Uttar Pradesh

StateCommission

C/2012/122

Meera Singh - Complainant(s)

Versus

M/s Omaxe Ltd - Opp.Party(s)

Ravi Shankar Somvanshi

10 Jul 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2012/122
( Date of Filing : 25 Sep 2012 )
 
1. Meera Singh
a
...........Complainant(s)
Versus
1. M/s Omaxe Ltd
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 10 Jul 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

परिवाद सं0-१२२/२०१२

 

श्रीमती मीरा सिंह पत्‍नी श्री हनुमान प्रसाद सिंह निवासी सत्‍यार्थ कलेक्‍शन, लक्ष्‍मी कॉम्‍प्‍लेक्‍स, जिला प्रतापगढ़।                     ...................        परिवादिनी।

बनाम

१. मै0 ओमेक्‍स लि0, रजिस्‍टर्ड कार्यालय, ७, लोकल शोपिंग सेण्‍टर, कालका जी, नई दिल्‍ली द्वारा डायरेक्‍टर।

२.  अधिकृत हस्‍ताक्षरी, ओमेक्‍स लि0, साइबर टावर, द्वितीय तल, टीसी-३४/वी 2, विभूति खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ।           ....................          विपक्षीगण।

समक्ष:-

१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य ।

२.मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

 

परिवादिनी की ओर से उपस्थित :- श्री रवि शंकर सोमवंशी विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित :- श्री राजेश चड्ढा विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : ३१-०७-२०१८.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

      प्रस्‍तुत परिवाद, परिवादिनी ने विपक्षीगण के विरूद्ध ओमेक्‍स रेजीडेन्‍सी सुल्‍तानपुर रोड, गोमती नगर विस्‍तार, लखनऊ स्थित टूलिप टावर, ए-ब्‍लाक में यूनटि सं0-१०६ का आबंटन निरस्‍तीकरण निरस्‍त करने, यह फ्लैट परिवादिनी को पक्षकारों के मध्‍य निर्धारित शर्तों के अनुसार विक्रय धन प्राप्‍त करके दिए जाने एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित किया है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के कथनानुसार विपक्षीगण द्वारा जारी किए गये विज्ञापन से आकर्षित होकर परिवादिनी ने विपक्षीगण को ओमेक्‍स रेजीडेन्‍सी सुल्‍तानपुर रोड, गोमती नगर विस्‍तार, लखनऊ स्थित परियोजना में अपार्टमेण्‍ट/फ्लैट आबंटन हेतु प्रार्थना पत्र प्रेषित किया। परिवादिनी को इस परियोजना में टूलिप टावर के ए-ब्‍लाक में स्थित यूनटि सं0-१०६ क्षेत्रफल १२५० वर्गफीट, आबंटन पत्र दिनांकित ०९-०३-२०११ द्वारा आबंटित किया गया जिसका विक्रय मूल्‍य २५,३८,१२५/- रू० था। परिवादिनी ने आबंटन पत्र दिनांकित ०९-०३-२०११ जारी किए जाने से पूर्व बैंक ड्राफ्ट

 

 

 

-२-

सं0-१५४६२१ दिनांकित २२-०६-२०१० द्वारा १,२६,८७५/- रू० तथा चेक सं0-०६५६८९ दिनांकित २४-०९-२०१० द्वारा १,९५,२०४/- रू० विपक्षी सं0-२ को विक्रय धनराशि २५,३८,१२५/- रू० के सापेक्ष विपक्षीगण की मांग के अनुसार जमा किए। परिवादी ने चेक सं0-०६५६९८ दिनांकित ०२-०६-२०११ द्वारा १,२३,४२०/- रू० विक्रय धन कि सापेक्ष जमा किया। विपक्षीगण द्वारा जारी किए गये पेमेण्‍ट प्‍लान के अनुसार बुकिंग के समय मूल विक्रय धनराशि की ०५ प्रतिशत धनराशि तथा बुकिंग के ४५ दिन के अन्‍दर मूल विक्रय धनराशि का ७.५ प्रतिशत तथा आबंटन के ४५ दिन के अन्‍दर मूल विक्रय धनराशि का ७.५ प्रतिशत जमा किया जाना था एवं मूल विक्रय धनराशि का ७.५ प्रतिशत खुदाई कार्य प्रारम्‍भ होने पर जमा किया जाना था। परिवादिनी द्वारा ०३ किश्‍तें पेमेण्‍ट प्‍लान के अनुपालन में जमा की गई थीं जिनमें से ०२ किश्‍तें आबंटन से पूर्व ही जमा की जा चुकी थीं। तदोपरान्‍त परिवादिनी खुदाई कार्य प्रारम्‍भ होने की सूचना की प्रतीक्षा कर रही थी जिससे मूल विक्रय धन का ७.५ प्रति जमा किया जा सके किन्‍तु ऐसी कोई सूचना विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को किसी भी माध्‍यम से प्रेषित नहीं की गई। मई २०१२ में विपक्षी सं0-२ के कार्यालय में परिवादिनी गई और अपनी यूनिट से सम्‍बन्धित प्रगति के विषय में जानकारी प्राप्‍त की तब विपक्षी के एक कर्मचारी द्वारा उसे सूचित किया गया कि परिवादिनी का आबंटन किश्‍तें जमा न किए जाने के कारण निरस्‍त कर दिया गया है। इस सूचना पर परिवादिनी को गहरा धक्‍का लगा और उसने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षी सं0-२ को नोटिस दिनांकित ०१-०६-२०१२ प्रेषित की। विपक्षीगण ने अधिक लाभ प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से परिवादिनी को आबंटित यूनिट अन्‍य किसी को आबंटित करने हेतु, परिवादिनी का आबंटन अवैध रूप से निरस्‍त कर दिया। इस प्रकार विपक्षीगण ने पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित संविदा का उल्‍लंघन करते हुए अनुचित व्‍यापार प्रथा कारित की तथा सेवा में त्रुटि की। अत: प्रस्‍तुत परिवाद योजित किया गया।

      विपक्षीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया। विपक्षीगण के कथनानुसार प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस आयोग को प्राप्‍त नहीं है। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि परिवादिनी ने आबंटन पत्र दिनांकित ०९-०३-२०११ के साथ संलग्‍न

 

 

 

 

-३-

पेमेण्‍ट प्‍लान के अनुसार भुगतान नहीं किया किन्‍तु क्‍योंकि परिवादिनी ने २४-०९-२०१० तक धनराशि अदा कर दी थी, अत: विपक्षीगण ने परिवादिनी को यूनिट का आबंटन दिनांक ०९-०३-२०११ को कर दिया। उसके पश्‍चात् १,२३,४२०/- रू० का भुगतान ०२-०६-२०११ को किया गया। इसके उपरान्‍त विपक्षीगण द्वारा मांग पत्र देने के बाबजूद कोई भुगतान परिवादिनी द्वारा नहीं किया गया। अत: आबंटन की शर्तों के अनुसार मजबूर होकर विपक्षीगण ने दिनांक ०८-०९-२०११ को परिवादिनी का आबंटन निरस्‍त कर दिया तथा इसकी सूचना पंजीकृत डाक से परिवादिनी को प्रेषित कर दी जिसमें यह स्‍पष्‍ट रूप से सूचित किया गया कि विपक्षीगण आबंटन की शर्तों के अनुसार परिवादिनी को धनराशि वापस करने को तैयार हैं। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि प्रश्‍नगत यूनिट परिवादिनी का आबंटन निरस्‍त किए जाने के उपरान्‍त अन्‍य को बेची जा चुकी है।

      विपक्षीगण द्वारा प्रस्‍तुत प्रतिवाद पत्र का प्रत्‍युत्‍तर परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत किया गया। परिवाद के अभिकथनों के समर्थन में परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है। इसके अतिरिक्‍त परिवाद के साथ अभिलेख संलग्‍नक-१ लगायत ४ दाखिल किए गये हैं।

      विपक्षीगण की ओर से मैनेजर लीगल श्री काजी सईदुर्रहमान के शपथ पत्र प्रस्‍तुत किए गये हैं। शपथ पत्रों के साथ अभिलेख संलग्‍नक-१ लगायत ४ दाखिल किए गये हैं। विपक्षीगण द्वारा प्रश्‍नगत यूनिट का परिवादिनी का आबंटन निरस्‍त होने के उपरान्‍त श्री क्षितिज सिंह नाम के व्‍यक्ति को विक्रय किए जाने के सन्‍दर्भ में भी अभिलेख प्रस्‍तुत किए गए।

हमने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता श्री रवि शंकर सोमवंशी एवं विपीक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षी ओमेक्‍स रेजीडेन्‍सी योजना टूलिप टावर के ए-ब्‍लाक में यूनिट/फ्लैट नं0-१०६ परिवादिनी को आबंटित किया गया तथा आबंटन पत्र दिनांकित ०९-०३-२०११ जारी किया गया। आबंटन पत्र के अनुसार इस यूनिट/फ्लैट का मूल्‍य २५,३८,१२५/- रू० निर्धारित किया गया

 

 

-४-

तथा इस धनराशि की अदायगी हेतु पेमेण्‍ट प्‍लान विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को प्राप्‍त कराया गया। आबंटन पत्र दिनांकित ०९-०३-२०११ एवं पेमेण्‍ट प्‍लान की नोटरी द्वारा प्रमाणित प्रतिलिपि परिवादिनी ने परिवाद के साथ संलग्‍नक-१ के रूप में दाखिल की है। आबंटन पत्र दिनांकित ०९-०३-२०११ एवं उसके साथ प्रस्‍तुत किए गये पेमेण्‍ट प्‍लान की परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत की गई प्रति को विपक्षीगण द्वारा अस्‍वीकार नहीं किया गया है। विपक्षीगण द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट के भुगतान के सन्‍दर्भ में जारी किए गये पेमेण्‍ट प्‍लान के अनुसार बुकिंग के समय मूल विक्रय धन का ५ प्रतिशत अदा किया जाना था तथा बुकिंग/आबंटन के ४५ दिन के अन्‍दर मूल विक्रय धन का ७.५ प्रतिशत अदा किया जाना था तथा आबंटन के ४५ दिन के अन्‍दर मूल विक्रय धन का ७.५ प्रतिशत अदा किया जाना था। तदोपरान्‍त खुदाई कार्य (Excavation) के प्रारम्‍भ होने पर मूल विक्रय धन का ७.५ प्रतिशत अदा किया जाना था। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि आबंटन पत्र दिनांकित ०९-०३-२०११ जारी किए जाने से पूर्व ही परिवादिनी ने विपक्षी को डिमाण्‍ड ड्राफ्ट सं0-१५४६२१ दिनांकित २२-०६-२०१० द्वारा १,२६,८७५/- रू० अदा किया तथा चेक सं0-०६५६८९ दिनांकित २४-०९-२०१० द्वारा १,९५,२०४/- रू० अदा किया। इसके उपरान्‍त परिवादिनी ने विपक्षी को चेक सं0-०६५६९८ दिनांकित ०२-०६-२०११ द्वारा १,२३,४२०/- रू० अदा किया। विपक्षी को किए गये उपरोक्‍त भुगतान के सन्‍दर्भ परिवादिनी ने खाते का विवरण संलग्‍नक-२ के रूप में दाखिल किया है जिससे इस सन्‍दर्भ में परिवादिनी के अभिकथन की पुष्टि हो रही है। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि इस प्रकार परिवादिनी द्वारा पेमेण्‍ट प्‍लान के अनुपालन में देय धनराशि का भुगतान विपक्षीगण को कर दिया। इस धनराशि की अदायगी के उपरान्‍त खुदाई का कार्य प्रारम्‍भ होने पर परिवादिनी को मूल विक्रय धन का ७.५ प्रतिशत अदा करना था किन्‍तु विपक्षीगण ने खुदाई का कार्य प्रारम्‍भ होने की कोई सूचना परिवादिनी को प्राप्‍त नहीं कराई गई। परिवादिनी को खुदाई के कार्य की कोई सूचना दिए बिना ही परिवादिनी ने प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन परिवादिनी द्वारा पेमेण्‍ट प्‍लान के अनुसार कथित रूप से धनराशि की अदायगी न किया जाना दर्शाकर

 

 

-५-

अवैध रूप से निरस्‍त कर दिया।

विपक्षीगण की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादिनी को आबंटित  भवन का मूल्‍य अन्‍य देयों के अतिरिक्‍त २५,३८,१२५/- रू० था जिसमें से परिवादिनी ने मात्र ४,५५,४९९/- रू० ही जमा किया। उसके बाद मांगे जाने के बाबजूद देय धनराशि की अदायगी नहीं की। इस सन्‍दर्भ में विपक्षी ने कथित रूप से परिवादिनी को प्रेषित पत्र दिनांकित १५-११-२०१० एवं पत्र दिनांकित ०३-०८-२०११ की नोटरी द्वारा प्रमाणित प्रतिलिपि दाखिल की है। विपक्षीगण की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादिनी द्वारा मांग पत्र भेजे जाने के बाबजूद देय धनराशि भुगतान न किये जाने के कारण विपक्षी ने अपने पत्र दिनांकित ०८-०९-२०११ द्वारा परिवादिनी को आबंटित फ्लैट का आबंटन निरस्‍त कर दिया और इसकी सूचना परिवादिनी को प्रेषित की। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई त्रुटि कारित न किया जाना अभिकथित किया गया। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने तर्क के समर्थन में पुनरीक्षण याचिका सं0-३२१८/२०१० अक्षमा कुमार बनाम एल्डिको हाउसिंग एण्‍ड इण्‍डस्‍ट्रीज लि0 के मामले में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिऐ गये निर्णय दिनांकित १९-१०-२०१० पर विश्‍वास व्‍यक्‍त किया गया।

परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षीगण ने प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत खुदाई का कार्य प्रारम्‍भ होने की कोई सूचना परिवादिनी को नहीं भेजी। विपक्षीगण द्वारा कथित रूप से प्रेषित पत्र दिनांकित १५-११-२०१० एवं पत्र दिनांकित ०३-०८-२०११ परिवादिनी पर तामील नहीं हुए। विपक्षीगण ने मात्र अनुचित लाभ प्राप्‍त करने की नीयत से अवैध रूप से इन पत्रों द्वारा परिवादिनी को सूचित किया जाना अभिकथित किया है तथा अवैध रूप से परिवादिनी का आबंटन निरस्‍त किया है। विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को कथित रूप से भेजे पत्र दिनपांकित १५-११-२०१० एवं ०३-०८-२०११ की परिवादिनी पर तामील के सन्‍दर्भ में मैनेजर लीगल श्री काजी सईदुर्रहमान का शपथ एवं कोरियर की रसीद दिनांकित १६-११-२०१० तथा ०३-०८-२०११ दाखिल की हैं। श्री काजी सईदुर्रहमान ने अपने शपथ पत्र में मात्र यह अभिकथित किया है कि यह पत्र फर्स्‍ट फ्लाइट कोरियर द्वारा परिवादिनी को भेजे गये। विपक्षीगण द्वारा

 

 

-६-

फर्स्‍ट फ्लाइट कोरियर की रसीदों की जो फोटोप्रतियॉं दाखिल की गई हैं उनके अवलोकन से यह विदित नहीं होता कि वस्‍तुत: ये पत्र कभी परिवादिनी को प्राप्‍त हुए। परिवादिनी ने अपने शपथ पत्र में यह अभिकथित किया है कि धनराशि जमा किए जाने के सन्‍दर्भ में विपक्षीगण द्वारा कथित रूप से प्रेषित कोई पत्र/नोटिस उसे कभी प्राप्‍त नहीं हुई।  फर्स्‍ट फ्लाइट कोरियर द्वारा परिवादिनी को उपरोक्‍त पत्र प्राप्‍त कराए जाने के सन्‍दर्भ में कोई प्रमाण पत्र अथवा इस कोरियर कम्‍पनी के किसी कर्मचारी का शपथ पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया है।

जून २०११ तक परिवादिनी द्वारा विपक्षी को भुगतान किया गया। विपक्षी ने भुगतान हेतु पत्र दिनांक १५-११-२०१० एवं ०३-०८-२०११ को भेजा जाना बताया है।

यह नितान्‍त अस्‍वाभाविक है कि कोई व्‍यक्ति जून २०११ तक साढ़े चार लाख रूपये से अधिक धनराशि जमा करने के बाबजूद शेष धनराशि जमा करने हेतु स्‍वत: प्रयास न करे, यदि शेष धनराशि किसी कारणवश जमा किया जाना सम्‍भव न हो पा रहा हो तब अपनी जमा धनराशि की वापसी का भी प्रयास न करे तथा संविदा की शर्तों के अनुसार अग्रिम जमा धनराशि जब्‍त हो जाने दे तथा आबंटन निरस्‍त हो जाने दे।     अत: प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत खुदाई का कार्य प्रारम्‍भ होने की कोई सूचना तथा खुदाई प्रारम्‍भ होने के उपरान्‍त भुगतान हेतु कोई सूचना विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को भेजा जाना प्रमाणित नहीं है। विपक्षीगण का यह कथन स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है कि पेमेण्‍ट प्‍लान के अन्‍तर्गत परिवादिनी द्वारा देय धनराशि का भुगतान मांगे जाने के बाबजूद नहीं किया गया। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से बिना किसी तर्क संगत आधार के प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन अवैध रूप से विपक्षीगण द्वारा निरस्‍त किया गया। जहॉं तक विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा निर्णीत उपरोक्‍त निर्णय का प्रश्‍न है मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा निर्णीत मामले के तथ्‍य प्रस्‍तुत मामले के तथ्‍यों से भिन्‍न होने के कारण उपरोक्‍त निर्णय का लाभ प्रस्‍तुत मामले के सन्‍दभ्र में विपक्षीगण को नहीं दिया जा सकता।      

विपक्षीगण का यह कथन है कि परिवादिनी को आबंटित भवन क्षितिज सिंह नाम

 

 

-७-

के व्‍यक्ति को आबंटित किया जा चुका है तथा उनके पक्ष में विक्रय पत्र भी निष्‍पादित किया जा चुका है। इस सन्‍दर्भ में विपक्षीगण ने श्री काजी सईदुर्रहमान मैनेजर लीगल का शपथ पत्र एवं श्री क्षितिज सिंह के पक्ष में निष्‍पादित सम्‍बन्धित अभिलेखों की छायाप्रतियॉं प्रस्‍तुत की हैं जिनके अवलोकन से यह विदित होता है कि दिनांक १०-०५ २०१६ को प्रश्‍नगत फ्लैट क्षितिज सिंह के नाम दिनांक २९-०३-२०१६ को आबंटित किया गया तथा दिनांक १०-०५-२०१६ को विक्रय किया गया।

परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने इस सन्‍दर्भ में हमारा ध्‍यान इस आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक २७-०५-२०१३ की ओर आकृष्‍ट किया। दिनांक २७-०५-२०१३ को विपक्षी की ओर से श्री विजय टण्‍डन एडवोकेट उपस्थित हुए, उन्‍होंने लिखित बहस हेतु एक माह के समय की प्रार्थना की तथा उनके द्वारा यह अण्‍डरटेकिंग भी दी गई कि इस बीच किसी अन्‍य व्‍यक्ति के नाम विवादित सम्‍पत्ति आबंटित नहीं करेंगे। विपक्षीगण की ओर से इस अण्‍डरटेकिंग के बाबजूद तथा प्रश्‍नगत परिवाद लम्बित रहने के बाबजूद विपक्षीगण द्वारा प्रश्‍नगत भवन का विक्रय किया गया। क्‍योंकि प्रश्‍नगत फ्लैट अब उपलब्‍ध नहीं है, अत: प्रश्‍नगत भवन उपलब्‍ध न होने के कारण परिवादिनी द्वारा जमा की गई धनराशि मय ब्‍याज उसे वापस दिलाया जाना न्‍यायसंगत होगा।

विपक्षीगण द्वारा प्रश्‍नगत भवन के सन्‍दर्भ में जारी किए गये आबंटन पत्र दिनांकित ०९-०३-२०११ के अवलोकन से यह विदित होता है कि इस आबंटन पत्र में उल्लिखित शर्तों के अनुसार परिवादिनी द्वारा धनराशि की अदायगी न किए जाने की स्थिति में विपक्षीगण द्वारा १८ प्रतिशत वार्षिक से लेकर २४ प्रतिशत तक देय धनराशि पर ब्‍याज की अदायगी आबंटी द्वारा किया जाना अंकित है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से परिवादिनी को जमा की गई धनराशि पर धनराशि जमा किए जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक १८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा तथा २०,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। परिवाद तद्नुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

            आदेश

      परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया

 

-८-

जाता है कि परिवादिनी द्वारा जमा की गई धनराशि, निर्णय की प्रति प्राप्‍त किए जाने की तिथि से ४५ दिन के अन्‍दर परिवादिनी को धनराशि जमा किए जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक १८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित अदा करें। इसके अतिरिक्‍त निर्धारित अवधि में विपक्षीगण परिवादिनी को २०,०००/- रू० परिवाद व्‍यय के रूप में अदा करें।

उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

 

      (उदय शंकर अवस्‍थी)                      (राज कमल गुप्‍ता)

        पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

 

 

                                                                                                                

                                                                                                    

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-२.

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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