राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
परिवाद संख्या:-98/2015
Dharmendra Gupta, S/o Late C.P. Gupta, R/o 1/47, Vishesh Khand, Gomti Nagar, Lucknow.
........... Complainant
Versus
1- M/s Omaxe Limited, Cyber, 2nd Floor, TC-34/V2, Vibhuti Khand, Near Indira Gandhi Pratisthan, Gomti Nagar, Lucknow through its Director.
2- M/s Omaxe Limited, Registered Office- 7, Local Shopping Centre, Kalkaji, New Delhi-110019 through its authorized Signatory.
…….. Opp. Parties
समक्ष :-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य
मा0 गोवर्धन यादव, सदस्य
परिवादी के अधिवक्ता : श्री हरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
विपक्षी के अधिवक्ता : श्री अनिल कुमार मिश्रा
दिनांक :- 15-11-2018
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद बकाया ब्याज की अदायगी, टी.डी.एस. के रूप में काटी गई धनराशि की अदायगी हेतु योजित किया गया है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी के कथनानुसार विपक्षी सं0-1 व 2 ने Hi Tech City के नाम से कल्लीपश्चिम गॉव लखनऊ में ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट चालू किया। परिवादी इस प्रोजेक्ट के अन्तर्गत 750 वर्ग गज का एक प्लॉट खरीदने को इच्छुक था। इस परियोजना हेतु परिवादी ने 12,50,000.00 रू0 का भुगतान करके पंजीकरण कराया, तदोपरांत ओमैक्स तथा परिवादी के मध्य एक अनुबन्ध हुआ, इस अनुबन्ध के अनुसार यह तय हुआ कि यदि विपक्षीगण इकरारनामे की तिथि से 24 महीनों के अन्दर उपरोक्त Hi Tech City परियोजना में परिवादी को प्लॉट आवंटित नहीं कर सके
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तब परिवादी 41,25,000.00 रू0 प्राप्त करने का अधिकारी होगा। विपक्षीगण इस योजना में इकरारनामे की तिथि से 24 माह के अन्दर परिवादी को प्लॉट आवंटित नहीं कर सके। अत: परिवादी विपक्षीगण से 41,25,000.00 इकरारनामे की तिथि से 24 माह बीतने पर अर्थात दिनांक 30.8.2012 को प्राप्त करने का अधिकारी था, किन्तु विपक्षीगण ने उक्त तिथि पर परिवादी को यह धनराशि अदा नहीं की। विपक्षीगण द्वारा यह धनराशि अदा न किए जाने पर परिवादी ने विपक्षीगण से सम्पर्क किया, अंतत: दिनांक 01.5.2014 को परिवादी के अधिवक्ता ने विपक्षीगण को उक्त धनराशि की अदायगी हेतु नोटिस भेजी। तदोपरांत विपक्षीगण ने पत्र दिनांक 25.7.2014 द्वारा परिवादी को सूचित किया कि वह उनके लखनऊ स्थित कार्यालय से दिनांक 04.8.2014 को चेक प्राप्त कर सकते है। पत्र दिनांकित 25.7.2014 के अनुसार परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में दिनांक 04.8.2014 को सम्पर्क किया, जहॉ उसे एच.डी.एफ.सी. बैंक के दो चेक कुल 38,37,500.00 रू0 का प्रदान किया गया तथा यह सूचित किया गया कि यह धनराशि टीडीएस की धनराशि की कटौती के उपरांत अदा की गई। इस प्रकार दिनांक 30.8.2012 को देय 41,25,000.00 रू0 की धनराशि का भुगतान न करके टीडीएस की कटौती करते हुए लगभग एक वर्ष नौ माह बाद कुल 38,37,500.00 रू0 परिवादी को अदा किए गये। विलम्ब से भुगतान की अवधि का कोई ब्याज परिवादी को प्रदान नहीं किया गया। जबकि परिवादी विलम्ब की इस अवधि के लिए देय धनराशि पर ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी था। अत: विलम्ब की इस अवधि के लिए 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की मॉग करते हुए तथा टी.डी.एस. के रूप में काटी गई धनराशि की वापसी हेतु परिवाद योजित किया गया है।
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विपक्षीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। विपक्षीगण ने परिवादी द्वारा अभिकथित इकरारनामा निष्पादित किया जाना स्वीकार किया, किन्तु विपक्षीगण का यह कथन है कि इकरारनामा दिनांकित 31.8.2010 की शर्तों के अनुसार परिवादी को टी0डी0एस0 की कटौती करते हुए कुल 41,25,000.00 रू0 का भुगतान दिनांक 05.8.2014 को किया जा चुका है। विपक्षीगण के कथनानुसार एच0डी0एफ0सी0 बैंक का चेक सं0-067883 दिनांकित 01.8.2014 द्वारा 25,87,500.00 रू0 तथा एच0डी0एफ0सी0 बैंक का चेक सं0-067882 दिनांकित 01.8.2014 द्वारा 12,50,000.00 रू0 अदा किए गये। शेष धनराशि टी0डी0एस0 के रूप में काटी गई। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2 (डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है, बल्कि एक निवेशक है। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि परिवाद इस आयोग के समक्ष पोषणीय नहीं है। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि परिवादी को धनराशि के भुगतान में विलम्ब स्वयं परिवादी द्वारा औपचारिकतायें पूर्ण न किए जाने के कारण हुआ।
परिवादी ने परिवाद के साथ संलग्नक के रूप में इकरारनामा दिनांकित 31.8.2010 की फोटोप्रति संलग्नक-1 के रूप में, परिवादी के अधिवक्ता द्वारा विपक्षी को भेजी गई नोटिस दिनांकित 01.5.2010 की फोटोप्रति संलग्नक-2 के रूप में, विपक्षीगण द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित 25.7.2014 की फोटोप्रति संलगक-3 के रूप में, विपक्षीगण द्वारा परिवादी को प्रदान किए गये चेक की फोटोप्रति संलग्नक-4 के रूप में दाखिल की गई है तथा परिवाद के अभिकथनों के समर्थन में अपना शपथपत्र प्रस्तुत किया है, इसके अतिरिक्त परिवाद के अभिकथनों के समर्थन में परिवादी द्वारा पुन: अपना शपथपत्र दिनांकित 19.02.2016 दाखिल किया है।
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विपक्षीगण की ओर से श्री काजी सईदुर रहमान, मैनेजर लीगल द्वारा शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है तथा इस शपथपत्र के साथ संलग्नक के रूप में परिवादी को प्राप्त कराये गये दो चेकों की फोटोप्रतियॉ संलग्नक-1 के रूप में, पक्षकारों के मध्य इकरारनामा दिनांकित 31.8.2010 को निरस्त किए जाने के सम्बन्ध में निष्पादित इकरारनामें की फोटो प्रति तथा परिवादी द्वारा प्रस्तुत किए गये शपथपत्र की फोटोप्रति संलग्नक-2 के रूप में दाखिल की गई है, इसके अतिरिक्त संलग्नक-2 लगायत 7 भी दाखिल किए गये हैं।
हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री हरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया।
यह तथ्य निर्विवाद है कि उभय पक्ष के मध्य विपक्षीगण की गॉव कल्लीपश्चिम लखनऊ स्थित Hi Tech City परियोजना के संदर्भ में परिवादी द्वारा 750 वर्ग गज के एक प्लॉट के आवंटन हेतु इकरारनामा दिनांकित 31.8.2010 निष्पादित किया गया था। यह तथ्य भी निर्विवाद है कि परिवादी द्वारा इस परियोजना हेतु 12,50,000.00 रू0 विपक्षीगण को अदा किए गये। इकरारनामें दिनांकित 31.8.2010 की शर्त सं0-11 के अनुसार:-
(i) In the event the First Party fails to allot the plot in the Hi Tech City as contemplated above within a period of 24 months or is unable to make allotment of the plot in terms of this agreement for other reasons whatsoever, then the Second Party shall be entitled to the refund of amount of Rs. 4125,000/- (Forty One Lac Twenty Five Thousand
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Only) calculated @ Rs. 5500/- per Sq. yds., (Rs. 5500/- per sq. yds.) for 750 sq. yds. of area taking it as the amount of the value of the plot which could have been allotted to the Second Party.
यह तथ्य निर्विवाद है कि इकरारनामें की तिथि से 24 माह के अन्दर परिवादी को उक्त परियोजना के अन्तर्गत प्लॉट आवंटित नहीं किया गया। परिवादी के कथनानुसार इकरारनामें की उक्त शर्त के अन्तर्गत परिवादी विपक्षीगण से 41,25,000.00 रू0 दिनांक 30.8.2012 को प्राप्त करने का अधिकारी था, किन्तु विपक्षीगण द्वारा टी.डी.एस. के रूप में कटौती के उपरांत दिनांक 04.8.2014 को दो चेकों के माध्यम से मात्र 38,37,500.00 रू0 अदा किए गये। इस प्रकार एक वर्ष नौ माह के विलम्ब से टी.डी.एस. की कटौती के उपरांत धनराशि की अदायगी की गई। अत: दिनांक 30.8.2012 से परिवादी के अनुसार 41,25,000.00 रू0 पर ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है।
विपक्षीगण के कथनानुसार इकरारनामें की शर्तों के अनुसार निर्धारित अवधि में प्लॉट का आवंटन परिवादी को न हो पाने पर परिवादी ने इकरारनामें की शर्त के अनुसार धनराशि वापस प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की, तदोपरांत परिवादी द्वारा औपचारिकतायें पूर्ण की गई। परिवादी ने दिनांक 28.12.2013 को एक शपथपत्र भी प्रस्तुत किया। इस शपथपत्र की फोटोप्रति विपक्षीगण की ओर से श्री काजी सईदुर रहमान के शपथपत्र के साथ संलग्नक-2 के रूप में दाखिल इस शपथपत्र की धारा-9 में यह तथ्य अंकित है:-
9- “That the deponent undertakes that no further amount except the said refundable amount is due to be paid by the Company in this regard and
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upon receipt of the aforesaid refundable amount from the company, neither he/she/they nor anybody
else claiming through him/her/them shall have any right, title interest etc. in any of the developed plot in the said project and the Company is free to deal with the developed plots at its sole discretion.”
विपक्षीगण के कथनानुसार परिवादी के शपथपत्र के अभिवचनों के आलोक में परिवाद पोषणीय नहीं है।
विपक्षीगण की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-2 (डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है, बल्कि एक निवेशक है। इस संदर्भ में पक्षकारों के मध्य निष्पादित इकरारनामा दिनांकित 31.8.2010 के क्लॉज-सी की ओर भी उन्होंने हमारा ध्यान आकृष्ठ किया। इकरारनामा दिनांकित 31.10.2008 जिसकी प्रति स्वयं परिवादी ने परिवाद के साथ दाखिल की है, की धारा-सी में निम्नलिखित तथ्य अंकित है:-
(c) The Second Party has approached the First Party and has expressed its desire to invest funds for the purchase of such raw undeveloped land, which is being purchased by the First party for development of the proposed residential colony to be executed by the First Party of its subsidiary after obtaining all permissions and approvals from the Concerned Authorities.
इस संदर्भ में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने Morgan Stanley Mutual Fund Arvind Gupta Vs. Kartick Das Securities and Exchange Board of India reported in
-7-
1994 (4) SCC Page 225 के मामले में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गये निर्णय पर विश्वास व्यक्त किया।
पक्षकारों के मध्य निष्पादित इकरारनामा दिनांकित 31.8.2010 की धारा-सी में अंकित तथ्य एवं मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गये उपरोक्त निर्णय के आलोक में हमारे विचार से परिवादी एक निवेशक है और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-2 (डी) के अन्तर्गत परिवादी उपभोक्ता नहीं माना जा सकता। 12,50,000.00 रू0 वर्ष-2010 में निवेशित करने के उपरांत परिवादी ने दो वर्ष बाद 41,25,000.00 रू0 इकरारनामें की शर्तों के अनुसार प्राप्त किए हैं। प्रस्तुत प्रकरण में सेवा में त्रुटि का मामला विदित नहीं हो रहा है।
यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि स्वयं परिवादी ने उक्त धनराशि प्राप्त करते समय एक शपथपत्र भी निष्पादित किया, जिसे विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किए गये शपथपत्र के साथ संलग्नक-2 की रूप में दाखिल किया गया है। इस शपथपत्र में उल्लिखित तथ्यों के आलोक में भी परिवाद पोषणीय नहीं है। अत: उपरोक्त तथ्यों के आलोक में परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2