Rajasthan

Churu

756/2011

Harful - Complainant(s)

Versus

M/S Negma Finfoop Ltd. - Opp.Party(s)

LKG

08 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 756/2011
 
1. Harful
Rajgarh Churu
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री ललित कुमार गौतम अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थीगण की ओर से श्री गजेन्द्र खत्री अधिवक्ता उपस्थित। पक्षकारान की बहस सुनी गई। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में तर्क दिया कि प्रार्थी को परिवाद में वर्णित अनुतोष दिया जा चूका है। अब प्रार्थी का किसी प्रकार का कोई अनुतोष अप्रार्थीगण के जिम्मे नहीं है, परिवाद निष्फल हो चूका है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया। प्रार्थी अधिवक्ता ने अप्रार्थीगण अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए तर्क दिया कि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को जो अनुतोष दिया है वह परिवाद प्रस्तुत करने के बाद दिया है इसलिए प्रार्थी परिवाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी है।

           हमने उभय पक्षों के तर्काे पर मनन किया। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।

           अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस के समर्थन में इस मंच का ध्यान पत्र दिनांक 02.07.2012 व अन्य दस्तावेजों की ओर दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। पत्र दिनांक 02.07.2012 में स्वंय प्रार्थी ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि उसका अप्रार्थीगण से कोई विवाद शेष नहीं है वह कोई अनुतोष प्राप्त नहीं करना चाहता। प्रार्थी ने एक शपथ-पत्र भी दिनांक 02.07.2012 को अप्रार्थीगण के यहां प्रस्तुत किया था जिसमें प्रार्थी ने एग्रीमेन्ट के सिलसिले व वर्तमान प्रकरण में कार्यवाही ड्रोप करने का कथन किया है इसी प्रकार प्रार्थी ने यह लिख कर भी दिया है कि प्रार्थी व अप्रार्थीगण मैग्मा कम्पनी के मध्य ऋण खाते से सम्बंधित विवाद समाप्त हो चूका है। इसलिए प्रार्थी ऋण खाते से सम्बंधित अनुतोष प्राप्त कर चूका है। प्रार्थी स्वंय द्वारा उक्त दस्तावेजों में वर्तमान परिवाद की कार्यवाही को ड्रोप करने हेतु शपथ-पत्र दिया है। प्रार्थी अधिवक्ता ने ऐसा कोई तर्क नहीं दिया कि उपरोक्त दस्तावेज प्रार्थी के द्वारा हस्ताक्षरित नहीं है या प्रार्थी से जबरन किसी दवाब से हस्ताक्षर करवाये है। इसलिए मंच की राय में प्रार्थी को परिवाद मंे वर्णित अनुतोष प्राप्त हो चूका है। अब इस परिवाद में कोई कार्यवाही शेष नहीं बची इसलिए परिवाद निष्फल हो जाने पर खारिज किये जाने योग्य है।

           अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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