Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/53

A D A - Complainant(s)

Versus

M/s Rukmani Ice and Cold Storage - Opp.Party(s)

R K Gupta

04 May 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/53
( Date of Filing : 04 Jan 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. A D A
a
...........Appellant(s)
Versus
1. M/s Rukmani Ice and Cold Storage
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 May 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 53/2008

Agra Development Authority, Jaipur House, Agra Through Secretary.

                                                                                              ………..Appellant

 

                                                        Versus

M/s Rukmani Ice and Cold Storage Pvt. Ltd. Through Director Sri Rajendra Mohan Maheshwari S/o Late Sri Bhikam Chand situated at Regd Office, 114-Sanjay Place, City & District-Agra.

                                                                                         …………Respondent

समक्ष:-

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से : श्री आर0के0 गुप्‍ता, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से   : श्री वी0एस0 बिसारिया, विद्वान अधिवक्‍ता।  

                       

दिनांक:- 04.05.2022

 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 151/2000 मै0 रूकमनी आइस एण्‍ड कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0 व एक अन्‍य बनाम आगरा विकास प्राधिकरण में जिला उपभोक्‍ता आयोग प्रथम, आगरा द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 20.08.2007 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष इन आधारों पर प्रस्‍तुत गई है प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण उनके आवंटी नहीं हैं, इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण, अपीलार्थी/विपक्षी के उप‍भोक्‍ता नहीं हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करने का कोई अधिकार नहीं है। 

2.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 गुप्‍ता तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0एस0 बिसारिया ‍को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया गया।

3.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि मूल रूप से संजीव कुमार अग्रवाल नामक व्‍यक्ति को प्राधिकरण द्वारा भूखण्‍ड आवंटित किया गया था और उन्‍हीं के पक्ष में विक्रय विलेख निष्‍पादित किए गए। प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण के पक्ष में किसी प्रकार का कोई विलेख निष्‍पादित नहीं किया गया।

4.        प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने अपील के पैरा-4 में स्‍वयं स्‍वीकार किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी तथा उनके मध्‍य विक्रय विलेख तथा कब्‍जा देने के अलावा अन्‍य कोई सम्‍बन्‍ध नहीं हैं, यह वाक्‍यांश यथार्थ में निर्वचन की मांग करता है। इस वाक्‍यांश को पढ़ने से जाहिर होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी का यह कथन नहीं है कि कोई विक्रय पत्र निष्‍पादित किया है और उन्‍हें कब्‍जा प्रदान किया है। यदि प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण यह क्‍लेम मांगते हैं कि उन्‍होंने यह सम्‍पत्ति प्राधिकरण से क्रय की है और प्राधिकरण से कब्‍जा प्राप्‍त किया है तब यह हो सकता है कि दस्‍तावेज सुगमता से प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण के पास हो सकते हैं और यह दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किया जाना था, उनकी ओर से कभी ये दस्‍तावेज प्रस्‍तुत नहीं किए गए, फिर भी जिला उपभोक्‍ता आयोग ने प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को आवंटी स्‍वीकार कर लिया है। यदि इन प्रश्‍नों का उत्‍तर सकारात्‍मक है तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी का उपभोक्‍ता माना जा सकता है, परन्‍तु चूँकि इस तथ्‍य की कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर मौजूद नहीं है, अत: इसके बावजूद विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश पारित किया गया है जो अपास्‍त होने योग्‍य है। तदनुसार अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।     

                            आदेश

5.        अपील स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।        

          उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                     

    (सुशील कुमार)                           (विकास सक्‍सेना)

       सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0

कोर्ट नं0- 2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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