Uttar Pradesh

Ghazipur

CC/262/2013

Ashwanai Singh - Complainant(s)

Versus

M/S R L Radios & T.V. Centre - Opp.Party(s)

Shri Satya Prakash Shrivastava & Shri Ram Dheeraj

07 Jul 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM GHAZIPUR
COLLECTORATE COMPOUND, DISTRICT- GHAZIPUR
 
Complaint Case No. CC/262/2013
 
1. Ashwanai Singh
Village & Post- Birno,
Ghazipur
Uttar Pradesh
...........Complainant(s)
Versus
1. M/S R L Radios & T.V. Centre
Bus Stand Dullahpur, Through Vendor Ramlal Prajapati
Ghazipur
Uttar Pradesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Paramsheela MEMBER
 HON'BLE MR. Manoj Kumar MEMBER
 
For the Complainant:Shri Satya Prakash Shrivastava & Shri Ram Dheeraj, Advocate
For the Opp. Party: Shri R. N. Prajapati, Advocate
ORDER

परिवादी ने यह परिवाद इस आशय से योजित किया है कि विपक्षी को यह निर्देश दिया जाय कि वह उसका एल0सी0डी0 टी0वी0 मरम्‍म्‍त कराकर उसे दे परिवादी ने यह भी चाहा है कि वाद व्‍यय के लिए रू0 2000/- तथा  आर्थिक, मानसिक उत्‍पीड़न खर्च के मद में रू0 10,000/-उसे विपक्षी से दिलाये जाय।

     परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में किये गये कथन संक्षेप में इस प्रकार हैं कि उसने विपक्षी की दुकान से दि0 12-07-2013 को रू0 5,400/- अदा करके बुश कम्‍पनी का एल0सी0डी0 टी0वी0 15, मॉडल क्रय किया था। उक्‍त टी0वी0 क्रय करते समय विपक्षी ने उसे कैशमेमो पर ही एक साल की वारण्‍टी होना लिख करके कैशमेमो दी थी, इसलिए वह उपभोक्‍ता की श्रेणी में आता है। परिवादी द्वारा क्रय किया गया टी0वी0 एक माह तक ठीक प्रकार से काम करता रहा लेकिन तत्पश्‍चात् टीवी0 के डिस्‍प्‍ले में तकनीकी खराबी आ गयी और स्‍क्रीन पर स्‍पष्‍ट चित्र नहीं आ रहे थे। परिवादी द्वारा शिकायत करने पर विपक्षी ने मॅगा कर अपनी दुकान पर उक्‍त टी0वी0 को देखा और कहा कि परिवादी उसकी दुकान पर टी0वी0 छोड़ दे, इन्‍जीनियर के आने पर वह इसकी मरम्‍मत करा देगा। विश्‍वास में आकर परिवादी ने विपक्षी की दुकान पर उक्‍त टी0वी0 छोड़ दिया था। लगभग दो माह तक परिवादी को विपक्षी दौड़ाता रहा। तत्‍पश्‍चात् उसने कहा कि टी0वी0 की मरम्‍मत कराने में रू0 3,000/- का खर्च आयेगा और यदि परिवादी यह धनराशि जमा कर दे, तो वह उक्‍त टी0वी0 की मरम्‍मत करा देगा। परिवादी का उक्‍त टी0वी0 विपक्षी की दुकान पर रखा हुआ है परिवादी ने बार-बार विपक्षी से कहा कि उसका उक्‍त टी0वी0 वारण्‍टी पीरियड में है, अत: वह इसकी मरम्‍मत करा कर दे लेकिन विपक्षी ने ऐसा नहीं किया। इस प्रकार से उसने सेवा प्रदान करने में त्रुटि की है। परिवादी की ओर से यह भी कहा गया है कि उसने  दि0 16-11-2013 को पंजीकृत डाक के जरिये विपक्षी को विधिक नोटिस भी दी, लेकिन विपक्षी ने न तो विधिक नोटिस का जवाब दिया और न उक्‍त टी0वी0 मरम्‍मत कराकर परिवादी को दिया। परिवादी विपक्षी से विभिन्‍न प्रकार से 27 बार सम्‍पर्क कर चुका है । परिवादी की दुकान पर एक बार आने-जाने में लगभग रू0100/- खर्च होते हैं। इस प्रकार से परिवादी को रू0 3,000/- की आर्थिक क्षति हुई है। परिवादी के आर्थिक, मानसिक तथा शारीरिक उत्‍पीड़न का खर्च लगभग रू0 10,000/- है।    

     विपक्षी ने अपने लिखित कथन कागज संख्‍या 15क में यह स्‍वीकार किया है कि वह बस स्‍टैण्‍ड दुल्‍लहपुर में रेडियो तथा टी0वी0 की मरम्‍त के साथ ही इनकी बिक्री का भी कार्य करता है। दिनांक: 12-07-2013 को परिवादी ने उसकी दुकान से एक अदद एल0सी0डी0 टी0वी0 क्रय किया था और उसे वारण्‍टी कार्ड के साथ ही कैशमेमो भी दिया गया था। परिवाद कथनों के अनुसार उक्‍त एल0सी0डी0 टी0वी0 एक माह तक ठीक कार्य करता रहा और तत्‍पश्‍चात् तकनीकी रूप से खराब हो गया था। उक्‍त टी0वी0 के खराब होने की शिकायत न तो परिवादी ने उसकी दुकान पर की और न वारण्‍टी कार्ड पर अंकित नम्‍बरों पर ही सूचित किया। यदि परिवादी उक्‍त टी0वी0 के खराब होने की सूचना उसे देता, तो इसकी सूचना विपक्षी द्वारा कम्‍पनी को दी जाती और कम्‍पनी की ओर से नियुक्‍त इन्‍जीनियर के द्वारा उक्‍त टी0वी0 की मरम्‍मत करायी जाती। परिवादी का यह कथन असत्‍य है कि विपक्षी ने उक्‍त टी0वी0 परिवादी से मँगवा कर अपनी दुकान पर रखा है और उसकी मरम्‍मत हेतु धन की मॉंग कर रहा है। परिवादी ने नया टी0वी0 प्राप्‍त करने के इरादे से, हैरान- परेशान करने के उद्देश्‍य से ये कथन किये हैं । यदि परिवादी की टी0वी0 वारण्‍टी पीरियड में थी, तो उसे विपक्षी से सम्‍पर्क करना चाहिए था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। परिवादी द्वारा विपक्षी से 27 बार टेलीफोन व मोबाइल से सम्‍पर्क किये जाने का कथन असत्‍य है तथा इसका कोई अभिलेख पत्रावली पर उपलब्‍ध नहीं है। प्रश्‍नगत टी0वी0 को परिवादी ने विपक्षी की दुकान पर नहीं पहॅुचाया है और वह स्‍वयं परिवादी के पास है। अवैध रूप से धन वसूली करने के लिए परिवादी ने यह परिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया है, इसलिए उसका परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

     परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र कागज संख्‍या 12ग प्रस्‍तुत करने के साथ ही साथ सूची कागज संख्‍या 6ग के जरिये तीन अभिलेख प्रस्‍तुत किये हैं। विपक्षी की ओर से राम लाल प्रजापति ने भी अपने लिखित कथन में किये गये कथनों के समर्थन में शपथ पत्र कागज संख्‍या 16ग प्रस्‍तुत किया है।

     परिवादी की ओर से लिखित बहस कागज संख्‍या 17ग तथा विपक्षी की ओर से लिखित बहस कागज संख्‍या 18ग प्रस्‍तुत की गई हैं।

     पक्षों के विद्वान अधिवक्‍ता गण की मौखिक बहस सुनी गयी तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों का परिशीलन किया गया।        

     वर्तमान मामले में यह स्‍वीकृत तथ्‍य है कि परिवादी ने दि012-07-2013 को रू0 5400/- भुगतान करके बुश कम्‍पनी का एक एल.सी.डी. टी.वी. मांडल ‘15’ खरीद कर विपक्षी से प्राप्‍त किया था और इस पर एक वर्ष की वांरटी होने का उल्‍लेख करते हुए विपक्षी ने कैशमेमो परिवादी को दिया था। एक वर्ष की वारंटी होने का तथ्‍य भी इस मामले में विवादित नहीं है।

     परिवादी का कहना है कि एक माह तक उक्‍त टी.वी. ठीक तरह से काम करता रहा था लेकिन तत्‍पश्‍चात् उसमें तकनीकी त्रुटि आ गयी थी तब उसने विपक्षी से इस बावत कहा था तो विपक्षी ने इसे मंगाकर अपनी दूकान पर देखा था और कहा था कि परिवादी उक्‍त टी.वी. उसकी दूकान पर छोड़ दे और वह इंजीनियर के आने पर इसकी मरम्‍मत करवा देगा और उसके इस कथन पर विश्‍वास करके परिवादी उक्‍त टी.वी. विपक्षी की दूकान पर छोड़ आया था। विपक्षी ने परिवादी के उक्‍त कथन को स्‍वीकार नहीं किया है और असत्‍य बताया है। विपक्षी ने कहा है कि परिवादी ने उक्‍त टी.वी. खराब होने की उसे कभी सूचना नहीं दी थी और यदि परिवादी इस आशय की उसे सूचना देता, तो वह इसकी सूचना बुश कम्‍पनी को देकर उक्‍त टी.वी. की मरम्‍मत कराता।         

     उक्‍त टी.वी. किस दिनांक को तकनीकी रूप से खराब हुआ और परिवादी ने इसकी सूचना किस दिनांक को विपक्षी को दी, इसका स्‍पष्‍ट उल्‍लेख परिवादी ने न तो परिवाद पत्र में किया है और न इसका स्‍पष्‍ट उल्‍लेख परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य में ही किया गया है। परिवादी किस दिनांक को उक्‍त टी.वी. लेकर विपक्षी की दूकान पर गया और किस दिनांक को उक्‍त टी.वी. विपक्षी की दूकान पर देकर आया, इसका भी स्‍पष्‍ट उल्‍लेख न तो परिवाद पत्र में किया गया है और न परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य में ही इसका उल्‍लेख किया गया है। परिवाद पत्र तथा परिवादी की साक्ष्‍य में इस आश्‍य का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख भी नहीं किया गया है कि किस साक्षी की उपस्थिति में परिवादी ने उक्‍त टी.वी. विपक्षी को दिया था।         

     परिवादी ने कहा है कि दो महीने तक दौड़ाने के उपरांत विपक्षी ने कहा था कि उक्‍त टी.वी. की मरम्‍मत कराने पर रू0 3,000/- का व्‍यय आयेगा और यदि परिवादी उक्‍त धन जमा करे तो वह उक्‍त टी.वी. की मरम्‍मत करवा देगा। विपक्षी ने उक्‍त कथन को भी स्‍वीकार नहीं किया है और उक्‍त कथन को भी असत्‍य बताया है। परिवादी ने परिवाद पत्र में यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है कि विपक्षी ने उक्‍त मांग किस साक्षी की उपस्थिति में परिवादी से की थी। परिवादी ने उक्‍त कथन के समर्थन में किसी साक्षी का शपथ पत्र भी नहीं प्रस्‍तुत किया है। ऐसी स्थिति में इस बिन्‍दु पर परिवादी का कथन विश्‍वसनीय नहीं प्रतीत होता है।    

     परिवादी की ओर से कहा गया है कि विपक्षी ने उक्‍त टी.वी. की मरम्‍त कराकर वापस नहीं किया है लेकिन विपक्षी की ओर से इस बिन्‍दु पर कहा गया है कि परिवादी ने न तो उक्‍त टी.वी. के खराब होने की सूचना उसे दी थी न उसे उक्‍त टी.वी. ही प्राप्‍त कराया था। जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है कि परिवादी यह स्‍पष्‍ट करने में असफल रहा है कि किस दिनांक को उसका टी.वी. तकनीकी रूप से खराब हुआ था और किस दिनांक को उसने इसकी शिकायत विपक्षी से की। परिवादी यह भी स्‍पष्‍ट करने में असफल रहा है कि उसने किस दिनांक और किस व्‍यक्ति की उपस्थित में उक्‍त टी.वी. विपक्षी को प्राप्‍त कराया। उक्‍त टी.वी. विपक्षी द्वारा प्राप्‍त  किये जाने की रसीद भी परिवादी प्रस्‍तुत करने में असफल रहा है।    

     2013(3) सी.पी.आर. 702 (एन.सी.) श्रीमती हीरू मेहरा बनाम पी.सी. सिस्‍टम्‍स थ्रू प्रोप्राइटर, के मामले में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्‍त का सहारा लेते हुए परिवादी की ओर से कहा गया है कि विपक्षी स्‍वयं  द्वारा स्‍वीकार किये गये तथ्‍यों से बाध्‍य है। उक्‍त मामले में प्रतिपादित निर्णय  के परिशीलन से प्रकट होता है कि याचिकाकर्ता ने अपने पत्र दिनांकित 28-06- 2008 में यह स्‍वीकार किया था कि उसने एक सिस्‍टम (कम्‍प्‍यूटर) जिसे उसने मरम्‍मत हेतु प्राप्‍त किया था, उसे वापस नहीं किया है, लेकिन वर्तमान मामले में विपक्षी ने प्रश्‍नगत टी.वी. के खराब होने की सूचना मिलने तथा इसे प्राप्‍त करने से स्‍पष्‍ट रूप से इनकार किया है । ऐसी स्थिति में उक्‍त मामले के तथ्‍य वर्तमान मामले से भिन्‍न होने के कारण उक्‍त मामले में प्रतिपादित सिद्धान्‍त यहॉ सुसंगत नहीं हैं । अत: इस बिन्‍दु पर परिवादी की ओर से दिये गये तर्क में कोई बल नहीं है। 

     बहस के दौरान परिवादी की ओर से कहा गया है कि उक्‍त टी.वी. प्राप्‍त कराते समय विपक्षी ने प्राप्ति रसीद देने से इनकार किया था। प्राप्ति रसीद देने से विपक्षी द्वारा इनकार करने का कथन न तो परिवाद पत्र में किया गया है और न ऐसा कथन परिवादी ने अपने शपथ पत्र में ही किया है। ऐसी स्थिति में परिवादी की ओर से यह कथन कि मांगने पर विपक्षी ने प्राप्ति रसीद देने से इनकार कर दिया था, विश्‍वसनीय नहीं है। ऐसी स्थिति में दिनांक 12-07-2013 से एक महीने बाद उक्‍त टी.वी. के खराब होने तथा इसे मरम्‍मत हेतु विपक्षी को प्राप्‍त कराये जाने का कथन विश्‍वसनीय नहीं है। ऐसी स्थिति में विपक्षी द्वारा सेवा प्रदान करने में त्रुटि किया जाना साक्ष्‍य से स्‍थापित नहीं है।

     उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचना से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी यह स्‍थापित करने में असफल रहा है कि उसने प्रश्‍नगत टी.वी. खराब होने पर मरम्‍मत कराने हेतु  इसे विपक्षी को प्राप्‍त कराया था लेकिन उसने इसकी मरम्‍मत कराकर उसे वापस नहीं किया। ऐसी दशा में सेवा प्रदान करने में विपक्षी द्वारा त्रुटि किया जाना स्‍थापित नहीं है । अत: परिवादी वांछित अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है और उसका परिवाद सव्‍यय खारिज होने योग्‍य है ।

                   आदेश

          परिवादी का परिवाद सव्‍यय खारिज किया जाता है।

     इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्‍क दी जाय। निर्णय आज खुले न्‍यायालय में, हस्‍ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।

 

 
 
[JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Paramsheela]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Manoj Kumar]
MEMBER

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