Uttar Pradesh

StateCommission

A/130/2024

Suman Singh - Complainant(s)

Versus

M/S Sahu Land Developers Pvt. Ltd. & Anothers - Opp.Party(s)

Umesh Kumar Srivastava

01 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/130/2024
( Date of Filing : 29 Jan 2024 )
(Arisen out of Order Dated 09/01/2024 in Case No. Complaint Case No. CC/84/2022 of District Lucknow-II)
 
1. Suman Singh
R/O L-44, Sec-L, L.D.A. Colony Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Sahu Land Developers Pvt. Ltd. & Anothers
Corporate Office, C-4015, First Floor, Meera Bai Marg Hazratganj Lucknow UP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Aug 2024
Final Order / Judgement

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-130/2024

सुमन सिंह पत्‍नी श्री अजय कुमार, निवासी एल-44, सेक्‍टर-एल, एल0डी0ए0 कालोनी, लखनऊ।

बनाम

मैसर्स साहू लैण्‍ड डेवलपर्स प्रा0लि0, कारपोरेट ऑफिस, सी-4015 प्रथम तल, मीराबाई मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ उ0प्र0 व एक अन्‍य

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थीगण के अधिवक्‍ता        : श्री संजय श्रीवास्‍तव

दिनांक :- 01.8.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ परिवादिनी सुमन सिंह की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-84/2022 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09.01.2024 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादिनी

द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के प्रोजेक्ट में भूखण्ड के आबंटन हेतु प्रार्थना पत्र के माध्यम से आवेदन किया था एवं उक्त भूखण्ड की कुल धनराशि 8,64,000/- थी, जिसे 12,000/-रू0 प्रतिमाह की किश्त पर दिनांक 29.9.2021 तक जमा करना था। प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी को निल डेट व निल अलॉटमेन्ट के माध्यम से एक भूखण्ड आवंटित किया गया तथा अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा उपरोक्त वर्णित धनराशि 8,64,000/-रु0 उक्त भूखण्ड हेतु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के यहाँ जमा करा दी गई। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी को आश्वासन दिया गया

-2-

कि वह निर्धारित समयावधि के भीतर योजना से संबंधित विकास के सभी कार्य पूरा करायेगा। परन्‍तु उपरोक्त वर्णित धनराशि जमा करने के बावजूद भी प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा निर्धारित समयावधि के अन्दर अपीलार्थी/परिवादिनी को कब्जा नहीं दिया गया।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी को यह बताया गया था कि उक्त योजना से संबंधित भूमि पर उनका विधिक कब्जा है तथा सक्षम अधिकारी द्वारा योजना का अनुमोदन करा लिया गया था, जबकि प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ने न तो इस योजना का अनुमोदन कराया और न ही विकास का कार्य किया। इसके पश्चात छः माह की अवधि के बीत जाने पर जब कोई विकास कार्य प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा उक्त भूमि पर निर्धारित समयावधि के भीतर नहीं किया गया, तब अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कार्यालय में दिनांक 01.10.2021 को सम्पर्क किया गया, परन्तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा उसको योजना के संबंध में कोई भी सूचना नहीं दी गयी, तब अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा दिनांक 29.10.2021 को एक प्रार्थना पत्र प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के कार्यालय में भूखण्ड की रजिस्ट्री हेतु प्रेषित किया गया, जिसका कोई भी जवाब प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा नहीं दिया गया। इसके पश्चात पत्र दिनांक 10.01.2022 के माध्यम से अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण से अपनी जमा धनराशि की वापसी हेतु प्रार्थना की गयी, परन्तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी।

परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादिनी का कथन है कि उपरोक्त वर्णित योजना में भूखण्ड के क्रय करने हेतु उसके द्वारा सम्पूर्ण धनराशि 8,64,000/-रू0 जमा करने के बावजूद भी

-3-

प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा न तो कोई भूखण्ड का कब्‍जा दिया गया और न ही योजना से संबंधित कोई भी विकास कार्य पूरा किया गया। ऐसा करके विपक्षी द्वारा परिवादिनी के प्रति सेवा में कमी की गयी है। अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण से जमा धनराशि मय ब्‍याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया है कि अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा उनके सीतापुर रोड, लखनऊ स्थित प्लाटिंग स्कीम में भूखण्ड के आवंटन हेतु आवेदन किया गया था। अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा स्कीम के नियम एवं शर्तों को समझकर और सहमत होकर भूखण्ड के आवंटन हेतु प्रार्थना पत्र पर हस्ताक्षर किये गये थे। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा उक्‍त योजना हेतु ग्राम शिवपुरी में जहाँ प्लाटिंग विकसित की गयी थी, जिसमें अपीलार्थी/परिवादिनी को भूखण्ड उपलव्ध कराना गया था, वह यू0पी0 के जोत चकबंदी अधिनियम-1953 के प्रावधानों के अधीन चकबंदी कार्यवाही के तहत था, जिसके कारण प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा कोई भी विकास कार्य नहीं किया जा सका।

 यह भी कथन किया गया कि जिस भूमि पर भूखण्ड काटे जाने हैं, उसके संबंध में यह हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा चकबंदी कार्यवाही पूरी की जाये ताकि विकास कार्य जल्‍दी से पूरा किया जा सके। यह भी कथन किया गया कि प्‍लाटिंग योजना का नक्शा जिला पंचायत द्वारा विधिवत अनुमोदित किया गया था तथा जिस भूमि में अपीलार्थी/परिवादिनी को भूखण्ड आवंटित किया जाना है, उस पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण का विधिवत

-4-

कब्जा है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी की उपस्थिति में परियोजना के अन्य सदस्यों के साथ ही दिनांक-16.7.2022 को भूखण्ड के संबंध में एक ओपन लाट्री भी आयोजित की जा चुकी है तथा चकबंदी आपरेशन और विकास कार्य पूरा होने के बाद उनके द्वारा लाटरी ड्रा के परिपेक्ष्य में आवंटन पत्र जारी किये जायेंगे और प्रश्‍नगत भूखण्ड का कब्जा अपीलार्थी/परिवादिनी को दे दिया जायेगा।

यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा भुगतान की गयी धनराशि उनके पास शत-प्रतिशत सुरक्षित है और शीघ्र ही सारे विकास कार्य और सुविधाओं को पूर्ण करके अपीलार्थी/परिवादिनी को भूखण्ड का कब्जा दे दिया जायेगा। यह भी कथन किया गया कि योजना की शर्तों के अनुसार धनराशि के रिफण्ड का कोई भी प्रावधान नहीं है और अपीलार्थी/परिवादिनी भूखण्ड के हिस्से की हकदार है, जोकि उसे दिनांक 16.07.2022 के लाट्री ड्रा में आवंटित किया गया है। योजना के नियत व शर्तों के क्लाज-12 के अनुसार योजना का सदस्य योजना के कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही जमा धनराशि से 10 प्रतिशत की कटौती के बाद धन वापसी की हकदार है। इस प्रकार चकबंदी आपरेशन के कारण ही प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण प्रश्‍नगत प्लाट का कब्जा अपीलार्थी/परिवादिनी को निर्धारित समय के भीतर नहीं दे पाये। अतः प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी के प्रति सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। अस्‍तु अपीलार्थी/परिवादिनी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।

 

 

-5-

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद, विपक्षी पक्ष के विरुद्ध, आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी पक्ष को एकल एवं संयुक्त रूप से आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी को निर्णय की तिथि से 30 दिन के भीतर, उसकी जमा धनराशि 8,64,000/-रु0 मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवाद दाखिल करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षी पक्ष, परिवादिनी को मानसिक कष्ट हेतु 1,00,000/- रू0 व वाद व्यय हेतु -10,000/- रू0 भी उक्त अवधि में अदा करें। निर्धारित 30 दिन की अवधि में उक्त धनराशियों अदा न करने पर विपक्षी पक्ष, परिवादिनी को उक्त धनराशियों पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करने के दायी होंगे।

प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करायी जाये।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य को विस्‍तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग

-6-

द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्‍मत है, परन्‍तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में आदेशित जमा धनराशि को 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की देयता के साथ परिवाद दाखिल करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की ति‍थि तक अदा करने हेतु प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को आदेशित किया है। वह वाद के सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए कम/अनुचित प्रतीत हो रही है, तद्नुसार 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की देयता को 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की देयता में परिवर्तित किया जाना उचित पाया जाता है, साथ ही उपरोक्‍त ब्‍याज की देयता, धनराशि जमा किये जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक अपीलार्थी/परिवादिनी को देय होगी। तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।

प्रत्‍यर्थीगण को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                               (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                

                                          अध्‍यक्ष                                                                                                                               

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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