Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/155/2006

VIJAY BAHADUR SINGH - Complainant(s)

Versus

M/S SINGHAL MOTERS - Opp.Party(s)

DHIRENDRA KUMAR TRIPATHI

08 Feb 2019

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/155/2006
( Date of Filing : 26 Sep 2006 )
 
1. VIJAY BAHADUR SINGH
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. M/S SINGHAL MOTERS
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 08 Feb 2019
Final Order / Judgement

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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 155 सन् 2006

   प्रस्तुति दिनांक 26.09.2006

                                     निर्णय दिनांक 08.02.2019

  1. बिजय बहादुर सिंह पुत्र रामजनम सिंह, साकिन बाकरकोल, पोस्ट- छितौना तहसील- बूढ़नपुर, जिला- आजमगढ़ हाल मुकाम राम मन्दिर कालोनी, प्रमोद कुमार श्रीवास्तव का मकान, ओबरा जनपद सोनभद्र (उoप्रo)।

 

बनाम

  1. मेसर्स सिंघल मोटर्स द्वारा प्रोपराइटर/मैनेजर (केदार पुरम्) हर्रा की चुंगी शहर व जिला- आजमगढ़ (उoप्रo) एथराइज्ड डीलर टाटा मोटर्स लिमिटेड।
  2. रीजनल मैनेजर, टाटा मोटर्स लिमिटेड, जीवन तारा बिल्डिंग-5 पार्लियामेन्ट स्ट्रीट, नई दिल्ली।
  3. टाटा मोटर्स लिमिटेड, अपर ग्राउन्ड फ्लोर, एलडको मैग्नम प्लाजा, एलडको ग्रीनस, निकट गोमती बैराज, गोमती नगर, लखनऊ- 226010।

..................................................................................विपक्षीगण।

उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

  •  

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह बसिलसिले रोजी-रोटी 4-5 वर्ष से सोनभद्र में रह रहा है। वह अपने परिवार के भरण-पोषण हेतु ठेकेदारी का काम प्रारंभ किया। बाद में उसे परिवार के शुभचिन्तकों की द्वारा दी गयी राय के अनुसार एक टाटा 207 डी.आई. विपक्षी संख्या 01 से फाइनेन्स कराकर क्रय किया। गाड़ी का पंजीयन संख्या यू.पी. 50 एफ./2489 है। गाड़ी क्रय करने के एक माह बाद ही उक्त गाड़ी का पम्प खराब हो गया। परिवादी ने उक्त कमी के बाबत विपक्षी संख्या 01 व 02 से मौखिक तथा लिखित शिकायत की और कहा कि पम्प में मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट है। अतः उसे बदलकर नया पम्प लगाया जाए। पम्प

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काम चलाऊ ढंग से ठीक कराकर परिवादी को दे दिया गया। पम्प अक्सर खराब रहने की वजह से व डीजल अधिक खाने की वजह से गाड़ी अक्सर खड़ी रहती थी। जिससे याची समय पर किश्त जमा नहीं कर सका और उसे आर्थिक क्षति हुई। जिससे उसे काफी मानसिक व शारीरिक कष्ट हो रहा है। परिवादी ने विपक्षीगण से तथा वारण्टी कार्ड में दिए गए निर्देशों के अनुसार समय-समय पर अपनी उक्त गाड़ी उनके प्राधिकृत सेवा केन्द्रों पर ही दिखाता रहा। कुछ समय बाद गाड़ी की चेचिस भी क्रेक कर गयी तथा उसका स्पीडोमीटर भी खराब हो गया। जिसको पुनः याची ने विपक्षीगण को लिखित व मौखिक सूचना दिया और गाड़ी को लेकर विपक्षी संख्या 01 के यहां पहुंचा तो याची को बारबार आश्वासन देते रहे कि चेचिस तथा पम्प बदलवा देंगे, किन्तु आज तक उन्होंने कुछ नहीं किया। याची की उक्त गाड़ी विपक्षी संख्या 01 के वर्कशॉप में दिनांक 05.05.2005 से खड़ी है न ही उक्त गाड़ी की चेचिस बदली जा रही है और न ही पम्प ठीक किया जा रहा है जो विपक्षी द्वारा घोर लापरवाही एवं सेवा में कमी एवं अनफेयर टेड प्रैक्टिस है जो उपभोक्ता संरक्षम अधिनियम 1986 की धारा 2(1)(जी) के अन्तर्गत आती है। याची द्वारा माह जून 2005 में विपक्षीगण के पास अपनी गाड़ी के बाबत पता किया तब विपक्षी संख्या 01 द्वारा बताया गया कि उसकी गाड़ी का चेचिस व पम्प बदलने के लिए गाड़ी को कार्तिकेय आटो मोबाइल रीवा मध्य प्रदेश को भेजा गया है। बन जाने पर आपको दे दी जाएगी। विपक्षीगण द्वारा त्रुटियुक्त गाड़ी टाटा 207 जानबूझकर याची को बेची गयी है एवं उसकी उचित रूप से मरम्मत न करके याची को सेवा में कमी कर घोर आर्थिक, मानसिक व शारीरिक क्षति पहुंचायी है। याची मूलरूप से जनपद आजमगढ़ का निवासी है एवं विपक्षी संख्या 01 जनपद आजमगढ़ से उसने वाहन टाटा 207 डी.आई. क्रय किया था। उसके द्वारा दिनांक 26.07.2005 को विपक्षीगण को नोटिस भी दी गयी थी और डिफेक्टिव पार्ट्स को बदलने का अनुरोध किया गया ता, लेकिन उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं किया। उसके द्वारा फोरम सोनभद्र के समक्ष एक परिवाद प्रस्तुत किया गया था, जो दिनांक

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31.08.2006 को क्षेत्राधिकार के प्रश्न पर खारिज कर दिया गया। गाड़ी क्रय करने के एक माह बाद ही मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट आने से व केवल दो किश्त ही भर सका। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वे उसके गाड़ी का चेचिस व पम्प बदलकर अविलम्ब उसे दें तथा 3,48,000/- रुपये शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति दें और उस पर 18% वार्षिक की दर से ब्याज भी दें।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 6 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 लोन कम हाइपोथिकेशन एग्रीमेन्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 6/4 पार्टीकुलर्स ऑफ वेहिकिल एण्ड लोन की छायाप्रति, कागज संख्या 16 वेहिकिल आईडेन्टीफिकेशन एण्ड रिकार्ड की छायाप्रति, ओनर्स मैनुअल एण्ड सर्विस बुक की छायाप्रति, सुभाष आटोमोबाइल की छायाप्रति तीन प्रतियों में, सिंघल मोटर्स द्वारा जारी कागजात की छायाप्रति चार किश्तों में प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 02 व 03 की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है। विशेष कथन में यह कहा गया है कि परिवादी ने टाटा 207 डी.आई. अपने व्यावसायिक उद्देश्य के लिए क्रय किया था और उसे परिमिट भी प्राप्त किया। उक्त वाहन का प्रयोग व्यावसायिक हेतु किया जाता रहा। सोनभद्र में उसके द्वारा वाद संख्या 41/2005 प्रस्तुत किया, जिसकी धारा एक में उसने भाड़ा ढोने आदि का कार्य स्वीकार किया और धारा चार में व्यवसाय आदि की बात कही है और याचना में व्यावसायिक क्षतिपूर्ति की मांग किया है। प्रस्तुत परिवाद तथ्य को तोड़-मड़ोरकर प्रस्तुत किया गया है। अतः संधार्य नहीं है। परिवादी द्वारा वाहन व्यावसायिक उद्देश्य हेतु दिनांक 26.11.2004 को क्रय किया जिसका फाइनेन्स (वित्त पोषण) टाटा मोटर्स फाइनेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा किया गया, जिसकी पहली किश्त दिनांक 27.12.2004 को अदा की गयी। वाहन का प्रयोग लापरवाही से

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ओबरलोडिंग कराकर स्वीकृत क्षमता से अधिक माल उठाकर किया है और शुद्ध व सही डीजल का प्रयोग नहीं किया न तो वाहन का सही समय पर सर्विसिंग करायी गयी। जहां तक खराबी का प्रश्न है तो ग्राहक को निर्माता उत्तरदाता कम्पनी द्वारा सर्विस बुक प्रदान की जाती है, सर्विस बुक ही उपभोक्ता निर्माता के मध्य एग्रीमेन्ट है जिससे दोनों पक्ष बाध्य हैं, उसमें स्पष्ट है कि गाड़ी में प्रयुक्त सामान पम्प स्विच टायर आदि प्रदाता कम्पनी द्वारा निर्मित नहीं है। उनकी वारण्टी उनके निर्माता कम्पनी के अधीन है। दिनांक 26.11.2004 को गाड़ी क्रय की गयी और दिनांक 06.01.2005 को 4933 किलोमीटर चलाने पर पहली सर्विस करायी गयी। दिनांक 31.03.2005 को डीलर द्वारा 27406 किलोमीटर पर वाहन की जांच के दौरान पाया गया कि पम्प सही ढंग से कार्य नहीं कर रहा है तो उसे वारण्टी माइको वाराणसी डीलर के पास भेजा गया, जहां पर पम्प की मरम्मत होकर दिनांक 02.04.2005 को प्राप्त हुआ। जहां तक चेचिस का प्रश्न है तो वाहन का प्रयोग लापरवाही पूर्वक ओबरलोडिंग के कारण वह खराब हुई है। जिसकी सूचना डीलर के माध्यम से प्राप्त होने पर ग्राहक सेवा को ध्यान में रखकर उत्तरदाता निर्माता द्वारा चेचिस बदलने हेतु अविलम्ब डीलर को नई चेचिस प्रेषित की गयी जो डीलर को प्राप्त हुई, लेकिन परिवादी डीलर के यहां से जबरन अपनी जिद पर गाड़ी वगैर चेचिस बदलवाए वापस ले गया। डीलर द्वारा सूचित करने के बाद भी चेचिस नहीं बदलवाई। इसलिए उत्तरदाता का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। उत्तरदाता कम्पनी आज भी चेचिस डीलर के माध्यम से बदलवाने को तैयार है, जिसकी जानकारी विपक्षी को है। परिवादी चेचिस को बाहर से वल्डिंग कराकर प्रयोग करता रहा और उक्त वाहन चित्रकूट के पास सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस प्रकार समस्त वारण्टी की शर्तें समाप्त हो गयी। परिवादी को बीमा कम्पनी से क्षतिपूर्ति प्राप्त करना चाहिए था। परिवादी द्वारा दुर्घटनाग्रस्त वाहन को गैराज में खड़ा करा दिया गया है। परिवादी ने केवल दो किश्तें ही अदा किया है और नोड्यूज सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं

 

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किया है। उससे बचने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

विपक्षी संख्या 02 व 03 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबादावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है। वास्तविकता है कि परिवादी ने दिनांक 26.11.2004 को शहर आजमगढ़ में विपक्षी संख्या 01 ने टाटा 207 डी.आई. पिकअप खरीदा था। ओनर्स मैनुअल और सर्विस बुक के अनुसार तीन मुफ्त लेबर सर्विस वाहन के खरीदे जाने का प्रावधान है जो कि प्रत्येक पांच हजार किलोमीटर चालन के अन्तराल पर आवश्यक है। याची को पी.डी.आई.सर्विस दिनांक 26.11.2004 को दी गई और उसका जॉब कार्ड भी दिनांक 26.11.2004 को दे दी गयी थी। दिनांक 06.01.2005 को याची द्वारा प्रथम सर्विस करायी गयी। दिनांक 31.03.2005 को अपने उक्त वाहन के साथ बोनट के ताला की खराबी के साथ शिकायत लेकर आया, जिसको तुरन्त ठीक कर दिया गया। जाँच के दौरान पाया गया कि गाड़ी का पम्प ठीक से काम नहीं कर रहा है और उसे ठीक करने हेतु माइको डीलर के वाराणसी भेजा गया। जहाँ से ठीक कराकर वाहन को सुपुर्द किया गया। 27,406 किलोमीटर चलने पर दिनांक 25.04.2005 को उक्त वाहन के चेचिस फ्रेम टूटने व स्पीडोमीटर के काम न करने की शिकायत लेकर आया, जाँच पर यह पाया गया और याची को विपक्षी संख्या 01 द्वारा बताया गया कि इस चेचिस को बदलना पड़ेगा जो कम्पनी से मंगाना पड़ेगा और उसमें समय लगेगा और इस सिलसिले में दिनांक 06.05.2005 को विपक्षी संख्या 01 द्वारा याची को सूचित किया गया। टाटा मोटर्स लिमिटेड कम्पनी द्वारा चेचिस बदलने की स्वीकृति मिल गई है, लेकिन अज्ञात कारणों से याची दिनांक 06.05.2005 को ही अपना वाहन लेकर चला गया। दिनांक 07.05.2005 को विपक्षी संख्या 01 को बिल्कुल नई चेचिस बदलने के लिए टाटा मोटर्स कम्पनी लिमेटड द्वारा प्राप्त हो

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गई और तथ्य के बारे में सूचना फौरन विपक्षी को दिनांक 07.05.2005 को टेलीफोन द्वारा कर दी गयी। चेचिस केवल अनुमन्य भार ढोने के लिए ही थी, लेकिन उसने उस पर अधिक भार लाद कर उपयोग करता रहा। याची ने स्वीकार किया है कि उसने प्रश्नगत वाहन व्यावसायिक उद्देश्य से खरीदा था। वह चेचिस को वल्डिंग कराकर बराबर उपयोग करता रहा। चित्रकूट के निकट उसका वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विपक्षी ने वाहन को खिंचवाकर कार्तिक आटोमोबाइल प्राइवेट लिमिटेड छत्तीसगढ़ रोड वाड सागर रीवा के हवाले कर दिया जो कि टाटा मोटर्स लिमिटेड के अधिकृत व्यक्ति थे। परिवादी कोई भी अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। परिवाद पोषणीय नहीं है। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए।

विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

उभय पक्षों द्वारा लिखित बहस प्रस्तुत की गयी है। उभय पक्षों की मौखिक बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा 2 में यह कहा है कि उसने वाहन खरीदकर ठेकेदारी के कार्य में प्रयोग करने लगा। इस प्रकार परिवादी के कथन से यह स्पष्ट हो रहा है कि उसके द्वारा वाहन का प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा था। इस सन्दर्भ में यदि हम एक न्याय निर्णय “इकोनॉमिक ट्रान्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन वर्सेस चरन स्पिनिंग मिल्स प्राइवेट लिमिटेड एण्ड अदर I(2010) सी.पी.जे. 4 (एस.सी.)” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि यदि वाहन का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया गया हो तो उसके सुनवाई का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है। इस प्रकार उपरोक्त न्याय निर्णय के आलोक से हमारे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।

 

 

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आदेश

परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                     (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

                        दिनांक 08.02.2019

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                     (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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