Uttar Pradesh

StateCommission

CC/8/2016

Sri Newash Chandra Mishra - Complainant(s)

Versus

M/S Standard Chartered Bank - Opp.Party(s)

Anurag Srivastava

22 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/8/2016
( Date of Filing : 07 Jan 2016 )
 
1. Sri Newash Chandra Mishra
Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. M/S Standard Chartered Bank
Mumbai
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Sep 2022
Final Order / Judgement

                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद सं0- 08/2016

Shri Nivas Chandra Misra Son of Late Sri Suraj Prasad Misra, Resident of 33, Hazaratganj, Lucknow.                                             

                                         …….Complainant

                          Versus

1. M/s Standard Chartered Bank having its Head Office at Crescenzo Building, C- 38/39, G Block, Bandra Kurla Complex, Bandra East Mumbai 400001 through its Chief Executive Officer.

2. M/s Standard Chartered Bank, SOC 137-138, Sector 9-C, Madya Marg, Chandigarh- 160017 through its Area Director.

3. M/s Standard Chartered Bank, Unit Ni. 1, Ground Floor Halwasiya Commerce House, Habibullah Estate, 11 M.G. Marg, Lucknow. 226001 through its Branch Manager, Lucknow.  

                                      ……Opposite Parties

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री अनुराग श्रीवास्‍तव,

                           विद्वान अधिवक्‍ता।                         

विपक्षीगण की ओर से       : कोई नहीं।

                     

दिनांक:- 22.09.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.        यह परिवाद परिवादी श्री निवास चन्‍द्र मिश्रा अन्‍य द्वारा विपक्षीगण मै0 स्‍टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक व दो अन्‍य के विरुद्ध 7,63,557/-रू0 मय 12 प्रतिशत ब्‍याज वापसी के लिए, अंकन 50,000/-रू0 बीमा प्रीमियम की राशि वापस प्राप्‍त करने के लिए, डीमेट एकाउंट खोलने के लिए गए 1,00,000/-रू0 अग्रिम कमीशन की वापसी के लिए तथा अंकन 50,00,000/-रू0 मानसिक प्रताड़ना के मद में प्राप्‍त करने के लिए एवं 60,000/-रू0 परिवाद व्‍यय के रूप में प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.        केवल परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनुराग श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

3.        य‍द्यपि परिवादी द्वारा 7,63,557/-रू0 एडवाइजरी शुल्‍क 12 प्रतिशत ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने का अनुरोध किया गया है, परन्‍तु बहस के दौरान केवल 5,66,632/-रू0 तक अपना अनुतोष सीमित किया गया है। उल्‍लेखनीय है कि बैंक द्वारा जो विवरण प्रस्‍तुत किया गया है उसके पृष्‍ठ 52 पर अंकन रू0566632.66पैसे एडवाइजरी शुल्‍क की राशि का योग निकलता है। चूँकि बैंक द्वारा परिवादी को यह आश्‍वासन दिया गया था कि चूँकि परिवादी के खाते में एक करोड़ रूपये से अधिक राशि मौजूद है, इसलिए बैंक द्वारा जो इंवेस्‍टमेंट किया जायेगा उस पर कोई एडवाइजरी शुल्‍क नहीं लिया जायेगा।

4.        परिवादी द्वारा परिवाद पत्र के पैरा सं0- 18 में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया है कि बीमा कम्‍पनी ने 3,75,000/-रू0 बीमित धन के स्‍थान पर केवल 3,26,000/-रू0 का भुगतान किया है। इसलिए परिवादी शेष 49,000/-रू0 की राशि विपक्षीगण से प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। अत: इस अनुतोष के लिए परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

5.        विपक्षी बैंक द्वारा डीमेट एकाउंट में 1,00,000/-रू0 परिवादी के खाते से लेकर खर्च किया गया है। परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि डीमेट एकाउंट परिवादी के खर्च पर नहीं खोला जाना था। अत: परिवादी 1,00,000/-रू0 मय 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

6.        यद्यपि परिवादी द्वारा मानसिक प्रताड़ना की मांग 50,00,000/-रू0 परिवाद पत्र में की गई है, परन्‍तु बहस के दौरान इस मद में कोई जोर नहीं दिया गया। अत: इस मद में किसी राशि को अदा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। परिवादी द्वारा परिवाद व्‍यय के रूप में 60,000/-रू0 की मांग परिवाद पत्र में की गई है, परन्‍तु परिवाद व्‍यय के रूप में 25,000/-रू0 दिलाया जाना विधि सम्‍मत है। तदनुसार परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।   

आदेश

7.        A. परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को बीमित धन की अवशेष राशि 49,000/-रू0 अदा करें।

          B. विपक्षीगण को आदेशि‍त किया जाता है कि विपक्षीगण द्वारा डीमेट एकाउंट खोले जाने हेतु परिवादी के खाते से ली गई धनराशि 1,00,000/-रू0 मय 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज वाद योजन की तिथि से अदायगी की तिथि तक परिवादी को अदा करें।

          C. विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवाद व्‍यय के रूप में 25,000/-रू0 भी परिवादी को अदा करें।

          उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 01 माह की अवधि के अन्‍दर सुनिश्चित किया जाए।          

          आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।  

 

   (विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

            सदस्‍य                                  सदस्‍य                                

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.