Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/167

D T D C Courier - Complainant(s)

Versus

M/S Sharp Farmacutical Pvt, Ltd. - Opp.Party(s)

Anil Kumar chaubay

09 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/167
( Date of Filing : 04 Feb 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. D T D C Courier
a
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Sharp Farmacutical Pvt, Ltd.
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Mar 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-167/2003

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-689/1998 में पारित निर्णय व आदेश दि. 03.12.02 के विरूद्ध)

डी0टी0डी0सी0 कोरियर एण्‍ड कारगो लि0 रोहित भवन, सप्रू मार्ग,

लखनऊ द्वारा सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक व एक अन्‍य।

                                       .....अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

 

मै0 शार्प फारमास्‍यूटिकल्‍स प्रा0 लि0 प्रधान कार्यालय सातवां के0एम0

स्‍टोन मेरठ रोड, मुजफ्फरनगर द्वारा सी0 एण्‍ड एफ मे0 भल्‍ला

डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स 7, लाल बिल्डिंग, गोविन्‍द नगर, कानपुर व एक अन्‍य।

                                        ......प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री एस0पी0 पाण्‍डेय, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

दिनांक 04.04.2022

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 689/1998 मै0 शार्प फारमास्‍यूटिकल्‍स प्रा0 लि0 बनाम मै0 डेस्‍क टू डेस्‍क कोरियर एण्‍ड कारगो लि0 में पारित निर्णय व आदेश दि. 03.12.02 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। परिवादी को आदेशित किया गया है कि माल मूल्‍य अंकन रू. 40080/- का व्‍यापार कर रू. 1224/- 12 प्रतिशत ब्‍याज सहित परिवादी को अदा किया जाए।

2.   परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने 10 गत्‍ते की पेटी विपक्षी संख्‍या 1 को विपक्षी संख्‍या 1 के माध्‍यम से दि. 12.05.98 को प्रेषित की थी। विपक्षी संख्‍या 1 कोरियर एजेन्‍सी है, जो माल को एक स्‍थान

 

 

-2-

से दूसरे स्‍थान पर पहुंचाती है। 10 पेटी का मूल्‍य रू. 40080/- है, जिसमें 1224/- व्‍यापार कर का भुगतान किया गया है, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या 1 ने

यह सामान विपक्षी संख्‍या 2 को उपलब्‍ध नहीं कराया, इसलिए क्षतिपूर्ति के लिए वाद प्रस्‍तुत किया गया।   

3.   विपक्षी संख्‍या 1 का कथन है कि माल पहुंचाने समय यह नहीं बताया गया कि इसके अंदर क्‍या वस्‍तु है, इसलिए विपक्षी सौ रूपये से अधिक की क्षतिपूर्ति के लिए उत्‍तरदायी नहीं है। सामान का रिकार्ड केवल 3 महीने रखा जाता है तत्‍पश्‍चात नष्‍ट कर दिया जाता है। विपक्षी संख्‍या 2 के मध्‍य विवाद का कोई संबंध विपक्षी संख्‍या 1 से नहीं है।

4.   दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा विपक्षी संख्‍या 1 को उत्‍तरदायी मानते हुए उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया गया है।

5.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने गैर उपभोक्‍ता परिवाद को स्‍वीकार करते हुए व्‍यावसायिक विवाद पर निर्णय पारित किया है। इस बिन्‍दु पर विचार नहीं किया गया कि पैकेट के अंदर क्‍या सामान मौजूद था, इसलिए अपीलार्थी केवल सौ रूपये की सीमा तक उत्‍तरदायी है।

6.   केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

7.   अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि सौ रूपये से अधिक का उत्‍तरदायित्‍व अपीलार्थी का नहीं हो सकता। उनके द्वारा अपने तर्क के समर्थन में नजीर भारथी निटिंग कंपनी बनाम डी.एच.एल. वर्ल्‍ड

-3-

वाइट एक्‍सप्रेस की निर्णय की प्रति प्रस्‍तुत की गई है। मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा व्‍यवस्‍था दी गई है कि यदि कोरियर द्वारा सामान को डिलीवर नहीं किया गया है तब जिला उपभोक्‍ता मंच दोनों पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार से अधिक क्षतिपूर्ति की राशि नहीं दिला सकते और यदि पक्षकारों के मध्‍य जटिल तथ्‍यात्‍मक विवाद है तब प्रकरण सिविल कोर्ट को रेफर कर देना चाहिए। इसी प्रकार इस आयोग द्वारा डेस्‍क टू डेस्‍क कोरियर एण्‍ड कारगो लि0 बनाम शत्रुघ्‍न सोनेजा में पारित निर्णय की प्रति प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें पक्षकार के मध्‍य यह करार हुआ था कि परिवहन के दौरान कारित निष्‍कर्ष पर कोरियर कंपनी का उत्‍तरदायित्‍व केवल रू. 100/- तक सीमित रहेगा, जब तक कि पक्षकार द्वारा उच्‍च दर का खुलासा न किया गया और देय अतिरिक्‍त शुल्‍क अदा न किया गया हो, अत: उपरोक्‍त नजीरों के आलोक में इस बिन्‍दु पर विचार करना है कि दोनों पक्षकारों के मध्‍य परिवहन करने से पूर्व क्‍या शर्तें तय हुई हैं। परिवाद पत्र में उल्‍लेख है कि विपक्षी संख्‍या 1 ने माल भेजे जाने हेतु शुल्‍क के रूप में रू. 4720/- प्राप्‍त किए थे, परन्‍तु परिवाद पत्र में उल्‍लेख नहीं है कि जो पैकेट सुपुर्द किए गए थे उनके ऊपर यह खुलासा कर दिया गया था कि पैकेट के अंदर कितनी कीमत का क्‍या सामान मौजूद है, अत: चूंकि यह विवरण परिवाद पत्र में मौजूद नहीं है, इसलिए साबित होने का भी प्रश्‍न नहीं है, अत: उपरोक्‍त नजीरों के आलोक में कहा जा सकता है कि परिवादी केवल अंकन रू. 4720/- जो उसके द्वारा अदा किए गए हैं प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत हैं, क्‍योंकि अपीलार्थी कंपनी की सीमा रू. 100/- तक है। इस तथ्‍य को अपीलार्थी द्वारा भी साबित नहीं किया गया, इसलिए उपभोक्‍ता मंच द्वारा

 

-4-

केवल रू. 4720/- वापस लौटाए जाने का आदेश दिया जा सकता था और यदि परिवादी संपूर्ण सामान की क्षतिपूर्ति चाहता है तो क्षति के तथ्‍य को साबित करने के उद्देश्‍य से वह सक्षम न्‍यायालय में वाद प्रस्‍तुत कर सकता है।

आदेश

8.   अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को उसके द्वारा दिए गए शुल्‍क अंकन रू. 4720/- परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज के साथ वापस लौटाया जाए।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (राजेन्‍द्र सिंह)                        (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                              सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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