Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/1748

Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

M/S Shri Ram Sudhir Kumar Jewellers - Opp.Party(s)

D Mehrotra

21 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/1748
( Date of Filing : 23 Dec 2002 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Allahabad Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Shri Ram Sudhir Kumar Jewellers
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Sep 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                      (मौखिक)

अपील सं0 :- 1748/2002

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, शाहजहॉपुर द्वारा परिवाद सं0- 293/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28/06/2002 के विरूद्ध)

  1. The Allahabad Bank, Govindganj Branch, Shahjahanpur, through its senior branch manager.
  2. The Regional Manager, Allahabad Bank, Sitapur.
  3. The Assistant General Manager, Central Zonal office, Allahabad Bank, Hazratganj, Lucknow.
  4. The General Manager, Central Zonal Office, Allahabad Bank, Hazratganj, lucknow.
  5. Appellants
  6.  

M/S Shri Ram Sudhir Kumar Jewellers, moti Chowk, Shahjahanpur, through its Managing Partner, Shri Sri Ram Tandon.

  •                                                                                                 Respondent

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-    श्री साकेत कुमार श्रीवास्‍तव 

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-      श्री वी0पी0 शर्मा

दिनांक:- 21.09.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.               जिला उपभोक्‍ता आयोग शाहजहॉंपुर द्वारा परिवाद सं0 293/1998 मेसर्स श्रीराम सुधीर कुमार बनाम इलाहाबाद बैंक व अन्‍य मे पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.06.2002 के विरूद्ध यह अपील इलाहाबाद बैंक द्वारा प्रस्‍तुत की गयी है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए बैंक को आदेशित किया है कि परिवादी को 70,750/- रू0 अदा करें, जिसमें से 6,000/- रूपये मा‍नसिक प्रताड़ना के मद में तथा 64,750/- रूपये ब्‍याज के मद में अदा करने का आदेश दिया है।
  2.           इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने इस आधार पर प्रस्‍तुत की गयी है कि स्‍वयं उपभोक्‍ता द्वारा एफडी को तोडा़ गया था इसलिए कोई ब्‍याज देय नहीं था। अपीलार्थी की सेवा में कोई कमी नहीं है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा तथ्‍य एवं साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय पारित किया है।
  3.           दोनों विद्धान अधिवक्‍ताओं को सुना। पत्रावली का अवलोकन किया।
  4.           परिवादी का कथन है कि बैंक गारण्‍टी के उद्देश्‍य से 2 एफडीआर निर्मित की गयी थी, जिनकी परिपक्‍वता अवधि 13.10.1994 थी। परिवादी की अनुमति के बिना एफडीआर नम्‍बर 179233/52/153 एक वर्ष के लिए बना दी गयी तथा शेष धनराशि 30.10.1994 को अंकन 2,82,750/- रू0 चालू खाते में जमा करा दी गयी और यह खाता 25.07.1996 को बन्‍द कर दिया गया इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी ब्‍याज प्राप्‍त नहीं कर सका। ब्‍याज की हानि अंकन 25,000/- रू0 की हुई है। बैंक का कथन है कि समस्‍त कार्यवाही प्रत्‍यर्थी/परिवादी के निर्देशानुसार की गयी थी। उनके द्वारा लिखित में एक वर्ष की एफडीआर बनाने और शेष धनराशि चालू खाते में रखने का अनुरोध किया था इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी के निर्देशों का पालन किया गया है, जो धनराशि चालू खाते में जमा थी उसे निकाल लिया गया है। इसका लाभ प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उठाया गया है इसलिए किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई है। एनेक्‍जर सं0 2 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि एफडीआर की अवधि एक वर्ष है तथा 25 प्रतिशत चालू खाते में रखा जाना है चूंकि स्‍वयं इस आवेदन में चालू खाते मे धनराशि जमा करने का उल्‍लेख है, परंतु इस पत्र पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी का हस्‍ताक्षर नहीं है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की अनुमति प्राप्‍त की गयी थी। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने खुद एफडी तुड़वायी थी परंतु खुद एफडी तुड़वाने का कोई अनुरोध पत्र पत्रावली पर मौजूद नहीं है इसलिए जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्‍य है।
  5.  

          अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।

उभय पक्ष अपीलीय वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(विकास सक्‍सेना)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

 

 

संदीप आशु0 कोर्ट 3

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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