(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-434/2006
दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
बनाम
मैसर्स पशुपति कास्टिंग्स लिमिटेड
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री बी.पी. दुबे।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एम.एच. खान।
दिनांक : 11.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-314/2003, मैसर्स पशुपति कास्टिंग लि0 बनाम दि इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, अलीगढ़ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.1.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री बी.पी. दुबे तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एम.एच. खान को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमित परिसर में आग लगने के कारण कारित क्षति की पूर्ति के लिए अंकन 1,50,000/-रू0 अदा करने का आदेश दिया है।
3. परिवादी द्वारा अपने व्यापारिक परिसर का बीमा कराना, बीमित परिसर में आग लगने के कारण बीमा क्लेम प्रस्तुत करना, बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त करना, सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना दोनों पक्षो को स्वीकार है। अत: इन बिन्दुओं पर अतिरिक्त विवेचना
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की आवश्यकता नहीं है। इस अपील के निस्तारण के लिए एम मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या विद्वान जिला आयोग द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि का उचित रूप से आंकलन किया गया है ? सर्वेयर द्वारा अंकन 1,30,000/-रू0 से लेकर अंकन 1,50,000/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है। विद्वान जिला आयोग द्वारा उच्चतर दर यानी अंकन 1,50,000/-रू0 को स्वीकार किया गया और इस हानि को स्वीकार करने का कोई कारण अपने निर्णय में वर्णित नहीं किया है, केवल यह वाक्यांश लिखा गया है कि सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में अंकन 1,30,000/-रू0 से लेकर अंकन 1,50,000/-रू0 का नुकसान होना अंकित किया है, परन्तु उच्च दर क्यों स्वीकार की गई, इस पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया।
4. चूंकि सर्वेयर द्वारा अंकन 1,30,000/-रू0 निम्न दर से अत्यधिक उच्च दर अंकन 1,50,000/-रू0 का निर्धारण किया गया था, इसलिए अंकन 1,50,000/-रू0 की हानि हुई है, इस तथ्य को साबित करने का भार परिवादी पर था, परन्तु परिवादी ने इस संबंध में कोई साक्ष्य विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है। विद्वान जिला आयोग ने सर्वेयर की रिपोर्ट को आधारित करते हुए अपना निर्णय/आदेश पारित किया है। रिपोर्ट के आधार पर अंकन 1,40,000/-रू0 उच्च एवं निम्न दर की मध्य दर के आधार पर हानि सुनिश्चित किया जाना चाहिए था। तदनुसार यह अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.01.2006 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अंकन 1,50,000/-रू0 के स्थान पर अंकन 1,40,000/-रू0 की राशि देय होगी। शेष निर्णय/आदेश यथावत् रहेगा।
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प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2
(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-495/2006
दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
बनाम
मैसर्स पशुपति कास्टिंग लिमिटेड
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री जफर अजीज।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एम.एच. खान।
दिनांक : 11.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-232/2003, मैसर्स पशुपति कास्टिंग लि0 बनाम दि इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, अलीगढ़ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.1.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री जफर अजीज तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एम.एच. खान को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमित परिसर में आग लगने के कारण कारित क्षति की पूर्ति के लिए अंकन 4,61,278/-रू0 6 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा अपने व्यापारिक परिसर का दिनांक 6.6.2001 से दिनांक 5.6.2002 की अवधि के लिए अंकन 21500000/-रू0 का बीमा कराया गया था। दिनांक 23.10.2001 की
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शाम 5:30 बजे बीमित परिसर में आग लग गई, जिसके कारण फर्नेश, पैनल व भवन जलकर बेकार हो गए और कुल 4,61,278/-रू0 की क्षति हुई। विपक्षी को घटना की सूचना दी गई, जिनके द्वारा श्री होरी लाल वार्ष्णेय को सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर को समस्त बिल एवं प्रपत्र उपलब्ध कराए गए, इसके बाद श्री के.एन. सिंह को निरीक्षण हेतु नियुक्त किया गया, परन्तु बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया।
4. बीमा कंपनी का कथन है कि जिस सम्पत्ति का दावा किया गया है, वह बीमा पालिसी कवर नोट नं0-170/18543 के अंतर्गत नहीं आती। निरीक्षणकर्ता श्री के.एन. सिंह की रिपोर्ट के अनुसार पिघले हुए लोहे के रिसाव के कारण नुकसान हुआ है, जिसकी पुष्टि रिपोर्ट में की गई है। यह घटना अाग लगने की घटना की परिभाषा में नहीं आती, इसलिए बीमा पालिसी के अंतर्गत बीमा क्लेम देय नहीं है।
5. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट में अनुमानित क्षति का आंकलन किया गया है, इसलिए अंकन 4,61,278/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया गया।
6. इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्य के विपरीत निर्णय/आदेश पारित किया है। बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार मौके पर अग्निकाण्ड की कोई घ्ाटना घटित नहीं हुई है। अग्नि काण्ड का कारण लोहे की रॉड का रिसाव था। किसी प्रकार की अग्नि के प्रज्जवलित होने के कारण दुर्घटना घटित नहीं हुई है।
7. इस अपील के विनिश्चय के लिए एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या परिवादी के कथन के अनुसार अग्नि काण्ड
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की जो घटना हुई है, वह बीमा पालिसी के अंतर्गत कवर है या नहीं ?
8. घटना स्थल का निरीक्षण निरीक्षणकर्ता श्री के.एन. सिंह द्वारा किया गया है, उनकी रिपोर्ट पत्रावली पर मौजूद है। इस रिपोर्ट के अवलोकन से जाहिर होता है कि मौके पर आग लगने की कोई घटना कारित नहीं हुई है। लोहे की रॉड पिघलने के कारण नुकसान कारित हुआ है, जिसके लिए स्वंय परिवादी उत्तरदायी है। सर्वेयर श्री होरी लाल वार्ष्णेय की रिपोर्ट भी पत्रावली पर मौजूद है, जिसमें उल्लेख है कि Melted Iron का रिसाव हुआ है, जो बेसमेंट में इकट्ठा हो गए और अत्यधिक गर्मी के कारण नुकसान कारित हुआ। इस परिसर में कोई भी फायर प्वाइंट तथा फायर को नियंत्रित करने के लिए साधन मौजूद नहीं हैं। मौके पर फायर ब्रिगेड को नहीं बुलाया गया और आग को नियंत्रित नहीं किया गया।
9. उपरोक्त दोनों रिपोर्ट के अलावा इस तथ्य का उल्लेख करना भी समीचीन होगा कि परिवादी की ओर से बीमा क्लेम प्रस्तुत करने के लिए एक अन्य परिवाद प्रस्तुत किया गया था, जिसके निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील आज ही इस पीठ द्वारा निस्तारित की गई है, इसलिए इस स्िथति का संज्ञान लिया जा सकता है कि परिवादी द्वारा बीमा पालिसी प्राप्त करने के पश्चात अग्नि काण्ड की घटना को जाहिर किया जाता है और बीमा क्लेम प्राप्त किया जाता है। प्रस्तुत केस में स्पष्ट रूप से आग लगने का कोई सबूत मौजूद नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि बीमा क्लेम प्राप्त करने के उद्देश्य से लोहे की रॉड से पिघले हुए पदार्थ को आश्यपूर्वक बहने दिया गया ताकि उसकी गर्मी से मौके पर कोई क्षति कारित हो सके और बीमा क्लेम प्राप्त किया जा सके। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में केवल यह कथन किया है कि परिवादी की ओर से नजीर प्रस्तुत नहीं की गई, जिसके आधार पर यह कहा जा
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सके कि लोहे से उत्पन्न आग को शब्द आग की परिभाषा में नहीं माना जा सकता। यह विषय तथ्यात्मक है, इसके लिए किसी नजीर की आवश्यकता नहीं होती। प्राकृतिक अग्नि काण्ड के कारण अग्नि का प्रभाव अत्यधिक होता है, इसको नियंत्रित करने के लिए फायर ब्रिगेड को बुलाना आवश्यक होता है या मौके पर मौजूद व्यक्तियों द्वारा पानी डालकर अग्नि को नियंत्रित किया जाता है, परन्तु प्रस्तुत केस में ऐसा कोई घटनाक्रम स्वंय परिवादी की ओर से वर्णित नहीं किया गया है, इसलिए इस तथ्य को साबित करने के लिए किसी नजीर की आवश्यकता नहीं थी। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है, जो अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
10. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.01.2006 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2