Uttar Pradesh

StateCommission

A/2852/2016

Prathama Singh Urf Pratima Singh - Complainant(s)

Versus

M/S Sachdeva Medical Store - Opp.Party(s)

Pal Singh Yadav

07 Feb 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2852/2016
(Arisen out of Order Dated 25/10/2016 in Case No. C/17/2015 of District Lucknow-I)
 
1. Prathama Singh Urf Pratima Singh
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Sachdeva Medical Store
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 07 Feb 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-2852/2016

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम-प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 17/2015 में पारित आदेश दिनांक 25.10.2016 के विरूद्ध)

प्रथमा सिंह उर्फ प्रतिमा सिंह (एडवोकेट) आयु लगभग 28 वर्ष पत्‍नी चिरंजीव कुमार आर्य निवासिनी 4/448 सेक्‍टर एच0 जानकीपुरम, लखनऊ हाल पता 3/836 आदिल नगर भुनेश्‍वरीपुरम, आदिलनगर, लखनऊ।

                               .................अपीलार्थी/परिवादिनी

बनाम

मेसर्स सचदेवा मेडिकल स्‍टोर 21-22 निरालानगर, लखनऊ

                                 .................प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री पाल सिंह यादव,                

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री विनोद टंडन,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 23.03.2018

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-17/2015 प्रथमा सिंह उर्फ प्रतिमा सिंह बनाम मेसर्स सचदेवा मेडिकल स्‍टोर में जिला उपभोक्‍ता विवाद                प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश                          दिनांक 25.10.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष परिवाद की परिवादिनी प्रथमा सिंह उर्फ प्रतिमा सिंह की ओर से प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

-2-

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवादिनी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री पाल सिंह यादव और प्रत्‍यर्थी की ओर से              विद्वान अधिवक्‍ता श्री विनोद टंडन उपस्थित आए                    हैं। 

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन                के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के मेडिकल स्‍टोर से गोविन्‍द हास्पिटल एण्‍ड रिसर्च सेन्‍टर के निदेशक डा0 एम0के0 यादव के हास्पिटल में कार्यरत महिला डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव द्वारा लिखित पर्चा दिनांक 02.11.2014 को दिखाकर दवा क्रय किया और डाक्‍टर के निर्देशानुसार दवा खाना शुरू‍ किया, परन्‍तु अपीलार्थी/परिवादिनी के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार होने के बजाय स्थिति बिगड़ने लगी। तब अपीलार्थी/परिवादिनी ने डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव से सम्‍पर्क किया और उन्‍हें दवा दिखाया। तब दवा देखकर डाक्‍टर के होश उड़ गए और उनके मुँह से तुरन्‍त निकला कि भगवान का शुक्र है कि आपको कुछ नहीं हुआ है।

 

 

-3-

परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादिनी का कथन है कि डाक्‍टर ने बताया कि मेडिकल स्‍टोर वाले ने दवा गलत दी है, जो डिप्रेशन की है। यह दवा उनके पर्चे में नहीं लिखी गयी थी। डाक्‍टर ने तुरन्‍त दवा बन्‍द करने को कहा और दवा दूसरे मेडिकल स्‍टोर से लेने को कहा। तब अपीलार्थी/परिवादिनी ने दूसरे मेडिकल स्‍टोर से देवा लेकर खानी शुरू की तो उसे कुछ ही दिनों में लाभ हो             गया।

परिवा‍द पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादिनी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा दी गयी गलत दवा खाने के कारण उसे मानसिक, शारीरिक और आर्थिक क्षति हुई है। अत: उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है और कहा गया है कि                    दिनांक 02.11.2014 को उसकी दुकान से अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव द्वारा लिखित पर्चा दिखाकर दवा क्रय किए जाने का तथ्‍य गलत एवं भ्रामक है क्‍योंकि अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत पर्चा डा0 एम0के0 यादव द्वारा जारी किया गया है और पर्चे के नीचे डा0 एम0के0 यादव की मोहर लगी है।

लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि उसकी दुकान से दवा का जो कैश मेमा जारी  किया  गया  है  वह

 

 

-4-

दिनांक 11.11.2014 को श्रीमती प्रथमा सिंह के नाम है                तथा डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव के पर्चे पर बिक्री की गयी                 है।

लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा अधिवक्‍ता के माध्‍यम से उसे जो नोटिस भेजी गयी उस नोटिस पर प्रथमा सिंह अंकित है, जबकि डा0 एम0के0 यादव का पर्चा और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी का कैश मेमो प्रतिमा सिंह के नाम से है। अपीलार्थी/परिवादिनी ने नोटिस में कहीं भी अपना नाम प्रथमा सिंह उर्फ प्रतिमा सिंह नहीं वर्णित किया है।

लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह निष्‍कर्ष अंकित किया है कि यह स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी मेडिकल स्‍टोर द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी को डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव द्वारा लिखित दवायें बेची गयी जिनसे अपीलार्थी/परिवादिनी को कोई नुकसान हुआ और उसकी तबियत बिगड़ गयी। अत: जिला फोरम ने यह माना है कि परिवाद निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। तदनुसार जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है।

 

 

-5-

अपीलार्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश               साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी/परिवादिनी ने                        दिनांक 02.11.2014 को डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव द्वारा लिखित पर्चा दिखाकर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के मेडिकल स्‍टोर से दवा खरीदा है, परन्‍तु पर्चे में लिखी दवा न देकर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने दूसरी दवा दिया है, जिससे अपीलार्थी/परिवादिनी की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है और उसकी स्थिति बिगड़ी है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर परिवाद स्‍वीकार किया जाना और अपीलार्थी/परिवादिनी को प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से क्षतिपूर्ति दिलाया जाना आवश्‍यक है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है और इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     अपीलार्थी/परिवादिनी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सचदेवा मेडिकल स्‍टोर का जो कैश मेमो प्रस्‍तुत किया है, उसमें डाक्‍टर का नाम अंशुल श्रीवास्‍तव अंकित है और परिवाद पत्र के अनुसार भी अपीलार्थी/परिवादिनी ने डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव द्वारा लिखित पर्चे को दिखाकर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से दवा क्रय की है, परन्‍तु जिला फोरम              के  निर्णय  और  उपलब्‍ध  साक्ष्‍यों  से   यह   स्‍पष्‍ट   है   कि

 

 

-6-

अपीलार्थी/परिवादिनी ने जो पर्चा प्रस्‍तुत किया है, वह पर्चा               डा0 एम0के0 यादव द्वारा लिखित है, डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव द्वारा नहीं। पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्‍य नहीं है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि यह पर्चा डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव द्वारा तैयार किया गया है। परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादिनी ने डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव द्वारा लिखित पर्चा दिनांक 02.11.2014 को दिखाकर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के मेडिकल स्‍टोर से प्रश्‍नगत दवा क्रय की है, परन्‍तु उसने दिनांक 02.11.2014 का जो पर्चा प्रस्‍तुत किया है,                  वह डा0 एम0के0 यादव द्वारा तैयार किया गया है।                दिनांक 02.11.2014 को डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव द्वारा दिया गया पर्चा जिला फोरम अथवा आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/परिवादिनी का यह कथन स्‍वीकार किए जाने हेतु उचित आधार नहीं है कि उसने डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव का पर्चा दिखाकर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से दवा लिया था और उस पर्चे के अनुसार प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने उसे दवा न देकर दूसरी दवा दिया था।

     उपरोक्‍त विवेचना एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त यह स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/परिवादिनी यह

साबित करने में असफल रही है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी मेडिकल स्‍टोर द्वारा उसके द्वारा प्रस्‍तुत डा0 अंशुल श्रीवास्‍तव के पर्चे में अंकित दवा से भिन्‍न दवा दी गयी थी। अत: जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर कोई गलती नहीं की है। अत: जिला फोरम के निर्णय में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।

 

-7-

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील निरस्‍त की जाती है।

     अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

   

 (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                          अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0                        

कोर्ट नं0-1            

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
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