Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/1860

O I Co - Complainant(s)

Versus

M/s Rajiv Medical Store - Opp.Party(s)

B C Pandey

24 Sep 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/1860
( Date of Filing : 07 Aug 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. O I Co
A
...........Appellant(s)
Versus
1. M/s Rajiv Medical Store
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 24 Sep 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-१८६०/२००६

 

(विद्वान जिला फोरम/आयोग, हरदोई द्वारा परिवाद सं0-२८/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०४-०७-२००६ के विरूद्ध)

दी ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कं0लि0 द्वारा डिवीजनल मैनेजर, डिवीजनल आफिस-द्वितीय, विकास दीप, नौवॉं तल, स्‍टेशन रोड, लखनऊ।

                                                    ...........अपीलार्थी/विपक्षी।    

बनाम

मै0 राजीव मेडिकल स्‍टोर द्वारा प्रौ0 राजीव कुमार गुप्‍ता, पिहानी चुंगी, थाना कोतवाली, हरदोई।                                               ...........प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

समक्ष:-

१-  मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

२-  मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री बी0सी0 पाण्‍डेय विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : सुश्री भावना गुप्‍ता विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक :- ०७-१०-२०२१.   

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

यह अपील, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्‍तर्गत विद्वान जिला फोरम/आयोग, हरदोई द्वारा परिवाद सं0-२८/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०४-०७-२००६ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी मेडिकल स्‍टोर से दिनांक ८/९१०-२००४ को दीवाल में सेंध लगाते हुए चोरी कर ली गई जिसकी एफ0आई0आर0 १२ घण्‍टे बार थाने में लिखाई गई। विवेचक ने घटना की विवेचना की और लिखा कि विवेचना से व निरीक्षण घटना स्‍थल से किसी अपराध का होना नहीं पाया गया और परिवादी द्वारा दुकान का बीमा होने के कारण बीमा की धनराशि पाने के उद्देश्‍य से झूठा मुकदमा पंजीकृत करा दिया गया। अत: झूठी सूचना देने के लिए धारा-१८२ आई0पी0सी0 में रिपोर्ट अंकित की गई है। मेडिकल स्‍टोर स्‍वामी राजीव कुमार गुप्‍ता ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए अन्तिम रिपोर्ट को रूकवा दिया और पुन: विवेचना का आदेश जारी करवा दिया। दूसरे विवेचक ने विधि विरूद्ध तरीके से विवेचना की और फिर उसने अन्तिम रिपोर्ट प्रेषित की कि न तो अभियुक्‍त का और न ही चोरी गई वस्‍तुओं का पता

 

-२-

चल रहा है। इसी आधार पर विवेचना समाप्‍त करने का निवेदन किया। इसकी सुनवाई के लिए नियत दिनांक को लोक अदालत में इसकी सुनवाई हुई और विद्वान मैजिस्‍ट्रेट ने साधारण तरीके से अन्तिम रिपोर्ट स्‍वीकार कर ली।

इसकी सूचना मिलने पर अपीलार्थी ने पुनरीक्षण याचिका प्रस्‍तुत की जो लम्बित है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने अन्‍वेषक नियुक्‍त किया, जिसकी आख्‍या प्राप्‍त हुई। जांच से यह पता चला कि कोई चोरी नहीं हुई है।

परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने जिला फोरम, हरदोई में परिवाद प्रस्‍तुत किया जिसे विद्वान जिला फोरम द्वारा स्‍वीकार कर लिया गया। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध है क्‍योंकि चोरी की कोई घटना कारित नहीं हुई। विद्वान जिला फोरम ने यह देखने में त्रुटि की कि परिवादी के विरूद्ध धारा-१८२ आई0पी0सी0 के अन्‍तर्गत वाद चलाया जाना सुनिश्चित किया गया है। विद्वान जिला फोरम ने न्‍याय का हनन किया है। विद्वान जिला फोरम ने अन्‍वेषक आख्‍या पर भी ध्‍यान नहीं दिया। अन्‍वेषक ने मौके पर यह पाया कि दो मेडिकल दुकानें हैं जिनके नाम अलग-अलग है किन्‍तु दीवारें अलग-अलग नहीं हैं और उनका एक कॉमन स्‍टाक है। दीवाल में चोरी के लिए किया गया छेद बहुत छोटा है और उससे चोरी नहीं हो सकती। विद्वान जिला फोरम ने यह गलत निर्णय दिया कि अन्‍वेषक ने चोरी को सही बताया है। विद्वान जिला फोरम का निर्णय विधि विरूद्ध और मनमाना है। अत: निवेदन है कि विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित किया गया प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किए जाने योग्‍य है और वर्तमान अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री बी0सी0 पाण्‍डेय तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री भावना गुप्‍ता को सुना। पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया।

हमने विद्वान जिला फोरम के प्रश्‍नगत निर्णय का अवलोकन किया। विद्वान जिला फोरम के निर्णय का निम्‍नलिखित भाग महत्‍वपूर्ण है :-

‘’ उपरोक्‍त विनिर्णय की व्‍याख्‍या करते हुए परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि बीमा कम्‍पनी को दूसरा सर्वेयर नियुक्‍त किए जाने का कोई कारण नहीं था।

 

-३-

न ही उन्‍होंने कोई कारण बताया कि वे प्रथम सर्वेयर इन्‍वेस्‍टीगेटर की रिपोर्ट सन्‍तुष्‍ट क्‍यों नहीं हैं और उन्‍हें दूसरा सर्वेयर नियुक्‍त करने की क्‍या आवश्‍यकता पड़ी। यहॉं यह भी उल्‍लेखनीय है कि दूसरे सर्वेयर की रिपोर्ट को देखकर ही अपनी आख्‍या प्रस्‍तुत कर दी और हमारे विचार से दूसरे सर्वेयर की नियुक्ति विपक्षीगण ने अपनी इच्‍छा से टेलरमेड रिपोर्ट प्राप्‍त करने के लिए की है। विपक्षी की ओर से प्रथम सर्वेयर की रिपोर्ट पर बिना कोई खास टीका टिप्‍पणी किए, केवल यह कहा कि उन्‍होंने बहुत बढ़ाचढ़ा कर धनराशि दिखा दी और रिपोर्ट में कुछ विसंगतियॉं थीं परन्‍तु वह विसंगतियॉं क्‍या थीं, वह यह नहीं बता सके। अत: प्रथम सर्वेयर की रिपोर्ट न मानने का कोई औचित्‍य नहीं है ओर हम लोगों का अभिमत है कि प्रथम सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षति ५,२८,३१२/- रू० की है, वह सही है। ‘’  

विद्वान जिला फोरम ने इसी आधार पर निम्‍नलिखित आदेश पारित किया :-

‘’ परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह आज से एक माह के अन्‍दर परिवादी को बतौर क्षतिपूर्ति ५,२८,३१२/- रू० का भुगतान करें। परिवादी उक्‍त धनराशि पर घटना के तीन माह बाद से ६+२ = ८ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से अदायगी होने तक ब्‍याज भी पाने का अधिकारी होगा। विपक्षीगण परिवादी को २० हजार रू० बतौर खर्चा व हर्जा भी अदा करेंगे। ‘’  

प्रश्‍नगत आदेश के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि बीमा कम्‍पनी ने अपना एक सर्वेयर नियुक्‍त किया। सर्वेयर ने ५,२८,३१२/- रू० की क्षति होना स्‍वीकार किया है और इसमें से कुछ खर्चा काटकर इसे ३,६४,२३२/- रू० होना पाया है। बीमा ५५.०० लाख रू० का है जबकि अन्‍वेषक ने ३९.०० लाख रू० मानते हुए गणना की है। विद्वान जिला फोरम ने इस तथ्‍य को लिखा है और कहा है कि यदि बीमा धनराशि ५५.०० लाख रू० मानी जाए तो क्षति ५,२८,३१२/- रू० की निकलती है। बीमा कम्‍पनी ने दूसरा अन्‍वेषक नियुक्‍त किया।

अब यह प्रश्‍न उठता है कि जब प्रथम अन्‍वेषक नियुक्‍त किया गया था तब यदि बीमा कम्‍पनी ने उसके विरूद्ध क्‍या कार्यवाही की, इसका कोई स्‍पष्‍टीकरण नहीं दिया गया है।  

 

-४-

      वर्तमान मामले में विद्वान जिला फोरम ने विपक्षी द्वारा, सर्वेयर द्वारा प्रस्‍तुत आख्‍या के आधार पर ही आदेश पारित किया है। हमने इस आख्‍या का अवलोकन किया। कानपुर क्‍लेम्‍स कार्पोरेशन जो इंश्‍योरेंस सर्वेयर है, ने अपनी आख्‍या दिनांक २२-०३-२००५ में मौके पर जा कर जांच करने का उल्‍लेख किया है और समस्‍त तथ्‍यों पर विचार करते हुए ४,८५,७५७/- रू० की क्षति का आंकलन किया है। इसके पश्‍चात् उन्‍होंने ३९.०० लाख रू० बीमित धनराशि पर औसत निकाला है जो उचित नहीं है। जब क्षति का आंकलन ४,८५,७५७/- रू० हो गया है तब उसका किसी अन्‍य प्रकार से औसत निकालने की आवश्‍यकता नहीं है। विद्वान जिला फोरम ने ५,२८,३१२/- रू० के भुगतान का आदेश मय ०८ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के दिया है। अत: हमारे विचार से चूँकि क्षति का आंकलन ४,८५,७५७/- रू० किया गया है, अत: परिवादी इसी धनराशि को पाने का अधिकारी था।

      इस मामले में सम्‍बन्धित एफ0आई0आर0 आदि का भी अवलोकन किया जिसके अनुसार परिवादी ने जिस ढंग से अपनी कहानी बताई है उस ढंग से सेंध मारकर चोरी करने का कोई प्रश्‍न नहीं उठता है। सर्वेयर बीमा कम्‍पनी के अधिकृत व्‍यक्ति होते हैं और उन्‍हें किसी भी मामले में जांच करने के लिए नियुक्‍त किया जाता है। वर्तमान मामले में सर्वेयर ने मौके पर जा कर जांच की और अपनी विस्‍तृत आख्‍या प्रस्‍तुत की। सर्वेयर आख्‍या के अनुसार विद्वान जिला फोरम को आदेश करना चाहिए था। अत: हम इस विचार के हैं कि परिवादी कुल ४,८५,७५७/- रू० क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने का अधिकारी है। विद्वान जिला फोरम ने इस पर ०८ प्रतिशत का वार्षिक ब्‍याज दिया है जो इन परिस्थितियों में अधिक प्रतीत हो रहा है, अत: ब्‍याज को ०८ प्रतिशत से घटाकर ०५ प्रतिशत किया जाना न्‍यायोचित होगा। इसके अतिरिक्‍त परिवादी अन्‍य कोई धनराशि पाने का अधिकारी नहीं होगा। अपील तद्नुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला फोरम/आयोग, हरदोई द्वारा परिवाद सं0-२८/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०४-०७-२००६ इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि इस निर्णय से एक माह के

 

 

-५-

अन्‍दर अपीलार्थी/विपक्षी, परिवादी को बतौर क्षतिपूर्ति ४,८५,७५७/- रू० और उस पर ०५ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज दिनांक ०४-०७-२००६ से भुगतान की तिथि तक देगा। यदि एक माह के अन्‍दर भुगतान नहीं किया गया तब ब्‍याज की दर १० प्रतिशत वार्षिक होगी।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                    (राजेन्‍द्र सिंह)                (विकास सक्‍सेना)

                      सदस्‍य                          सदस्‍य      

        

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

                   (राजेन्‍द्र सिंह)                (विकास सक्‍सेना)

                      सदस्‍य                          सदस्‍य                    

 

 

 

प्रमोद कुमार, 

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-२.  

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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