//जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक CC/2013/133
प्रस्तुति दिनांक 03/09/2013
श्रवण कुमार साहू आ. राममाउ साहू
उम्र 30 वर्ष,
साकिन बहतराई तह. व जिला बिलासपुर छ.ग. ......आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
- मेसर्स रूचि रियल हाइट्स एवं एलायड लिमिटेड
द्वारा मैनेजर ललित गोपाल आत्मज बी.पी.गोपाल
निवासी परिहार गली महिला थाना के पास मसानगंज
तह.व जिला बिलासपुर छ0ग0
- शिवप्रसाद विरम आत्मज मोहनराव विरम उम्र 31 साल
निवासी हाल मुकाम गंगा शापिंग माल
खमतराई रायपुर तह. व जिला रायपुर छ.ग.
वर्तमान पता-विरम मौलीधर मकान नं. 306
ब्लाक डी वृंदावन गार्डन मोआ रायपुर
तह. व जिला रायपुर छ.ग.
- श्रीमती प्रिति सराफ पति रूपेश सराफ उम्र लगभग 36 वर्ष
निवासी सिविल लाईन रायपुर
तह. व जिला रायपुर छ.ग. .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकारगण
आदेश
(आज दिनांक 30/05/2015 को पारित)
१. आवेदक श्रवण कुमार साहू ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक गण के विरूद्ध कदाचरण का व्यवसाय कर सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदगण से दुकान क्रय करने के लिए दिए गए अग्रिम रकम 1,00,000/-रू. को ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक किराना व्यवसायी है उसने मई 2011 में रूचि रियल स्टेट एवं एलायंड लिमिटेड के भागीदार अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा समाचारपत्र में प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर उनसे संपर्क किया और उनके द्वारा ग्राम चाटीडीह स्थित खसरा नंबर 211/01 के प्लाट नंबर 48/21 में से 12,000 वर्ग फुट पर निर्माणाधीन भवन एवं दुकान में से दुकान जी. 5 को 6,00,000/-रू. में क्रय करना स्वीकार कर बयाना राशि के रूप में दिनांक 23.05.2011 को 1,00,000/-रू. नगद जमा किया, जिसकी रसीद अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा उसे प्रदान की गई। शेष रकम को दुकान निर्माण के अनुरूप धीरे-धीरे किश्तों में अदा करना था, किंतु अचानक अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा निर्माण कार्य बंद कर दिया गया और केवल शीघ्र निर्माण का आश्वासन देते रहे बाद में पता चला कि अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा उक्त निर्माणाधीन व्यावसायिक परिसर को अनावेदक क्रमांक 3 के पास बिक्री कर दिया गया है । अत: यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा व्यवसायिक कदाचरण करते हुए न तो दुकान निर्माण का कार्य किया गया है और न ही उक्त दुकान के संबंध में विक्रय विलेख आवेदक के पक्ष में निष्पादित किया गया, बल्कि उसे अनावेदक क्रमांक 3 के पास बिक्री कर दिया गया है, अत: सेवा में कमी के आधार पर यह परिवाद पेश करते हुए अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।
3.अनावेदक गण मामले में एकपक्षीय रहे, उनके लिए कोई जवाबदावा दाखिल नहीं किया गया है।
4. आवेदक अधिवक्ता का एकपक्षीय तर्क सुना गया । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
5. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है \
सकारण निष्कर्ष
6. आवेदक अपने परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र के अलावा अग्रिम 1,00,000/-रू. की अदायगी रसीद, निर्माण स्थल का फोटोग्राफ्स, पुलिस में दर्ज करायी गई रिपोर्ट, अनावेदक क्रमांक 3 का नामांतरण आदेश तथा धोखाधडी के संबंध में प्रकाशित समाचारपत्र की कॉपी पेश किया है, जिससे भी आवेदक के परिवाद पत्र में किये गये कथनों की पुष्टि होती है तथा जिनका खंडन अनावेदकगण की मामले में अनुपस्थिति के कारण नहीं हो सका है, अत: खंडन के अभाव में उन पर अविश्वास किये जाने का कोई कारण नहीं पाया जाता ।
7. फलस्वरूप हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा मामले में आवेदक के साथ कदाचरणयुक्त व्यवसाय करते हुए सेवा में कमी की गई, किंतु ऐसा कोई तथ्य अनावेदक क्रमांक 3 के संबंध में नहीं पाया जाता । अत: हम आवेदक के पक्ष में अनावेदक क्रमांक 1 व 2 के विरूद्ध निम्न आदेश पारित करते हैं :-
अ. अनावेदक क्रमांक 1 व 2 संयुक्त एवं पृथक-पृथक रूप से आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर उसके द्वारा दुकान की बुकिंग के रूप में जमा किये गये 1,00,000/-रू. (एक लाख रूपये) की राशि अदा करेंगे और उस पर आवेदन दिनांक 03/09/2013 से ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करेंगे ।
ब. अनावेदक क्रमांक 1 व 2 आवेदक को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000/- रू.(पचास हजार रू.) की राशि भी अदा करेंगे।
स. अनावेदक क्रमांक 1 व 2 , आवेदक को वादव्यय के रूप में 2,000/- रू.(दो हजार रू.) की राशि भी अदा करेंगे।
द. अनावेदक क्रमांक 3 अपना वादव्यय स्वयं वहन करेगा।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य