Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/3082

United India Insurance Co. Ltd. - Complainant(s)

Versus

M/S Shival Cement P Ltd. - Opp.Party(s)

Anand Mohan Prasun Rai

16 Nov 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/3082
( Date of Filing : 11 Dec 2002 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. United India Insurance Co. Ltd.
Lko
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Shival Cement P Ltd.
Meerut
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Nov 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-3082/2002

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या-23/96 में पारित निर्णय दिनांक 12.11.2002 के विरूद्ध)

युनाइटेड इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी लि0।               .....अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

 

मैसर्स शिवाली सीमेन्‍ट प्रा0लि0 55 बागपत रोड एच.के.बिल्डिंग

मेरठ सिटी द्वारा श्री महेन्‍द्र कुमार बंसल पुत्र श्री कन्‍हैया लाल बंसल

मैनेजिंग डायरेक्‍टर।                              ......प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री अनिल कुमार श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री आर0के0 गुप्‍ता, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 29.12.2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 23/96 मै0 शिवाली सीमेन्‍ट बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 12.11.2002 के विरूद्ध यह अपील बीमा कंपनी द्वारा प्रस्‍तुत की गई है। परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया गया है कि बीमा राशि अंकन 5 लाख रूपये 12 प्रतिशत ब्‍याज सहित परिवादी को अदा किया जाए।

2.   परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी सीमेन्‍ट का व्‍यापार करते हैं। सीमेन्‍ट स्‍टाक करने के लिए गोदाम एक वर्ष के लिए बीमा कवर नोट दि. 22.04.94 को लिया गया था, जो अग्नि आदि से होने वाले नुकसान के लिए सुरक्षित था। दि. 25.07.94 को अग्नि के साथ फ्लड भी शामिल कर लिया गया। दि. 19.08.94 को 18191 सीमेन्‍ट के बोरे गोदाम में रखे हुए थे, जिनका बाजारी छूट रू. 2070000/- था। 18 अगस्‍त 1994

-2-

को लगभग 2 बजे दोपहर के बाद से मेरठ में भारी वर्षा हुई और सारी रात पानी बरसता रहा और लगभग 4 इंच पानी गोदाम के अंदर घुस गया, जिससे सीमेन्‍ट बोरी के नीचे पानी आया और सीमेन्‍ट बोरियां खराब हो गईं। दि. 19.08.94 को लगभग 11 बजे दोपहर कर्मचारियों द्वारा सीमेन्‍ट में क्षति होने की बात परिवादी को बताई गई। मौके पर खराब हुई बोरियां छुटवाई गई और पाया गया 4500 बोरे सीमेन्‍ट खराब हो गया, जो कतई प्रयोग करने लायक नहीं था। इस सीमेन्‍ट की कीमत रू. 513000/- थी। प्रति बोरी सीमेन्‍ट की कीमत रू. 1400/- थी। बीमा कंपनी को सूचित किया गया। बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया। बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्‍त किया गया। उनके द्वारा दि. 25.08.94 को मौके पर परीक्षण किया गया, परन्‍तु नुकसान का भुगतान नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

3.   विपक्षी बीमा कंपनी का कथन है कि घटना वाली रात में भारी वर्षा नहीं हुई और न ही गोदाम में पानी भरा था। परिवादी ने नुकसान की तादाद बढ़ाने के लिए झूठी कहानी बनाई है। बीमा कंपनी को दि. 23.08.94 को सूचना प्राप्‍त हुई। स्‍वयं परिवादी ने सर्वेयर के साथ कोई सहयोग नहीं किया। यह भी उल्‍लेख किया गया कि पालिसी केवल आग की भरपाई के लिए थी न कि वर्षा एवं बाढ़ से नुकसान होने की भरपाई के लिए। बाढ़ का जोखिम दि. 25.07.94 को बढ़वाया गया, जिससे यह जाहिर होता है कि परिवादी द्वारा जानबूझकर बाढ़ से अनुचित लाभ प्राप्‍त करने की नीयत से ऐसा किया गया। नुकसान को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया। वर्षा का कोई प्रमाणपत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया। आसपास के लोगों ने नुकसान की पुष्टि नहीं की न ही बरसात के कारण किसी अन्‍य व्‍यक्ति का नुकसान हुआ था।

-3-

4.   दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा निष्‍कर्ष दिया गया कि बीमा कंपनी बीमा क्‍लेम अदा करने के लिए उत्‍तरदायी है। तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया गया है।

5.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय तथ्‍य एवं विधि के विपरीत है। साक्ष्‍य का सही मूल्‍यांकन नहीं किया गया। बाढ़ से परिवादी के सीमेन्‍ट को कोई नुकसान नहीं हुआ। परिवादी द्वारा आश्‍यपूर्वक बाढ़ से सुरक्षा का कवर बाद में बढ़वाया गया। सूचना देने की तिथि 19.08.94 लिखी गई, परन्‍तु यथार्थ में सूचना दि. 23.08.94 को प्राप्‍त हुई है। इस देरी को कभी स्‍पष्‍ट नहीं किया गया, इसलिए बीमा कंपनी की सेवा में कोई कमी नहीं है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने गलत निर्णय पारित किया है, जो अपास्‍त होने योग्‍य है।

6.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.   परिवादी का यह कथन है कि दि. 19.08.94 को तेज बरसात के कारण गोदाम में पानी घुस गया। गोदाम में कुल 18191 सीमेन्‍ट के बोरे रखे होना कहा गया और लगभग 4 इंच पानी गोदाम में घुसने का उल्‍लेख परिवाद पत्र में कहा गया है, 4 इंच पानी भी लगभग बताया गया है, यथार्थ में पानी कितना घुसा, इसका सुनिश्चित उल्‍लेख न परिवाद पत्र में किया गया है न साक्ष्‍य से साबित किया गया है। किसी गोदाम में 4 इंच पानी उस स्थिति में घुस सकता है जब बरसात के कारण किसी शहर की समस्‍त  सड़के विशेषत: वह सड़के तथा इलाके जिसमें गोदाम स्थित है पानी से लबालब भर जाए और यहां तक कि गोदाम के शटर यानी उसकी सतह से ऊपर पानी चला जाए। बरसात की इस उच्‍च मात्रा को साबित करने के लिए

-4-

मौसम विभाग द्वारा दर्ज की गई बरसात से सूचना प्राप्‍त कर जिला उपभोक्‍ता मंच के समक्ष प्रस्‍तुत की जानी चाहिए थी, क्‍योंकि जब तक यह तथ्‍य साबित नहीं होता कि यथार्थ में एक रात में इस स्‍तर की भारी बरसात हुई थी कि संपूर्ण क्षेत्र में पानी भरने के बाद गोदाम के अंदर भी 4 इंच पानी चला गया, कोई भी गोदाम जमीन के समतल नहीं हो सकता। गोदाम की ऊंचाई गोदाम का काट जमीन से ऊंचा होता है, गोदाम में पानी भरने के लिए एक रात में कई सेन्‍टीमीटर वर्षा होना जरूरी है। परिवादी का यह कहना नहीं है कि गोदाम में बाढ़ का पानी घुसा, परिवादी का यह भी कहना नहीं है कि नहर कटने या बादल फटने जैसी कोई घटना हुई हो, जिसके कारण पानी का एक सैलाब गोदाम की तरफ आया हो। 18 अगस्‍त 1994 को दोपहर 2 बजे के बाद बरसात होने का उल्‍लेख परिवाद पत्र में है। सारी रात बरसात होने के बावजूद गोदाम में पानी घुसने का तथ्‍य एक सुनिश्‍चित साक्ष्‍य से साबित किया जाना चाहिए। एक बीमा प्रीमियम अदा करने का तात्‍पर्य यह नहीं है कि बीमा कंपनी से लाखों रूपये प्राप्‍त करने के लिए अपुष्‍ट तथ्‍यों से परिपूर्ण परिवाद उपभोक्‍ता परिवाद के समक्ष प्रस्‍तुत कर दिया जाए।

8.   इस परिस्थिति का उल्‍लेख करना भी समीचीन है कि परिवादी द्वारा प्रारंभ में केवल अग्नि से सुरक्षा के लिए बीमा पालिसी प्राप्‍त की गई, बाद में इसको बाढ़ से सुरक्षा के लिए भी बढ़ाया गया और यह बाढ़ से सुरक्षा पालिसी लेने के तुरंत बाद यानी 10 दिन के आसपास भारी बरसात दर्शाते हुए गोदाम में पानी भरना बता दिया गया। इस आयोग का यह कहना नहीं है कि भारी बरसात के कारण गोदाम में पानी नहीं भर सकता, परन्‍तु यदि एक ही दिन में इस स्‍तर की बरसात हुई है कि गोदाम में पानी भर जाए

-5-

तब इस बरसात को बहुत भारी बरसात कहा जाएगा,‍ जिसका रिकार्ड मौसम विभाग के पास दर्ज होगा, जिसमें दर्ज होगा कि कितने सेन्‍टीमीटर बरसात मेरठ में हुई है, परन्‍तु बरसात की गहनता को साबित करने का कोई प्रयास परिवादी द्वारा नहीं किया गया।

9.   सर्वेयर द्वारा मौके पर जाकर निरीक्षण किया है और यह पाया कि बाढ़ से नुकसान का कोई सबूत मौके पर मौजूद नहीं है। सर्वेयर द्वारा मौके पर पानी से भीगा हुआ स्‍टोप भी नहीं पाया गया, अत: इस आयोग के मत में फर्जी क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने भारी बरसात के बिन्‍दु पर कोई निष्‍कर्ष नहीं दिया और केवल परिवादी के कथन मात्र को बगैर किसी सबूत के सही मान लिया है, अत: यह निर्णय साक्ष्‍य की काल्‍पनिक व्‍याख्‍या पर आधारित है, तदनुसार अपास्‍त होने योग्‍य है। प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

10.  अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है। परिवाद खारिज किया जाता है।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

          

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

        (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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