Uttar Pradesh

Ghazipur

CC/51/2014

Rakesh Rai - Complainant(s)

Versus

M/S Nasreen Steel Furniture & General Order Supplier - Opp.Party(s)

Shri Satyendra Kumar Shrivastava

27 May 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM GHAZIPUR
COLLECTORATE COMPOUND, DISTRICT- GHAZIPUR
 
Complaint Case No. CC/51/2014
 
1. Rakesh Rai
S/O Shri Prabhu Narain Rai, Village- Udhranpur, Post- Dergawa, Tehsil- Zamania, District- Ghazipur
...........Complainant(s)
Versus
1. M/S Nasreen Steel Furniture & General Order Supplier
Ghazipur Through Its Proprietor M/S Nasreen Steel Furniture & General Order Supplier, Saraykhan, Ghazipur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES HONOURABLE MR Ramesh Chandra Mishra PRESIDENT
 HON'BLE MR. Manoj Kumar MEMBER
 
For the Complainant:Shri Satyendra Kumar Shrivastava, Advocate
For the Opp. Party: Shri Murli Manohar Sinha, Advocate
ORDER

परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरुद्ध प्रस्‍तुत करते हुए कहा है कि उसने दि0 03-01-12 को एक पीस ए ए एच मॉडल दीवान बेड रू0 14,500/- में, एक पीस सोफा महाराजा रू0 13,500/- एक पीस श्रृंगारदान रू0 5,500/- तथा एक पीस सेन्‍टर टेबुल रू0 3,500/- कुल रू0 37,000/- का सामान विपक्षी के यहॉ से क्रय किया। सामान क्रय करते समय विपक्षी द्वारा बताया गया कि उक्‍त सामानों में शीशम और साखू के मजबूत लकड़ी का प्रयोग किया गया है तथा उक्‍त सामान काफी मजबूत हैं । परिवादी ने क्रय करने के उपरांत उपरोक्‍त सामानों को अपनी पुत्री की शादी में माह जनवरी में उपहार स्‍वरूप दे दिया। उपरोक्‍त सामान कुछ समय बाद ही खराब होने लगे और पुत्री के ससुराल से शिकायत आने लगी कि तुम्‍हारे परिवार के लोगों ने खराब सामान दिया है जिसके कारण परिवादी की पुत्री को अपमानित होना पड़ा और उसका सम्‍मान प्रभवित हुआ। परिवादी ने कई बार विपक्षी से सम्‍पर्क किया लेकिन विपक्षी द्वारा उक्‍त सामानों को न तो बदला गया न ही उनकी मरम्‍मत की गयी। विपक्षी बार-बार बहाने बनाकर टालता रहा। परिवादी ने विवश होकर दि0 03-1-14 को नोटिस दिया। उपरोक्‍त कथनों को कहते हुए परिवादी ने क्रयशुदा सामानों को बदल कर उसके स्‍थान पर दूसरा सामान अथवा क्रयशुदा समानात का मूल्‍य रू0 37,000/- मय 12 प्रतिशत ब्‍याज दिलाने एवं बतौर आर्थिक, मानसिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति रू0 20,000/- दिलाये जाने हेतु यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

 

     विपक्षी को सूचना भेजी गयी। विपक्षी ने अपना जवाब परिवाद, प्रस्‍तुत करते हुए कहा है कि परिवादी ने उसकी फर्म से उपरोक्‍त सामान क्रय किया है लेकिन परिवादी द्वारा विपक्षी को रू0 2,000/- का भुगतान किया गया । रू0 35,000/- शेष था। कई बार प्रयास करने के बाद परिवादी ने रू0 30,000/- जमा किया और अब भी रू0 5,000/- शेष रह गया। परिवादी ने रू0 5,000/- जमा नहीं किया और धमकी  भी दिया। जब विपक्षी को न्‍यायालय की नोटिस प्राप्‍त हुई तो वह उक्‍त नोटिस लेकर अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से पत्रावली को देखा तो परिवादी द्वारा दि0 03-01-12 को फर्जी तरीके से रू0 5,000/- जमा प्राप्‍त लिखा है तथा उसके बॉये तरफ कोई तारीख डाला है। ये दोनों अंकन फर्जी तरीके से परिवादी द्वारा विपक्षी के कागजात में किये गये हैं जो स्‍पष्‍टत: अपराध की श्रेणी में आता है। परिवाद पत्र के पैरा-4 के मुताबिक परिवादी का परिवाद सी0पी0ए0- 1986 की धारा- 24ए से बाधित है । उक्‍त आधार पर परिवाद खण्डित होने योग्‍य है । कैशमेमो में फर्जी तरीके से धनराशि अंकित करके ओवर राइटिंग की गयी है। परिवादी डिफाल्‍टर है। परिवादी द्वारा एक फर्जी नोटिस भेजा जाना प्रदर्शित किया गया है जिसके हस्‍ताक्षर कॉलम में दूसरी तरह से हस्‍ताक्षर किये गये हैं जो उसके हस्‍ताक्षर से भिन्‍न हैं। दि0 03-01-12 को सामान क्रय किये गये हैं। परिवाद दि0 06-02-14 को प्रस्‍तुत किया गया है। दो वर्ष का समय व्‍यतीत हो चुका है जिससे परिवाद काल बाधित है। उपरोक्‍त कथनों को कहते हुए विशेष हर्जा रू0 10,000/- की प्राप्ति  के साथ ही साथ परिवाद पत्र को निरस्‍त करने की याचना की गयी है।

 

     पक्षों द्वारा अपने- अपने कथन के समर्थन में प्रपत्र 6ग मूल प्रति दि0 03-01-12, विधिक नोटिस दि0 02-01-14 प्रपत्र 7ग, विपक्षी का शपथ पत्र दि0 03-03-14 11ग, लिखित बहस विपक्षी 13ग, परिवादी का शपथ पत्र प्रपत्र 17ग/1 ता 17ग/4, प्रपत्र 20ग/1 ता 20ग/3 सामानों का फोटोग्राफ तथा 21ग मूल प्रति द्वारा कृष्‍णा नन्‍द राय, 22ग, शादी कार्ड मूल रूप में, प्रपत्र 23ग/1 ता 23ग/2, के साथ-साथ पत्रावली पर लिखित बहस परिवादी, दि0 19-12-14 प्रपत्र 24ग/1 ता 24ग/3 प्रस्‍तुत की गयी गयी है।

 

         फोरम द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता गण के तर्केां को सुना गया।  पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त साक्ष्‍यों एवं कागजातों का अवलोकन और परिशीलन किया गया।

 

     दोनों पक्षों द्वारा यह स्‍वीकार किया गया है कि रू0 37,000/- का सामान विपक्षी द्वारा परिवादी को बेचा गया है और उक्‍त रू0 37,000/- में से रू0 5,000/- बकाया है। वहीं पर परिवादी का कथन है कि परिवादी ने अपनी लड़की की शादी में  उपहार में देने के लिए ये सामान क्रय किये थे जो माह जनवरी में उपहार स्‍वरूप परिवादी की पुत्री को शादी में दे दिया गया। परिवादी की पुत्री की शादी का कार्ड मूल रूप में प्रपत्र 22ग प्रस्‍तुत है जिसमें उपरोक्‍त शादी की तिथि 10 फरवरी, 2012 दर्शित है। परिवादी के कथनानुसार उपरोक्‍त सामानों में शीसम व साखू की लकड़ी का प्रयोग किया गया है परन्‍तु वे अत्‍यंत घटिया किस्‍म के सामान थे जो तत्‍काल खराब होने लगे जिसकी वजह से ससुराल में परिवादी की पुत्री को अपमानित होना पड़ा। विपक्षी द्वारा उक्‍त सामानों को बदला नहीं गया। पत्रावली पर रसीद दि0 03-1-12 प्रपत्र 6ग, प्रस्‍तुत है जिसमें रू0 30,000/- जमा एवं रू0 05,000/-  बकाया प्रदर्शित है और उसके निचले कॉलम में मोटे-मोटे अक्षरों में प्राप्‍त रू0 5,000/- अंकित किया गया है जो उक्‍त शब्‍द से मेल नहीं खाता है। पत्रावली पर कोई ऐसा साक्ष्‍य नहीं प्रस्‍तुत है, जिससे यह स्‍पष्‍ट हो सके कि विपक्षी ने परिवादी को उक्‍त सामानों के बावत वारण्‍टी या गारण्‍टी दिया है कि यदि सामान खराब होंगे तो उन्‍हें बदला जायेगा या बनवा दिया जायेगा। पत्रावली पर प्रपत्र 21ग दि0 07-05-14 प्रस्‍तुत है जिस पर विक्रेता के हस्‍ताक्षर की जगह पर कृष्‍णा नन्‍द राय अंकित है जिस पर 6x6 दिवान बेड और ड्रेसिंग टेबल और डाइनिंग टेबल जिसका लकड़ी शीशम है परन्‍तु आधी लकड़ी कच्‍ची शीशम है जो मरम्‍मत करने योग्‍य नहीं है, अंकित है।  कृष्‍णा नन्‍द राय कौन हैं। क्‍या वे लकड़ी के विशेषज्ञ हैं, इसके सम्‍बन्‍ध में कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा दि0 03-01-12 को सामान क्रय किये गये हैं और दि0 06-02-14 को परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। इस बिन्‍दु को विपक्षी द्वारा दर्शित किया गया है कि परिवाद काल बाधित है, निरस्‍त किया जाय। परिवादी ने रू0 37,000/– का लकड़ी का सामान क्रय किया जिसके रसीद दि0 03-01-12 में ओवर राइटिंग की गयी है जिसमें रू0 5,000/- बकाया दर्शित है। बाद में प्राप्ति दिखायी गयी है । इस अंकन से स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी ने यह प्राप्ति अपने हाथ से प्रदर्शित किया है जो फोरम के मत में उचित नहीं है। चॅूकि उपरोक्त प्रपत्र पर हैण्‍ड राइटिंग में काफी अन्‍तर है। मात्र यह कह देना कि लकड़ी का सामान खराब है जिसके सम्‍न्‍ध में परिवादी द्वारा प्रपत्र 20ग/1 ता 20ग/3 सम्‍बन्धित सामानों की फोटो ग्राफ प्रतियॉ प्रस्‍तुत की गयी हैं, उचित नहीं है। परिवादी की पुत्री की शादी  10 फरवरी, 2012 को प्रपत्र 22ग ( शादी के मूल कार्ड) के अनुसार निश्चित है। परिवादी ने दहेज के बावत उक्‍त सामानों को माह जनवरी में उपहार स्‍वरूप दिया है। पत्रावली पर प्रपत्र 21ग प्रस्‍तुत है जिसमें यह लिखा हुआ है कि लकड़ी शीशम की है परन्‍तु आधी लकड़ी कच्‍ची शीशम है। यह तथ्‍य स्‍पष्‍ट नहीं है न ही इसका कोई एक्‍सपर्ट ओपिनियन प्रस्‍तुत किया गया है कि लकड़ी आधी कच्‍ची है और आधी पक्‍की है जो मरम्‍मत योग्‍य नहीं है। प्रपत्र 22ग अपने- आप में कोई बल नहीं देता है। निश्चित रूप से परिवादी ने जो सामान प्रतिपक्षी से क्रय किया है उसने उन्‍हें बहुत ही स्‍वस्‍थ चित्‍त से लिया होगा और बाद में यह कहा जाने लगा कि लकड़ी आधी कच्‍ची है और आधी शीशम की पक्‍की है जिसके सम्‍बन्‍ध में फोटोग्राफ प्रस्‍तुत किया गया है। परिवादी का यह कथन कि वह बार-बार खराब फर्नीचरों को बनवाने के लिए विपक्षी के यहॉ गया परन्‍तु विपक्षी ने उन्‍हें बनवाया नहीं। कोई भी दुकानदार यदि किसी प्रकार के घटिया सामानों को विक्री करता है तो वह निश्चित रूप से उसकी मरम्‍मत करता है इसमें किसी भी प्रकार का संदेह नहीं है। इसलिए विपक्षी के इस कथन में बल मिलता है कि परिवादी ने रू0 5000/-  बकाया न देने की गरज से यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है। जहॉ तक बकाये का सम्‍बन्‍ध है, उक्‍त धनराशि को विपक्षी ने प्राप्‍त किया है या नहीं किया है, इस मंच से उक्‍त बकाये धनराशि का लाभ नहीं दिया जा सकता है। यह सत्‍य है कि पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है कि  परिवादी द्वारा कोई ऐसा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है जिससे स्‍पष्‍ट हो सके कि  परिवादी ने जो सामान दि0 03-01-12 को क्रय किया है उसके सम्‍बन्‍ध में कोई वारण्‍टी या गारण्‍टी कार्ड दिया गया हो और पत्रावली पर प्रपत्र 21ग प्रस्‍तुत है जिससे यह जाहिर हे कि शीशम की लकड़ी आधी कच्‍ची आधी पक्‍की है, इसका कोई पुष्‍ट प्रमाण पत्रावली पर प्रस्‍तुत नहीं है जिसके अभाव में यह नहीं कहा जा सकता कि परिवादी उक्‍त सामानों की कीमत या दूसरा सामान प्राप्‍त करे। उपरोक्‍तानुसार परिवादी के परिवाद में किसी प्रकार का बल‍ प्रतीत नहीं होता । परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य नहीं है।

 

     बलहीन होने के कारण परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है। 

 

                             आदेश

 

     परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

     इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्‍क दी जाय। निर्णय आज खुले न्‍यायालय में, हस्‍ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।

 
 
[JUDGES HONOURABLE MR Ramesh Chandra Mishra]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Manoj Kumar]
MEMBER

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