Rajasthan

Jhunjhunun

EA/39/2014

Ranavir Singh - Complainant(s)

Versus

M/s Shonu Intar Praijej - Opp.Party(s)

Ranaveer Singh

10 Feb 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. EA/39/2014
 
1. Ranavir Singh
Pilani, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. M/s Shonu Intar Praijej
Pilani, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

      तारीख हुक्म
    .                            परिवाद संख्या 39/14
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
रणवीर सिंह  बनाम   मैसर्स सोनू इन्टर प्राईजेज, दुकान नम्बर 27, नेहरू प्लेस द्वितीय
                   पिलानी जरिये प्रो0 मनोज सोमानी व राकेष सोमानी, दुकान नं0 27
                   नेहरू प्लेस द्वितीय पिलानी तहसील चिड़ावा जिला झुंझुनू (राज.) 
                                नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
10.02.2016           प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 25 व 27 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम,1986  
        प्रार्थी की ओर से स्वंय परिवादी उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री प्रमोद पूनियां उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
        विद्वान् अधिवक्ता प्रार्थी ने प्रार्थना पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि प्रार्थी/परिवादी ने इस मंच के समक्ष एक परिवाद संख्या 370/12 पेष किया था, जिसके निर्णय दिनांक        09.01.2013 के अनुसार विपक्षी को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी का मोबाइल 15 दिन में ठीक कर देवे अथवा परिवादी से मोबाइल कीमत 4400/-रूपये जो बिल संख्या 3448 दिनांक 12.09.2010 से विपक्षी ने प्राप्त की थी, वह राषि 4400/-रूपये परिवादी को भुगतान करे। परिवादी मानसिक एवं शारीरिक संताप तथा परिवाद व्यय के 500/-रूपये कुल 4900/-रूपये विपक्षी से प्राप्त करेगा।
        विद्वान् अधिवक्ता प्रार्थी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी ने निर्णय की जानबूझकर पालना नहीं की है, जो न्यायालय आदेष की अवहेलना है।
        अंत में प्रार्थी ने प्रार्थना पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर विपक्षी सेे मंच के आदेष की पालना करवाकर प्रार्थी को तुरंत आदेषानुसार राषि दिलाये जाने की प्रार्थना की है।
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षी/अप्रार्थी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि प्रार्थी ने विपक्षी से व्यक्तिषः कोई सम्पर्क नहीं किया है तथा विपक्षी मंच द्वारा पारित निर्णय की पालना हेतु सदैव तत्पर है। इस प्रकार विपक्षी द्वारा माननीय मंच के आदेष की कोई अवहेलना नहीं की गई है। 
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
        पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि परिवादी विपक्षी के पास आदेष दिनांक 09.01.2013 की पालना में मोबाइल फोन ठीक कराने हेतु गया तो विपक्षी ने उसका मोबाइल फोन ठीक करके नहीं दिया तथा कहा कि वह परिवादी का फोन ठीक नहीं करेगा। इस संबंध में परिवादी ने स्वंय का शपथ पत्र पेष किया है। प्रार्थी के शपथपत्र का विपक्षी की ओर से कोई खण्डन नहीं किया गया है । इसलिये इस पर अविष्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है। आज तक विपक्षी द्वारा आदेष की पालना क्यों नहीं की गई, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं किया गया है। 
      अतः विपक्षी को हिदायत देते हुये यह आदेष दिया जाता है कि प्रार्थी द्वारा विपक्षी के यहां मोबाइल जमा कराने पर निर्धारित समयावधि 15 दिवस में उसे ठीक करके देवे अथवा मोबाईल की कीमत व मानसिक पीड़ा की राषि जो इस मंच द्वारा तय की गई है, वह राषि तुरंत अदा की जावे। इस मंच के पूर्व आदेष की पालना नहीं करके अवज्ञात्मक रूप दर्षित न करें तथा उक्त पालना में किसी प्रकार की कोताही व हठधर्मिता नहीं बरतें । इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
         आदेश आज दिनांक 10.02.2016 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
         पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

    

 

 

 

 

 

 

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