मौखिक
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-998/2010
नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी
बनाम
मेसर्स राम चन्द्र एंड ब्रदर्स
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री अशोक महरोत्रा,विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री ए0 के0 पांडेय, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :27.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी की ओर से विद्वान जिला आयोग, बांदा द्वारा परिवाद संख्या- 80/2002, मेसर्स रामचन्द्र एंड ब्रदर्स बनाम नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13.04.2010 के विरूद्ध योजित की गयी है।
2. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री अशोक महरोत्रा तथा प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री ए0 के0 पांडेय उपस्थित है। उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क सुने गये एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया।
3. परिवादी का कथन है कि वह एक पंजीकृत फर्म तथा टैंकर संख्या- यू0 पी0 90 ए 5440 का स्वामी है। टैंकर के ड्राइवर देवीदीन के पास वैधानिक ड्राइविंग लाइसेन्स दिनांक 23.08.2002 तक की अवधि के लिये उपलब्ध था तथा वह पेट्रोल पदार्थ ढोने के लिये अधिकृत है। दिनांक 02.06.2000 को माटा मोड़ थाना तिन्दवारी जिला बांदा पर ट्रक संख्या यू0 एच0 एच0 1987 को लापरवाही से चलाकर परिवादी की ट्रक में टक्कर मार दिया गया। टैंकर का बीमा दिनांक 30.12.1999 से 29.12.2000 तक के लिये वैध था। परिवादी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा कराया गया परन्तु बीमा की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया, जिससे क्षुब्ध होकर यह परिवाद योजित किया है।
4. विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा निर्विवाद रूप में ट्रक का बीमा किया जाना तथा वाहन दुर्घटनाग्रस्त होना स्वीकार है। विपक्षी द्धारा यह भी कथन किया गया है कि देवीदीन टैंकर चालक के पास पेट्रोलियम पदार्थ से भरा हुआ वाहन चलाने हेतु अधिकृत नहीं था। टैंकर में यात्री बैठाकर ले जाया जा रहा था जिसके लिये वह अधिकृत नहीं था। यह परिवाद गलत आधारों पर योजित किया गया है।
5. जिला आयोग ने परिवादी के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरान्त परिवाद को स्वीकार करते हुये विपक्षी परिवादी को अंकन 1,00,000.00 रूपये क्लेम निरस्त करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया है।
6. पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन किया गया। अपीलार्थी द्धारा अपील में कथन किया गया है कि जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश में तथ्यों को सही रूप से विश्लेषित नहीं किया गया है।
7. पत्रांक संख्या- 21 से सर्वेयर द्धारा दुर्घटना में हुई क्षति के लिये धनराशि अंकन 1,11,862.00 रूपये का आंकलन किया है। परन्तु सर्वेयर आख्या का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि सर्वेयर राकेश अग्रवाल द्धारा पुराने कलपुर्जो (साल्वेज) का कोई मूल्यांकन नहीं किया गया है। साल्वेज की कीमत 10 प्रतिशत कम किया जाना उचित है। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात पीठ का मत है कि अपीलार्थी द्धारा जिला आयोग के निर्णय के विरूद्ध जो तथ्य प्रस्तुत किए गए है उसमे बल नहीं है। निर्णय उचित एवं तथ्यों को विश्लेषित करते हुए दिया गया है, जिसमे हस्तक्षेप करने का कोई उचित आधार नहीं है। परन्तु जिला आयोग द्धारा धनराशि अंकन 1,00,000.00 रूपये पर जो 06 प्रतिशत ब्याज क्लेम निरस्त करने की दिनांक से अधिरोपित किया गया है वह तर्क संगत एवं न्यायोचित नहीं है पीठ के मत में अंकन 1,00,000.00 रूपये पर 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज, परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक दिया जाना उचित प्रतीत होता है। तद्नुसार, प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि धनराशि अंकन 1,00,000.00 रूपये पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा। शेष निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि राज्य आयोग के समक्ष जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित नियमानुसार वापस की जावेगी।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0,
कोर्ट-03