DR. SUMITA JAIN filed a consumer case on 05 Aug 2014 against M/S ROSHAN MOTORS in the Jaipur-I Consumer Court. The case no is cc/289/2012 and the judgment uploaded on 27 May 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 289/2012
डाॅ0 श्रीमती सुमिता अ0 जैन पत्नी डाॅ0 श्री लक्ष्मण अग्रवाल, निवासी 10-बी स्कीम, नारायण निवास के सामने, गोपालपुरा बाईपास, जयपुर (राजस्थान)
परिवादी
ं बनाम
1. मैसर्स रोशन मोटर्स प्रा0लि0 अजमेर रोड़, जयपुर (राजस्थान) जरिए निदेशक Û
2. मैसर्स टाटा मोटर्स लि0 रजिस्टर्ड कार्यालय, बाम्बे हाउस, 24, होमी मोदी स्ट्रीट फोर्ट, मुम्बई 400001 जरिए प्राधिकृत अधिकारी Û
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री राजेश मूथा - परिवादी
श्री नीरज सेठी - विपक्षी सॅंख्या 1
श्री अनिल गुप्ता - विपक्षी सॅंख्या 2
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 19.03.12
आदेश दिनांक: 15.05.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी ने विपक्षी सॅंख्या 1 के यहां कार टाटा मांजा सेलिब्रेशन माॅडल मोनार्च रेड कलर बुक कराई । नई कार बुक कराते समय विपक्षी सॅंख्या 1 ने उसकी पुरानी कार के एक्सचेंज के बदले 60,000/- रूपए, डीलर डिस्काउंट के पेटे 20,000/- रूपए, डाॅक्टर डिस्काउंट के पेटे 5000/- रूपए व कार्निवल डिस्काउंट के पेटे 5000/- रूपए देना स्वीकार किया था । विपक्षी सॅंख्या 1 ने परिवादी से 1,00,000/- रूपए का चैक भी प्राप्त किया था और उसका भुगतान भी प्राप्त कर लिया और परिवादिनी के स्वामित्व व अधिकार की पुरानी कार आर.जे.14-2 सी-7070 भी प्राप्त कर ली परन्तु परिवादी को नई कार की डिलीवरी नहीं दी ना ही इस सम्बन्ध में कोई संतोषजनक जवाब दिया । परिवादिनी का कथन है कि विपक्षीगण उसके द्वारा अदा की गई राशि एवं उसके कार का अनावश्यक उपयोग एवं उपभोग कर रहे हैं । परिवादिनी ने दिनांक 27.02.2012 को विपक्षीगण को नोटिस भी प्रेषित किया परन्तु इसके बावजूद भी ना तो कार उपलब्ध करवाई ना ही उसके द्वारा जमा की गई राशि एवं पुरानी कार विक्रय करने के फलस्वरूप प्राप्त राशि को लौटाया है ना ही क्षतिपूर्ति की राशि अदा की है । परिवादिनी को 1,00,000/- रूपए जमा करवाई गई राशि का उपयोग-उपभोग करने पर ब्याज की राशि 12 प्रतिशत की दर से, मानिसक संताप व शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के लिए 2,00,000/- रूपए, कार को एक वर्ष अपने पास रखा उसे हुई मानसिक एवं शारीरिक क्षति के लिए 2,00,000/- रूपए, पुरानी कार वापिस दिलवाई जावे, परिवादी की पुरानी कार बिना इजाजत विक्रय कर देने के फलस्वरूप हुई मानसिक एवं शारीरिक क्षति के लिए 2,00,000/- रूपए, अधिवक्ता व्यय व नोटिस फीस के 21000/- रूपए दिलवाए जावें ।
विपक्षीगण की ओर से इस आशय का जवाब प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी ने जो कार टाटा माजा बुक करवाई थी वह बार-बार सम्पर्क करने के बाद भी विपक्षी सॅंख्या 1 से प्राप्त नहीं की इस कारण विपक्षी सॅंख्या 1 ने परिवादी को उक्त कार की बुकिंग राशि जरिए डिमाण्ड ड्राफ्ट सॅंख्या 180118 दिनांक 22.03.2012 को 1,00,000/- रूपए देना बैंक, एम.आई.रोड़ शाखा जयपुर को भिजवा दी है । इसके अलावा विपक्षी का कथन है कि पुरानी कार परिवादी की विपक्षी के यार्ड में खड़ी है जिसकी डिलीवरी विपक्षी के यार्ड से अविलम्ब प्राप्त की जा सकती है । विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब दिनांक 23.03.2012 को भिजवाया जा चुका है और अब कोई विवाद शेष नहीं है । विपक्षी का कथन है कि परिवादिनी बुक करवाई गई कार की डिलीवरी सूचना देने के बाद भी लेने नहीं आई । परिवादिनी ने कभी भी विपक्षी सॅंख्या 1 के यहां पर सम्पर्क नहीं किया और टालम-टोल करती रही । उक्त वाहन को विपक्षी सॅंख्या 1 ने 3 माह तक रोके रखा परन्तु जब परिवादिनी डिलीवरी लेने नहीं आई तो वाहन को फरवरी 2012 में विपक्षी सॅंख्या 1 ने अन्य व्यक्ति को विक्रय कर दिया । परिवादिनी की पुरानी कार भी विपक्षी के यार्ड में खड़ी है जिसे विक्रय नहीं किया गया है तथा परिवादिनी बार आग्रह करने पर भी पुरानी कार को नहीं लेकर गई । विपक्षी का कथन है कि उनके कारण परिवादिनी को कोई क्षति कारित नहीं हुई हे ना ही किसी प्रकार का मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हुआ है बल्कि परिवादिनी द्वारा वाहन की डिलीवर प्राप्त नहीं करने से विपक्षी सॅंख्या 1 को नुकसान उठाना पड़ा है एवं पुराना वाहन बेकार ही विपक्षी सॅंख्या 1 के यार्ड में खड़ा है जिसकी वजह से अन्य वाहन को खड़ा करने में परेशानी हो रही है । इस प्रकार के तथ्य व अन्य तथ्य अंकित करते हुए परिवाद खारिज किए जाने का निवेदन किया है ।
मंच द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनी गई , पेशशुदा लिखित तर्काे एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
इस प्रकरण में यह तथ्य निर्विवादित है कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी सॅंख्या 1 के यहां एक कार क्रय करने के लिए बुक करवाई थी जिसके पेटे उसने अपनी पुरानी कार विपक्षी को सौंप दी थी जिसके बदले उसे 60,000/- रूपए का एक्सचेंज आॅफर दिया गया था । इसके पश्चात विपक्षीगण ने ना तो परिवादिनी को नई कार दी और ना ही उसकी पुरानी का आर.जे.14-2 सी-7070 उसे वापिस लौटाई और उसकी जमाशुदा राशि 1,00,000/- रूपए भी परिवाद दायर करने के पश्चात दिनांक 22.03.2012 को लौटाई गई जिस पर किसी प्रकार का कोई ब्याज नहीं दिया गया है ।
विपक्षीगण का अपने बचाव मेें कहना है कि परिवादिनी को कार की डिलीवरी लेने के लिए बार-बार टेलीफोन किया गया परन्तु उसने नई कार की डिलीवरी प्राप्त नहीं की । पत्रावली पर विपक्षीगण की ओर से ऐसी कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिससे जाहिर होता हो कि परिवादिनी को नई कार लेने के लिए उसे टेलीफोन किए गए थे और ना ही परिवादिनी को कार की डिलीवरी लेने के लिए कोई लिखित नोटिस जारी किया गया है । यह कृत्य विपक्षीगण का सेवादोष की श्रेणी में आता है । इसके अलावा परिवादिनी द्वारा जमा करवाई गई 1,00,000/- रूपए की राशि भी उसे परिवाद दायर करने के पश्चात दी गई है जिस पर कोई ब्याज उसे अदा नहीं किया गया है । यह कृत्य भी विपक्षीगण का सेवादोष दर्शाता है । परिवादिनी के इस कथन का कोई प्रभावशाली खण्डन नहीं हो पाया है कि उससे पुरानी कार प्राप्त करने के पश्चात और 1,00,000/- रूपए जमा करवाने केे पश्चात भी नई कार का कब्जा नहीं सौंपा गया और बाद में उसे 1,00,000/- रूपए बिना ब्याज के लौटा दिए जो स्पष्टत: विपक्षीगण का सेवादोष दर्शाता है । इस प्रकार विपक्षीगण के कृत्य से स्वभाविक है कि परिवादिनी को अनावश्यक रूप से आर्थिक हानि उठानी पड़ी है जिसके लिए वह मुआवजा प्राप्त करने की अधिकारी है । जहां तक पुरानी कार वापिस नहीं लौटाने का प्रश्न है इस सम्बन्ध में मंच द्वारा ही परिवादिनी को छूट दी गई थी कि वह अपनी पुरानी कार विपक्षी से प्राप्त कर सकती है परन्तु परिवादिनी ने पुरानी कार वापिस लेेने के लिए कोई प्रभावशाली प्रयास नहीं किए । अत: कार न लौटाने में विपक्षीगण का कोई सेवादोष नहीं कहा जा सकता है ।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादिनी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षीगण आज से एक माह की अवधि मंे परिवादिनी को संयुक्त व अलग-अलग रूप से 1,00,000/- रूपए अक्षरे एक लाख रूपए पर 19.11.2011 से 22.03.2012 तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करेंगे । इसके अलावा परिवादिनी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करंेेेगे। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादिनी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगी । अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 15.05.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (राकेश कुमार माथुर)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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