दिनांकित 15.02.2012 द्वारा इस बहाने से निरस्‍त कर दिया गया कि परिवादीगण ने पूरी बुकिंग अमाण्‍ट की अदायगी नहीं की है।

विपक्षीगण की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में परिवादीगण को आवंटन पत्र दिनांकित 10.02.2011 जारी किया गया। इस अभिलेख पर पक्षकारों की ओर से हस्‍ताक्षर किये गये। अत: इस आवंटन पत्र में उल्लिखित शर्तों से उभय पक्ष बाध्‍य हैं। इसी आवंटन पत्र में यह स्‍पष्‍ट रूप से दर्शित है कि बुकिंग के समय परिवादीगण को प्रश्‍नगत फ्लैट के मूल्‍य का 10 प्रतिशत जमा करना है। प्रश्‍नगत फ्लैट का मूल्‍य रू0 20,07,581/- निर्धारित किया गया था। इस प्रकार परिवादीगण को बुकिंग की तिथि दिनांक 07.07.2010 को रू0 2,00,758/- जमा करना था, किन्‍तु परिवादीगण द्वारा बुकिंग की पूर्ण धनराशि मांगे जाने के बावजूद भी जमा नहीं की गयी। मात्र आंशिक भुगतान रू0 1,77,252/- का किया गया। शेष धनराशि 10 दिन के अन्‍दर जमा किये जाने का आश्‍वासन देने के बावजूद परिवादीगण द्वारा बुकिंग की शेष धनराशि जमा नहीं की गयी। अत: परिवादीगण का आवंटन विपक्षीगण ने पत्र दिनांकित 15.02.2012 द्वारा निरस्‍त कर दिया। परिवादीगण के पक्ष में प्रश्‍नगत फ्लैट का आवंटन निरस्‍त हो जाने के बाद परिवादीगण विपक्षीगण के उपभोक्‍ता नहीं रह गये। ऐसी परिस्‍थति में परिवादीगण के उपभोक्‍ता न होने के कारण परिवाद उपभोक्‍ता मंच में पोषणीय नहीं है।

इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि यह तथ्‍य निर्विवाद है कि विपक्षीगण द्वारा जारी किये गये पत्र दिनांकित 15.02.2012 द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का आवंटन विपक्षीगण द्वारा निरस्‍त किया जा चुका है। इस निरस्‍तीकरण को परिवादीगण ने अवैध बताया है।

अब महत्‍वूपर्ण प्रश्‍न यह है कि‍ क्‍या विपक्षीगण द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट के आवंटन का निरस्‍तीकरण वैध है अथवा नहीं ? आवंटन निरस्‍तीकरण के अवैध न पाये जाने की स्थिति में मात्र इस आधार पर कि विपक्षीगण द्वारा आवंटन निरस्‍त कर दिया गया है, परिवादीगण उपभोक्‍ता होना अस्‍वीकार नहीं किया जा सकता।

परिवादीगण ने इस सन्‍दर्भ में परिवाद के साथ संलग्‍नक-1 के रूप में प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति की बुकिंग हेतु प्रस्‍तुत फार्म की फोटाप्रति दाखिल की है, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रश्‍नगत फ्लैट की बेसिक सेल प्राइस रू0 1,755/- प्रति वर्ग फुट बतायी गयी तथा प्रश्‍नगत फ्लैट का क्षेत्रफल 1010 वर्गफुट बताया गया। इस प्रकार प्रश्‍नगत फ्लैट की बेसिक प्राइस का 10 प्रतिशत रू0 1,77,255/- का भुगतान परिवादीगण द्वारा किया गया। इस भुगतान की प्राप्ति के सन्‍दर्भ में विपक्षीगण द्वारा जारी किये गये एक्‍नॉलेजमेंट की फोटोप्रति परिवाद के साथ संलग्‍नक-2 के रूप में दाखिल की है, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि इस धनराशि की प्राप्ति विपक्षीगण ने एक्‍नॉलेजमेंट पत्र दिनांकित 14.08.2010 द्वारा स्‍वीकार की। परिवादीगण ने प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति के सन्‍दर्भ में विपक्षीगण द्वारा जारी किये गये आवंटन पत्र दिनांकित 10.02.2011 की फोटोप्रति भी संलग्‍नक-3 के रूप में दाखिल की है। परिवादीगण ने अपने शपथपत्र दिनांकित 04.10.2016 के साथ विपक्षीगण जारी किये गये पत्र दिनांकित 07.12.2010 की फोटोप्रति भी दाखलि की है। बुकिंग हेतु परिवादीगण द्वारा धनराशि निर्विवाद रूप से चेक दिनांकित 07.07.2010 द्वारा भुगतान की गयी। विपक्षीगण द्वारा जारी किये गये मांग पत्र दिनांकित 07.07.2010 में विपक्षीगण द्वारा यह उल्लिखित नहीं किया गया है कि परिवादीगण द्वारा पूर्ण बुकिंग धनराश‍ि जमा नहीं की गयी है। बुकिंग धनराशि कथित रूप से पूर्ण जमा न किये जाने के सन्‍दर्भ में कोई आपत्‍ति‍ विपक्षीगण द्वारा नहीं की गयी। आवंटन पत्र फरवरी 2011 में जारी किया गया। आवंटन पत्र जारी किये जाने के पूर्व भी विपक्षीगण द्वारा बुकिंग धनराशि के पूर्ण जमा न होने के सन्‍दर्भ में कोई आपत्‍ति‍ विपक्षीगण द्वारा नहीं की गयी। बुकिंग धनराशि पूर्ण जमा न किये जाने के सन्‍दर्भ में आवंटन निरस्‍तीकरण से संबंधित पत्र दिनांकित 15.02.2012 जारी किया गया, इससे पूर्व परिवादीगण को आवंटन धनराशि पूर्ण जमा न किये जाने के सन्‍दर्भ में कोई मांग पत्र अथवा आपत्‍ति‍ परिवादीगण को प्रेषित किये जाने संबंधी कोई साक्ष्‍य विपक्षीगण द्वारा प्रस्‍तुत नहीं की गयी। ऐसी परिस्थिति में विपक्षीगण का यह कथन स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है कि परिवादीगण द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में पूर्ण बुकिंग धनराशि जमा नहीं की गयी। पूर्ण बुकिंग धनराशि कथित रूप से जमा न किये जाने के आधार पर प्रश्‍नगत फ्लैट के आवंटन का निरस्‍तीकरण वैध नहीं माना जा सकता है। अत: इस निरस्‍तीकरण पत्र के आधार पर प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति के सन्‍दर्भ में परिवादीगण का उपभोक्‍ता होना अस्‍वीकार नहीं किया जा सकता है।

उल्‍लेखनीय है कि मात्र बुकिंग धनराशि जमा किये जाने के आधार पर परिवादीगण को प्रश्‍नगत फ्लैट दिलाये जाने का अनुतोष स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है। यह तथ्‍य भी महत्‍वपूर्ण होगा कि क्‍या परिवादीगण द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में जारी किये गये आवंटन पत्र की शर्तों का अनुपालन किया गया अथवा नहीं ? आवंटन पत्र में उल्लिखित शर्तों के अनुसार परिवादीगण द्वारा बुकिंग की तिथि से 60 दिन के अन्‍दर फ्लैट के मूल्‍य का 40 प्रतिशत जमा किया जाना था। निर्विवाद रूप से यह धनराशि परिवादीगण द्वारा जमा नहीं की गयी है। परिवादीगण का यह कथन है कि परिवादीगण ने इस धनराशि की अदायगी हेतु विपक्षीगण के बैकिंग सर्विस डिवीजन में सम्‍पर्क किया तथा विपक्षीगण के बैंकिंग सर्विस डिवीजन के कर्मचारियों के माध्‍यम से एलआईसी हाउसिंग फाइनेन्‍स लि0 में वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त कराये जाने हेतु आवेदन पत्र प्रस्‍तुत किया। परिवादीगण ने इस सन्‍दर्भ में परिवादीगण एवं विपक्षीगण के बैकिंग सर्विस डिवीजन के मध्‍य ई-मेल के माध्‍यम से पत्राचार की फोटोप्रति दाखिल की गयी, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि इस सन्‍दर्भ में परिवादीगण एवं विपक्षीगण के बैंकिंग सर्विस डिवीजन के मध्‍य पत्राचार हुए।

विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षीगण परिवादीगण को वित्‍तीय‍ सहायता उपलब्‍ध न हो पाने के लिए उत्‍तरदायी नहीं माने जायेंगे। इस सन्‍दर्भ में उन्‍होंने हमारा ध्‍यान प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति के सन्‍दर्भ में जारी किये गये आवंटन पत्र की धारा-4 की ओर आकृष्‍ट कराया, जिसमें स्‍पष्‍ट रूप से वर्णित है कि वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त न हो पाने के लिए विपक्षीगण उत्‍तरदायी नहीं होंगे। अत: इकरारनामे की शर्तों के अनुसार अपेक्षित धनराशि की अदायगी का दायित्‍व स्‍वंय परिवादीगण का था। परिवादीगण द्वारा निर्विवाद रूप से यह धनराशि जमा नहीं की गयी। निर्विवाद रूप से प्रश्‍नगत प्रकरण के सन्‍दर्भ में परिवादीगण द्वारा मात्र रू0 1,77,252/- बुकिंग धनराशि जमा की गयी, किन्‍तु आवंटन पत्र में दर्शित शेष धनराशि की अदायगी परिवादीगण द्वारा निर्धारित अवधि में नहीं की गयी। इस धनराशि की अदायगी में परिवादीगण द्वारा चूक की गयी, अत: प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति का कब्‍जा परिवादीगण को दिलाये जाने का अनुतोष परिवादीगण को प्राप्‍त नहीं कराया जा सकता है, किन्‍तु मामलें की परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से परिवादीगण द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट के बुकिंग हेतु जमा की गयी रू0 1,77,252/- की धनराशि परिवादीगण को ब्‍याज सहित दिलाया जाना उपर्युक्‍त होगा। मामलों के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आलोक में जमा की गयी इस धनराशि पर जमा की तिथि से सम्‍पूर्ण अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। तदनुसर प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

 

प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण द्वारा जमा की गयी बुकिंग धनराशि रू0 1,77,252/- निर्णय की प्रति प्राप्ति की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर परिवादीगण को प्राप्‍त कराये। इस धनराशि पर परिवादीगण बुकिंग धनराशि जमा किये जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज प्राप्‍त करने के भी अधिकारी होंगे।

विपक्षीगण को यह भी निर्देशित किया जाता है कि परिवादीगण कोक निर्धारित अवधि में रू0 10,000/- वाद व्‍यय के रूप में भी भुगतान करें।

पक्षकारान को इस निर्णय एवं आदेश की सत्‍यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

 

 

   (उदय शंकर अवस्‍थी)                         (गोवर्द्धन यादव)

      पीठासीन सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

                                      

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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