(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-422/2009
न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0
बनाम
मैसर्स निधि मार्केटिंग तथा एक अन्य
दिनांक : 19.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-47/2006 तथा परिवाद संख्या-48/2006 में विद्वान जिला आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित संयुक्त निर्णय/आदेश दिनांक 10.02.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर बल देने के लिए अपीलार्थी की ओर कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा एवं श्री एच.के. श्रीवास्तव को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद सं0-47/2006 में बीमा कंपनी के विरूद्ध अंकन 1,26,150/-रू0 अदा करने का ओदश पारित किया है तथा परिवाद सं0-48/2006 में बीमा कंपनी के विरूद्ध अंकन 25,850/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. दोनों परिवादों के तथ्यों के अनुसार परिवादीगण श्रीमती रानी कपूर एवं श्री नरेन्द्र कपूर अपने उत्पादों को जिले के बाहर बेचते हैं तथा धन वसूली के लिए आदमी भेजते हैं। फर्म के नुकसान से बचने के लिए बीमा क्रमश: दिनांक 13.7.2004 एवं दिनांक 7.7.2004 को कराया गया। फर्म के कर्मचारी श्री अनिल कुमार मिश्रा द्वारा व्यापारियों से धन वसूल कर लाया जा रहा था और वापसी में दिनांक 10.12.2004 को सुलतानपुर डिपो की बस संख्या यू.पी. 42 टी. 2706 में वह यात्रा कर रहा था। वसूली
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गई धनराशि एक बैग एंव एक ब्रिफ केस में रखी हुई थी। बस स्टैण्ड पर बस रूकी तो सह यात्री को बैग एवं ब्रिफ केस सुपुर्द कर यूरिनेशन के लिए उतर गया और वापस लौटकर देखा तो बैग एवं ब्रिफ केस गायब था। बैग एवं ब्रिफ केस के बारे में ड्राइवर से पूछा गया, परन्तु बैग व ब्रिफ केस नहीं मिला। वसूली गई राशि बीमा पालिसी से सुरक्षित थी, इसलिए बीमा कंपनी को सूचित किया गया, परन्तु बीमा कंपनी द्वारा बीमा क्लेम स्वीकार नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. बीमा कंपनी द्वारा बीमा पालिसी जारी करना स्वीकार किया गया, परन्तु यह कथन किया गया कि बैग एवं ब्रिफ केस गायब होने में परिवादी के कर्मचारी की घोर लापरवाही थी, जिसके लिए बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं है। विद्वान जिला आयोग ने बीमा कंपनी के कथन को स्वीकार नहीं किया और तदनुसार क्षतिपूर्ति का आदेश पारित कर दिया।
5. स्वंय परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादीगण द्वारा धन संग्रह के कर्मचारी द्वारा धन संग्रह करने के पश्चात इस राशि को ब्रिफ केस एवं बैग में रखा गया और अपने बैग एवं ब्रिफ केस को सह यात्री को सुपुर्द करने के पश्चात परिवादी का कर्मचारी नीचे यूरिनेशन के लिए उतर गया और लौटकर देखा तो बैग एवं ब्रिफ केस गायब था सह यात्री का कोई विवरण परिवाद पत्र में नहीं दिया गया। बैग एवं ब्रिफ केस में संग्रहित राशि को सह यात्री को सुपुर्द करना परिवादी के कर्मचारी की लापरवाही का प्रत्यक्ष प्रमाण है, इस लापरवाही के लिए जो हानि परिवादी को हुई है, उसकी पूर्ति के लिए बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं है। विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवादी के कर्मचारी की लापरवाही के बिन्दु पर विचार नहीं किया गया, जबकि बीमा कंपनी ने लिखित कथन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि यह बीमा पालिसी की शर्तों का स्पष्ट
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उल्लंघन है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.02.2009 अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.02.2009 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2