Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/146/2018

SATISH KUMAR PANDEY - Complainant(s)

Versus

M/S PUNEET AUTOMOBILES - Opp.Party(s)

S.N.RAI

05 Sep 2019

ORDER

 

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 146 सन् 2018

प्रस्तुति दिनांक 06.11.2018

                                                                                            निर्णय दिनांक 05.09.2019    

सतीश कुमार पाण्डेय, वयस्क, पुत्र श्री कृष्ण चन्द्र पाण्डेय निवासी मकान नम्बर 302, मोहल्ला एलवल पोस्ट- सदर, शहर व जिला- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. मेo पुनीत ऑटोमोबाइल्स प्रायवेट लिमिटेड, ग्राम हमीदपुर, सैयदवाड़ा, निकट बैंक ऑफ इण्डिया, पोस्ट- रानी की सराय जिला आजमगढ़ उoप्रo 276207 जरिये प्रबन्धक/प्रबन्ध निदेशक।
  2. टाटा मोटर्स लिमिटेड, स्थानी कारपोरेट ऑफिस, 01/99, पत्रकारपुरम् रोड, निकट पत्रकारपुरम् चौक, विनय खण्ड-1, गोमती नगर, लखनऊ, उoप्रo – 226010 जरिये प्रबन्धक।
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि उसका व्यवसाय अध्यापन है। विपक्षी संख्या 02 टाटा मोटर्स लिमिटेड का कार्पोरेट ऑफिस है जो विभिन्न प्रकार के मोटर वाहनों के निर्माता व विक्रेता है तथा विपक्षी संख्या 01 उपरोक्त विपक्षी संख्या 02 का अधिकृत विक्रेता व प्रतिनिधि है। कार खरीदते समय विपक्षी संख्या 01 ने अपने स्तर से 10,000/- रुपये छूट प्रदान करने का आश्वासन दिया। उसने कार की कीमत 4,35,954/- रुपये एवं परिवहन पंजीकरण का अनुमानित व्यय 42,557/- रुपये कुल 4,78,511/- रुपये विपक्षी संख्या 01 को भुगतान करना होगा। जिसमें 10,000/- रुपये छूट एवं पंजीकरण कराने के उपरान्त वास्तविक व्यय की रकम को उसके उपरोक्त अनुमानित व्यय 42,557/- रुपये में से कम करने पर जो रकम आती है उसे परिवादी को वापस कर दिया जाएगा। विपक्षी संख्या 01 20.01.2018 को वाहन की कीमत 4,35,954/- रुपये व पंजीकरण रुपये 42,557/- कुल 4,78,511/- रुपये व वाहन का बीमा फ्री होने के सम्बन्ध में कोटेशन भी निर्गत किया। प्रस्ताव से प्रभावित होकर परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 से टाटा टियागो रिवोट्रन एक्स.एम. का पसन्द किया एवं परिवादी ने काशी गोमती ग्रामीण बैंक से ऋण प्राप्त करके दिनांक 23.01.2018 को 4,78,511/- रुपये में खरीदा। लेकिन परिवादी को कोई भी छूट नहीं दिया। लेकिन कालान्तर में                                                       P.T.O.

 

2

विपक्षी संख्या 01 ने बताया कि पंजीकरण में 34,237/- रुपये व अन्य व्यय मिलाकर 35,000/- रुपये खर्च आया है। अतएव हमारे स्तर से इस मद में जमा रकम 42,557/- रुपये व वास्तविक व्यय 35,000/- रुपये काटकर 7,557/- रुपया व वाहन में छूट देने हेतु 10,000/- रुपये कुल 17,557/- रुपये वापस करने का आश्वासन दिया। परिवादी ने कार का इस्तेमाल करना प्रारंभ किया। शहर के अन्दर यह 12 किमी.प्रति लीटर के आसपास या हाईवे आदि पर चलने पर 16.4 किमी.प्रतिलीटर से ज्यादा एवरेज नहीं दे रही थी। जबकि प्रचार में 23.84 किमी.प्रतिलीटर दिखलाया गया था। परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 के यहां शिकायत किया और कार की सर्विस भी कराया, परन्तु एवरेज/माइलेज ठीक नहीं हुआ। अतः विपक्षीगण को संयुक्त तथा पृथक-पृथक रूप से आदेशित किया जाए कि वह 17,557/- रकम मय ब्याज वापस करें। चूंकि कार मानक के अनुसार नहीं चल रही है। अतः उसके विरुद्ध आदेश पारित किया जाए कि वह 17,557/- रुपये मय ब्याज प्रदान करे एवं वाहन का इंजन बदल कर नया इंजन लगाकर पेट्रोल खर्च को विपक्षीगण के मानक के अनुसार 23.84 किमी.प्रतिलीटर तक किए जाने हेतु मुनासिब आदेश पारित किया जाए अथवा इंजन की कीमत दिलाया जाए। परिवादी किसी अन्य दादरसी का मुस्तहक है तो उसे भी दिलवाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 7/1 कार की कीमत की छायाप्रति, कागज संख्या 7/2 पुनीत ऑटोमोबाइल लिमिटेड की रसीद, कागज संख्या 7/3 वेहिकिल डिलेवरी रिपोर्ट, कागज संख्या 7/3 डिलिवरी फॉर्म, कागज संख्या 7/4 पंजीयन फॉर्म, कागज संख्या 7/5 प्रथम सर्विसिंग व कागज संख्या 7/6 दूसरी सर्विसिंग की रिपोर्ट, कागज संख्या 7/9 ता कागज संख्या 7/12 कार के शर्तों के सम्बन्ध में विज्ञापन की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

विपक्षीगण को रजिस्टर्ड डॉक से नोटिस भेजी गयी। जिसमें विपक्षी संख्या 02 की रजिस्ट्री इन्कारी के साथ वापस प्राप्त हुई तथा विपक्षी संख्या 01 हाजिर नहीं हुआ। अतः दिनांक 01.08.2019 को विपक्षीगण ने जवाबदावा का अवसर समाप्त कर दिया गया।

अतः परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। जिससे साबित होता है कि पंजीकरण मद में 8320/- रुपये ज्यादा लिया गया है तथा गाड़ी की कीमत कोटेशन 4,35,954/- रुपये के सापेक्ष पक्की बिल के अनुसार 4,27,954/- रुपये रहा। इस प्रकार गाड़ी मद में 8320/- रुपया ज्यादा लिया गया तथा छूट के लिए विपक्षीगण के दिए गए आश्वासन का कोई खण्डन विपक्षी द्वारा पत्रावली में प्राप्त नहीं है। अतः याची के कथन को न मानने का कोई औचित्य नहीं है। जहाँ तक वाहन का माइलेज का प्रश्न है उस सन्दर्भ में याची द्वारा प्रस्तुत कागज संख्या 7/9 द्वारा स्पष्ट                                                       P.T.O.

 

 

3

विधित होता है कि कम्पनी ने अपने गाड़ी विक्री के लिए माइलेज 23.84 किमी.प्रति.लीटर के हिसाब से आश्वासन देकर ही गाड़ी का विक्रय किया है। अतः कम्पनी का फर्ज है कि गाड़ी का एवरेज 23.84किमी. प्रति लीटर निकालकर याची को सन्तुष्ट करे। ऐसा न होने पर गाड़ी का इंजन बदलना उचित प्रतीत होता है।   

आदेश

परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी 01 को आदेशित किया जाता है कि वह गाड़ी मद में ज्यादा लिया गया 8320/- रुपया तथा रिजस्ट्रेशन में लिया गया ज्यादा रकम रुपये 7,557/- परिवादी को अन्दर तीस दिन में अदा करें, जिस पर वाद दाखिला के तिथि से 09% वार्षिक ब्याज देय होगा तथा विपक्षीगण को संयुक्त व पृथक-पृथक रूप से यह भी आदेशित किया जाता है कि वह गाड़ी का इंजन बदलकर याची को 23.84 किमी. प्रति लीटर की माइलेज/एवरेज से याची को सन्तुष्ट करे अथवा माइलेज से हुई क्षति के रूप में 75,000/- रुपया याची को अदा करें तथा विपक्षी संख्या 01 परिवादी को छूट के लिए 10,000/- (दस हजार रुपये)  रुपये अदा करे। विपक्षीगण संयुक्त व पृथक-पृथक रूप से परिवादी को 10,000/- (दस हजार रुपये) रुपये मानसिक व शारीरिक क्षति हेतु तथा वाद व्यय 5,000/- (पांच हजार रुपये) रुपये अदा करे। आदेश का अनुपालन दो माह में किया जाए।                                                        

 

 

 

 

 

                                                  राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                      (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

 

                           दिनांक 05.09.2019

                                              यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                                राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                  (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 

 

 

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