मौखिक
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-382/2005
श्री हरि प्रकाश
बनाम
मेसर्स मुकुन्द इंजीनियरिंग
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री टी0 एच0 नकवी, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नही
दिनांक :21.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. प्रस्तुत अपील, हरि प्रकाश की ओर से विद्वान जिला आयोग, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्या– 67/2001, हरी प्रकाश बनाम मेसर्स मुकुन्द इजीनियरिंग में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.12.2004 के विरूद्ध योजित की गयी है।
2. अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने व्यवसाय हेतु ऋण लेकर रू0 15,000.00 का जनरेटर विपक्षी से खरीदा था। जनरेटर की कीमत का भुगतान बैंकर्स चेक के माध्यम से दिनांक 03.10.2000 को किया गया। परन्तु विपक्षी ने परिवादी को जनरेटर नहीं दिया।
4. विपक्षी का कथन है कि परिवादी ने स्टेट बैंक शाखा कुबेरपुर में लिखकर दिया है कि वह अपना व्यवसाय स्थापित कर चुका है। अब उसे ऋण की आवश्यकता नहीं है।
5. जिला आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली का अवलोकन करते हुये परिवाद को खंडित करते हुये परिवादी को अंकन 2,000.00 हर्जाने अदा करने का आदेश दिया है।
4. अपीलार्थी के विद्धान द्धारा केवल हर्जा को वापस लिये जाने का अनुरोध किया गया है। न्यायहित में अंकन 2,000.00 रू0 पर परिवाद खंडित करने का आदेश केवल कास्ट के संबंध में वापस लिया जाता है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश में हर्जे की धनराशि अंकन 2,000.00 अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि राज्य आयोग के समक्ष जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित नियमानुसार वापस की जावेगी।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0,
कोर्ट-03