VIJAY KUMAR filed a consumer case on 27 May 2022 against M/S SINGHAL MOTERS in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/119/2015 and the judgment uploaded on 08 Jun 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 119 सन् 2015
प्रस्तुति दिनांक 02.07.2015
निर्णय दिनांक 27.05.2022
विजय कुमार पुत्र स्वo हरीलाल साकिन निकामुद्दीनपुर, पोस्ट- सरायमीर, तहसील- निजामाबाद, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह शिक्षित बेरोजगार मजदूर परिवार का है। वह अपनी व अपने परिवार के जीवकोपार्जन हेतु एक अदद वाहन क्रय कर स्वयं वाहन का परिचालन करने हेतु टाटा मोटर्स उत्पाद का वहन क्रय करने हेतु अधिकृत विक्रेता विपक्षी संख्या 01 से सम्पर्क किया। विपक्षी से वाहन क्रय करने के सम्बन्ध में वार्ता करने के बाद ए.सी.ई.एफ.ए.सी.एल.आई.एफ.टी. वाहन क्रय करने की इच्छा जाहिर किया, जिसकी कीमत विपक्षी द्वारा 4,11,046 रुपया बतायी गयी। वाहन का पूरा पैसा न होने की स्थिति में विपक्षी द्वारा स्वयं अपने सुझाव व प्रयास से उक्त वाहन क्रय करने हेतु महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाइनेन्सियल सर्विसेज लिo से ऋण सम्बन्धी औपचारिकताएं पूर्ण कराकर वाहन के बाबत मुo 3,60,000/- रुपए का ऋण स्वीकृत कराया गया। शेष धनराशि परिवादी द्वारा दिनांक 16.10.2014 को विपक्षी संख्या 01 को अदा कर उक्त वाहन विपक्षी संख्या 01 से प्राप्त किया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा वाहन क्रय करते समय वाहन का बीमा की सम्पूर्ण बीमा किस्त व पंजीयन धनराशि प्राप्त कराया गया और परिवादी को वाहन के साथ मात्र एक चालानी रिपोर्ट वाहन के विवरण के साथ हस्तगत किया। वाहन का बीमा व पंजीयन हेतु कहा गया तो दो तीन दिन बाद खुद शेष कागजात प्राप्त करा दिया जाएगा ऐसा उन्होंने कहा। परिवादी विपक्षी के यहाँ गया तो उसे दिनांक 18.10.2014 को केवल बीमा कवर नोट दिया गया और पंजीयन हेतु बार-बार पंजीयन प्रमाण पत्र हेतु बार-बार दौड़ाने के बाद लगभग एक माह बाद 12.11.2014 को दिया गया। इस प्रकार परिवादी का वाहन का पंजीकरण न होने की वजह से लगभग एक माह तक वाहन अनुपयोगी रूप से पड़ा रहा। जिससे परिवादी को 500/- रुपए प्रतिदिन की क्षति हुई। पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त होने के बाद परिवादी द्वारा अपने वाहन को उपयोग में लाया जा रहा था कि वाहन क्रय करने के 15 दिन बाद ही स्टार्टिंग प्रॉबलम तथा अत्यधिक तेल खाना, धुआं देना एवं परिचालन करते समय ही अक्सर बंद होने की कमी वाहन में आने लगी। वाहन का सेवा शर्तों के अधीन निर्धारित अवधि व मानक के अनुसार दिनांक 06.01.2015, 22.01.2015, 16.02.2015, 18.05.2015, 06.06.2015 व 23.06.2015 को उक्त त्रुटियों को बताकर शिकायत करते हुए सर्विसिंग करायी जाती रही और उक्त त्रुटियों की शिकायत की जाती रही परन्तु विपक्षी द्वारा बिना उक्त त्रुटि दूर किए झूठे तौर पर हर बार कहा जाता रहा कि उक्त सब कमी दूर कर दी गयी, परन्तु वाहन में उक्त त्रुटि यथावत पूर्व में रही और आज भी बनी हुई है। इससे परिवादी को अत्यधिक क्षति हो रही है। अतः विपक्षीगण से परिवादी को सेवा शर्तों के अधीन सेवा त्रुटि करने से मानसिक आघात हेतु मुo 1,50,000/- रुपए शारीरिक व अन्य परेशानी व क्लेश हेतु मुo 20,000/- रुपए, वाहन कागजात उपरान्त देने व दो माह से वाहन खड़ी रहने पर हुई क्षति मुo 1,50,000/- रुपए व अन्य क्षति 50,000/- रुपए दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 7/1 स्टेटमेन्ट ऑफ अकाउन्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/2 ता 7/10 लेबर कैस मेमो व वर्कशॉप स्पेयर कैस मेमो की छायाप्रति, कागज संख्या 30/1 महिन्द्रा फाइनेन्स द्वारा जारी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 30/2 सिंघल मोटर्ट द्वारा जारी वेहिकल डिलिवरी चालान की छायाप्रति, कागज संख्या 30/3 आर.सी. की छायाप्रति, कागज संख्या 30/4 सर्टिफिकेट ऑफ फिटनेस की छायाप्रति, कागज संख्या 30/5 बीमा पॉलिसी की छायाप्रति, कागज संख्या 30/6 ता 30/11 लेबर कैस मेमो की छायाप्रति व वर्कशॉप स्पेयर कैस मेमो की छायाप्रति, कागज संख्या 30/12 स्टेटमेन्ट ऑफ अकाउन्ट की छायाप्रति तथा कागज संख्या 30/13 ता 30/15 लेबर कैस मेमो की छायाप्रति व वर्कशॉप स्पेयर कैस मेमो की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 14क² विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। प्रारम्भिक आपत्ति में उसने यह कथन किया है कि इस मामले में प्रश्नगत वाहन टाटा ए.सी.ई. रजिस्ट्रेशन नं.यू.प.50ए.टी.9391 एक कॉमर्शियल वाहन है। इस प्रकार स्पष्ट है कि परिवादी के पास कॉमर्शियल वाहन है तथा वह वाहन से लाभ प्राप्त करता है। इस कारण भी परिवाद कानूनन पोषणीय नहीं है। माo फोरम का क्षेत्राधिकार इन्वोक करने के लिए परिवादी का उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 2(1)(डी) के अधीन उपभोक्ता की परिभाषा में आना आवश्यक है। यह प्रावधान ऐसे व्यक्ति पर लागू होता है जो किसी वस्तु अथवा सेवाओं को पुनः विक्रय या किसी वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए नहीं खरीदता हो। इसी प्रावधान के स्पष्टीकरण में वाणिज्यिक प्रयोजन में स्वरोजगार के साधनों द्वारा अपनी आजीविका का उपार्जन करने हेतु एक मात्र उद्देश्य के लिए क्रय की गयी वस्तु सम्मिलित नहीं है। स्वरोजगार शब्द को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में परिभाषित नहीं किया है, किन्तु माननीय उच्चतम न्यायालय ने “चीमा इन्जीनियरिंग सर्विस बनाम राजन सिंह (1997)1एस.सी.सी.131” के विनिर्णय में यह प्रतिपादित किया है कि स्वरोजगार के लिए वस्तु का उपयोग साक्ष्य का विषय है तथा इस तथ्य को सिद्ध करने का भार परिवादी पर है। विपक्षी द्वारा अपना काम निष्ठापूर्वक किया जाता रहा है। परिवादी ने बिना किसी आधार पर वाहन में निर्माण सम्बन्धी कमियों को विपक्षी पर आरोप लगाया है। परिवाद झूठे आधारों पर दाखिल किया गया है, जो कि खारिज होने योग्य है। अतः खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या 02 द्वारा कागज संख्या 16ग² लेटर ऑफ अथॉरिटी की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने कमीशन नियुक्त करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया है, जो निरस्त हो गया है। अतः उस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। चूंकि परिवादी ने कोई वारण्टी पेपर दाखिल नहीं किया है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 27.05.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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