Rajasthan

Ajmer

CC/65/2015

VICKY BADOTIYA - Complainant(s)

Versus

M/S RILEN MOTERS. - Opp.Party(s)

ADV. P.K KHORWAL

12 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/65/2015
 
1. VICKY BADOTIYA
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. M/S RILEN MOTERS.
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

विक्की बडोत्तिया पुत्र श्री घनष्याम सिंह, उम्र-23 वर्ष, जाति-कोली, षिव षांति नगर, धोलाभाटा छतरी के सामने, अजमेर । 

                                                -         प्रार्थी


                            बनाम


मैसर्स रेलन मोटर्स प्राईवेट लिमिटेड, रेल्वे हाॅस्प्टिल के पास, ब्यावर रोड, अजमेर जरिए सैल्स मैनेजर, मैसर्स रेलन मोटर्स प्राईवेट लिमिटेड, रेल्वे हाॅस्प्टिल के पास, ब्यावर रोड, अजमेर
                                               -          अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 65/2015  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री पी.के.खोरवाल, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री षेखर सेन,  अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 12.04.2016
 
1.           प्रार्थी ( जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगा) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी  के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि  उसने अप्रार्थी  से दिनंाक 
01.11.2013 को हीरो प्लेजर केन्डी  मोटर साईकिल जरिए बिल संख्या 10677  राषि रू. 44676/- में क्रय की ।  जिसका रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र अप्रार्थी ने   वाहन क्रय  किए जाने की दिनांक को उपलब्ध नहीं करा कर यह आष्वासन दिया कि वह जिला परिवहन अधिकारी, अजमेर के यहां से वाहन का रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र प्राप्त कर उपलब्ध करा देगा । साथ ही वाहन का बीमा प्रमाण पत्र भी उपलब्ध करा दिया जावेगा।  किन्तु अप्रार्थी ने बावजूद कई चक्कर लगाने के बाद भी उक्त प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराए, तो उसने दिनांक  26.09.2014 को  रजिस्टर्ड एडी नोटिस दिया । किन्तु अप्रार्थी ने नोटिस प्राप्ति  के उपरान्त भी उसे  वाहन के उक्त प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराए ।  उपभोक्ता ने अप्रार्थी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में उपभोक्ता ने  स्वयं का षपथपत्र पेष किया । 
2.    अप्रार्थी ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर  प्रारम्भिक आपत्तियों  में यह दर्षाया है कि  उपभोक्ता के कथनानुसार  उसने अपने स्तर पर जिला परिवहन अधिकारी, अजमेर से प्रष्नगत् वाहन का रजिस्ट्रेषन  प्रमाण पत्र प्राप्त करने  का प्रयास किया । किन्तु उसे उक्त प्रमाण पत्र जारी नहीं किया । इसलिए इस प्रकरण में जिला परिवहन अधिकारी एक आवष्यक पक्षकार है, जिसे उपभोक्ता ने परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया है । 
    आगे अपने जवाब में  यह कथन किया है कि  उपभोक्ता को वाहन क्रय किए जाते समय यह आष्वासन नहीं दिया गया था कि उसे जिला परिवहन अधिकारी,अजमेर के यहां से प्रष्नगत वाहन का रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र उपलब्ध करा देगें । बल्कि उपभोक्ता को यह बताया गया था कि  वाहन के पंजीकरण के लिए दस्तावेज जिला परिवहन विभाग में भेजने पर वहां से पंजीकरण पष्चात् वाहन का पंजीकरण पत्र प्राप्त होगा  और उक्त विभाग द्वारा पंजीकरण  प्रमाण पत्र संबंधित व्यक्ति के निवास स्थान पर जरिए डाक भिजवाया जाता है ।   उत्तरदाता अप्रार्थी को यह जानकारी हुई है कि उपभोक्ता  को  प्रष्नगत वाहन के पंजीकरण  नम्बर  आवंटित हो चुके हैं ।  उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना के साथ  जवाब परिवाद के समर्थन में श्री मधुर रेलन ने अपना ष्षपथपत्र पेष किया है 
3.    उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता ने प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया है कि अप्रार्थी ने  वाहन का सम्पूर्ण  विक्रय  प्रतिफल  प्राप्त कर वाहन का रजिस्ट्रेषन  प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं करवाया है  व बार बार निवेदन करने के बाद भी रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र  नहीं दिया गया ।  उसके द्वारा जिला परिवहन अधिकारी, अजमेर के यहां जाकर भी उक्त प्रमाण पत्र प्राप्त  करने हेतु निवेदन किया गया । किन्तु अब तक  रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं करवाया गया । उसे समय पर रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र  उपलब्ध नहीं करवाया जाकर बिना युक्तियुक्त कारण के चक्कर लगाते हुए परेषान कर अप्रार्थी ने  अपनी सेवा में कमी रखी है । इस कारण उसे गम्भीर मानसिक, षारीरिक एवं आर्थिक क्षति हुई है । फलतः अप्रार्थी वांछित अनुतोष प्रदान करने हेतु जिम्मेदार है । 
4.    अप्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने  खण्डन में  तर्क प्रस्तुत किया  है कि परिवाद में जिला परिवहन अधिकारी को पक्षकार नहीं बनाया गया है । विवाद के निराकरण हेतु साक्ष्य कलमबद्व कर  उनका विवेचन पष्चात्  निष्कर्ष निकाला जा सकता है  तथा ऐसे जटिल प्रष्नों को इस मंच को सुनने का क्षेत्राधिकार  नहीं है । इस कारण परिवाद पोषणीय नहीं है । गुणावगुण पर अपनी विस्तृत बहस में  यहीं प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया है कि उपभोक्ता को वाहन का विक्रय करते समय इस बात का आष्वासन नहीं दिया गया था कि अप्रार्थी  जिला परिवहन कार्यालय से वाहन का पंजीकरण करवा कर अपने स्तर पर  उपभोक्ता को  पंजीकरण पत्र उपलब्ध   करवाएगा ।  उपभोक्ता को सूचित किया गया था कि वह  अपने स्तर पर पंजीकरण हेतु जिला परिवहन अधिकारी के यहां दस्तावेज भेजे एवं वहां से इन्हें प्राप्त करे। 
5.    हमने परस्पर तर्क सुने एवं  पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया । 
6.    स्वीकृत रूप से उपभोक्ता द्वारा  अप्रार्थी कम्पनी से वाहन क्रय किया । इस बाबत  अप्रार्थी द्वारा जारी की गई रसीद में कीमत का उल्लेख है  किन्तु इसमें  इस वाहन के रजिस्ट्रेषन की फीस भी सम्मिलित हो, ऐसा कोई उल्लेख नहीं है ।  उपभोक्ता द्वारा  वाहन के पंजीकरण हेतु कोई फीस अलग से अप्रार्थी संस्थान के षो रूम  में जमा करवाई गई हो, ऐसा भी प्रलेख उसके द्वारा प्रस्तुत  नहीं किया गया है ।  उपभोक्ता द्वारा जिला परिवहन अधिकारी के यहां सम्पर्क कर  वहां पर वाहन के पंजीकरण हेतु किसी प्रकार का  कोई षुल्क जमा करवाया हो, ऐसा भी उसके द्वारा कोई प्रमाण  प्रस्तुत नहीं किया गया है । ऐसे हालात में  वाहन के पंजीकरण हेतु अप्रार्थी को प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है । फलतः अप्रार्थी की इन हालात में सेवा में कमी अथवा दोष रहा हो,ऐसा सिद्व नहीं माना जा सकता ।  जहां  तक जिला परिवहन अधिकारी को आवष्यक पक्षकार बनाए जाने का प्रष्न है, हस्तगत मामले में उपभोक्ता  ने अपना वाहन अप्रार्थी  से क्रय किया है ।  वाहन क्रय करते समय पंजीकरण बाबत् कोई षर्त रखी गई हो, ऐसा भी उपभोक्ता सिद्व नहीं कर पाया है । इन हालात में आवष्यक पक्षकार उपभोक्ता व वाहन  विक्रय करने वाली कम्पनी  ही रहती है, न कि जिला परिवहन अधिकारी । 
7.    जहां  तक  जटिल साक्ष्य के  प्रष्न बाबत् आपत्ति है, हस्तगत  मामले में ऐसा कोई  प्रष्न निहित नहीं है।  अतः इस  बाबत्   अप्रार्थी की आपत्ति भी सारहीन है ।  कुल मिलाकर  उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप  हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि  उपभोक्ता अप्रार्थी से किसी प्रकार का कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नही ंहै  एवं  उपभोक्ता की ओर से लाया गया यह परिवाद एतद् द्वारा निरस्त किए जाने योग्य है । 
                             -ःः आदेष:ः-
8.            उपभोक्ता का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 12.04.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           
 
  

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.