Final Order / Judgement | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षी से उसे दिनांक 14/2/2008 को ए0टी0एम0 के माध्यम से निकाले गऐ 16,028/-रूपये की धनराशि, दिनांक 12/1/2009 को उसके खाते से निकाली गई 18,075/- रूपये की धनराशि तथा ए0टी0एम0 फीस के रूप में दिनांक 17/3/2011 को काटी गई 50/- की धनराशि 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलाई जाय। क्षतिपूर्ति की मद में 50,000/-रूपया और परिवाद व्यय की मद में 10,000/-रूपया परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार है कि वर्ष 2007 में विपक्षी की शाखा में परिवादी ने एक बचत खाता सं0-30234887730 खोला था। परिवादी ने खाते के संचालन हेतु ए0टी0एम0 कार्ड की सुविधा हेतु भी फार्म भरा था, किन्तु परिवादी को ए0टी0एम0 कार्ड विपक्षी द्वारा आज तक नहीं दिया गया और न ही प्रेषित किया गया। बचत खाता परिवादी ने इसलिए खोला था कि उसने विपक्षी की शाखा से 10,56,000/-रूपया का गृह ऋण लिया था जिसका भुगतान उसे 10,581/- रूपया की मासिक किश्तों में करना था। यह किश्तें परिवादी के बचत खाते से बैंक द्वारा प्रतिमाह काटी जानी थी। दिनांक 23/2/2008 को विपक्षी के कर्मचारी ने परिवादी को टेलीफोन पर बताया कि उसके खाते में पर्याप्त राशि न होने की वजह से उसके ऋण की मासिक किश्त जमा नहीं हुई। परिवादी उस समय उधमपुर में कार्यरत था। परिवादी के अनुसार उस समय उसके खाते में पर्याप्त धनराशि थी। विपक्षी के कर्मचारी ने परिवादी को यह भी बताया कि ए0टी0एम0 कार्ड के माध्यम से दिनांक 14/2/2008 को चार बार ट्रांजंक्शन करके 16,028/-रूपया निकाल लिऐ हैं। परिवादी का कथन है कि विपक्षी ने उसे अभी तक ए0टी0एम0 कार्ड उपलब्ध नहीं गया अत: उसके द्वारा ए0टी0एम0 से पैसा निकालने का कोई प्रश्न नहीं था। फ्राड करके ए0टी0एम0 से पैसा निकाल लिऐ जाने की उसने विपक्षी से शिकायत की और ए0टी0एम0 से निकाले गऐ पैसे खाते में वापिस करने का अनुरोध किया, किन्तु विपक्षी ने कोई सुनवाई नहीं की। इसके विपरीत दिनांक 12/1/2009 को उसके खाते से विपक्षी ने 18075/-रूपया निकाल लिये इसकी भी शिकायत विपक्षी से परिवादी द्वारा अनेकों बार की गई जिस पर परिवादी को लगातार यह कहा गया कि जांच की जा रही है शीघ्र ही उसका पैसा वापिस कर दिया जायेगा। परिवादी का पैसा वापिस नहीं किया गया बल्कि दिनांक 13/3/2010 को ए0टी0एम0 कार्ड के वार्षिक शुल्क के रूप में विपक्षी ने उसके खाते से 50/- रूपया काट लिये। इसकी भी परिवादी ने शिकायत की जिस पर यह 50/-रूपया परिवादी के खाते में वापिस कर दिऐ गऐ। परिवादी का कथन है कि उसने बैंक के उच्च अधिकारियों को कई बार शिकायती पत्र भेजे, किन्तु परिवादी की शिकायत का समाधान नहीं किया गया। उसने आर0टी0आई0 में विपक्षी से सूचनायें मांगी, किन्तु उसे आधी-अधूरी सूचना उपलब्ध कराई गई। परिवादी ने यह कहते हुऐ कि विपक्षी के कृत्य सेवा में कमी हैं, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादी ने परिवाद के साथ अपने बचत खाते की बैंक पासबुक, विपक्षी को भेजे गऐ पत्र दिनांक 03/3/2008, विपक्षी के रीजनल मैनेजर को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 22/2/2011, विपक्षी के रीजनल मैनेजर की ओर से प्राप्त उत्तर दिनांक 22/2/2011, विपक्षी को भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांक 10/10/2011 और विपक्षी की ओर से प्राप्त जबाव नोटिस दिनांकित 14/10/2011 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/9 लगायत 3/21 हैं।
- विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-18/1 लगायत 18/7 दाखिल किया गया। प्रतिवाद पत्र में परिवादी द्वारा वर्ष 2007 में बचत खाता खोला जाना और विपक्षी बैंक से गृह ऋण लिया जाना तो स्वीकार किया गया, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया। विपक्षी की ओर से कहा गया कि परिवादी का यह कथन असत्य है कि उसे ए0टी0एम0 कार्ड और उसका गोपनीय पिन नहीं दिया गया हो बल्कि सही बात यह है कि बचत खाते में परिवादी ने अपना जो स्थानीय पता दिया था उस पते पर डाक द्वारा ए0टी0एम0 कार्ड भेजा गया था जो परिवादी ने प्राप्त किया। ए0टी0एम0 कार्ड का गोपनीय पिन नम्बर परिवादी ने स्वयं विपक्षी बैंक में आकर प्राप्त किया। दिनांक 14/2/2008 को 16028/- रूपये की जो धनराशि विपक्षी के खाते से ए0टी0एम0 द्वारा निकाली गई वह उसी ए0टी0एम0 कार्ड के माध्यम से निकाली गई जो परिवादी को उपलब्ध कराया गया था। परिवादी ने असत्य कथनों के आधार पर परिवाद योजित किया गया है। दिनांक 12/1/2009 को परिवादी के खाते से 18075/-रूपया की धनराशि निकाले जाने के सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि यह धनराशि परिवादी के बचत खाते से निकाल कर उसके ऋण खाते में जमा की गई है अत: परिवादी द्वारा इस धनराशि के सम्बन्ध में लगाऐ गऐ आरोप आधारहीन हैं। परिवादी के बचत खाते से 50/- रूपया ए0टी0ए0 की वार्षिक फीस के रूप में काटे गऐ हैं उस सम्बन्ध में भी परिवादी ने असत्य कथन किऐ हैं। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कहा गया है कि परिवादी ने जो शिकायत की थी उसका बैंकिंग लोकपाल द्वारा दिनांक 07/7/2011 को निस्तारण किया जा चुका है। परिवादी ने जो लीगल नोटिस विपक्षी को भेजा था उसका सही उत्तर परिवादी को भेजा जा चुका है। उक्त कथनों के आधार पर परिवाद को आधारहीन बताते हुऐ, परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-19/1 लगायत 19/4 दाखिल किया।
- विपक्षी की ओर से विपक्षी के मुख्य प्रबन्धक श्री जय प्रकाश का साक्ष्य शपथ पत्र 23/1 लगायत 23/6 दाखिल हुआ।
- किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि बचत खाता खोलते समय परिवादी ने जो फार्म भरा था उसमें उसने ए0टी0एम0 की सुविधा दिऐ जाने की प्रार्थना तो की थी, किन्तु परिवादी को बचत खाते के सापेक्ष बैंक द्वारा कोई ए0टी0एम0 कार्ड एवं गोपनीय पिन उपलब्ध नहीं कराया गया। उसके खाते से ए0टी0एम0 द्वारा दिनांक 14/2/2008 को जो धनराशि निकाली गई उसके लिए विपक्षी उत्तरदायी है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी कथन है कि उसने विपक्षी से जो गृह ऋण लिया था उसकी मासिक किश्त 10,543/- रूपया की थी। इसके बावजूद दिनांक 12/1/2009 को विपक्षी ने परिवादी के बचत खाते से 18,075/- रूपया निकाल कर परिवादी के गृह ऋण खाते में जमा किये। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि जब ई0एम0आई0 मात्र 10,543/-रूपया की थी तो 18,075/-रूपया परिवादी के बचत खाते से निकाले जाने का कोई कारण नहीं था। उनका यह भी कथन है कि विपक्षी ने 18,075/-रूपया निकाले जाने का कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया है। परिवादी को 50/-रूपया ए0टी0एम0 के वार्षिक शुल्क के रूप में बचत खाते से काट लिऐ जाने पर भी आपत्ति है क्योंकि परिवादी के अनुसार उसे ए0टी0एम0 कार्ड उपलब्ध ही नहीं कराया गया था तो उसके खाते से यह 50/-रूपया काटा जाना गलत है।
- विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का प्रतिवाद किया और परिवादी को डाक द्वारा ए0टी0एम0 उपलब्ध कराया जाना तथा विपक्षी शाखा से गोपनीय पिन दिया जाना कहते हुऐ 18,075/- रूपये की धनराशि परिवादी के गृह ऋण खाते में जमा किऐ जाने का कथन किया। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार 16,028/-रूपये की धनराशि परिवादी ने उसी ए0टी0एम0 कार्ड से निकाली जो विपक्षी बैंक ने उसे उपलब्ध कराया था। ए0टी0एम0 के वार्षिक शुल्क के रूप में 50/-रूपया काटे जाने के सन्दर्भ में विपक्षी की ओर से कहा गया कि यह 50/-रूपया परिवादी के खाते में वापिस क्रेडिट किऐ जा चुके हैं। विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया कि परिवादी के अनुसार उसके खाते से ए0टी0एम0 द्वारा धनराशि दिनांक 14/2/2008 को निकाली गई थी जबकि परिवाद दिनांक 14/11/2011 को प्रस्तुत किया गया इस प्रकार यह परिवाद कालबाधित है। इस आधार पर भी विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- पक्षकारों की ओर से दिऐ गऐ साक्ष्य तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का अवलोकन करने पर हम विपक्षी की ओर से दिऐ गऐ तर्कों से सहमत नहीं हैं।
- विपक्षी की ओर से लगातार यह कथन किया जा रहा है कि परिवादी को ए0टी0एम0 कार्ड डाक द्वारा भेजा गया था और ए0टी0एम0 का गोपनीय पिन परिवादी ने विपक्षी शाखा में आकर स्वयं प्राप्त किया, किन्तु इन कथनों की पुष्टि में विपक्षी की ओर से कोई अभिलेख दाखिल नहीं किऐ गऐ। परिवादी ने अपने परिवाद के पैरा सं0-13 में विपक्षी को स्पष्ट रूप से यह चुनौती दी है कि ए0टी0एम0 कार्ड की परिवादी के हस्ताक्षरित प्राप्ति की रसीद और उसके सिक्योरिटी पिन परिवादी को प्राप्त कराऐ जाने सम्बन्धी रिकार्ड फोरम के समक्ष प्रस्तुत करें ताकि सत्यता फोरम के समक्ष आ सके, किन्तु इस चुनौती के बावजूद विपक्षी डाक द्वारा ए0टी0एम0 कार्ड परिवादी को भेजने और व्यक्तिग रूप से परिवादी को उसका गोपनीय पिन प्राप्त करने सम्बन्धी रिकार्ड दाखिल नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि परिवादी को कथित रूप से डाक द्वारा ए0टी0एम0 कार्ड भेजने अथवा गोपनीय पिन उपलब्ध कराने सम्बन्धी रिकार्ड विपक्षी के कब्जे में है। उसे दाखिल न किया जाना परिवादी के इस कथन की पुष्टि करता है कि वास्तव में परिवादी को न तो ए0टी0एम0 कार्ड डाक से भेजा गया और न ही उसे पिन उपलब्ध कराया गया। परिवादी को ए0टी0एम0 कार्ड और गोपनीय पिन उपलब्ध कराऐ बिना उसके बचत खाते से 16,028/-रूपया की धनराशि ए0टी0एम0 द्वारा निकाल लिऐ जाने का उत्तरदायी परिवादी को नहीं ठहराया जा सकता। ए0टी0एम0 कार्ड और उसका गोपनीय पिन विपक्षी ने परिवादी को कैसे उपलब्ध कराया यह प्रमाणित करने की जिम्मेदारी विपक्षी की थी जिसका विपक्षी निर्वहन नहीं कर पाया। यह विपक्षी द्वारा सेवा में की गई कमी को उजागर करता है।
- परिवादी को स्वीकृत गृह ऋण की ई0एम0आई0 10,543/- रूपया है। परिवादी के बचत खाते से दिनांक 12/1/2009 को 18,075/-रूपया विपक्षी ने काटे जिसका विपक्षी ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। प्रकट है कि दिनांक 12/1/2009 को परिवादी के खाते से ई0एम0आई0 में 7532/- रूपया अधिक विपक्षी ने काटे जिसका विपक्षी की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया अत: यह माने जाने का कारण है कि 7532/-रूपये की यह धनराशि विपक्षी ने गलत रूप से काटी। परिवादी को यह धनराशि विपक्षी से ब्याज सहित वापिस दिलाई जानी चाहिए।
- विपक्षी की ओर से परिवाद को कालबाधित होने सम्बन्धी जो तर्क दिया गया है हम उससे सहमत नहीं है। पत्रावली में अवस्थित पत्र क्रमश: कागज सं0-3/12, 3/14 तथा रिमान्डर कागज सं0-3/16 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी ने ए0टी0एम0 से धनराशि निकाल लिये जाने के मात्र 5 दिन बाद ही विपक्षी को शिकायती पत्र लिखने प्रारम्भ कर दिऐ थे। विपक्षी की ओर से परिवादी को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 22/2/2011 (पत्रावली का कागज सं0 3/17) में विपक्षी की ओर से परिवादी को बताया गया कि उसकी शिकायत लम्बित है। विपक्षी की ओर से दाखिल साक्ष्य शपथ पत्र के पैरा सं0-16 में विपक्षी के मुख्य प्रबन्धक द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी की शिकायत का निस्तारण बैंकिंग लोकपाल द्वारा दिनांक 07/7/2011 को किया गया। हमारे विनम्र अभिमत में यह प्रकरण कन्टीन्यूइंग काज ऑफ एक्शन का है जिसमें परिसीमा काल की गणना दिनांक 07/7/2011 से की जानी अपेक्षित है और इस दृष्टि से परिवाद कालबाधित नहीं है।
- उपरोक्त विववेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि विपक्षी से परिवादी को 9 प्रतिशत वाषिक ब्याज सहित 23,,560/-(16,028/- + 7532/- ) रूपये की धनराशि दिलाई जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त क्षतिपूर्ति की मद में परिवादी को एकमुश्त 5000/- (पॉच हजार) रूपये दिलाया जाना भी हमारे मत में न्यायोचित होगा। परिवाद तदानुसार स्वीकार होने योग्य है।
आदेश परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 23,560/-(तेईस हजार पॉंच सौ रूपया) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में और विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। परिवादी विपक्षी से क्षतिपूर्ति की मद में एकमुश्त 5000/- (पॉंच हजार रूपया) अतिरिक्त पाने का अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार समस्त धनराशि परिवादी को एक माह में अदा की जाय। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
20.07.2016 20.07.2016 20.07.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 20.07.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
20.07.2016 20.07.2016 20.07.2016 | |