राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-152/2011
(जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-188/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 18-02-2010 के विरूद्ध)
मै0 सन इंजीनियरिंग कारपोरेशन, 326, बाबा नगर, नौबस्ता, कानपुर द्वारा प्रौपराइटर श्री विजय प्रताप सिंह।
............अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
मै0 राज बेवरेज, 21/29, दिल्ली दरवाजा औरैया द्वारा प्रौपराइटर श्री राज नरायन शुक्ला।
............प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: डॉ0 यू0वी0 सिंह विद्वान अधिवक्ता के कनिष्ठ
सहायक अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 20-06-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-188/2009 मै0 राज बेवरेज बनाम मै0 सन इंजीनियरिंग कारपोरेशन में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 18-02-2010 के विरूद्ध योजित अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा क्रय किए गए प्लांट एवं मशीनरी को परिवर्तित करते हुए ब्रांडेड मानक की प्लांट एवं मशीनरी की आपूर्ति करने हेतु विपक्षी को आदेश दिया है। ऐसा न करने की स्थिति में अंकन 47,080/- रू0 08 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित
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किया है। साथ ही मानसिक उत्पीड़न के लिए अंकन 5,000/- रू0 क्षतिपूर्ति तथा अंकन 500/- रू0 वाद व्यय के रूप में एवं व्यापारिक क्षति के लिए प्लांट आपूर्ति करने की तिथि से भुगतान तक अंकन 10,000/- रू0 प्रतिवर्ष भुगतान हेतु भी आदेश पारित किया है।
परिवाद परिवाद पत्र के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा व्यापारिक कार्य के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट 50 ली प्रति बंडल क्षमता वाला क्रय किया गया था। यद्यपि परिवाद पत्र में इसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए क्रय किया जाना तथा यह क्रय परिवार के भरण-पोषण के लिए किया गया है, अंकित है। चूँकि ब्रांडेड वाटर ट्रीटमेण्ट 50 ली0 प्रति बंडल क्षमता वाला फिल्टर्ड यू0वी0 सिस्टम क्रय किया गया, इसलिए इस क्रय को केवल जीविकोपार्जन के लिए नहीं माना जा सकता है। यह प्लांट दिनांक 09-02-2005 को क्रय किया गया, जबकि उपभोक्ता परिवाद वर्ष 2009 में प्रस्तुत किया गया। दिनांक 09-02-2005 को क्रय करने की तिथि से दो वर्ष की वारण्टी अवधि दिनांक 08-02-2007 को समाप्त हो जाती है, जो कि अपीलार्थी के पत्र दिनांक 19-02-2007 (अपील का कागज सं0-52) से स्पष्ट है। वारण्टी अवधि को बढ़ाने के लिए परिवादी की ओर से कोई अनुरोध नहीं किया गया। अत: वारण्टी अवधि के पश्चात् प्लांट एवं मशीनरी को बदलकर देने का कोई उत्तरदायित्व विपक्षी का नहीं रह जाता है।
तदनुसार विद्वान जिला आयोग का प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त करते हुए अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-188/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 18-02-2010 अपास्त किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
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अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के अपीलार्थी को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र वापस कर दी जाए।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक :- 20-06-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.