Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/27

Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

M/s Santosh Traders - Opp.Party(s)

Kamesh Gupta

24 Nov 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/27
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Allahabad Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. M/s Santosh Traders
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 24 Nov 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-27/2011

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वितीय(अतिरिक्‍त पीठ) लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या-201/2004 में पारित आदेश दिनांक 13.12.10 के विरूद्ध)

इलाहाबाद बैंक द्वारा ब्रांच मैनेजर, कुम्‍हरावां ब्रांच लखनऊ। .......अपीलाथी/विपक्षी

बनाम्

 

मैसर्स संतोष ट्रेडर्स कुम्‍हरावां, पी0ओ0, मोहाना जिला लखनऊ।

                                               ........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    : श्री कामेस गुप्‍ता, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     :श्री आर0के0 मिश्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 16.12.16

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम द्वितीय(अतिरिक्‍त पीठ) लखनऊ के परिवाद संख्‍या 201/04 में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 13.12.10 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

      '' परिवादी मैसर्स संतोष ट्रेडर्स कुम्‍हरावां, महोना, लखनऊ का यह परिवाद विपक्षी संख्‍या 2 इलाहाबाद बैंक, कुम्‍हरावां लखनऊ के विरूद्ध सव्‍यय आज्ञप्‍त किया जाता है और विपक्षी संख्‍या 2 इलाहाबाद बैंक को यह निर्देश दिया जाता है कि वह इस निर्णय की प्रमाणित प्रति प्राप्‍त होने के एक माह के अंदर परिवादी को बीमित धनराशि रू. 160000/- अदा करें तथा इस धनराशि पर ता अदायगी उपरोक्‍त धनराशि परिवादी की दुकान में आग लगने की तिथि दि. 26/27 अप्रैल, 2003 से उपरोक्‍त धनराशि 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज के साथ अदा करें तथा वाद व्‍यय तैंतीस सौ रूपया भी अदा करें।''

      संक्षेप में परिवादी का कथन है कि उसने अपनी दुकान चलाने के लिए इलाहाबाद बैंक शाखा कुम्‍हरावां से रू. 125000/- का ऋण लिया था जिसका बीमा विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी के एकाउन्‍ट से रू. 830/- की प्रीमियम राशि काटकर दिया गया था। यह बीमा दि. 05.02.2003 से दि. 04.02.2004 तक के लिए था, जिसका बीमित मूल्‍य रू. 160000/- था। परिवादी की दुकान में दि. 26/27 अप्रैल, 2003 को मध्‍य रात्रि में आग लग गई जिसको अग्निशमन दस्‍ते

-2-

ने बुझाया तथा अग्निशमन दस्‍ते ने अनुमान लगाया कि इस आगजनी में लगभग दो लाख रूपये का जनरल मर्चेन्‍ट का सामान जल गया है। परिवादी ने दि. 28.04.2003 को अपनी दुकान में आग लगने की सूचना उपरोक्‍त इलाहाबाद बैंक को दिया और बीमा कंपनी को भी सूचित करने के लिए कहा। बीमा कंपनी के सर्वेयर ने भी घटना स्‍थल का निरीक्षण किया, परन्‍तु अन्‍तत: परिवादी को किसी विपक्षी ने कोई बीमित धनराशि अदा नहीं किया।   

      पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस को सुना गया एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।

      अपीलार्थी का कथन है कि अपीलार्थी बैंक ने प्रत्‍यर्थी संतोष ट्रेडर्स को रू. 125000/- का ऋण स्‍वीकृत किया था और चूंकि ओरियंटल इं0कंपनी से बीमे के संबंध में उनका समझौता था, अत: किए गए बीमे के प्रीमियम का भुगतान उनके द्वारा परिवादी के एकाउन्‍ट से काटकर जमा किया गया था और बैंक ड्राफ्ट के माध्‍यम से बीमा कंपनी को भेजा गया था। इस प्रकार ओरियंटल इं0 कंपनी से बीमा कराने के संबंध में परिवादी के हित में सेवा प्रदान की गई थी। इस प्रकरण में अन्‍य कोई संबंध अपीलार्थी का नहीं था। परिवादी को जो भी क्‍लेम है वह ओरियंटल इं0 कंपनी के विरूद्ध है। इस तथ्‍य को बीमा कंपनी ने भी स्‍वीकार किया है कि बीमा ओरियंटल इं0 कंपनी ने किया था। बीमा संबंधी अग्रिम कार्यवाही में बैंक की भूमिका थी। परिवादी ने अपनी दुकान का कार्य स्‍थल बदला था जिसकी सूचना उसके द्वारा बीमा कंपनी को नहीं दी गई। इसके लिए बैंक को उत्‍तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। परिवादी द्वारा कोई ऋण का भुगतान नहीं किया जा रहा है, इस प्रकार उसका खाता एनपीए हो गया।

      परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा यह अभिकथन किया गया कि दि. 26/27.04.2003 की रात्रि को आग लगी। उसके द्वारा दि. 07.04.03 को दुकान के कार्य स्‍थल को गुलालपुर से कुम्‍हरावां में स्‍थानांतरित किया गया। बीमा कंपनी ने स्‍वयं दुकान की क्षति का आकलन अपने सर्वेयर द्वारा कराया था। दुकान के स्‍थानांतरण की सूचना बैंक को दि. 07.04.03 में दी थी।

      यह तथ्‍य निर्विवाद है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने अपीलार्थी इलाहाबाद बैंक से रू. 125000/- का ऋण अपनी दुकान के लिए लिया था। दुकान पहले गुलालपुर में स्थित थी। दि. 07.04.03 को कार्य स्‍थल कुम्‍हरावां में स्‍थानांतरित किया गया। परिवादी/प्रत्‍यर्थी का यह कथन है कि उसके द्वारा बैंक को सूचित किया गया था। पत्रावली पर कोई ऐसा साक्ष्‍य परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने प्रस्‍तुत नहीं किया है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि बीमा कंपनी को बीमा स्‍थल के

 

-3-

स्‍थानांतरण की कोई सूचना दी गई हो। बीमा पालिसी बीमा कंपनी और बीमित व्‍यक्ति के मध्‍य एक संविदा है। इसमें बैंक(अपीलार्थी) की कोई भूमिका नहीं है। बैंक की भूमिका केवल एक फैसीलिटेटर(सरलीकरण) के रूप में थी। यह जिम्‍मेदारी परिवादी/प्रत्‍यर्थी की थी कि वह अपने कार्य स्‍थल के बदलने की सूचना बीमा कंपनी को देता। इस तथ्‍य को सर्वेयर अजय कुमार कपूर के द्वारा अपनी सर्वे रिपोर्ट में भी दर्शाया है। सर्वेयर ने अपनी संस्‍तुति में अंकित किया है कि जिस स्‍थल पर आग लगी वह इंश्‍योर्ड के पते से अलग थी। परिवादी ने स्‍वयं यह स्‍वीकार किया है कि दि. 07.04.03 को प्रबंधक इलाहाबाद बैंक शाखा कुम्‍हरावां को सूचित किया था कि परिवादी ने अपनी दुकान का सेवा स्‍टाक कुम्‍हरावां स्थित दुकान पर स्‍थानांतरित कर दिया है, जबकि यह परिवादी की जिम्‍मेदारी थी कि वह बीमित स्‍थल के परिवर्तन/स्‍थानांतरित करने की सूचना बीमा कंपनी को देता, जो उसके द्वारा नहीं की गई, केवल बैंक को सूचित कर देने से वह अपनी जिम्‍मेदारी से बच नहीं सकता है। इस प्रकार उपरोक्‍त विवेचना से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी की भूमिका इस प्रकरण में केवल फैसीलिटेटर की थी और उसे इस दुर्घटना के लिए बीमा धनराशि दिलाए जाने का जिला मंच का आदेश त्रुटिपूर्ण है तथा निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। तदनुसार अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि. 13.12.10 निरस्‍त किया जाता है।

      उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाए।

 

 

        (राम चरन चौधरी)                                 (राज कमल गुप्‍ता)

        पीठासीन सदस्‍य                                      सदस्‍य

राकेश, आशुलिपिक

      कोर्ट-4

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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