(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1936/2007
State Bank of India, Chowk Branch City and District Faizabad, through its Branch Manager, (Principal Officer) and two Others.
…..Appellants
Versus
1. M/s R.K. Food Products through Managing Partner Ramesh singh son of Sri Kamla singh, Resident of Maya Post Maya Bazar, District Faizabad.
2. Sri M.D. Misra, the then Branch Manager, State Bank of India, Chowk Branch, Faizabad.
…….Respondents
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री शरद द्विवेदी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 29.09.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 83/2000 आर0के0 फूड प्रोडक्ट्स बनाम एम0डी0 मिश्रा ब्रांच मैनेज स्टेट बैंक आफ इंडिया व दो अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 04.08.2007 के विरुद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को आदेशित किया है कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी को बतौर क्षतिपूर्ति अंकन 10,000/-रू0 अदा करें।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री शरद द्विवेदी को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थीगण को दिए गए पते के अनुसार कार्यालय द्वारा पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित की गई थी जो अदम तामील वापस प्राप्त हुई है, अत: प्रत्यर्थीगण पर नोटिस की तामीली पर्याप्त मानी जाती है।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि उनके स्तर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई, इसलिए क्षतिपूर्ति का आदेश विधि विरुद्ध है। पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि दि0 25.04.2000 की शाम प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा ड्राफ्ट उपलब्ध कराया गया। दि0 26.04.2000 को क्लीयरेंस के लिए भेजा गया। दि0 27.04.2000 को क्लीयरेंस से वापस प्राप्त हुआ। इसी मध्य प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा चेक जारी किए जा चुके हैं जो दि0 27.04.2000 को बैंक में प्रस्तुत हुए।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में यह निष्कर्ष दिया है कि दि0 26.04.2000 को बैंक ड्राफ्ट मुख्य शाखा में क्लीयरेंस के लिए भेजा गया था तो भी उसको भुगतान उसी दिन होना चाहिए था। यह निष्कर्ष दिया गया है कि उसी दिन भुगतान किया जाना चाहिए था। यह निष्कर्ष मात्र कल्पना पर आधारित है। इसलिए यदि दि0 27.04.2000 को ड्राफ्ट क्लीयर होकर बैंक को प्राप्त हुआ है तब बैंक के स्तर से किसी प्रकार की सेवा में कमी नहीं मानी जा सकती। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त होने योग्य एवं अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 3